बड़े बेदर्द बालमा-1

मुझे सेक्स में फॉर-प्ले बहुत पसंद है और इसमें में नए नए प्रयोग करता रहता हूँ, इसमें कुछ अजीब और हास्यास्पद भी है इसलिए उनका जिक्र यहाँ नहीं कर रहा, उन्हें मैं अपने कुछ ख़ास दोस्तों से शेयर कर भी चुका हूँ।

एक दिन मैं नेट पर बंधन और कामुक शारीरिक प्रताड़णा में कामसुख वाली एक ब्लू फिल्म देख रहा था, मेरी पत्नी दूसरे कमरे में टीवी देख रही थी, वो न जाने कब मेरे पीछे आ कर खड़ी हो गई मुझे पता ही नहीं चला, और वो भी एकटक देखने लगी।
मैं अचकचा गया और नेट बंद करने का उपक्रम किया तो उसने मुझे रोक दिया।

मैंने उसे समझाया कि प्लीज़ तुम मत देखो ! इसे तो मैं भी बस ऐसे ही देखने लगा, इस लड़की की तकलीफ देख कर तुम्हें डर लगेगा।
वो शरारत से मेरी तरफ देखते हुए बोली- लगता तो नहीं कि इसे कोई तकलीफ हो रही है?

मैंने कहा- क्यूँ? किस बुरी तरह बंधी हुई है, चिमटियाँ लगी हुई हैं, कूल्हे पर, वक्ष पर चपत पड़ रही है। यह सब तुम्हारे साथ हो तो तुम्हें तकलीफ नहीं होगी?
वो मेरी गोदी में बैठती हुई और मेरे चेहरे पर उंगली फिराते हुए बोली- अब यदि मेरे साथ ऐसा ही सब कुछ हो, मैं तो तब ही बता पाऊँगी मेरे राजा… अभी से कैसे बताऊँ?
और वो कूल्हे मटकाती हुई अपने बैडरूम में चली गई।

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और मैं हक्का बक्का रह गया।
उसका इशारा मैं समझ गया और मेरे दिमाग में ऐसा ही कुछ अपनी बीवी के साथ करने का ख़याल आया।
और उस दृश्य की कल्पना मात्र से ही मेरा लिंग अकड़ गया।

उस रात, मैंने सहवास के दौरान फिर उससे उस बारे में पूछा- क्या तुम उस बंधन वाले सेक्स के लिए सही में संजीदा हो?
उसने मेरे दोनों हाथ खुद के उभारों पर रख दिए और कहा- इनके साथ तुम क्या करते हो, पता है न तुम्हें?
मैंने कहा- हाँ !
और उसके उरोजों को दबाते हुए उमेठते हुए बोला- बहुत बेदर्दी से पेश आता हूँ कभी कभी !
और वो बोली- उसमें मुझे मज़ा आता है इसीलिए तुम्हें करने देती हूँ।

बंधन और कामुक शारीरिक प्रताड़णा वाले फॉरप्ले की तरफ उसका यह दूसरा इशारा था।
अब मैं उसके बाद 2-3 दिन तक इसे कैसे और कब अंजाम दूँ, यही सोचता रहा।

ब्लू फिल्म वालों के पास तो सब तरह के साधन होते हैं, और इस तरह का सामान हमारे भारत में क्या मिलता होगा? मुझे तो डिल्डो, वाइब्रेटर कहाँ मिलते हैं, यह भी नहीं पता, लेकिन अपना भारत देसी जुगाड़ के लिए जाना जाता है, तो मैंने भी धीरे धीरे चोरी छुपे तैयारी शुरू कर दी।
और अब बस सही वक़्त इंतज़ार था।
वो भी मिल गया।

दोनों बच्चे स्कूल पिकनिक के लिए किसी रिसोर्ट में जा रहे थे और शाम तक आने वाले थे, मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली, कारण लिखा ‘आवश्यक घरेलू कार्य’
और जब मैंने बीवी को अपने छुट्टी के असली कारण के बारे में बताया तो वो मुझे मारने को दौड़ी- साले बदमाश, हर समय सेक्स के खेल ही सूझते हैं तुम्हें।

मैंने कहा- मैं क्या करूँ, तुम हो ही ऐसी !
और फिर मैंने उसे एक शानदार चाय बना कर पिलाई और उसे घर के काम में हाथ बटाया, जिससे हमें ज्यादा से ज्यादा वक़्त अपने ‘उस काम’ के लिए मिल सके !

