आई एम लकी गर्ल-1

अब मैं अपनी कहानी पर आती हूँ।

मेरे कमरे में कंप्यूटर है क्यूंकि मुझे नेट से नोट्स लेने होते हैं और मेरा भाई हमेशा उसी में लगा रहता था, मैंने कभी नोटिस नहीं किया कि वो करता क्या है?

एक शाम मुझे पढ़ाई करनी थी तो मैंने जाकर कहा- जा यहाँ से! मुझे पढ़ना है!
तो वो थोड़ा घबरा गया और बोला- पाँच मिनट रूको!
पर मुझे तो परीक्षा की तैयारी की पड़ी थी तो मैंने कहा- नहीं, तुरन्त हटो!
तो वो चला गया।

मैंने अपनी लिंक पहले भी खोल रखी थी तो मैं हिस्टरी चेक करने गई तो वहाँ देखा ऐक साइट बहुत बार खुली है जो अन्तर्वासना है, मैंने भी सोचा कि आख़िर है क्या यह?

तो मैंने साइट ओपन कर दी तो एक कहानी खुली, जिसमें भाई बहन के सेक्स के बारे में लिखा था। मैं तो गुस्से से लाल हो गई पर मुझे भी थोड़ा मजा आ रहा था कि मेरा भाई मेरे बारे में क्या सोचता है!

कहानी को पढ़ते पढ़ते मैं भी थोड़ी गर्म होने लगी और मुझे भी सेक्स करने का मन होने लगा।

जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ी, वैसे मैं भी गर्म होती गई। मैंने कभी पहले ऐसे फीलिंग नहीं महसूस की जो तब हो रही थी।

मुझे लगा जैसे मेरी चूत से कुछ निकलने वाला है, मैंने बाहर देखा तो कोई नहीं था, मैं तुरंत बाथरूम में घुस गई और अपनी सलवार खोलने लगी पर नहीं खोल पाई और कुछ पानी बाहर निकल गया। मैं दीवार का सहारा लेकर टिक गई, एक अजीब सा एहसास था जिसमें थोड़ी जलन थी पर बहुत अच्छा महसूस हो रहा था और थोड़ी थकावट भी थी।

मैं थोड़ी देर खड़ी रही और फिर अपनी सलवार खोल दी जो सामने से पूरी गीली हो चुकी थी। फिर पेंटी उतारी जो थोड़ी चिपचिपी लग रही थी।

मैंने पानी से साफ किया और पहली बार अपनी चूत को ऐसे साफ कर रही थी।

तभी मैंने देखा कि कुर्ता भी थोड़ा गीला हो चुका है पर मैं उसे नहीं उतार सकती थी वहाँ क्यूंकि मैं कपड़े लेकर नहीं आई थी और भाई घर पर ही था, मम्मी पापा अभी नहीं आए थे।

मैंने दरवाजे को खोला तो देखा कोई नहीं है तो कमीज भी उतार कर बाथरूम में टांग दिया। अब मैं पहली बार मैं ऐसे सिर्फ़ ब्रा पहने बाथरूम से निकल रही थी वरना हमेशा पूरे कपड़े पहन कर ही निकलती थी।

मैं कमरे में गई और कपड़े पहन लिए और पहले वाले कपड़े बाथरूम में टंगे थे। मैं बैठ कर पढ़ाई करने लगी क्यूंकि इम्तिहान भी देना था।

थोड़ी देर में मम्मी पापा भी आ गये।

तभी मेरा भाई मुझे बुलाने आया- दीदी चलो खाने के लिए!

मैंने अपने भाई को देखा तो वो मुझे अब अलग सा लगने लगा था, पता नहीं मैं उसे ठीक से नहीं देख पा रही थी। शायद वो नहीं जानता था कि उसकी चोरी पकड़ गई है।

हमने खाना खाया और मैं अपने कमरे में आ गई। मैंने आकर अपना कमरा बंद कर लिया और बैठ गई पढ़ने को!

पर मेरे दिमाग़ में तो अब बस कहानी ही आ रही थी, मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और अन्तर्वासना डॉट कॉम साइट खोल कर कहानी पढ़ने लगी।

मैंने भाई बहन की और भी कहानियाँ खोजी और पढ़ने लगी। अब मैंने पनी सलवार को उतार दिया और नीचे से नंगी हो गई क्यूंकि पेंटी तो पहले से ही उतरी हुई थी।

मैंने अपनी चूत को देखा क्या दिख रही थी, गुलाबी रंग की! मैं अपनी छुत की दरार में हाथ फेरने लगी। फिर मैंने सोचा कि क्यूँ ना पहले पेंटी ले आती हूँ गीली वाली, उसी से साफ भी कर लूँगी, वरना यहाँ गीला हो जाएगा।

मैं बाहर आ गई, क्यूंकि सब सो गये होंगे रात में, तो ऐसे ही कुर्ते में थी और बाथरूम में आकर देखा कि मेरे कपड़े बिखरे पड़े हैं और मैंने जब अपनी पेंटी खोजी तो नहीं मिली मुझे।

हैरत में थी मैं … पर तुरंत मेरा ध्यान भाई पर गया, मैं भी देखना चाहती थी कि आख़िर यह सच है कि वो मेरे बारे में सोचता है?

