साली राज़ी तो क्या करेगा काज़ी -1

एक-दो दिन ऐसे ही निकल गए लेकिन अवसर नहीं मिला। पर जल्दी ही एक दिन मौक़ा हाथ लग गया। मेरी पत्नी को डॉक्टर के पास जाना था, तो मैंने उससे कहा कि तुम मम्मी के साथ चली जाओ (मम्मी यानि मेरी माँ)। मेरी बीवी अच्छी है, मेरे कहने से माँ के साथ चली गई।

मैंने साली को पटाने का यह मौक़ा अच्छा समझा, वैसे मैं उससे थोड़ी-बहुत छेड़खानी पत्नी के सामने भी कर लेता था, ऊपर ऊपर से ही, पर आज अन्दर से करने का मन था। माँ और पत्नी के जाने के बाद मैं घर के भीतर आ गया और द्वार बन्द कर लिया, क्योंकि मैं जानता था कि अब कोई नहीं आएगा। कामवाली चली गई थी, पिताजी भी जा चुके थे। घर पर मैं और मेरी साली ही थे।

मेरे अन्दर आते ही साली ने कहा कि जीजू मैं आपके लिए चाय बना लाती हूँ, आप चाय पीजिए। फिर मैं नहाने जाऊँगी। यह कह कर वह रसोईघर में चली गई। उसके जाने के बाद मैं उसे चोदने की योजना बनाने लगा। फिर मुझे एक विचार आया, मैंने बाथरूम में जाकर अपने कपड़े उतार लिए, और लुंगी-बनियान पहन कर कमरे में आ गया। थोड़ी देर में साली चाय लेकर आ गई, मैं कुर्सी पर बैठ गया। वो मुझे चाय देने लगी, मैंने धीरे से हाथ मार कर चाय ज़मीन पर गिरा दी।

वो पूछ बैठी- जीजू ये क्या हुआ?’
मैंने कहा- चाय गिर गई।’
तो वह कहने लगी- दीदी के जाने से आप इतने दुःखी हो गए!’
तो मैंने कहा- नहीं तुम इतनी सेक्सी हो, तुम्हें देखकर मैं स्वयं को सँभाल नहीं सका।’
यह सुनकर वो शरमा कर अन्दर वाले कमरे में चली गई।

मैं भी वहाँ पहुँच गया और उसे पकड़ कर पीछे से किस करने लगा। गर्दन के पास, कान के पीछे अपनी गरम साँसें देने लगा। ऐसा करने से वह गरम होने लगी। मेरा लंड भी खड़ा हो गया। फिर मैं अपने अपने एक हाथ से उसकी चूची दबाने लगा। ऊपर ही ऊपर उसे अच्छा लग रहा था, उसकी चूचियाँ कड़ी हो गईं थीं। मेरा 8 इन्च का लंड उसकी कमर से चिपका हुआ था। उसे मेरी लंड का अनुभव अपनी गाँड पर हो रहा था। वह कोई ऐतराज़ नहीं जता रही थी, मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने उसकी ब्रा के अन्दर हाथ डाल दिए और चूचियों को पहले की अपेक्षा कहीं जोरों से मसलने लगा।

जब मैंने देखा कि वह पूरी तरह से गरम हो गई है, तो उसे बिस्तर पर लिटा दिया। उसका कुरता उतार कर ब्रा के ऊपर से चूचियों को दबाने लगा, साथ अपनी जीभ उसके मुँह में डाल कर चूसने लगा। अब वह पूरी तरह से गरम हो चुकी थी, फिर मैंने उसकी सलवार भी उतार दी। वो सिर्फ ब्रा-पैंटी में थी, और बहुत सेक्सी लग रही थी- एकदम दूध की भाँति सफ़ेद। फिर मैं उसकी ब्रा खोल कर एक चूची को चूसने लगा और दूसरी को हाथ से दबाने लगा।

10 मिनट तक ऐसा ही करते रहने के बाद मैंने अपनी लुंगी और बनियान भी उतार दी। वह मेरा लंड देखकर डर गई, बोली- धीरे-धीरे करना जीजू, किसी को बताना मत, दीदी से भी मत।’

‘तुम्हारी कसम, नहीं बताऊँगा।’- मैंने कहा।

मैंने अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया और सहलाने को कहा। वह लंड पकड़ कर उससे खेलने लगी। इसके बाद मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। अब हम दोनों एकदम नंगे थे। उसकी बुर एकदम चिकनी थी, जैसे दो-तीन दिनों पहले ही झाँटें साफ की गईं हों। मैंने पूछा, तो उसने बताया- मैं जानती थी जीजू कि आप मुझे चोदना चाहते हैं, लेकिन आपको चांस नहीं मिल पा रहा। लेकिन मैं जानती थी कि इस बार मैं आपके लंड से नहीं बच पाऊँगी, सो मैं तैयारी से आई थी।’

यह सुनते ही मेरा लंड और भी कड़ा हो गया, फिर मैंने उसे बुर खोलने को कहा, और मुँह से उसकी बुर चाटने लगा। उसके मुँह से आआाहहह… अहहहह.. आहहह… आआआ… अहहह की आवाज़ें आ रही थीं। फिर मैंने उसे अपना लंड चूसने को कहा, वह सहमत हो गई। अब हम 69 की स्थिति में आ गए, मैं उसकी बुर चाटने लगा, वो मेरे लंड का टोपा चूसने लगी।

हम यह लगभग 25 मिनट तक करते रहे और दोनों 2 बार छूट भी गए। हमने एक दूसरे की मलाई चाट ली। अब मैं उसे चोदना चाहता था, मैंने उससे कहा- अब मैं तुम्हारी बुर में लंड डाल के बुर-लंड का मिलन करवाऊँगा।’
उसने कहा- ‘जीजू, इस समय नहीं, रात को जब दीदी सो जाएगी, तो मैं आपके पास आ जाऊँगी, तब चुदाई का कार्यक्रम करेंगे- पूरी रात। अभी दीदी आनेवाली होंगी।’

मैंने कहा- ठीक है, रात को तुम्हें ख़ूब चोदूँगा।’ उसके बाद हमने अपने-अपने कपड़े पहन लिए, और अपने-अपने काम पर लग गए। रात होने का इन्तज़ार करने लगे। थोड़ी देर के बाद माँ और पत्नी दोनों आ गए।

फिर हम लोगों ने 120 दिनों तक ख़ूब चुदाई की। मेरा बेटा हुआ था। मेरी पत्नी को हम लोगों पर शक हुआ। पूरी कहानी आप लोगों की मेल आने के बाद बताऊँगा कि मैंने अपनी साली को 3 दोस्तों के साथ मिलकर कैसे चोदा।
0696