मेरी पत्नी यही तो चाहती थी

उसके बाद मैंने मेरे दो बिल्कुल करीबी दोस्तों से भी बात की.. जो कि हम सभी बात आपस में खुलकर एक-दूसरे को बताते थे।
उन्होंने भी कहा कि तू एक बार उसके जबरदस्ती कर.. शायद बात बन जाए।

मैंने भी उनकी बात मान ली और अपने काम पर चला गया।
फिर रात का इंतज़ार करने लगा।

आज दीप का मूड नहीं था.. पर फिर भी मैंने उसे जैसे-तैसे मना लिया।
वो तुरंत ही पूरी नंगी हो गई और मुझे किस करने लगी, मेरे हाथ पता नहीं कब उसकी चूत और उसके दूध पर पहुँच गए।

वो मुझे बिस्तर पर लेटाकर 69 की पोजीशन में आ गई। लगभग 20 मिनट तक हम ऐसे ही रहे।
इस दौरान वो पानी निकाल चुकी थी। जब मेरा पानी निकलने वाला था.. तो मैंने उसे वहीं पर रोक दिया और उठकर उसे किस करने लगा।

वो भी मेरे बाल सहलाते हुए मुझे किस करने लगी।
किस करते हुए मैं उसके दोनों मम्मों को पागलों की तरह काटने लगा.. वो भी मजे से सिसकारियाँ भरने लगी ‘आअह्ह अह्ह्ह उम्म्म..’

मुझे भी पता नहीं क्या जोश आया कि मैं उसके मम्मों को और भी जोर से काटने लगा, वो और भी ज्यादा बदहवास होने लगी।
कुछ मिनट तक ऐसे ही सब चलता रहा।

दीप बोली- अब रहा नहीं जाता..
लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, मैं फिर उसकी चूत चाटने लगा उसे और भी ज्यादा आनन्द आने लगा था।
इस बार तो वो 3-4 मिनट में ही झड़ गई।

वो अचानक गिड़गिड़ाने लगी और कहने लगी- प्लीज मत तड़पाओ ना।
मैं- अभी नहीं मेरी जान..

मैं अपना लण्ड उसके मुँह के पास ले गया तो उसने मना कर दिया।
फिर यहाँ से मेरा असली काम शुरू हुआ।

मैंने उसके बाल पकड़ कर उसके दोनों गालों पर लगातार 10-15 थप्पड़ लगाए.. उसके बाद जबरदस्ती उसके मुँह में मेरा लण्ड डाल दिया और मुँह को चोदने लगा।
उसके मुँह से सिर्फ ‘गुप्पप्प.. गुप्पप्प..’ की आवाज आ रही थी।

जब भी मेरा लन्ड उसके मुँह से बाहर आता.. मैं उसके दोनों गालों पर थप्पड़ मार देता और बोलता- माँ की लौड़ी.. चूस इसे।
वो फिर मेरे लौड़े को चूसने लगती।

मुझे इस तरह की हरकत करने में बड़ा मजा आ रहा था, उसके मुँह को चोदते-चोदते थूक भी बाहर आ रहा था।
वो थूक उसके मुँह पर ही पोंछ देता और फिर उसके गाल पर तमाचा मार देता।

थप्पड़ खाकर उसका पूरा गाल लाल पड़ गया था, वो भी इतनी गर्म हो गई थी कि उससे सब्र नहीं हो पा रहा था।
जब उसके सब्र की सीमा टूटी तो मुझे गाली देते हुए बोली- भोसड़ी के जब चोदना ही नहीं था.. तो इतना गर्म क्यों किया।

सिर्फ इतना सुनकर मेरा पारा गर्म हो गया गुस्से में मैंने दोनों गालों पर 10-12 थप्पड़ और जमा दिए और उसके बाल पकड़ कर उसे बिस्तर पर उल्टा पटक दिया।

एक स्केल.. जिसका मैंने पहले ही इंतजाम कर रखा था.. से उसके दोनों चूतड़ों पर दो बहुत जोर से जड़ दिए।
दीप के मुँह से सिर्फ ‘आह्हीईईस्स..’ की आवाज निकली।

फिर मैंने उसे सीधा करके अपना लण्ड पूरी ताकत से उसकी चूत में डाल दिया।
केवल 3 झटकों में मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में समां गया।

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वो दर्द से चीखने लगी- आह्ह्ह्ह्ह्.. ऊऊओहह.. निकालो इसे बाहर.. बहुत तेज दर्द हो रहा है।

दर्द के मारे उसका पूरा चेहरा लाल पड़ गया था और आँसू भी निकल आए थे। कुछ देर रुक कर मैं उसकी चीख को दबाने के लिए उसे किस करने लगा।

एक मिनट के बाद मैं फिर से तेज झटके देने लग गया।
वो दर्द भरी आवाज में बोलने लगी- प्लीज रुक जाओ.. दर्द हो रहा है।

