लखनऊ में मस्ती भरी चोदम चुदाई -2

मैंने लीना से कहा- देख, अभी बात घर की घर में हैं। वहाँ अगर ये लोग लड़कियों को बुलाने लगे तो हमें क्या पता लगेगा। इसलिये अगर कुछ कर रहे हैं तो करने देते हैं।
लेकिन लीना को रवि की बात पर भरोसा नहीं हो रहा था, उसने राज को फोन मिलाया और पूछा कि कैसा चल रहा है।

राज ने कहा- ठीक चल रहा है।
लीना ने फिर पूछा- तुम और रवि कुछ कर रहे हो?
राज ने पहले तो इंकार किया फिर मान लिया कि दोनों लोग लंड-लंड का खेल खेलने लगे हैं।

लीना ने फोन काट कर मुझसे कहा- ..रेनू, तू ठीक कह रही है। वहाँ वो दोनों ऐश कर रहे हैं और यहाँ हम दोनों पूरी रात बिस्तर पर जागती हुई काट रही हैं।

मैं आगे बढ़कर लीना के पास पहुँची और उसे कमर पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया। इसके बाद मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उससे कहा- हमारे लिये तो ये जीभ ही काफी है।
लीना भी मेरा मतलब समझ गई।
वहाँ राज और रवि और यहाँ मैं और लीना…

उसने भी अपनी जीभ निकाली और मेरी जीभ से लगा दी। उसकी जीभ टकराते ही मुझे जोर का करंट लगा और हम दोनों ने एक दूसरे को जकड़ लिया, दोनों के होंट से होंट चिपक गये थे, कमरे में आवाज तेज होने लगी थी।

तभी लीना ने खुद को अलग किया और मुझसे बोली- रात में मेरे घर ही सोने आ जाना।
रात को जब मैं लीना के घर पहुँची तो वो नाइटी पहने थी, उसने मुझे भी नाइटी पहनने को दी।
जब में कपड़े उतार कर नाइटी पहनने लगी तो लीना ने मुझे रोक दिया, कहने लगी- यार रहने दे, मुझे भी तो नाइटी उतारनी ही है। इसलिये पहनने का क्या फायदा?

मैंने हाथ बढ़ाकर लीना की नाइटी भी उतार दी, अब हम दोनों ब्रा-पैंटी में खड़ी थी, दोनों ने बिस्तर पर छलांग लगाई और एक दूसरी से कुश्ती शुरू कर दी।

मैं दस दिन से भूखी थी तो लीना बीस दिन से!
जल्दी ही हमारे बाकी कपड़े भी उतर गये, हम 69 के अंदाज में आकर एक दूसरी की चूचियाँ चूसने लगी।
थोड़ी ही देर बाद हमारे शरीर सरके और एक दूसरे की चूत हमारे मुँह के सामने थीं।

लीना चूत पीने में मुझसे कमजोर थी, जल्दी ही उसने हथियार डाल दिये और उसकी चूत से निकला पानी मैं पी गई।
इसके बाद मैंने लीना को एक जोरदार चुंबन दिया और कहा- चल अपनी चूत का थोड़ा सा पानी तू भी चख ले।
लीना ने कहा- ..सही कह रही है, आज तक अपनी चूत का पानी पीने का मौका नहीं मिला।
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इसके बाद लीना ने मेरी चूत पर हमला बोला और मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया।
इस खेल में हम दोनों थक गई थी इसलिये बिना कपड़े पहने ही एक दूसरे से चिपक कर सो गईं।

सुबह जब मेरी आँख खुली तो लीना जाग चुकी थी और किचन में चाय बना रही थी।
मैंने जब अपने घर जाने की बात कही तो उसने कहा- पहले एक साथ नहायेंगी उसके बाद घर चली जाना।
मुझे भी इसमें कोई दिक्कत नहीं थी।

चाय पीने के बाद हम नहाने पहुँची और एक दूसरी के शरीर को साबुन से रगड़ दिया।
इसके बाद लीना ने मुझे नीचे बैठाया और पाइप से पानी की धार मेरी चूत पर मारी।
धीरे धीरे मेरी चूत गर्म होने लगी।

जब मेरी सांस उखड़ने सी लगी तो उसने आगे बढ़कर अपनी चूत मेरे मुंह के आगे कर दी।
अब नीचे तो पानी की धार मुझे पागल कर रही थी और ऊपर लीना की चूत पीने में मुझे मजा आ रहा था। हम दोनों की चीख से बाथरूम गूंजने लगा।

तभी लीना बोली- चूत का पानी पीना मत, मुंह में भर लेना, अपनी चूत का पानी मैं खुद पिऊँगी।
उसी समय लीना की चूत ने पानी छोड़ दिया, मैंने उसे मुंह में भर लिया और पूरा पानी लीना के मुंह में भर दिया।
अपनी चूत का पानी पीकर लीना बोली- ..क्या मस्त स्वाद है। तभी राज इसे पीते रहते हैं लेकिन मेरे लिये कुछ नहीं छोड़ते हैं।

हमारे शरीर टूटने लगे थे, इसलिये कमरे में आकर हम दोनों फिर सो गई।

एक घंटे बाद सोकर उठी तो दोनों के मोबाइल बजते बजते बंद हो रहे थे।
मोबाइल में राज और रवि का दस दस कॉल थीं और दोनों ही पूछ रहे थे कि हम लोग कहाँ लापता हैं।
उनको जवाब देने को बाद लीना जोर से बोली- ..अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे। ये मर्द समझते हैं कि ये जो चाहे कर सकते हैं तो हम भी किसी से कम नहीं है।

कहानी जारी है।
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