फिर भी मैंने हिम्मत बटोरी और धीरे से उसके चूचों पर हाथ रख दिया, वो एकदम से उठ कर खड़ी हो गई।
मैंने उससे कहा- हम दोनों की चूत मे आग लगी हुई है… क्यूँ ना हम लेस्बियन सेक्स करें..!
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वो हँस गई और मान गई।
फिर हम दोनों बिस्तर पर बैठ कर ब्लू-फिल्म देखने लगे और एक-दूसरे को गर्म करने लगी। थोड़ी ही देर में हम दोनों गर्म हो गई.. उसने मेरे और अपने सारे कपड़े उतार फेंके।
इसके बाद मैं उसके चूचों को मसलने लगी और वो मेरी चूचियां दबाने लगी, मैं मस्त होकर सिसकारियां लेने लगी।
इसी बीच में उसने मेरी चूचियों को ज़ोर से काटा.. मैं ‘उई माँ..’ ज़ोर से चिल्ला पड़ी।
तब उसने मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिए, अब हम दोनों बुरी तरह से एक-दूसरे को चूमने लगे थे।
थोड़ी देर बाद उसने मुझे नीचे धकेला और मेरे मुँह को अपनी चूत में धंसाने लगी। मैं उसकी चूत को अन्दर तक चाट रही थी।
वो ‘उहाहम.. हहुहोहमम.. महुह..’ की मादक सिसकारियाँ भर रही थी।
थोड़ी देर में वो गंदी-गंदी गालियाँ भी देने लगी- चाट साली.. रंडी.. आह्ह.. चाट भैन की लौड़ी.. खा जा मेरी चूत को.. भोसड़ी की.. चाट.. आह्ह..
मैं उसकी चूत को ज़ोर से चूसने लगी और उसकी गाण्ड में उंगली करने लगी।
साली पता नहीं किस मिट्टी की बनी थी, पूरे पौन घंटे उंगली करने के बाद वो झड़ गई।
अब मेरी बारी थी.. उसने मेरी चूत को सहलाना शुरू किया। मैं तो पागल सी हो गई.. मैं भी सिसकारियाँ भरने लगी ‘उहाहम्म हाहहा…’
उसने सहलाना बंद करके उंगली शुरू कर दी।
मेरी चूत में आज तक सिर्फ़ मेरी ही उंगली गई थी, उसने अपनी तीन उंगलियाँ मेरी चूत में घुसेड़ दीं.. मेरा तो दर्द के मारे बुरा हाल था.. पर मज़ा भी आ रहा था।
लगभग 25 मिनट में मैं भी झड़ गई।
इसके बाद मैं जितने भी दिन उसके घर पर रही.. रोज रात को हमने लेस्बो सेक्स किया।
यह एकदम सच्ची घटना लिखी है इसमें लेशमात्र भी झूठ नहीं है।
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