मैं उसकी बात को अनसुना कर उसे चोदने लगा और उसे तमाचे भी मार रहा था।

वो बस ‘आअहह.. आह्ह्ह्ह्ह्..’ की आवाज निकल रही थी। लगभग 5 मिनट की चुदाई के बाद उसका स्खलन हो गया।

झड़ते ही दीप के चेहरे पर एक सुकून दिख रहा था।
मैं रुक गया और उसके दोनों निप्पल काटने लगा, वो सिर्फ सिसकारियाँ भर रही थी।

मैंने लण्ड निकाल कर फिर उसका मुँह चोदने के लिए आगे बढ़ाया.. तो उसने मुँह ही नहीं खोला और मना करने लगी।
मैंने फिर उसे थप्पड़ मारा और फिर जबरदस्ती लण्ड उसके मुँह में डाल चोदने लगा।

थोड़ी देर के बाद मैं उसकी गाण्ड में उंगली डालने लगा.. तो उसने मना कर दिया।
बोली- मत करो दर्द होगा।
मैं- नहीं होगा.. एक बार कर लेने दो न।

दीप- नहीं
मैं- अच्छा.. कैसे नहीं करने देगी? माँ की लौड़ी तुझे करना ही पड़ेगा।

इतना कहकर मैंने उसके बाल पकड़कर उसे घोड़ी बना दिया और फिर उसके बाल खींचकर उसके चूतड़ों पर स्केल से मारने लगा और बोलने लगा- ले माँ की लौड़ी आज तो तेरी गाण्ड फाड़ कर ही रहूँगा.. बहुत तड़पाया है तूने।

वो सिर्फ सिसकारियाँ और हल्की-हल्की चीख ही निकाल रही थी।
मैंने एकदम से उसकी गाण्ड में लण्ड डालना चाहा.. पर गाण्ड टाइट होने की वजह से वो फिसल गया।

थोड़ी कोशिश के बाद मेरा आधा लण्ड अन्दर गया और दीप की चीख निकल गई। फिर पूरी ताकत से मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में डाल दिया।

वो दर्द की वजह से छटपटाने लगी और कहने लगी- प्लीज छोड़ो मुझे.. बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है।
लेकिन मेरे कस के पकड़े रहने की वजह से वो मेरी पकड़ से छूट नहीं पाई।

पर इतनी चीख से मुझे कहाँ सुकून मिलने वाला था, मैं और धक्के पर धक्के लगाता गया।
वो दर्द सह नहीं पाई और बिस्तर पर ही गिर गई।

एक हाथ से मैंने उसके बाल खींचकर पकड़ रखे थे.. तो दूसरे हाथ से उसके चूतड़ों पर स्केल से जोर-जोर से बराबर मार रहा था।
मार से उसके चूतड़ लाल पड़ गए थे और निशान भी बन गए थे।

फिर दीप को सीधा करके मैं अपना लंड उसके मुँह में डालकर उसका मुँह चोदने लगा।
इस बीच मैं उसको थप्पड़ भी बराबर मार रहा था, दर्द उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था, पूरा चेहरा सुर्ख पड़ गया था।

ऐसा करने में मुझे कितना आनन्द आ रहा था.. बता नहीं सकता।

मैंने देखा कि दीप की गाण्ड का छेद खुल गया था.. तो फिर मैंने उसे कुतिया बनाया और फिर लण्ड को गाण्ड के छेद पर टिका दिया।

थोड़ा सा अन्दर घुसेड़ने के बाद पूरी ताकत के साथ बाकी का हिस्सा अन्दर तक डाल दिया। मैं इतनी तेजी और बेरहमी के साथ धक्के लगा रहा था कि वो सह नहीं पा रही थी।

बस 8-10 धक्कों के बाद ही वो संतुलन खो बैठी और और फिर गिर गई। लेकिन मैंने उसे फिर से कुतिया बनाया और लगातार धक्के मारने में लगा रहा।
वो जितना चीखती चिल्लाती.. मुझे उतना ही आनन्द आता।

हर 3-4 झटकों के बाद स्केल से उसके चूतड़ पर मारता रहा.. स्केल से मारने उसकी चीख और बढ़ जाती.. तो मेरा भी जोश और बढ़ जाता।

काफी देर बाद जब मैं झड़ने को आया.. तो मैं उठ खड़ा हुआ और फिर उसको थप्पड़ मार कर मुँह चोदने लगा।

फिर मैंने उसे सीधा लेटाया और 3-4 बार उसकी चूत पर भी हाथ से तेजी से मारे। इसके बाद मैं उसकी दोनों टांगों को उसके कंधे पर ले गया और फिर गाण्ड को मारने लगा।
वो बस दर्द से ‘ऊह्ह्ह्ह्ह.. आआईई.. आह्ह्ह..’ की आवाज निकाल रही थी।

