अनछुई स्वीटी की कहानी

ऐसा नहीं था कि हमेशा से ही मैंने उसे एक शिकार के रूप में देखा और मैंने ही सारी पहल की। पहले हम लोग भी सामान्य भाई बहन की तरह अच्छे बच्चे थे पर जब मुझे हॉस्टल भेज दिया गया और वहाँ जाकर सेक्स का पहला ज्ञान मिला तो उसके बाद कुछ भी पहले जैसा नहीं रहा।

हॉस्टल में एक रैगिंग के समय मुझसे बहुत कुछ पूछा गया पर एक सवाल ने मुझे समझाया कि कैसे कोई छूकर भी मज़े ले सकता है। मुझसे पूछा गया- पाँच बार डंडे से पिटोगे या पाँच बार गाल छुआना पसंद करोगे?

मैंने बस कह दिया- पाँच बार गाल छुआऊँगा।

मैंने सोचा कि गाल छूने में क्या पंगा हो सकता है।

बाद में मुझे पता चला कि हॉस्टल में सीनियर लड़के जबरदस्ती छोटे चिकने लड़कों की लेते थे और मज़े लेते थे। छुट्टियों में जब जब घर लौटा तो मुझे अपने आसपास बस स्वीटी ही सबसे नजदीक और अच्छी लगाती थी। अब मेरी नज़रें भी बदल गई थी, मेरा स्पर्श भी !

अब उसमें, उसके शरीर में भी परिवर्तन होने लगा था। अब उसका वक्ष का उभार दिखता था, उसके चूतड़ भी गोल गोल उभरे से दिखने लगे थे।

अब मैं उसके और नजदीक रहता और बस छूने के मौके खोजता जो मुझे मिलते रहते, हम छोटे गेम खेलते और उसको हराने के बाद जब चिड़ाने के बहाने बस कभी गाल, कभी हाथ, कभी गर्दन छूता। मेरे लिए यही बहुत था और मैं इतने से ही मजे लेता था। मैं कभी बहुत आगे नहीं बढ़ा क्योंकि वो मेरी बहन थी, अगर वो गुस्सा भी हुई तो घर में बात खुलने का डर तो रहता ही था। मैं अगर कुछ छूता, दबाता था भी तो ऐसे जैसे कि बस यह गलती से हुआ। मैंने गौर किया कि वो इसे एन्जॉय करती थी।

दो तीन साल तक बस ऐसे ही चला, तब तक मैं हर जगह हाथ लगा चुका था। मैं चाहता तो बहुत कुछ, पर डर के मारे कभी आगे नहीं बढ़ पा रहा था।

जब मैं बारहवीं क्लास में हो गया तो मैंने बोर्ड एक्ज़ाम के कारण मैं 7-8 महीने घर नहीं गया और बोर्ड एक्ज़ाम के बाद एक लम्बे अरसे के बाद घर गया। सीधे मैं उससे मिलने उसके घर गया। अब स्वीटी एक बच्ची नहीं रह गई थी बल्कि एक कंटीला मस्त माल हो गई थी। विशाल बड़े चुच्चे और उभरे हुए चूतड़ों ने मेरे होश उड़ा दिए। वो मुझसे गले मिली और उसका वक्ष मेरे सीने से दबा। मेरे तो होश ही उड़ गए। मेरा लण्ड तुरंत सलामी देने लगा। वो मुझसे कुछ बहुत जरूरी बात करना चाहती थी पर उस वक्त मैं अपने घर आ गया। घर पर मुझे पता चला कि स्वीटी का एक लड़के से चक्कर चल रहा है, घर वाले सभी बहुत परेशान थे और उसे बहुत फटकार पड़ रही थी। पर वो किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी। उन्हें यह भी शक था कि कहीं स्वीटी ने तो उसे अपनी इज्जत भी नहीं दे दी। मुझे उसको समझाने का भार दिया गया।

मुझे दो वजहों से बुरा लगा। पहला कि तो वो मेरी बहन जिसके साथ अगर कुछ गलत हो तो अच्छा नहीं ही लगेगा, घर वाले सभी उसे बहुत गंदे से डाँट रहे थे, वो बहुत परेशान थी ! और दूसरा कि कहीं किसी और ने तो मेरे माल पर हाथ साफ नहीं कर दिया।

मेरा पहला काम यह था कि मैं पता लगाऊँ कि वो किस हद तक जा चुकी है प्यार में।

मैंने जब उससे पूछा तो पता चला सबने उसका जीना हराम कर दिया है। ढेर सारी पाबन्दी और डाँट। फिर उसने कहा- तू तो यहाँ था नहीं, तो कोई उसको समझने की कोशिश नहीं कर रहा !

