मेरी चालू बीवी-74

उसने अपना संगमरमरी बदन एक दुष्ट पुलिस वाले के हाथों से नुचवाने का सोच लिया…

अगर वो अपनी मर्जी से कर रही होती तो मुझे कोई ऐतराज नहीं होता मगर यहाँ तो सब कुछ अलग था जिसे मैं कभी पसंद नहीं कर सकता था।

मेरी सलोनी बिना वस्त्रों के नंगी पुलिस वालों की जीप के अंदर थी और वो इंस्पेक्टर भी उसके साथ था, ना जाने कमीना कैसे कैसे उसको परेशान कर रहा होगा।

मैंने हवलदार को देखा, उसका ध्यान मेरी ओर नहीं था, वो साला लगातार जीप की ओर ही देख रहा था जैसे उसको अपनी बारी का इन्तजार हो।

मैं चुपचाप पीछे से निकल अपनी कार तक आया और फ़ोन निकाल सोचने लगा किसको फ़ोन करूँ?

100 नंबर पर तो करना बेकार था, वो इसी को कॉल करते !

तभी मुझे एक ओर से गाड़ी की लाइट नजर आई, जैसे ही गाड़ी निकट आई, मेरी तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।

यह अमित की गाड़ी थी !

मुझे इसका ध्यान पहले क्यों नहीं आया ! अमित के तो कई दोस्त पुलिस में उच्च पद पर हैं।

मेरे रोकने से पहले ही उसने गाड़ी रोक दी, शायद उसने भी मुझे देख लिया था।

मैं जल्दी से उसके पास गया।

अमित- अरे तू… इस समय… यहाँ???

मैं- यह सब छोड़… तू जल्दी नीचे आ… ये साले पुलिस वाले… उस जीप में सलोनी को…

मेरे इतना कहते ही अमित सब कुछ समझ गया, वो बड़ी फुर्ती से नीचे उतरा…

अमित- कौन है साला कुत्ता? वो कुछ ज्यादा ही गुस्से में आ गया था…

मैंने घड़ी देखी इस सबमें करीब 15 मिनट बीत चुके थे… यानि सलोनी पिछले 15 मिनट से उस इंस्पेक्टर के साथ थी, ना जाने कमीने ने कितना परेशान किया होगा उसको।

हम दोनों तेजी से जीप की ओर बढ़े… हवलदार भी शायद मुझे ना पाकर जीप के पास चला गया था… उसको मेरे से ज्यादा दिलचस्पी सलोनी को देखने की थी।

हम जैसे ही वहाँ पहुँचे, हवलदार ने हमको देख लिया…

हवलदार- ऐ कहाँ जा रहे हो? रुको यहीं…
वो बहुत कड़क आवाज में चिल्लाया..

मैं तो रुक गया पर अमित सीधे जीप तक पहुँच गया…
अमित- कौन है बे… बाहर निकल…
तभी इंस्पेक्टर गुस्से से बाहर निकला…

अरे बाप रे ! उसके काले और मोटे से शरीर पर केवल एक बनियान था, आस्तीन वाले बनियान में उसका थुलथुला शरीर बहुत ही भद्दा लग रहा था।

मैंने नीचे देखा… उसका काला सा लण्ड दिखा जो ऊपर को खड़ा था…
पता नहीं साला क्या कर रहा था??

इंस्पेक्टर- कौन हो वे तुम??? निकलो यहाँ से… नहीं तो यहीं एनकाउंटर कर दूंगा…
इंस्पेक्टर बहुत गुस्से में था…

अमित बिना कुछ बोले किसी को फ़ोन कर रहा था…
अमित- ले साले, अपने बाप से बात कर ! तेरी तो मैं ऐसी-कम-तैसी करता हूँ।

इंस्पेक्टर- कौन है फ़ोन पर??? मैं तो अपनी ड्यूटी कर रहा हूँ…

इंस्पेक्टर की आवाज एकदम से नरम हो गई थी, शायद उसको लग गया था कि जरूर किसी बड़े अफसर का फ़ोन होगा।

उसने फ़ोन लेकर बात करनी शुरू कर दी… मुझे नहीं पता कि क्या बात कर रहा था…

मैं चुपचाप जीप की ओर चला गया… हवलदार भी अब शायद डर गया था, उसने मुझे नहीं रोका।

मैंने जीप के अंदर झांक कर देखा, पिछली सीट पर सलोनी पूरी नंगी लेटी थी।

मैंने तुरंत उसको अपनी बाँहों में लिया… ओ माय गॉड… वो रो रही थी।

मैंने किसी तरह उसको जीप से बाहर निकाला… मेरे बराबर में अमित भी था… वो भी मेरे पीछे आ गया था…

अमित- ओह ! यह क्या किया इसने साले हरामी ने ! अभी इसकी खबर लेता हूँ !

