सहपाठी परिचय : वक्ष व योनि मर्दन

ग्रीष्म अवकाश के बाद अगली कक्षा में गई तो पिछले वर्ष हुई घटना मेरी स्कूल में ब्रेकिंग न्यूज बनी हुई थी, हर कोई सिर्फ वासना की दृष्टि से देखता था, हर किसी की नजर मेरी कपड़ों को तार-तार कर मेरी निर्वस्त्र बदन को भोगने की ही फिराक में घूरती रहती थी, लड़के तो लड़के लड़कियाँ भी मेरी जवानी पर फिकरे कसने लगे थे।

बड़ी मुश्किल से मैंने गयारहवीं कक्षा उत्तीर्ण की और वह स्कूल छोड़ दिया, बारहवीं की पढ़ाई के लिये दूसरे स्कूल में प्रवेश ले लिया। अब मेरे दोनों यौन कलशों का आकार भी बढ़ गया है, मेरे स्तन अब उम्र के साथ-साथ और विकासित होकर 34डी आकार के हो गए हैं, मेरी फिगर अब 34-28-34 हो गई है, उम्र के साथ-साथ मेरा यौवन और निखर आया है, अब मैं अपने आप को आईने में देख कर शरमा सी जाती हूँ, मेरी जवानी को अब मेरे पोशाक नहीं छुपा पा रही है।

यह घटना मेरी बारहवीं प्रवेश के बाद छठे दिन की है, उस दिन शनिवार था, स्कूल के शुरूआती दिन होने के कारण अध्यापक एडमशिन कार्य में व्यस्त थे, इसलिये पढ़ाई ठीक से नहीं हो रही थी, मैंने लन्च-ब्रेक में ही घर जाने की सोचकर अपनी सहेली मेघा को बुलाने उसकी क्ला‍स में चली गई, वह विज्ञान पढ़ रही है इसलिये उसकी क्लास अलग से लगती है।

जब मैं उनके क्लास रूम में गई तो जूही और 5-6 सीनियर छात्र सभी जूनियर छात्रों का परिचय ले रही थी, सभी जूनियर कतार से खड़ी होकर अपना परिचय दे रही थी।

जब मैं क्लास रूम में दाखिल हुई तो जूही ने पूछा- तुम कौन सी क्लास की हो?
मैं- जी मैं बारहवीं में ही हूँ, आर्टस् की छात्रा हूँ।
जूही- ओह.. क्या नाम है तुम्हारा?
मैं- यास्मिन पटेल !

जूही- तुम आर्टस् की छात्रा हो तो यहाँ क्या करने आई हो?
मैं- जी, मेरी सहेली इस क्लास में है।
जूही ने कहा- चल बोर्ड के सामने बेंच पर खड़ी हो जा।

मैंने जूही और उसके ग्रुप का नाम सुना था, मैं उनको जानती थी, वे उस स्कूल की सबसे बदनाम और अय्याश किस्म की लड़कियाँ हैं,
मैं चुपचाप जा कर बेन्च पर खड़ी हो गई।

जूही की सहेली नीता ने मेरे पास आकर मुझे इस नजर से देखा कि मैं लजा गई, मैंने उस दिन यूनिफार्म नहीं पहनी थी, उस दिन गुलाबी रंग की मिनी स्कर्ट और टॉप पहनी थी, मेरी छोटी सी स्‍कर्ट मेरी जांघों को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी, उसकी नजरें मेरे कपड़ों को चीरते हुऐ तन-बदन को सहलाने लगी, मैं शर्म के मारे सिहर गई।

दोस्तो, उसकी नजरों में कितनी वासना थी यह तो मैं और मेरा मन जानता है, मैंने जालीदार खुली बाजू वाला, गहरे गले की पतला सा सफेद रंग का टाप पहना था, जो मेरी नाभि के ऊपर से एकदम चुस्ती से मेरे स्तनों को उभार रहा था।

नीता ने मेरी एक स्तन को दबा दिया और बोली- दिखाने का इतना ही शौक है तो इसे भी क्यूं पहने है?

