सेक्स स्टोरी नहीं, मेरे किये काण्ड-1

मैं खुद को खुद नसीब मानता हूँ कि मुझे हर तरीके से सेक्स करने को मिला, हर बिरादरी की लड़की के साथ सेक्स करने को मिला और अलग अलग उम्र के पड़ाव वाली लड़कियों के साथ सेक्स करने को मिला। मुझे कुंवारी लड़की भी मिली और शादीशुदा भी… किस्मत का धनी निकला इस मामले में तो भारत के सभी धर्मों और हर जगह से लड़कियाँ मिली, सबके साथ सेक्स करने का अपना अलग अनुभव था और अलग बातें।
मगर कुछ चीजें सभी में एक जैसी थी, उनमें से एक है और ये बात अच्छे से लड़के लड़की ध्यान में रखे कि किसी भी लड़की को किसी भी लड़के का लंड चूसने में कोई दिलचस्पी या स्वाद नहीं मिलता, लड़की लड़के का लंड सिर्फ उसकी खुशी के लिए चूसती है.
और हाँ, यकीन मानिए अगर अच्छे से लंड चूसा जाए तो वो सेक्स से कम आनन्द देने वाला नहीं होता।

उसी तरह किसी भी लड़के को लड़की की चूत चाटने में कोई स्वाद नहीं आता मगर लड़के इस बात का ध्यान रखें कि अगर आपने एक बार अच्छे से और कायदे से लड़की की चूत चाट दी, उसमें महारत हासिल कर ली तो वो लड़की आपको कभी नहीं भूलेगी जब तक आपसे अच्छा कोई चूत चाटने वाला ना मिल जाये, चूत और लंड एक साथ चूसे जाए तो ही दोनों को एक साथ मजा मिलता हैं वर्ना इसमें हमेशा कोई एक खुश रहता हैं।

और ध्यान रहे लंड चूसने का सबसे अच्छा तरीका है कि लंड के टोपे को चूसो, जीभ से सहलाओ और बहुत हल्के हल्के गोलियों से छेड़छाड़ जारी रहे!
उसी तरह लड़कों को लड़कियों की चूत के अंदर जीभ नहीं घुसेड़नी चाहिए, आपकी जीभ लड़की के चूत के मुंह के ऊपर के दाने के पास जिसे क्लिटोरिस बोलते हैं, वहाँ होनी चाहिए और एक उंगली से चूत के होंठों से छेड़छाड़…
फिर देखना… दोनों एक दूसरे के लिए पागल हो जाएंगे।

सिर्फ लंड चूत के अंदर डाल देना मतलब सेक्स का मजा सिर्फ 10 मिनट का!
बाकी पोर्न मूवी देखकर ज्यादा अलग अलग बातें मन में धारण नहीं कर लेनी चाहिए कि चूत सफेद होगी, लंड गोरा और 8 इंच का होगा वगैरह वगैरह।
ऐसा नहीं होता हैं।

मैं आज कोई कांड नहीं लिखूंगा, आज बस आपको और अपने को रूबरू कराना था ताकि आगे हमारा रिश्ता एक लेखक और पाठक का बना रहे। मैं जो भी यहाँ लिखूंगा वो सच लिखूंगा सिर्फ लड़कियों के नाम छोड़कर!
बाकी जो काम की चीजें सीखी हैं, वो भी बताता रहूंगा, शायद किसी की मदद हो जाये, क्योंकि मुझे पता है कि छोटे शहरों में लड़कों को लड़की पटानी कितनी मुश्किल होती है।

मेरी शुरुआत हुई थी प्यार से, लव लेटर भी लिखा, कर्ज लेकर लड़की को गिफ्ट भी दिया, वो पहला प्यार था जिसमें बात बूब्स दबाने से आगे नहीं बढ़ी।

