मेरी सासू माँ हुई हमबिस्तर-1

मेरी तो लॉटरी ही खुल गई सुनीता जेसी सेक्सी और मदहोश कर देने वाली पत्नी पाकर. शादी के बाद मेरी हर रात सुहागरात से कम नहीं होती और हर रात कामवासना की नई कहानी लिख दी जाती क्यूंकि मैं और मेरी पत्नी दोनों ही सेक्स के जन्मजात भूखे हैं और कामक्रिया का पूरा मजा उठाते हैं. मेरी पत्नी कामक्रिया में महारत रखती है और वो सब क्रियायें करती है जो कामसूत्र की कहानियों में भी नहीं लिखी हैं. मैं हर रोज उसके कामरस का पूरा आनन्द उठाता हूँ और उसको भी पूरा मजा देता हूँ जो हर शादीशुदा औरत के ख्वाब होते हैं. हर व्यक्ति उसको चोदना चाहता है, अगर वो कहीं पर थूक दे तो हजारों कामलोलुप मर्द उसको चाटने आ जायें. सुनीता का नंगा बदन किसी भी मर्द को देह शोषण करने के लिए भी तैयार कर सकता है.

यह तो मेरी पत्नी की बात हुई, अब बात मेरी सासु राधिकाजी की. राधिकाजी आज भी इतनी आकर्षक और मदहोश कर देने वाली हैं, उनका फिगर आज भी किसी 24 वर्ष की कुंवारी कन्या से कम नहीं. कद लगभग 5’5′ इंच, गोरा बेदाग बदन, खुले बाल, नाजुक पतले होंठ, बड़ी आँखें, बड़े भरे हुए वक्ष, केले के तने जांघें, और सुन्दर कूल्हे. ऐसा लगता है कि मेनका खुद पृथ्वी पर आ गई हो. मेरा तो मन करता है कि राधिका जी से भी शादी कर लूँ ताकि दो पत्नियों का भरपूर सुख ले सकूँ और कामरस में डूब जाऊँ.

शादी के पहले दिन से ही मुझे लगा कि राधिकाजी मेरे प्रति ज्यादा ही आकर्षित हैं. जब पहले दिन ही उन्होंने मुझे मेरे मुँह में रसगुल्ला खिलाया और अपनी दोनों अंगुलियों को मेरे मुँह में चुसाया, तभी मैं समझ गया कि 18 साल से कामवासना दबी पड़ी है.

कई बार राधिकाजी ने अनेक बहाने से मुझे छुआ परन्तु एक विधवा नारी को समाज का भय भी तो सताता रहता है. शादी के एक साल बाद ही सुनीता माँ बनने वाली थी. गर्भावस्था के तीन महीने बाद भी हम दोनों सेक्स करते थे. सुनीता को जब तक चोद न दो तब तक चैन नहीं पड़ता चाहे रात के तीन भी क्यों नहीं बज गए हों.

मेरी सासु को मालूम चलते ही वो जयपुर आ गई और सुनीता की देखभाल करने लगी. पूरे बंगले में हम तीनों के अलावा कोई नहीं रहता, नौकर-चाकर तो काम करके चले जाते.

हर रात मैं और सुनीता वासना का मजा उठाते. सुनीता घंटों तक मेरे लण्ड को चूसती और मैं उसकी चूत को चाट चाट कर कामरस पीता रहता. फिर हम धीरे धीरे चुदाई का सिलसिला चालू करते क्योंकि डॉक्टर ने स्पष्ट कह दिया था कि ज्यादा ताकत से चुदाई बच्चे को नुकसान पहुँचा सकती है. मेरी सासु को भी हमारे इस बेइंतेहा प्यार की जानकारी थी.

एक दिन सुनीता की बचपन की सहेली ने उसको पूरे दिन के लिए अपने घर पर बुलाया तो में उसको छोड़कर ऑफिस चला गया. कुछ देर बाद मुझे घर पर कोई फाइल लेने जाना पड़ा. मैंने घंटी बजाई तो नौकरानी ने दरवाजा खोला. मैं ऊपर अपने कमरे में चला गया. मेरे बेडरूम का दरवाजा खुला था और सामने वाले सासुजी के कमरे में देखा तो वो वहाँ नहीं थी. मैं उनके कमरे में गया तो लैपटॉप पर इन्टरनेट चल रहा था जिस पर अन्तर्वासना की साईट खुली थी और भी एक साईट मिनीमाइज थी जो पोर्न मूवी की थी.