मैं डर के मारे चुपचाप खड़ी रही, तभी जूही ने मेरी दूसरे स्तन को जोर से दबाते हुए पूछा- जवाब क्यूं नहीं देती है? क्या साईज है तेरे फिगर का?

मैं उसके स्पर्श से कांप उठी, मेरे होटों से न चाहते हुए भी ‘आअअअह’ निकल गई।

मैं- जी 34-28-34 है।

फिर जूही की दूसरी सहेली रानी ने आकर मेरी टॉप का जिप खोल कर उतार दिया, मेरी हाफ कप वाली ब्रा जो मेरी निप्पल के घेरे से थोड़ी ही बड़ी थी, जिसमें मेरी दोनों यौन कलश आधे से ज्यादा बाहर थे, वह मेरी ब्रा के ऊपर से ही निप्पल को मसलने लगी, मेरा तन सुलगने लगा था, उसके हाथों का जादू मेरे तन-बदन को बहकाने लगा था, मैं शर्म के मारे किसी से भी नजरें नहीं मिला पा रही थी, पूरी क्लास के सामने मेरे स्तनों को आटे की तरह मसला जा रहा था।

मेरे तन-बदन में वासना की आग सी लग चुकी थी- आह्ह्ह’ मेरे पूरे बदन में काम रस का संचार होने लगा था।

तभी जूही की सहेली सीमा मेरी ओर आने लगी, उसके हाथ में एक प्लास्टिक का डण्डे जैसा था, उसे देख कर मैं डर के मारे सहम गई, मुझे लगा कहीं इसने मेरी योनि में इस डण्डे को प्रवेश करा दिया तो मेरी कौमार्य भंग हो जायेगा, मैं अपना कुवांरापन खो दूँगी, मेरी आँखों से अश्रुधारा बहने लगी।

सीमा ने मेरी स्कर्ट का हुक खोल दिया, जूही की नजर मेरी चेहरे पर पड़ी तो जूही ने कहा- यास्मिन रो मत, हम बस तुम्हें मजा देना चाहते हैं और मजा लेना चाहते हैं, तुम्हें किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचायेंगे।

इधर मेरी स्कर्ट का हुक खुलते ही स्कर्ट नीचे सरक गई, सीमा मेरी जांघों को सहलाने लगी। उधर रानी के हाथों मेरी स्त‍नों का बुरा हाल हो रहा था, न चाहते हुए भी अचानक मेरे होटों से कामुक सिसकारियाँ निकल जाती थी।

मैं सिर्फ पीरियड के दिनों में ही ओवर साईज पेंटी पहनती हूँ जिससे पैड लगाने में आसानी होती है, बाकी दिनों में फैंसी रस्सी टाईप पेंटी पहनती हूँ जो मेरी योनि में घुसी हुई रहती है और चलने पर योनि के भीतर भगनासा को छुती-सहलाती रहती है, और योनि के दोनों गुलाबी लब एक दूसरे को चूमते रहते हैं।

सीमा ने अब मेरी योनि में एक उंगली को प्रवेश करा दिया और मेरी पेंटी को टटोलने लगी।

‘आआ… आआ…आहहहह !’ मेरी तो जान अटक गई थी, उसकी हरकतें मेरी बर्दाश्त के बाहर होती जा रही थी, सीमा की उंगली मेरी भगनासा को सताने-छेड़ने लगी थी, मेरे तन में कामाग्नि धधकने लगी थी, मेरे पैर कांपने लगे मैं खड़ी नहीं हो पा रही थी, उसकी हरकतों से मेरी मुनिया रोने लगी थी, मेरी योनि के कामरस से सीमा की उंगलियाँ चिकना गई जिसे वह मेरी योनि के अंदर बाहर करने लगी और मेरी पेंटी को निकालने के बहाने मेरी भगनासा को सहलाने लगी।

मैं उसकी हरकतों से मदहोश होने लगी थी, मुझे कुछ याद नहीं रहा कि मैं कहाँ हूँ, मुझे कौन देख रहा है, मैं बस वासना के दरिया में बहती चली गई, वासना के मारे मेरा शरीर अकड़ने लगा था।