उसके बाद मैंने 2 बार रिश्तेदारी में चुदाई की, 4 आफिस की लड़कियों को चोदा जिनमें से एक शादीशुदा है और हम अभी भी कभी कभी सेक्स कर लेते हैं।
अपने मोहल्ले की दो लड़कियाँ चोदी!
इटावा में एक साल होस्टल में एक टीचर की जॉब की तो वहाँ दो ईसाई बहनों को पेला।
अपनी सोसाइटी में रहने वाली एक आंटी को पेला, 2 स्कूल फ्रेंड्स को पेला और ताज्जुब की बात हैं कि जिससे प्यार हुआ था उसे कभी किस भी नहीं किया।

कुल मिला कर मेरी रचनाओं की ये सीरीज काफी मजेदार होने वाली है। इसमें लगभग हर तरीके से मिली लड़कियों के बारे में बताऊंगा और यह सच है कि मौका और चूत कहीं भी मिल सकते हैं बस जरूरत है तो थोड़ी हिम्मत, थोड़े संयम और आंखों को खुला रखने की!

लड़कियों के लिए ऐसा नहीं कहूंगा क्योंकि लड़कियाँ जानती हैं कि उन्हें लंडों की कोई कमी नहीं, औरत चाहे तो किसी का भी लंड अपने कदमों में झुका दे।
मुझे नहीं लगता कि दुनिया में कोई भी चूत की महिमा से दूर रहा हो या रह सकता है जब तक वो गे ना हो।

मैं आपको अपने सभी कांड एक एक करके विस्तार से बताऊंगा, जो जैसे हुआ बिल्कुल वैसे ही। उम्मीद है आप सबको उसमें पूरा मजा मिलेगा और सच्चे कांड को तारीफ!
बाकी अपने अनुभव और जो कुछ सीखा है, वो भी बताऊंगा जिससे शायद किसी की मदद हो जाये क्योंकि मुझे पता हैं कि छोटे छोटे शहरों में लड़की पटाने में आज भी पसीने आ जाते हैं।

बाकी एक प्राथना है कि हर वो लड़की जो आपसे अच्छे से बात करती है, उसका यह मतलब नहीं कि वो आपसे चुदने का सोच रही है।
अच्छे दोस्त और चुदने की इच्छा रखने वाले दोस्त में बहुत पतली से रेखा होती हैं जो कभी पार नहीं करनी चाहिए।

अभी मैं एक काण्ड बताता हूँ.

मैंने आपको पहले बताया कि कैसे मैंने एक मोहल्ले की लड़की से प्यार किया और उसके बाद दिल्ली आकर कई लड़कियों को अपने लंड का स्वाद चखाया और उनकी चूत से अपना मुँह मीठा किया, मैं ये नहीं कह रहा कि लड़कियाँ सिर्फ भोग की चीज हैं और उन्हें सिर्फ इसी नजर से देखना चाहिए। लड़कियों की भी इच्छाएं होती हैं, भावनाएं होती हैं और वे बहुत भावुक भी होती हैं।
तो कभी किसी का बुरा ना करना और दिल ना तोड़ना।

अब कहानी पर आता हूँ।
बात है जब मैंने कॉलेज के पहले साल में एडमिशन लिया, कॉलेज के पहले साल में जितना कॉलेज जाने को लेकर मन में उत्साह होता है उतनी ही गांड भी फटती है क्योंकि कॉलेज में पता ही नहीं चलता कि बहनचोद कौन सा लड़का किस छात्र नेता की चाट रहा हो और उससे कुछ भी कहासुनी होने का मतलब कॉलेज से निकलते गांड टूटने का खतरा!

तो मैं वैसे भी सूखा सा लौंडा था तो अपनी औकात के हिसाब से चुपचाप ही रहता था, ज्यादा चूँ चा नहीं करता था।
मगर कहते हैं ना कि जब किस्मत में लिखे हो लौड़े तो नहीं मिलते पकौड़े।
अपने साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ… ना चाहते हुए भी सेकंड ईयर के कुछ लौंडे से पार्किंग के चक्कर में मारपीट हो गई।