जब मैंने प्यार की हद के बारे में पूछा तो उसने मुस्कुराते हुए कहा- बस किसिंग ही हुई है। पर मैं उससे सच्चा प्यार करती हूँ।

मैं तो खुश हुआ पर अब चुनौती यह थी कि कैसे उसका ध्यान उस लड़के से हटाया जाए। जब मैंने उससे बात शुरू की तो उसने कहा- मैं उस लड़के को दिल से चाहती हूँ, और उसी से शादी करुँगी। उसी को अपना शरीर सौंप सकती हूँ।

जब मैंने उसे समझाया- इस उम्र में ऐसा होता है पर यह बस एक आकर्षण भर होता है, प्यार नहीं होता।

तब उसने ऐसी बात कही कि मुझे मौका मिल गया।

उसने कहा- जब उसने मुझे चुम्बन किया तब कुछ अजीब सा, बहुत अच्छा सा लगा। सबसे अलग, इतना अच्छा मैंने कभी महसूस ही नहीं किया था। यह सच्चा प्यार था, नहीं तो ऐसा कुछ कभी नहीं होता।

बस मुझे उम्मीद की किरण दिखी, मैंने कहा- अगर कोई भी लड़का जिसको तू जानती है, पसंद करती है, वो अगर तुझे चूमेगा तो तू ऐसा ही महसूस करेगी। यह कुछ अलग नहीं है।

तब उसने अचानक कुछ ज्यादा ही जोश में कह दिया- तू मुझे अच्छा लगता है, तू मुझे किस कर ! अगर वैसा ही लगा तो वो घर वालों की बात मान कर मैं उस लड़के को भूल जाऊँगी और कभी भी किसी भी लड़के के साथ दुबारा प्यार व्यार में नहीं पड़ूँगी।

मेरी तो लॉटरी लग गई, मैंने कहा- तू तो मेरी बहन है। यह ठीक नहीं होगा !

तो उसने कहा कि वो मुझे भाई से ज्यादा दोस्त मानती है, बेस्ट फ्रेंड।

फिर उस दिन के बाद से सब कुछ बदल गया।

वो आगे बढ़ी और अपने होंठ आगे करके अपनी आँखें बंद कर ली। मेरा लंड भी सलामी देने लगा। मेरे तो होश ही उड़ गए कि जिसके बारे में हमेशा सोचता था, जब वो मिली तो हालत पतली हो गई डर के मारे। मैं भी कुंवारा था उस समय तक तो यह मेरा भी पहली बार था। पर मैंने बहुत सारी ब्लू फिल्में देखी थी तो कुछ कुछ आईडिया तो था ही। मैंने भी अपने होंठ उसके होंटों से लगा दिए। फिर क्या था, दस मिनट तक हम पागलों की तरह एक दूसरे को बस चूमते रहे, मैंने अपने हाथ कहीं और नहीं बढ़ाए।

तभी उसकी मम्मी यानि मेरी चाची की आवाज आई और हमारी तन्द्रा भंग हुई, वो सरपट भाग गई।

जब मैं उसकी मम्मी के पास गया तो उसकी चेहरे की चमक बता रही थी कि वो बहुत खुश है और उसको बहुत अच्छा लगा है। सभी घर वाले बहुत खुश हो गए। सबने मुझे उसे और समझाने के लिए कहा।

मैं भी उसे ऊपर वाले उसके कमरे में लेजाकर उसे खूब समझाता। मेरे हाथ उसकी चूचियों तक पहुँच चुके थे।