सब कामों से निपट कर मैंने उसे कहा- अब पानी वाणी पी लो और टॉयलेट हो आओ, मूत आओ, धो आओ अच्छे से ! फिर तुम कई घंटों के लिए बंधने वाली हो।
‘ओ के !’ बोल कर मेरी बेखौफ़ बीवी वाशरूम में चली गई।
मैंने उसे कहा- एक काम और करना !
वो बोली- क्या?

मैंने कहा- आज तुम ऐसा सलवार सूट, पेंटी और ब्रा पहनना जो तुमने रिजेक्ट कर दिए हों।
‘क्यूँ?’
मैंने कहा- आज बस तुम कोई सवाल मत पूछो ! समझी? आज मैं तुम्हारा मालिक (बोंडेज मास्टर) हूँ और तुम मेरी गुलाम(स्लेव) ! समझ गई? तभी तुम सब चीज असली में महसूस करोगी।
‘ओ के, मेरे मास्टर !’
और वो कपड़े बदल कर आ गई।

मैंने कहा- अब बेड पर चलो !
यहाँ मेरी बीवी ने मुझे हैरान कर दिया, वो बोली- गेम यहीं से शुरू है मास्टर, मैं अपने आप क्यूँ जाऊँगी?
यह सुन कर मुझे सही में मज़ा आ गया, मैंने कस कर उसके बाल पकड़े एक हाथ से, और दूसरे हाथ से उसकी चूतड़ पर थप्पड़ मारते हुए उसे बेड की तरफ घसीटने लगा- चल साली, बहुत रौब झाड़ लिया अपने पति पर, आज तेरी कस के मरम्मत और सज़ा का इंतज़ाम किया है।

और मैंने उसे बिस्तर पर धकेल दिया, वो अपने आप को संभाल पाती, इससे पहले ही मैं उसके ऊपर सवार हो गया और मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर पलंग के ऊपरी सिरे में पहले से ही फिट रस्सी में बाँध दिया, और फिर दूसरा भी, उसी जगह पर बाँध दिया !
अब मेरा काम काफी आसान हो गया था क्योंकि उसके हाथों की हरकतें शांत हो गई थी।
वो स्लीवलेस सूट पहन कर आई थी तो अब उसकी दोनों क्लीन शेव्ड बगल उजागर हो गई थी।
उसके बाद मैं नीचे की तरफ आया और उसके उछलते हुए पैरों को पकड़ा, मैंने महसूस किया वो यह मामूली सा विरोध हमारे आज के इस सेक्स गेम को वास्तविक बनाने के लिए ही कर रही थी।

वरना दोस्तो, अंदर की बात तो यह है कि वो आसानी से मेरे काबू में नहीं आती है।
बहरहाल मैंने उसके पैर को V के शेप में चौड़ा करके पलंग के किनारे वाले पायों से बांध दिया।
अब वो असहाय थी, मैं यहीं नहीं रुका, मैंने उन सब रस्सियों को खींच कर थोड़ा कस भी दिया।

मैंने उसके सर और कमर के नीचे पहले ही दो तकिये रख दिए थे, जिससे उसका सीना ऊपर हो गया था, रस्सी नीचे बाँधी थी और जैसे ही उस रस्सी को और टाइट किया उसके वक्ष और ज्यादा उभर कर तन गए।
मेरे बोंडेज गेम का पहला चरण पूरा हो चुका था, अब वो पूरी तरह से मेरे कब्जे और काबू में थी।
अगला और मुख्य चरण बहुत उत्तेजक और सेक्सी होने वाला था, जिसे सोच कर मेरे लंड में अभी से ही हलचल शुरू हो गई थी।
यह आप लोग इस महा उत्तेजक खेल के अगले भाग में पढ़ना !
और कृपया मुझे मेल जरूर करते रहना, और अपने अनुभव और जिज्ञासा मुझसे शेयर करते रहिए।
आपका अरुण
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