मैं समझ गया कि राधिकाजी अपनी कामवासना को ऐसे शांत कर रही हैं.

मैं उनको ढूंढते हुए अपने कमरे में गया. मैंने वहाँ पर राधिकाजी को मेरे बेडरूम में हमारे पलंग पर सोते हुए पिछली रात की मेरी अंडरवियर और सुनीता की पेंटी को चूसते हुए पाया. मैं उनको देखकर दंग रह गया कि मेरी सासु हमारी कामरस में डूबे अंतर्वस्त्रों को चाट रही थी और हमारी रतिक्रिया के ख्वाब देख रही थी.

अचानक राधिकाजी की आँखें खुली और वो मुझे देखकर हड़बड़ा गई. वो तेजी से उठकर बाथरूम की अन्दर चली गई. कुछ मिनट बाद मैं भी बाथरूम में चला गया. वो वहाँ पीठ घुमाकर चुपचाप खड़ी थी.

मैंने पूछा- क्या कर रही थी आप?
वो कुछ नहीं बोली.

मैंने उनकी बांहें पकड़ कर अपनी तरफ किया. उनकी छाती जोर जोर से धड़क रही थी और वो शर्म से सिर झुका के खड़ी थी. मैंने उनके गालों को सहलाते हुए बालों में हाथ फिराया और लबों के पास जाकर पूछा, तो भी वो कुछ नहीं बोली.

मैंने उनको खींच कर मेरे मजबूत शरीर से चिपका लिया और अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए. राधिका शर्म से सुर्ख लाल हुए जा रही थी. मैंने अपनी जुबान उनके होठों पर फिरानी चालू की. फिर दोनों गुलाब जैसे होंठों के अन्दर डाल दी. वो शर्म से पानी पानी हो गई. मैंने उनके बालों को पीछे से पकड़ कर सर ऊपर किया. उनकी आँखें बंद थी. मैंने अपनी पूरी जुबान उनके मुँह में डाल दी और अपने हाथ उनकी चूत पर फिराने लगा.

वो बोली- यह क्या कर रहे हो राम? मुझे जाने दो प्लीज.
मैंने कहा- जाओ.

वो नहीं गई और मुझसे चिपक गई और बोली- मैं बहुत प्यासी हूँ, मेरी प्यास बुझा दो राम. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं.

मैंने उनको अपनी बांहों में उठाया और ले जा कर पलंग पर धीरे से पटक दिया. राधिका के मुँह से आउच की आवाज निकली और साड़ी उनके ब्लाउज से हट गई.

मैंने धीरे से उनके ब्लाउज के बटन खोले और साड़ी हटा कर पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया. अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी. राधिका ने एकदम नई स्टाइल के ब्रा पेंटी पहन रखी थी. ब्रा को हटाते ही दो गोरे गोरे तीखे कड़क उरोज उछल पड़े. मैंने पास जाकर उनके नरम होंठों को चूसना चालू किया तो उनके मुँह से आहें निकलने लगी. अब वो भी अपनी जुबान से मेरी जुबान को चाट रही थी.

क्या बताऊँ कि क्या जुबान थी! सुबह की तरोताजा सांसें बह रही थी. राधिका ने कुछ देर पहले ही स्नान और ब्रश किया था.

राधिका के मुँह की हर लार में कम रस बह रहा था.

तक़रीबन दस मिनट तक रसपान करने के बाद मैंने कहा- राधिका, मेरी हो जाओ. मैं तुम्हें अपनी बनाना चाहता हूँ.
वो बोली- राम, आज से मैं सिर्फ तुम्हारी ही हूँ.

मैंने राधिका की पेंटी धीरे से सरका कर हटा दी. वो प्यार से छटपटाने लगी. मैंने राधिका को उल्टा लिटाया बैठी हुई घोड़ी के स्टाइल में. मैं राधिका के पीछे जाकर घुटनों के बल बैठ गया और राधिका की गुदा को देखने लगा.

कहानी जारी रहेगी.
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