माया की चूत ने लगाया चोदने का चस्का-5

पुरुष के अपेक्षा स्त्रियों में दस गुना अधिक कामवासना होती है। वो तो केवल अपने उस पसंदीदा को देखती भर है.. या उससे नजदीक जाकर बात भी करती.. तो उसकी चूत पनियाने लगती है। तो दोस्त जिस औरत को चोदना है.. उसके अन्दर तुम्हारे लिए एक आग लगाने वाली चाह पैदा करो। उसकी वासना को बहुत भड़काओ और फिर जब फल पक जाएगा तो वो अपने आप तुम्हारी झोली में गिर जाएगा।

माया की 30 साल की कुंवारी जवानी आज मेरी गोद में मचल कर बेहोश सी पड़ी थी।
मैं- क्यों क्या हुआ माया..!
माया- अरे..! मेरे अनाड़ी लल्ले.. मैं झड़ गई.. मेरा पानी छूट गया।
वो मेरी गोद से उठी।

मैं- मतलब.. क्या हुआ? तुम इतना मचल क्यों गईं?
हालांकि मुझे इस बात का इल्म ही नहीं था।
माया- ठहर.. तुझे अभी बताती हूँ.. क्या होता है।

उसने मेरी टी-शर्ट एक झटके के साथ ऊँची करके निकाल दी। साथ ही मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे बरमूडा को एक झटके के साथ खींच कर मेरी जाँघों से खींचते हुए पूरी तरह से निकाल दिया।

अब मैं केवल निक्कर में ही था। मेरी धड़कनें तेज हो गई थीं। मेरा लौड़ा निक्कर में बम्बू सा तना हुआ था। मेरी सांसें तेज चल रही थीं। मेरा शरीर थिरक रहा था। मेरे अन्दर गज़ब की आग लग चुकी थी।

मैं- माया कुछ होगा तो नहीं ना.. मुझे डर है अगर कुछ हुआ तो?
वो हँसी- ओह्ह्ह मुन्ना.. भगवान का मुझ पर जो अभिशाप है.. वो आज आशीर्वाद बनेगा। तुझे पता है मैं माँ तो बन ही नहीं सकती.. तो मैं प्रेग्नेंट होऊँगी ही नहीं और कुछ होने का डर ही नहीं है। हां तुझे जरूर होगा.. तू आज मेरा चोदू पति बन जाएगा।

मेरे निक्कर में ही वो मेरे खड़े लंड को बड़े प्यार से सहलाने लगी। अब तड़पने की बारी मेरी थी।
वो अपनी एक हथेली लंड को रगड़ते हुए सहला रही थी और उसकी दूसरी हथेली मेरी बड़ी जाँघों को सहला रही थी।

मेरे लंड के सुपारे पर करंट सा लग रहा था और वो झटके मार रहा था। मेरे लंड में एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी। उसमें एक मीठी सिरहन सी पैदा होने लगी.. जो मुझे मीठा दर्द भी दे रही थी।

मेरी आंखें बन्द होने लगी थीं। मेरे लंड में एक अजीब सी फीलिंग्स पैदा होने लगी थी.. जिसका शब्दों में वर्णन असंभव है।
मैं सिकारने लगा- सी.. सीई.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह्ह.. ओह्ह्ह.. माया मुझे कुछ हो रहा है.. प्लीज मुझसे.. र..हा नहीं.. जाआता.. मा..या..

उसने एक झटके के साथ मेरा निक्कर भी खींच लिया और मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया। मैंने भी अपने पैर उठा कर उसे सहयोग दिया।

उसने मेरा तना हुआ लाल सुपारे से सजा हुआ मेरा सख्त लंड देखा, तो वो हैरान होते हुए मेरे कड़े लंड को ताकती रही।

निक्कर में से निकला हुआ अकड़ा और फनफनाता हुआ मेरा लंड के बाहर आते ही उसकी आंखें चौड़ी हो गईं। उसका मुँह खुला का खुला रह गया।
मेरा तपता लोहे जैसा लंड खीरे सा मोटा और लम्बा ऊपर की और तन कर उठा हुआ था, लंड के ऊपर का सुपारा फूल कर लाल चटख दिख रहा था। उसने लंड पर अपने मुलायम होंठ रखकर किस किया ‘पुच्च्च..’

