पुणे की चुदासी हेमा-3

हेमा ने मुझे मुस्कुराते हुए कहा- अभी खाना खाते हैं बाकी की मूवी ब्रेक के बाद..
और हँसने लगी।
यह सुन कर स्नेहा ने कहा- कौन सी मूवी देख रहे थे आप लोग..? मुझे भी देखनी है..
सुन कर हेमा और मैं खूब हँसे और मैंने कहा- मैं तुम्हें मूवी दिखाने जरुर ले जाऊँगा।

फिर हम तीनों ने खाना खाया.. अपनी पसंद का केक खाकर स्नेहा बहुत खुश थी.. उसे खुश देख कर हम दोनों भी खुश थे।

मैंने हेमा को साड़ी वाला गिफ्ट दिया.. उसने मेरी तरफ देखा और आँखें बड़ी की और वो कुछ कहती.. उससे पहले ही मैंने अपनी ऊँगली उसके होंठों पर रख दी और कहा- आज कुछ मत कहो.. बस ले लो..
उसने मस्ती में कहा- आज तो मुझे तुमसे बहुत कुछ चाहिए..

वो फिर अश्लील भाव से हँसने लगी, आज उसकी हँसी में कुछ और बात थी, जो कि मेरे अन्दर के शैतान को जगाने का काम कर रही थी।

खाना खाने के बाद मैं स्नेहा के कमरे में कार्टून मूवी देख रहा था.. वो जल्दी ही सो गई।

मैं बाहर गया तो देखा हेमा रसोई में काम कर रही थी, मैंने पूछा- तुम क्यों काम कर रही हो? सारे नौकर कहाँ गए?

मुस्कुराते हुए उसने कहा- मैंने उनको दो दिन की छुट्टी दे दी है.. ताकि हम दोनों को कोई डिस्टर्ब न करे..
वो शरमाते हुए मेरे गले से लग गई।

अब तो मेरे अन्दर का शैतान भी पूरी तरीके से जाग गया था, मैंने हेमा को कस कर पकड़ा.. और उसकी आँखों में देखने लगा.. मानो उसकी आँखें कह रही हों- राज अब देर न करो.. चबा लो मुझे.. खा जाओ..
मैंने उसके दोनों गालों को अपने हाथों से पकड़ा और धीरे से उसकी आँखों को चूमा.. फिर उसके माथे पर चूमा.. फिर उसके गोरे-गोरे गालों को मैं चूमने लगा।

उसकी साँसें अब बहुत तेज हो गई थीं सिहरन के साथ ही उसकी आँखें बंद थीं। उसके होंठ भीगे-भीगे से कांप रहे थे।
मैंने उसके होंठों पर धीरे से अपनी जीभ घुमाई.. उसको जैसे करंट लगा हो, वो और जोश में आ गई और मेरी जीभ चूसने लगी।
कुछ ही पलों के बाद हम दोनों एक-दूसरे को चूसे जा रहे थे.. चाटे जा रहे थे।

करीब 10-15 मिनट तक हम चुम्मा-चाटी करते रहे थे।
हेमा कहने लगी- राज.. मुझे और मत तड़पाओ.. मेरी जन्मों की प्यास बुझा दो.. चोद डालो मुझे.. फाड़ डालो मेरी चूत को।

आप यह कहानी अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं।

हेमा को मैं ‘चोद दो’ ऐसा कहते हुए पहली बार सुन रहा था। उसकी ऐसी खुली हुई बातें मुझमें और ज्यादा जोश भर रही थीं।
हेमा को मैंने गोदी में उठाया और चूमते-चूमते बेडरूम में ले गया। वो बिस्तर पर जाके ऐसी बैठ गई.. जैसे कि नई-नवेली दुल्हन सुहागरात मनाने बैठी हो।

वो थोड़ी-थोड़ी सी शरमा भी रही थी, उसका यह अंदाज बहुत ही सेक्सी लग रहा था।
मैंने उसकी काली साड़ी का पल्लू हटाया और उसके गोरे-गोरे गले पर चूम लिया। हेमा की सांसें तेज होने लगीं। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
उसके बड़े-बड़े मम्मे चुस्त ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आने के लिए उतावले हो रहे थे।

मैं उसे चुम्बन करने लगा.. मेरा हाथ उसके मम्मों का जायजा लेने लगे।
उफ़.. क्या मम्मे थे.. बड़े-बड़े गोल-मटोल… मैं धीरे-धीरे उसके मम्मों को सहलाने लगा।

उसे बहुत मजा आ रहा था..