पिलाई होने ही वाली थी कि बीच में एक लौंडे ने आकर बचा लिया, लौंडे को देखा तो शक्ल जानी पहचानी लगी। थोड़ा दिमाग पर जोर डाला तो याद आया कि थोड़ी दूर एक दूसरे मोहल्ले का है जहाँ की टीम से हम अक्सर मैच खेलते थे।
नाम था रवि, उसने भी फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था मगर एक साल फेल होने की वजह से मुझसे सीनियर था और उत्तर प्रदेश में इतिहास गवाह है कि कॉलेज में फेल हुए लौंडों को जो सम्मान मिलता है वो साला मेरिट में आने वाले लड़को को नहीं।

खैर बातों बातों में बातें बढ़ती गई, हम अच्छे दोस्त बन गए।
क्रिकेट खेलते खेलते अब घर में आना जाना भी शुरू हो गया क्योंकि हम एक ही जात बिरादरी से थे और अगर जात ठाकुर ठाकुर हो तो घरों में दोस्ती कुछ जल्दी हो जाती है।
अब घर वाले भी एक दूसरे के यहाँ आने जाने लगे तो रिश्तेदारी भी बन गई, आंटी अब मौसी और अंकल अब मौसा हो गए।

मैं पढ़ने में ठीक था तो उसके घर वालों को पसंद आता था, क्रिकेट में स्टार था तो रवि को भी पसंद था। सिर्फ एक व्यक्ति ऐसा था जिसे अभी तक कोई दिलचस्पी नहीं थी और वो थी उसकी बहन पारुल!
पारुल के बारे में तो क्या बताऊँ, वो बिल्कुल वैसे ही थी जिस अक्सर लोग अन्तर्वासना में बताते हैं। साइज का उस समय पता नहीं था मगर एकदम गोल, बिल्कुल ठीक बीच में निप्पल, ना ज्यादा बड़े ना छोटे आकार के बूब्स, दूध की कटोरी में एक चम्मच सिंदूर मिलने पर जो रंग बनता है वैसे उसका रंग, खड़े रहने पर भी पेट में एक भी सिलवट नहीं, एकदम चिकनी रोड जैसा पेट और उस जमाने में भी किसी पोर्नस्टार जैसे गांड!

आज भी समझ में नहीं आता कि उस टाइम पर बिना योगा बिना कसरत के कोई ऐसे बदन का मालिक कैसे हो सकता है।
कुल मिलाकर मेरे से बिल्कुल उल्टी, क्योंकि उस समय ना मैं कसरती बदन का मालिक था ना स्टाइलिश।
खैर उस समय मुझे कोई फर्क भी नहीं पड़ता था कि उसे पसंद हूँ या नहीं।

जिंदगी की कहानी में मोड़ तब आया जब एक दिन उसके भाई ने ये बोला- साले, तुझसे तो कोई कुतिया भी ना पटे, लड़की तो सपने में भी ना सोच!
रवि की एक खास आदत थी, अच्छी या बुरी वो नहीं पता, वो ना मोहल्ले की हर एक लड़की पर लाइन मारता था, उसका फायदा ये था कि 10 में से 7 लड़कियाँ तो पट ही जाती थी।

ऐसे मैंने एक दिन उससे कहा कि मोहल्ले की एक लड़की से मेरी बात करा दे तो उल्टा उस बहन के लौड़े ने बेइज्जती मार दी।
उसके ऐसे बोलने के बाद सोच लिया कि बेटे आपके लंड का उदघाटन तो तेरी बहन की चूत से करूँगा फिर भले गांड टूट जाये।

मैं अपने बारे में एक खास बात बता दूं कि मेरे साथ और आसपास जो भी रहता है वो जब तक मैं साथ रह हँसता रहेगा, यह मेरी खासियत है। बस इसी खासियत को हथियार बनाया मैंने और अब पारुल से बात चीत बढ़ानी शुरू कर दी।
पारुल का स्कूल और मेरे कॉलेज का एक ही टाइम होता था और रवि बहुत कम ही कॉलेज जाता था तो अब हम अक्सर सुबह स्कूल जाते वक्त मिल जाते थे.