माया- ओहह.. माँ इतना बड़ा.. तेरी निक्कर में समाता कैसे है? ओह गॉड मैं इससे कैसे झेल पाऊँगी माँ..!
उसने लपक कर मेरा लौड़ा अपनी मुठ्ठी में भरकर उसकी चमड़ी सुपारे से नीचे को खींची.. तो मुझे दर्द हुआ और मैं जोर से चिल्ला पड़ा।
मैं- अरे माया दर्द होता है.. जरा धीरे..!

अभी मेरे लंड के सुपारे से चमड़ी पूरी नीचे नहीं उतरती थी। क्योंकि मेरे लंड की अभी सील नहीं खुली थी।
माया- अरे, ये बहुत गर्म है।

उसने मुझे फिर धक्का दे कर बिस्तर पर लेटा दिया और झुककर मेरे लंड को अपने नरम होंठों से बेतहाशा चूमने लगी। वो अपनी हथेलियों से मेरे गोटियां सहलाने लगी।

मैं मस्ती से पागल हो गया। उसने आहिस्ता से मेरा आधा लंड अपनी जुबान से गीला करते हुए अपने मुँह में लप से ले लिया ‘पुच्च्च..’
मैं सिसयाने लगा- ओह्ह्हह माँ.. यह क्या कर रह..ही हो.. आह्ह.. उफफ्फ.. सी सीसई.. सीस.. उह उह.. माया तुम बहुत अच्छा कर रही हो।

उधर माया अपने मुँह में मेरा लौड़ा ‘लपक.. लप..प चप..प..’ करते हुए चूस रही थी। वो पागलों की अपने मुँह में मेरा लंड खींच रही थी और पूरे कमरे में ‘चाप.. चप.. चप.. चाप..’ की आवाज़ आ रही थी।

दोस्तो, आज मुझे मालूम हुआ कि स्त्रियां एक मर्द को कितना आनन्द दे सकती हैं। चाहे वो उम्र में कितनी ही बड़ी या छोटी क्यों न हो। बस उसे सेक्स के दांवपेंच आते हों।

मैं स्वर्ग से आनन्द की अनुभूति करते हुए बिस्तर पर अपने पैर फैलाए.. अपने लंड चुसवाने का आनन्द ले रहा था।

माया की हथेलियां मेरी जांघ और गोटियां सहला रही थीं। उसने अब मेरा पूरा लौड़ा अपने मुँह में भरके उसे अपने थूक से गीला कर दिया था। कभी वो लंड को चूसती.. तो कभी अपनी मुठ्ठी में भरकर उसे मुठयाती।

मैं करीब-करीब चीख सा रहा था- हाँ माया ऐसे ही करो.. ऊऊफ अआह.. सी सी सीस उम्म्म.. ओह्ह्ह्ह.. मा..या.. उफ्फ्फ्फ.. अह्ह्ह।
उधर माया के मुँह में मेरा लंड ‘पुच.. पुच..’ की आवाज़ करता हुआ अन्दर-बाहर हो रहा था।

उसने मेरी हथेलियां अपनी चूचियों पर रखते हुए उन्हें मसलने का इशारा किया। मैं भी उसकी गुलाबी कठोर चूचियां अपनी उंगलियों से मसलने लगा.. साथ में जोर से दबाने भी लगा।

वो भी अब गर्म होकर निहाल हो रही थी, उसका तपता हुआ लाल शरीर कांप रहा था, वो भी ‘उम्म्म.. सी.. उफ्फ्फ..’ कर रही थी।
उसने मेरा लंड बाहर निकाल कर कहा- मेरी छाती फाड़ दे लल्ला.. इसमें लगी 30 साल की आग आज बुझा दे.. इन्हें पी जा..

