मां द्वारा बेटों को चुदाई की शिक्षा-4

अवि के हटते ही अरुण मुझसे लिपट गया, बोला- मम्मी, अब मेरी बारी है आपको चोदने की! अवि और आपकी चुदाई देख कर अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है!
मैंने अरुण से कहा- तो तुझे रोका किसने है?

मेरे इतना बोलते ही अरुण ने मेरे होठों को अपने मुंह में लेकर चूमना शुरू कर दिया, उसका एक हाथ मेरे मम्मों पर था और दूसरे हाथ से उसने अपने लंड को मेरी चूत पर टिकाया और एक ही धक्के में उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत के अंदर घुसेड़ दिया, मेरी चीख मेरे मुंह में ही घुटकर रह गई।
अरुण ने मेरी चूत की जोरदार ठुकाई शुरू कर दी।

मेरी चूत पहले से ही अवि के वीर्य से भरी हुई थी जिस कारण अब बैडरूम में फच फच… और मेरी सिसकारियों की आवाज़ गूँज रही थी।

हम दोनों की चुदाई देखकर अवि का लंड फिर से खड़ा हो गया, वो अपने एक हाथ से मेरे मम्मों को सहलाने लगा। अवि का लंड फिर से पूरा तन चुका था।

मैंने मुस्कुराते हुए अवि से बोला- एक राउंड और लेना है क्या?
तो अवि ने हां कर दी।

मैंने सोचा कि क्यों ना अवि से अपनी गांड मरवा ली जाए… और फिर दोनों मुझे एक साथ चोदेंगे। तो मैंने अरुण से चुदाई रोकने के लिए कहा और अरुण को खुद से अलग कर दिया, फिर मैंने उठकर अवि के लंड पर फिर से क्रीम मल दी और फिर ढेर सारी क्रीम अपनी उंगलियों पर लेकर अपनी गांड के छेद पर लगा ली।

अरुण समझ चुका था कि अब मम्मी अवि से अपनी गांड मरवाने वाली है।
मैंने अरुण को अपने नीचे लेटाया और खुद उसके ऊपर जाकर उसकी कमर पर बैठ गई। मैंने अरुण के लंड को अपनी चूत पर लगाया और फिर धीरे धीरे उस पर बैठने लगी जिस वजह से अरुण का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर घुस गया और फिर मैंने अपने शरीर का आगे का भाग अरुण के शरीर पर रख दिया जिस वजह से मेरी गांड पीछे की तरफ उभर आई और मेरी गांड का छेद खुल गया।

अब मैंने अवि को बुलाया, उसे मेरे पीछे घुटनों के बल बैठने के लिए कहा तो वह उठकर मेरे पीछे बैठ गया और अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर लगाकर उसे अंदर धकेलने लगा।
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मैंने कभी अपनी गांड नहीं मरवाई थी जिस वजह से मेरी गांड का छेद बहुत कसा हुआ था तो मैं अवि से बोली- अवि बेटे, जरा धीरे करना, नहीं तो मम्मी को बहुत दर्द होगा!
तो अवि बोला- ठीक है मम्मी!

क्रीम लगी होने की वजह से अवि का सुपारा आसानी से मेरी गांड में घुस गया और फिर वो धीरे धीरे मेरी गांड मारने लगा। नीचे से अरुण भी मेरी चूत की चुदाई कर रहा था, मेरी कमर ऊपर उठी हुई थी जिससे अरुण का लंड आसानी से मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था।

अवि अपने सुपारे से ही मेरी गांड को चोद रहा था और फिर उसने एक जोरदार धक्का मारा… तो उसका लगभग चार इंच लंड मेरी गांड में घुस गया।
मैं जोर से चीख पड़ी- ओईई..ई… माआआ… मर गगई… आहहह… अवि… बोला… था..ना… जरा धीरे कर… फाड़ दी ना मेरी.. गांड… आआहहह… उउईई…

अवि ने कुछ नहीं कहा, मुझे भी पता था कि गांड मरवाने में दर्द होगा पर फिर भी मैं चुदासी हो रही थी। मैंने अपने दोनों बेटों से रुकने के लिए कहा, फिर थोड़ी देर बाद जब दर्द बंद हुआ तो वे दोनों फिर मुझे चोदने लगे।

अवि ने अपने उतने ही लंड को मेरी गांड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और फिर मैं भी उत्तेजित होकर अपनी गांड हिला हिला कर दोनों के लंड को चूत और गांड में ले रही थी।

थोड़ी देर बाद मैं झड़ने लगी- ऊफ्फ… आआहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह… ओऊह… चोददो ममुझे.. आहहह ओहहह माआ.. और जोरर… से चोदद दो फक… मीईई…
अरुण भी मेरे ही साथ मेरी चूत के अंदर ‘आहहह… मम्मी… मै..भी… गया…’ बोलते हुए झड़ने लगा।

अवि अभी भी मेरी गांड मार रहा था, वो भी मेरी गांड को भींचते हुए मेरी तरफ झटके खाते हुए मेरी गांड के अंदर झड़ गया।
मेरे दोनों छेद मेरे बेटो के वीर्य से सराबोर हो गए थे और फिर उन दोनों ने अपने लंड बाहर निकाल लिए और मैं उन दोनों के बीच में जाकर लेट गई।

मेरी चूत और गांड से बह रहे वीर्य से चादर गीली हो रही थी। हम तीनों वैसे ही नंगे आपस में लिपटकर सो गए।

उस दिन के बाद से हम सब लोग घर में नंगे ही रहने लगे और रात को भी बिल्कुल नंगे ही सोते थे। अब अरुण और अवि जिसका भी जब मन करता है, वो मेरी चुदाई कर लेता है और गांड भी मार लेता है, मैं उनसे कभी मना नहीं करती हूं। रात को हम तीनों मिल कर एक साथ चुदाई करते है।

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