उसे इस पोज़ में चोदने के बाद जब मैं कगार पर पहुँच गया.. तब उसकी दोनों टांगें कंधे पर रख लीं और उसकी गाण्ड मारने लगा।

शायद दीप को भी अंदाज लग गया था.. तो उसने भी कस कर चादर को पकड़ लिया। लगभग 50 धक्कों के बाद मेरा वीर्य निकल गया और सारा रस उसकी गाण्ड में छोड़ दिया।

पूरा वीर्य निकल जाने के बाद मैं हांफता हुआ उसके ऊपर लेट गया। वो भी चादर छोड़कर मुझसे लिपट गई और और टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया।

दीप दर्द और आनन्द भरी सिसकारियाँ ले रही थी।

कुछ मिनट बाद उसके ऊपर पड़े रहने के बाद मैं उसका दूध पीने लगा। थोड़ी देर बाद मैं सूसू करने चला गया और आकर देखा कि वो अब तक नंगी ही बिस्तर पर पड़ी हुई थी।

मैं उसे किस करने लगा.. वो भी मेरा साथ देने लगी।

मैं इतना व्यस्त हो गया कि पता ही चला मेरा हाथ कब फिर से उसकी चूत और मम्मों पर पहुँच गया और मेरा मन फिर से एक बार और उसे चोदने को हुआ.. तो उसने फिर से रोक दिया।

मैंने फिर उसे गाल पर एक थप्पड़ मारा और बोला- कैसे नहीं चुदेगी।
लेकिन वो नहीं मानी।

हम फिर किस करने लगे और मैं एक हाथ से उसकी चूत को मसलने लगा। उसने रोकने की कोशिश भी लेकिन सफल नहीं हो पाई।

किस करते हुए मैं उसके निप्पल को भी मसल रहा था। वो फिर से गर्म होने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी।

मैंने उसकी चूत चाटी और सारा रस पी गया.. वही प्रक्रिया दोहराई भी.. लेकिन इस बार मैंने स्केल के साथ-साथ बेल्ट से भी उसके चूतड़ की पिटाई करते-करते.. गाण्ड मारी।

मैंने सिर्फ चूतड़ ही नहीं मम्मों पर भी हल्के-हल्के बेल्ट चलाये थे। उसके चूतड़ पर शायद ही कोई जगह बची हो जहाँ पर स्केल या बेल्ट के निशान नहीं बने हों।

इस बार जब मैं झड़ा.. तो वो बिल्कुल पस्त हो चुकी थी.. दर्द से बहुत जोर से कराह रही थी।
वो फिर सूसू करने चली गई।

मेरा मन एक बार और उसे चोदने का हो रहा था.. लेकिन वो बिल्कुल भी इस हालात में नहीं रही। जब वो आई तो उसके बाद मैं भी सूसू करने चला गया।

जब वापस आया तो देखा कि उसका पूरा गाल लाल पड़ा था.. चेहरे पर सिर्फ मेरी उंगलियों के निशान थे.. आँखें लाल हो रही थीं।
बाल तो उसने पहले ही ठीक कर लिए थे.. मम्मों पर काटने के निशान थे.. और चूतड़ पर तो कहना ही क्या.. उसकी गाण्ड सूज गई थी।

मैंने दीप को सीधा किया और पूछा- ज्यादा तकलीफ तो नहीं हो रही है?
यह सुनते ही उसने एक ही सांस में हल्के हाथों से मेरे गालों पर लगातार 15-20 थप्पड़ लगाए और बोली- इतने महीनों के बाद तुम्हें ये समझ आया।

यह सुनते ही मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, मैंने जोश में उसके चूतड़ की दरार के बीच से उसकी गाण्ड को बहुत तेजी से मसला.. तो दर्द की वजह से सहन नहीं कर पाई।
वो जितना छूटने की कोशिश करती.. मैं उतनी ही तेज उसके गाण्ड को मसलता।

जब उसका दर्द बहुत ज्यादा हो गया तो छूटने के लिए उसने मेरी भुजा को पूरी ताकत से काट लिया.. जिसका निशान अभी भी है।

चोदने के बाद देखा तो उसका चेहरा दर्द के मारे पूरा लाल हो गया था और आंसू भी निकल आए थे।

फिर मैंने उसके आँसू पोंछे.. उसके दोनों चूतड़ों पर गिन कर 15-15 किस किए.. फिर उसके बाद दोनों गालों को चूमा और नंगे ही चिपक कर सो गए।

उसके बाद मैंने लगातार 4 दिन दीप की गाण्ड मारी और फाड़ कर रख दी।
अब मुझे पता चल गया था कि मेरी पत्नी भी मुझसे कुछ ऐसा ही चाह रही थी।

तो यह थी दोस्तो, प्रदीप जी की कहानी। अपनी राय जरूर भेजें।
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