मैं धीरे से गले से चूमते हुए उसके मम्मों पर आ गया और ब्लाउज के ऊपर से ही उसके कड़क चूचुकों को चूसने लगा। साथ ही दूसरे स्तन को हाथ से दबाने लगा।

अब वो पूरे जोश में थी और बोल रही थी- आह्ह्ह राज…चूसो इन्हें.. उम्म्म्मम्म.. आह्ह्ह.. और जोर से चूसो.. मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूँ.. मेरी प्यास बुझा दो.. खा जाओ इन्हें.. म्मम्मम आह्ह्ह्ह…
हेमा अब पूरी गरम हो चुकी थी.. वो मेरा सर अपने मम्मों पर दबा रही थी और सेक्सी आवाजें निकाल रही थी, उसकी इस हरकत से मेरा जोश और बढ़ रहा था। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने उसकी पूरी साड़ी और ब्लाउज को निकाल दिया।

वो अब सिर्फ काले रंग की ब्रा और पैन्टी में थी। पैन्टी तो सिर्फ नाम के लिए थी.. बस एक डोर सी बंधी थी जो उसकी रसभरी चूत को ढंकने के त्रिभुज को पकड़े हुए थी।

हेमा बिना कपड़ों के बहुत ही सेक्सी लग रही थी.. मैं उसे फिर से चूमने लगा, उसके होंठों का तो मैं दीवाना था। उसके नाजुक होंठ इतने नरम और कोमल थे कि अगर थोड़ा सा काट लूँ तो फट जाएं।

मैं चूमते-चूमते उसके मम्मों तक आया और एक ही झटके में उसकी ब्रा को अलग कर दिया, उसके बड़े-बड़े दो खरबूजे बाहर आ गए और मैं उन पर टूट पड़ा।
एक निप्पल को मैं चूस रहा था और दूसरे को चुटकी में लेकर मसल रहा था।

हेमा अब पूरी तरह मेरे वश में थी और सिर्फ सेक्सी आवाजें निकाल रही थी- आह्ह्ह.. उम्म्मम्म्म्मम्म.. जोर से चूसो इन्हें.. काट डालो.. सी..ई.. ओह्ह्हह्ह.. या बेबी.. उम्म्म.. पूरा दूध पीलो.. बहुत सताते हैं ये मुझे आह्हह्ह.. कम ऑन बेबी.. आह्ह्हह्ह..

हेमा की ऐसी मधुर सेक्सी आवाज मुझमें और चुदास पैदा कर रही थी। मैंने उसके मम्मों को चूसते-चूसते एक हाथ उसकी चूत पर रखा.. तो जैसे उसे करंट लगा हो।

वो तड़प उठी और कहा- राज अब और ना तड़पाओ.. मेरी चूत की आग बुझा दो.. चोद दो.. इस कुतिया को फाड़ दो।

उसकी चूत पूरी गीली थी.. मैंने उसकी पैन्टी की डोरी खोल कर उसे निकाल दिया और उसकी चूत गीली होने के कारण मेरी हाथों की ऊँगलियां फिसल कर चूत में चली गई।

उसे काफी दर्द हुआ, वो चिल्लाई- साले फाड़ देगा क्या? कितना दर्द हो रहा है.. आराम से नहीं कर सकता क्या? बहुत दिनों से नहीं चुदी.. धीरे कर..

मैं भी नया खिलाड़ी था.. पहली बार चिकनी चूत देख रहा था.. तो मैं बेकाबू हो गया था.. बाद में मैंने उसकी जाँघों पर हाथ फहराया और उसकी चूत को चुम्बन किया।
एक अजीब सी खुश्बू आ रही थी.. मैंने जैसे ही उसकी चूत पर जीभ लगाई उसकी बदन में जैसे लहर दौड़ गई। उसने मेरा सर चूत पर दबा दिया और अपनी टाँगों में मुझे जकड़ लिया।

मैं उसे जीभ से चोदने लगा.. वो मदमस्त होकर मजा उठा रही थी। थोड़ी देर बाद उसने कुछ झटके दिए.. उन्हीं झटकों के साथ उसकी चूत से पानी बाहर आने लगा जो कि मैं पी गया.. काफी अलग स्वाद था.. पर अच्छा लगा।

अब हेमा कहने लगी- राज अब बस भी करो और मत तड़पाओ.. तुम अपना लंड निकालो और घुसा दो.. मेरी चूत में.. मेरी आग बुझा दो..
ऐसा कहते ही उसने मेरी टी-शर्ट और जीन्स उतार दी.. मेरा अंडरवियर खींच कर निकाल फेंका..
इसी के साथ मेरा फनफनाता काला लम्बा मोटा नाग उसके सामने आ गया।
उसे देख कर वो खुश होकर कहने लगी- वाह.. इतना मोटा और लम्बा.. सपने में जो देखा करती हूँ.. ये उससे भी अच्छा है।

मैं उसके सामने अपना मूसल लण्ड लहराने लगा।

आज कहानी को इधर ही विराम दे रहा हूँ, आपकी मदभरी टिप्पणियों के लिए उत्सुक हूँ।
मेरी ईमेल पर आपके विचारों का स्वागत है।