रानी लगातार मेरे दोनों स्तनों को मसलती सहलाती रही, नीता भी मेरी गरदन, पीठ और कान को चूमती रही। मेरी हालत पानी बिन मछली की तरह हो गई थी, मैं उनकी हरकतों से चरमोत्कर्ष तक पहुँच गई, मेरी मुनिया ने अपना लावा बाहर निकाल दिया, मैं स्खलित हो गई।

फिर भी सीमा ने अपनी उंगलियों की हरकत को नहीं रोका बल्कि और तेजी से मेरी योनि मे अंदर बाहर करने लगी। अब मैं खड़ी नहीं हो पा रही थी और गिरने को हो गई तो मेरा हाथ जूही के सीने पर चला गया, तो उसने कहा- तू भी दबायेगी क्या मेरी चूचियों को?

मैंने बड़ी मुश्किल से सॉरी कहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मुझे जूही ने बेंच पर बैठने को कहा, मैं बेंच के अगल-बगल दोनों पैर फैलाकर बैठ गई जिससे मेरी योनि का द्वार पूर्ण रूप से खुल गया पर मेरी पेंटी अभी भी अंदर ही थी, रानी मेरे स्तन के दोनों को मसलती रही, वह मेरी ब्रा भी निकाल चुकी थी और मेरी निप्पल को चूस रही थी।

इधर सीमा मेरी योनि में अब दो उंगलियों को डालकर जोर-जोर से अंदर-बाहर कर रही थी, मेरी कामुक सीत्कारें बढ़ने लगी थी:

आआ… आआआ… आहहह… उउ…उहह…हह… उइइइ… उउइइ… माआआअ…!

और इस तरह मैं दूसरी बार झड़ गई। फिर भी उनका मन नहीं भरा था, उन्होंने अपना वासनात्मनक खेल जारी रखा, अब तो जूही भी मेरी योनि को सहलाने लगी थी।

आ… आआ… आआ… आहह…!

दो लड़कियाँ मेरी योनि में और दो लड़कियाँ मेरे दोनों स्तन और तन बदन से कामक्रीड़ा कर रही थी।

आ… आआ… आआआ… आहह…हह ! मैं मर जाऊँगी…इइ… इइइइइ…इ… प्लीज… जज… उइ…इइइ… इइइ… माआआ… आआ… बस करोओओ… ओओओ… आआ… आआआ… आआहहह !

मेरी योनि से काम रस की नदिया बह निकली और इस तरह मैं तीसरी बार भी स्खलित हो गई, अब मेरी योनि की आवाज में भी परिवर्तन हो गया था, अब वह फच्‍च-फच्च करने लगी थी। अब मैं होश में नहीं रही, पूरी तरह वासना के आवेश में बह गई थी।

सीमा का हाथ पूरी तरह से मेरी यौन रस से सराबोर हो गया था और मेरी टांगें भी मेरी योनि की धारा से तरबतर हो चुकी थी। जूही और ! और ! और जोर से सीमाआ ! कह कर उसे और उत्साहित कर रही थी।

मेरी सांसें उखड़ने लगी थी, अब चौथी बार मेरी योनि ने अपना लावा निकाल दिया और मैं शिथिल पड़ गई। चौथी बार के स्खलन से मेरे शरीर में और जान नहीं बची थी, मेरे कामांगों में भी कोई संवेदना नहीं बची थी। वे लोग मुझे अर्धमूर्छित देख अपनी हरकत रोक कर बाहर निकल गई, मेरे शरीर में अब सांस लेने की भी ताकत नहीं थी, चार बार के स्खलन ने मुझे पूरी तरह से निःशक्त कर दिया था, मुझमें वाशरूम जाने की भी ताकत नहीं बची थी।

मेघा ने आकर मुझे सहारा दिया और कपड़े वगैरह पहनाकर वाशरूम ले गई। मैं मेघा से नजर नहीं मिला पा रही थी, मैं वहाँ फ्रेश होकर सीधे अपने घर चली गई। मैंने मेघा से बात करना भी बंद कर दिया।

दोस्तो, आगे की दास्तान मैं आपको अगली बार बताऊँगी। मेरी इस अनुभव के बारे में प्लीज अपना राय सलाह और विचार मुझे जरूर मेल कीजिएगा।
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