इसी ख्याल से मैं उसके कमरे की ओर गई। उसकी लाइट जल रही थी और दरवाजा बंद था। मैंने खिड़की की ओर कदम बढ़ाया और अन्द्र झांका तो देखती ही रह गई।

मेरे सगे भाई ने मेरी गीली पेंटी पहन रखी थी और बाकी उसका बदन पूरा नंगा था।

मेरी उत्सुकता और ज़्यादा बढ़ गई।

और मेरी एक तस्वीर उस कमरे में लगी थी तो वो उसके सामने गया और और उसे किस करने लगा। वो इस बात से बेख़बर था की उसकी बहन सुरभि यह सब देख रही है।

फिर उसने अपनी, मेरा मतलब, मेरी पेंटी उतारी और अपना लंड हाथ में पकड़ लिया।

यह पहला लंड था जो मैंने देखा था, करीब 6 इंच का होगा और मोटा भी था। लंड की लालिमा देखकर मेरा मन तो सच में उसे प्यार करने का होने लगा और मेरी नंगी चूत में फिर से एक जलन सी होने लगी पर इस बार मेरी उत्सुकता मेरे भाई को देखने की थी।

अब उसने अपना लंड हाथ में पकड़ा और ऊपर नीचे करने लगा। करीब दो मिनट मैं उसने कुछ सफेद सफेद सा पानी मेरी तस्वीर पर उछाला और फिर मेरी पेंटी से साफ करने लगा और ‘आई लव यू’ दीदी कह कर पेंटी को सूंघने लगा।

मैं तो यहाँ कंट्रोल से बाहर हो रही थी कि तभी एक फव्वारा मेरी चूत से छूट पड़ा और यह पहली बार मैंने अपना पानी निकलते देखा था। मेरे सामने की दीवार गीली हो गई थी, साथ में मेरी पतली टाँगें भी, मेरा कुर्ता भी गीला हो गया।

मेरी चूत अभी भी टपक रही थी कि मैंने देखा कि भाई बाहर की तरफ आ रहा है, शायद पेंटी रखने आ रहा होगा।

मैं फ़ौरन अपने कमरे की तरफ भागी और दरवाजा बंद करके लाइट बंद कर दी।

जब मैंने उसके जाने की आवाज़ सुनी तो लाइट जलाई और सोचने लगी कि क्या वाकई इतनी सुंदर हूँ कि मेरा भाई मुझे प्यार करने लगा है।

मैंने फ़ौरन अपने बाकी कपड़े उतार दिए और आईने के सामने खड़ी हो गई। वाकई क्या लग रही थी मैं! मेरे काले बाल, सीधे खड़े गोल बूबू, पतली कमर, कमल की पंखुड़ी की तरह पतली सी चूत जो अभी भी पानी टपका रही थी, मैं हमेशा इसे पार्लर में शेव करवाती थी। कोई भी मुझे प्यार करना चाहेगा और मुझे भी अब अपने आप से प्यार होने लगा था।

सामने से मैंने लिपस्टिक उठाई और और अपने होंठों पर लगाई अब तो मैं पूरी अप्सरा लग रही थी।

मैं खुद को बहुत लकी फील कर रही थी कि मैं इतनी सुंदर हूँ।

रात का करीब एक बजने लगा था और मैंने कुछ पढ़ाई नहीं की थी, तो मैंने फ़ैसला किया कि अब तो सो जाती हूँ, और सुबह पढ़ लूँगी। और ऐसे ही लाइट बंद करके सो गई।

पर नींद थी कि आ ही नहीं रही थी, मन तो बस भाई के लंड पर आ गया था और उसकी वो बात ‘आई लव यू दीदी!’

मैंने अपने मन पर कंट्रोल करने की कोशिश की पर कहाँ कर पाई और कंप्यूटर चालू करके फ़िर अंतर्वासना साइट पढ़ने लगी और अपने वक्ष-उभारों पर हाथ फेरने लगी और फिर एक हाथ चूत पर लगा कर मसलने लगी। मैं फिर से गरम हो गई थी और एक बार फिर झड़ गई। मैंने अपनी ब्रा से साफ किया।

अब मैं बहुत थक गई तो फ़ौरन नींद आ गई और सो गई।

कहानी अभी जारी है.
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