पारुल ने बताया कि एक लड़का उसे परेशान करता है और स्कूल से आते वक्त छेड़ता भी है।
मुझे लगा कि बेटा यही समय है लड़की को इम्प्रेस करने का… क्योंकि मैं भी हिंदी मूवी देखकर ही पला बढ़ा था।
मैंने कहा- ठीक है, मैं देखता हूँ!

मैंने पता किया तो पता चला कि मोहल्ले के एक लड़का था और वो था भी थोड़ा गुंडा टाइप का, पहले तो हवा टाइट हो गई मेरी… फिर सोचा चूत चाहिए बेटा मनीष और वो भी इतनी प्यारी तो मेहनत तो ज्यादा लगेगी।
एक दिन गया और उसको हड़काया या यूं कह लो की मिन्नतें की मैंने कि भाई आज के बाद उसे परेशान मत करना।

हुआ वही जिसका डर था, 6.2 फीट के लौंडे ने 5.8 फ़ीट के लौंडे की यानि मेरी गांड तोड़ दी। लेकिन इन सबका फायदा यह हुआ कि लड़की ने थोड़ा भाव देना शुरू कर दिया, शाम को आजकल रोज़ में चाय पीने पहुंच जाता था और वो भी प्यार से बना कर पिला देती थी।

इसी बीच उसके घर वालों ने मोबाइल फ़ोन ले लिया और जैसे तैसे जुगाड़ करके मैंने भी एक पुराना फ़ोन ले लिया।
अब कभी कभी देर रात तक मैसेज पर बातें भी हो जाती थी। थैंक्स तो आईडिया का जिन्होंने उस जमाने में मैसेज पैक बिल्कुल फ्री जैसा किया हुआ था।

जब बात चीत काफी ज्यादा होने लगी, हल्के फुल्के नॉन वेज मैसेज एक्सचेंज होने लगे तो मुझे लगा अब सही समय है, लोहा गर्म है मार दो हथौड़ा!
बस फिर एक दिन लव लेटर लिखा।
जिंदगी के पहले लव लेटर की अहमियत क्या होती है ये शायद आज के लोग नहीं समझ पाएंगे, मगर यकीन मानो दोस्तो, पहले लव लेटर की बात, अहसास अलग ही होता है.
मुझे आज भी लगभग पूरा लेटर याद है।

खैर जैसे तैसे डरते डरते मैंने दूसरे दिन उसे लेटर दे दिया, साथ में हिदायत भी दी कि अगर कुछ बुरा लगे तो सीधे मुझे बताना, घर पर बिल्कुल नहीं!
दोस्ती की कसम भी दी क्योंकि लेटर देते वक्त इतना डर था कि उसकी चूत से ज्यादा अपनी गांड की चिंता हो रही थी।

दो दिन तक साला कोई जवाब ही नहीं, ना फ़ोन ना मैसेज और मेरे घर के दरवाजे पर कोई भी नॉक करता था तो मुझे लगता था कि उसने अपने घर वालों को बता दिया और अब मेरी गांड टूटी।
दो दिन जैसे डर के मैं जिया हूँ वो सिर्फ वही समझेंगे जिन्होंने किसी को लेटर दिया हो।

इसके बाद की कहानी अगले भाग में!
दोस्तो, मैं सिर्फ यहाँ चुदाई की कहानी नहीं लिखने आया, अपने अनुभव बाँटने आया हूँ, जो चीजें समझी सीखी, वो बांटने आया हूँ, चुदाई का भी बताऊंगा मगर सिलसिलेवार तरीके से।
वैसे भी पारुल मेरा पहला प्यार था और उससे कई सारी रोमांटिक यादें जुड़ी हैं.

मेरी बातें आपको भी पसंद आएगी क्योंकि पहला प्यार सबको होता है और सबको याद रहता है।

मैं सीधे चुदाई की बात नहीं लिखने आया तो थोड़ा सब्र रखें और अपने सुझाव जरूर साझा करें।
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कहानी का अगला भाग: सेक्स स्टोरी नहीं, मेरे किये काण्ड-2