पन्द्रह दिन बाद मनाई दुल्हन संग सुहागरात

हमारी शादी हुई थी तो पहले के पन्द्रह दिन चूमाचाटी में, पकड़ा पकड़ी में ही चले गए थे. मेरी दुल्हन पूजा ने मुझे चोदने नहीं दिया.. क्योंकि उसे चुदाई में होने वाले दर्द के बाद मिलने वाले सुख के बारे में कुछ मालूम ही नहीं था. मैं अपना लंड चुत में डालने की कोशिश करता तो उसको चुत में दर्द होता था.. जिस वजह से वो मुझे मना कर रही थी. लेकिन मुझे तो चोदना था, तो मैंने ठान ली कि आज जरूर चोदूँगा. रात को वो कमरे में आ गई. वो आते ही मेरे गले लग गई, मैं उसके होंठ अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.

हम दोनों बेड पर आ गए. मैंने उससे कहा कि आज मैं तेरी चुत जरूर चोदूँगा.
शायद उसको भी चुदवाना तो था लेकिन वही सुहागरात की पहली चुदाई के दर्द का डर उसको रोक देता था.. और मैं अपनी पूजा को मना कर ही चोदना चाहता था.
आज मैंने उससे कहा तो उसने कहा- आज तुम अपना लंड मेरी चुत में धीरे से अन्दर डालना.. मेरी चुत नई है.. कहीं फट न जाए.

मैं उसको बाँहों में लेकर उसके होंठ चूसने लगा. उसका ब्लाउज निकाल कर मम्मों को धीरे धीरे मसलने लगा. उसके निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगा. वो भी गर्म हो गई. मैंने एक हाथ से पूजा की साड़ी और पेटीकोट कमर के ऊपर तक उठा दिया. उसकी चुत पर अपना हाथ फेरने लगा. दाएं हाथ की एक उंगली को पूजा की चुत में डाला तो चुत पूरी गीली हो गई थी. मुझे मालूम था चुत को और ज्यादा गीला करना पड़ेगा.

मैंने उसके होंठ चूसते चूसते अपने एक हाथ की उंगली पर अपना थूक लेकर चुत की दरार में लगा दिया और चुत को ज्यादा गीला कर दिया. फिर अपने लंड पर भी थूक लगाकर लंड को भी चिकना कर दिया. फिर मैं उसके ऊपर दोनों पैरों के बीच आ गया. अपनी बीवी के बगल में नीचे अपना एक हाथ टिकाकर दूसरे हाथ से अपना लंड उसकी चुत की दरार में लगा दिया और हल्का सा दबाव डाला. अब मेरे लंड का सुपारा उसकी चुत में फंस गया था.

फिर मैंने अपने दोनों हाथों को पूजा के दोनों मम्मों के बाजू रखकर अपने शरीर का भार हाथों पर ले लिया. इसके बाद हौले हौले मैं लंड को चुत में दबाने लगा. लगभग एक इंच से ज्यादा लंड पूजा के चुत में घुस गया था. पूजा को दर्द हो रहा था. पूजा ने अपने हाथों से मेरे हाथ पकड़ रखे थे. उसको दर्द होना आरम्भ हो गया था. मैंने थोड़ा झुक कर पूजा के होंठ अपने होंठों में लेकर उसका मुँह बंद कर दिया.. ताकि ये चिल्ला न सके. फिर मैंने अपना लंड चुत में तीन चार बार अन्दर बाहर कर दिया, पूजा अपनी आंखें बंद करके दर्द सहने की कोशिश कर रही थी.

मैंने अपने दोनों हाथ बीवी की गर्दन के नीचे डालकर उसे पकड़ लिया. फिर मैंने एक जोरदार झटका मारकर अपना सात इंच का लंड बीवी की चुत में पुरा घुसा दिया.

पूजा दर्द से छटपटाने लगी, मुझे अपने ऊपर से धकेलने लगी. लेकिन उसके होंठ मैंने अपने होंठों से बंद करके रखा था, इसलिये उसके चिल्लाने की आवाज मुँह में ही दब गई. मैंने अपना लंड चुत से कुछ मिनट तक बाहर निकलने ही नहीं दिया.

कुछ देर बाद मेरी पूजा शांत हो गई. मैंने अपने होंठ अलग किए. जब मैंने पूजा के चेहरे पर नजर डाली तो देखा कि उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे. लेकिन मेरी प्यारी बीवी के होंठों पर हल्की सी दर्द मिश्रित मुस्कान थी. उसने मुझे चूमा तो मैं समझ गया कि ये ठीक है.

बस फिर क्या था.. मैंने कसकर उसे बाँहों में लेकर उसके होंठ चूसने लगा. अब वो भी मेरे होंठ चूसकर मेरा साथ देने लगी. मेरा लंड चुत में ही धंसा पड़ा था. मेरी प्यारी बीवी पूजा सब भूलकर मुझे चूम रही थी. मैंने मेरा लंड थोड़ा सा बाहर निकाल कर फिर से चुत में घुसा दिया.

अब मेरी बीवी को लंड का चुत में अन्दर बाहर होना अच्छा लग रहा था. मेरा लंड अब चुत में आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था. पूजा की चुत ने पानी छोड़ दिया था. हम दोनों चुदाई में तल्लीन हो गए. बहुत देर से चुदाई कर रहे थे, तो मेरी भी वीर्य की धार छूटने वाली थी. मैंने चोदने की रफ्तार बढ़ा दी.. और मेरा सफेद, गाढ़ा वीर्य अपनी प्यारी बीवी की चुत में डाल दिया.

फिर मैं निढाल होकर बीवी को बाँहों में लेकर उसके ऊपर ही सो गया. चुदाई के बाद मेरा लंड चुत से बाहर निकालकर देखा, तो लंड पर थोड़ा सा खून लगा हुआ था. बीवी की चुत से भी हल्का सा खून बाहर आ रहा था.

मित्रो, हमारी शादी को 19 साल हो गए है लेकिन सुहागरात से लेकर आज तक हमारी चुदाई जारी है. चुदाई की मिठास हम दोनों में अभी भी है. मेरी प्यारी बीवी मुझे चोदने के लिये कभी मना नहीं करती, क्योंकि उसे मालूम है, मैं जब भी उसको चोदता हूँ, तो उसे और उसकी चुत को बहुत खुश करता हूँ.

मेरी सुहागरात पर मेरी दुल्हन की चुदाई की कहानी आपको पसंद आयी होगी. आपको मुझे मेल करके जरूर बताना.

[email protected]