अमित ने अपना कोट निकाल कर सलोनी को दे दिया।

सलोनी बहुत डर गई थी, लगता है उसने बहुत कुछ झेला है, जिसकी आदत शायद उसको बिल्कुल नहीं थी, उसने कोट लेकर पहन लिया और उसको कस कर आगे से पकड़ लिया।

उधर इंस्पेक्टर ने भी अपनी पैंट पहन ली थी, दोनों बहुत डरे हुए थे।

अमित ने बताया कि उसने एस पी से बात कराई थी इसीलिए दोनों बहुत डरे हुए थे।

दोनों एक स्वर में- सर जी हमको माफ़ कर दो… ववव वो… अब नहीं होगा…

कमाल है… मैंने पहले बार पुलिस वालों को ऐसे रिरियाते देखा था… कमाल कर दिया था अमित ने…

अमित- नहीं कमीनो… तुमने मेरी भाभी के साथ यह नीच कर्म किया है, तुमको तो सजा मिलेगी ही मिलेगी…

फिर मेरे से कहा- सुन, तू इनके ही पुलिस स्टेशन में जा… और इनके खिलाफ रिपोर्ट दाखिल करके आ।

मैं- पर इस समय… और सलोनी…

अमित- अरे तू भाभी की चिंता ना कर… मैं इनको घर छोड़ता हूँ… फिर वहीं तेरे पास आ जाऊँगा… पर इन सालों को मत छोड़ना…

मुझे भी बहुत गुस्सा तो आ रहा था पर सलोनी को इस समय ऐसी हालत में नहीं छोड़ना चाह रहा था, पर जब अमित ने बोल दिया तो फिर मुझे कोई डर नहीं था।

अमित- सारे केस लगाना इन सालों पर… जोर जबरदस्ती, छेड़खानी, बिना वजह परेशान करना, मारपीट और…

इंस्पेक्टर- नहीं सर ऐसा कुछ नहीं किया हमने… वो सब गलतफहमी हो गई थी… हमको नहीं पता था कि ये वाकई इनकी पत्नी हैं… तो…

अमित- तो साले देह शोषण कर देगा… पत्नी नहीं है तो तेरी जागीर हो गई?

अमित बहुत गुस्से में था, वो तो इंस्पेक्टर पर हाथ भी उठा देता मगर सलोनी ने पकड़ लिया।

सलोनी- अब छोड़ो न अमित… मुझे बहुत डर लग रहा है… अब चलो यहाँ से… और हाँ नरेन् तुम भी घर ही चलो… मुझे नहीं करना कोई केस…

पर अब मैं कैसे छोड़ सकता था, मैंने भी कमर कस ली…

मैं- नहीं जान, इसने तुम्हारे साथ गलत हरकत की है, मैं अब इसको नहीं छोड़ूंगा…

अमित सलोनी को पकड़ अपनी गाड़ी की ओर ले गया… मैंने भी उसको ठीक से पकड़ गाड़ी में बैठा दिया।

अमित- देख नरेन्, तू वहाँ पहुँच… मैं भाभी को घर छोड़ फिर वहीं आता हूँ… छोड़ूंगा नहीं इनको…

फिर उसने सलोनी से पूछा- …भाभी इसने क्या क्या किया?

सलोनी ने अपना सर झुका लिया… उसकी आँखों में फिर से आँसू आ गए थे…

अमित- चलो रहने दो भाभी…मैं समझ गया, मैं इनको बिल्कुल नहीं छोड़ने वाला…चल तू पहुँच… मैं आता हूँ।

और उसने अपनी गाड़ी आगे बढ़ा दी…

अब इंस्पेक्टर और हवलदार वहीं मेरे से माफ़ी मांगने लगे पर मैं कैसे उनकी बात मानता…

काफी देर बाद हम उनके पुलिस स्टेशन पहुँचे… वहाँ भी वो दोनों मेरी खातिरदारी और माफ़ी में ही लगे रहे।

जब वो लिखने को राजी ही नहीं हो रहे थे, तब मैंने अमित को फ़ोन किया।
अमित- हाँ बोल?

मैंने ध्यान दिया वहाँ से खिलखिलाने की आवाजें आ रही हैं…
मैं- यार ये तो लिख ही नहीं रहे… तू क्यों नहीं आ रहा??

अमित- अरे यार छोड़ उनको… ये सलोनी भाभी मुझे आने ही नहीं दे रही… मना कर रही हैं… और सुन वो इंस्पेक्टर कुछ नहीं कर पाया था… सलोनी भाभी ने मुझे सब कुछ बता दिया है… मुझे लगता है उसकी भी ज्यादा गलती नहीं है… ऐसा कर तू आ जा यहाँ छोड़ उन्हें !

मैंने घड़ी देखी सुबह के 4 बजने वाले थे… हुआ कुछ नहीं और मैं डेढ़ घंटे से परेशान हो रहा था।

मैंने उन दोनों को वहीं छोड़ा और थके कदमों से अपनी गाड़ी की ओर बढ़ा…

मैंने सोचा सलोनी पहले भी वो सब बता सकती थी… फ़ालतू में मेरे दो घण्टे खराब हो गए।

अब गाड़ी चलाते हुए फिर से मेरा दिमाग घूमने लगा- अबे साले पिछले दो घंटे से अमित तो सलोनी के साथ ही है और आज तो उसने उसको पूरी नंगी भी देख लिया है। ना जाने वो क्या कर रहे होंगे? और अमित कह भी रहा था कि वो उसकी सेवा कर रही है।

मेरा पैर एक्सीलेटर पर अपने आप दब गया, घर जाने की जल्दी जो थी…

देखूँ तो सलोनी कैसी सेवा कर रही है उसकी…???

कहानी जारी रहेगी।