एक बार रात में हम दोनों छत पर मिले, उसने फ़्रॉक पहन रखी थी जो थोड़ी पुरानी और छोटी थी। घर पर तो पुराने कपड़े पहनते ही है और तुरंत मिलते ही हमने एक दूसरे की चूमना शुरू कर दिया। फिर मेरे हाथ उसकी फ़्रॉक के अन्दर चले गए। आज मुझे बहुत आगे बढ़ना है, यह मैं सोच चुका था। मैंने उसका ब्रा खोली और उसकी चूचियों को दबाना शुरू हो गया।

मैं उसे उसके कमरे में ले गया और उसके बिस्तर पर बैठ गया और उसको अपने सामने खड़ा कर दिया, उसकी दोनों जांघें मेरी जान्घों से सटी थी। फिर मैंने उसकी चूचियों को छोड़ अपना हाथ उसकी जांघों पर फिर उसके चूतड़ों पर ले गया। मैंने जब चूतड़ दबाने शुरू किए तो वो पागल होने लगी और मैं भी। मैंने अपने हाथ पीछे से उसकी पैन्टी के अन्दर घुसा दिए।

जब मैंने अपने हाथ आगे बढ़ाने की कोशिश की तो उसने मेरे हाथ पकड़ लिए। पर आज मैं भी मूड में था, मैंने उसके हाथ को पकड़ कर अपने पजामे में डाल दिया। पहले तो वो डरी पर मैंने उसे अपना हाथ बाहर निकालने का मौका ही नहीं दिया। थोड़ी ही देर में वो मेरे लण्ड से खेलने लगी और जोर जोर से मसलने लगी।

कुछ देर बाद मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर रखा तो ऐसे लगा जैसे भट्टी पर हाथ रख दिया हो। उसकी चूत तप रही थी और वो भी बुरी तरह से कांप रही थी। जब मैंने एक उंगली उसकी पैंटी के अन्दर सरका कर उसकी चूत का जायजा लिया तो पाया कि उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, एकदम फ़ूल की तरह कोमल थी उसकी चूत, कुछ कुछ गीली भी थी। मैं एक ही उंगली से धीरे धीरे उसकी चूत को सहलाता रहा। इस बार मैंने झटके के साथ उसके पैन्टी को उतार फेंका। जैसे ही मेरा हाथ चूत पर गए, मुझे ऐसे लगा जैसे भट्टी पर हाथ डाल दिया हो, चूत भीग चुकी थी, उसको बहुत मज़ा आ रहा था।

मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और सीधे उसकी चूत में मुँह लगा दिया। जब मैंने चूत को चूमा तो उसने कहा- क्या कर रहा है? यह गन्दी होती है।

मैंने मुस्कुराते हुए कहा- तुझे मज़ा आ रहा है या नहीं?

वो मुस्कुराई।

बस मैंने अपना काम चालू रखा। उस वक्त मेरे पास कंडोम नहीं था तो मैं चुदाई तो कर नहीं सकता था पर मैंने उसे पूरी नंगी कर लिया और हर जगह चूमना चालू रखा।

तभी किसी की आवाज़ सुनाई दी, मैं सरपट छत पर भागा और अपने घर चला गया। वो कपड़े पहन कर अपने कमरे में ही सो गई।

अब तो बस मैं मौके की तलाश में था कि कब मौका मिले और उसकी चुदाई कर सकूँ। पर संयुक्त परिवार में हमेशा कोई न कोई घर पर रहता ही था।

फिर मुझे दस दिनों के लिए अपने बुआ की बेटी को उसके ससुराल छोड़ने जाना पड़ा क्योंकि मैं ही घर पर छुट्टी में आया हुआ था तो मुझे ही जाना पड़ा। ना मेरा और ना ही स्वीटी का मन था, पर हम कर क्या सकते थे।

ऐसे बुआ की बेटी के ससुराल में ही जाके मैंने पहली बार चुदाई का अनुभव प्राप्त किया जिसके बारे मैं फ़िर कभी बताऊँगा। जब मैं लौटा तो मैं अनुभवी था और बस एक मौके की तलाश में था।मुझे मौका मिला भी कुछ दिनों बाद ! मैंने स्वीटी की चुदाई कैसे की इसके बारे मैं बाद में बताऊँगा।