बैंगलौर के एच आर की चुदाई

मैने उसकी टोप उतारी। उसने सफेद रंग की ब्रा पहन रखी थी। मैंने जल्दी से ब्रा उतारी और उसके दोनों बूब्स के साथ खेलने लगा। वो मेरे लॅंड को सहलाने में मस्त थी। वो मस्ती में आ..ह सी…सी.. … की आवाज़ निकल रही थी। अब मुझसे बरदाश्त नहीं हो रहा था। मैंने झट से उसकी जीन्स और सफेद रंग की पेंटी भी उतार दी। उसकी चूत काफ़ी गीली हो गयी थी। उसकी चूत के रस से उसकी पेंटी गीली हो रखी थी। मैंने जल्दी से एक उंगली उसकी चूत में डाली तो वो सर्र से अंदर घुस गयी। मैं उसकी चूत में अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा। मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल कर ‘ कम हेयर’ स्टाइल में उंगली हिलाने लगा ताकि उसका जी – स्पॉट प्रेस कर सकूँ। वो मारे खुशी की पागल हो उठी और कहने लगी कि प्लीज़ उंगली बाहर निकालो और जल्दी से अपना मोटा सा लॅंड मेरी चूत में डाल दो। मैंने के वाय -जेल्ली की ट्यूब लॅंड के ऊपर रखी और ५-६ बूंदे उसपे टपका दी। मैंने उसे पीठ के सहारे लेटने को बोला और उसकी टांगे फैला दी। फिर अपने लॅंड उसकी चूत पे रख कर उसे क्लाइटॉरिस पे रगड़ने लगा। वो तो मानो पागल हो उठी। उसने मेरे बॉल खींच लिए और ज़ोर से बोली प्लीज़ मुझे और मत तड़पाओ, और जल्दी से अपना लॅंड अंदर कर दो। मैंने थोड़ा सा धक्का लगाया तो लॅंड का सुपाड़ा उसकी चूत पे जा कर अटक गया। और वो दर्द से चिल्लाने लगी. आ…ह… उ…ई… बाहर निकालो प्लीज़। उसकी आँखों में आंशु आ टपके। लेकिन मैं तो पूरे जोश में था। मैंने उसे अपने बाजुओं में कस कर पकड़ा और धीरे से प्रेशर देने लगा। फिर मैं रुक गया क्योंकि उसकी चूत काफ़ी टाइट थी और मुझे भी फील हो रहा था। मैं बस उतना सा ही घुसा कर उसकी बूब्स को चाटने लगा। थोड़ी देर बाद वो खुद ही अपनी गांड धीरे से उचकाने लगी। मैं समझ गया कि अब उसका दर्द ख़त्म हो गया है और वो अब पूरा लॅंड अपनी चूत के अंदर चाहती है। मैंने कुछ सोचा और थोड़ा सा लॅंड बाहर निकाल कर ज़ोर से धक्का मारा। फ़च्छ … की आवाज़ के साथ पूरा का पूरा लॅंड उसकी चूत में चला गया था। और हिमानी ने ज़ोर से चीखना शुरू कर दिया। मैंने उसके मुँह को अपने एक हाथ से ज़ोर से बंद किया और कहा कि अगर वो ज़ोर से चिल्लाएगी तो पड़ोसी आ जाएँगे और सारा मज़ा किरकिरा हो जाएगा। उसकी आँखो से आंशु छलक पड़े, लेकिन उसने आवाज़ निकालनी कम कर दी।

मैंने लॅंड को थोड़ा सा बाहर खींचा और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा। वो अब मस्ती से कराहने लगी. आ…ह , उम्म…ह…, हाँ… ऐसे ही ठीक है…

मैं लॅंड की अंदर बाहर करने की स्पीड धीरे धीरे बढ़ाने लगा। उसे अब मज़ा आने लगा था। वो भी अब पूरा सपोर्ट कर रही थी अपनी गांड हिला हिला कर। मैंने स्पीड और बढ़ा दी। १० मिनट के बाद उसका ऑर्गेज़्म हो गया था। मैं उसकी चूत में वाइब्रेशन्स फील कर सकता था। उसकी चूत का पानी निकल कर पूरी बेड शीट पर फैल गया था। मैंने उसकी टाँगे और फैला ली और लंबे लंबे धक्के लगाने लगा। वो आँखें बंद करके कराह रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने भी उसकी चूत के अंदर ही ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया। हम दोनो इसी तरह आधे घंटे तक लेटे रहे। फिर मैंने धीरे से अपना लॅंड उसकी चूत से निकाला। वो काफ़ी टाइट से अटका था। फक्क की आवाज़ के साथ पूरा लॅंड बाहर आया तो उस पर मेरा वीर्य और थोड़ा खून भी लगा था। मैं उसे गोद में उठा कर बाथरूम ले गया। वहां गरम शावर के नीचे थोड़ी देर दोनो बैठे रहे। मैंने उसकी चूत को ठीक से साफ किया। इस दौरान मेरा लॅंड फिर से खड़ा हो गया था। उसकी चूत भी फिर से गीली होने लगी थी। मैने बाथरूम में ही फिर से उसकी चुदाई की। इस बार उसने पूरा सपोर्ट किया और हम दोनो एक साथ आधे घंटे बाद झड़े।

फिर हमने तौलिए से एक दूसरे को अच्छे से पोंछा। फिर हम वापस बेड रूम में आ गये और थोड़ी देर बातें की। उस दिन मैंने उसे शाम ५ बजे तक ६ बार चोदा। शाम को इससे पहले कि मेरे रूम मेट्स वापस आते, मैं उसे उसके हॉस्टिल तक छोड़ आया। उसके बाद से अब तक मैं उसे ५ बार चोद चुका हूँ।