उसने जोर से मुझे चांटा मारा और मेरा चेहरा अपनी छाती की ओर खींच कर अपने मम्मों पर चिपका दिया। उसने अपना एक स्तन मेरे मुँह में डाल कर उससे जोर से चूसने को कहा ‘पी जा इसे.. इसने मुझे बहुत तड़पाया है.. फाड़ दे इसे..’
मैं ‘चप.. चप..’ करते हुए उसके निप्पल को अपने होंठों से कस कर चूसने लगा।

वो करीब-करीब चिल्ला सी रही थी ‘और जोर से.. खा जा मुझे.. आआई.. ओह्ह्ह्हो.. सी सीस उफ्फ्फ हां.. ऐसे ही मेरे लल्ला.. हां चूस और चूस.. आउच ऊउम.. हां बस ऐसे और जोर से खींच ले.. मेरी पूरी छाती अपने मुँह में मेरे लाअल्लाआ अह्ह्ह्हह..’

मैं दूसरे हाथ से उसके बाएं दूध को जोर से मसलने लगा.. तो वो मछली की तरह तड़प कर अपनी कमर ऊँची कर-कर के मचल रही थी और पागलों की तरह चीख रही थी- आह्ह.. भर ले.. अपने मुँह में भर ले.. मेरे राज्जज्जा.. अब मुझ से रहा नहीं जाता था..

मेरे लंड से चिकनी लार बहती देखी.. तो वो अपना मुँह मेरे लौड़े पर लाकर 69 की पोजीशन में हो गई। वो फिर से मेरा लंड अपनी जुबान से चाटते हुए अपने मुँह में घुसेड़ कर चूसने लगी।

अब उसके मुँह से ‘गूं.. गु.. हूँ..’ की आवाज ही निकल पा रही थी।

अचानक उसने मेरे लंड को दांतों से काटा।
मैं चिल्लाया- ओह्ह्ह्ह..

मैंने उससे कस के चांटा मारा। वो जोर से हँसी और जवाब में मेरे गाल को चबा कर काट लिया। वो मेरा मुँह फिर से अपनी निप्पलों पर दबा कर चुसवाने लगी।

माया- विकी.. मेरा होने वाला है.. आह्ह.. जरा जोर-जोर से चूसो आआह.. और जोर से..
उसकी छाती लाल हो गई थी। वो अभी भी पागलों की तरह चिल्ला रही थी- आह्ह.. खा जा मेरे लाला.. खा उम्म्म्म सीस.. इसी तरह.. मैं गई..गई उईईए माआआ.. मैं गई… मुझे अपनी बांहों में ले लो.. आह्ह..

वो जोर से मुझे अपने कठोर चूचियों पर कसते हुए फिर से झड़ गई।

मेरा लंड भी छूटने वाला था। मैंने उसके बाल पकड़ कर उसके चेहरे को अपने लंड की ओर खींच लिया। अपने लौड़े को जोर से उसके मुँह में घुसेड़ कर आगे-पीछे करने लगा। मेरा पूरा शरीर आग से तप रहा था।

वो अपने दोनों होंठों से मेरे लंड को कसते हुए चूस रही थी। वो मेरे लंड को बड़े जोरों से जंगली अंदाज में चूस रही थी। तभी मैं भी चला गया ‘आहह्ह.. उम्म्म.. माआया..’
मेरे लंड से एक जोर की पिचकारी छूटी और उसका पूरा मुँह मेरे वीर्य से भर गया। वो जोर से खांसी तो मेरा वीर्य उसके मुँह से छलक कर बाहर टपकने लगा।

वो बड़ी नशीली आँखों से मुझे बेशरम निगाहों से देखते हुए मुस्कुरा रही थी। वो अपनी जुबान से कभी मेरा वीर्य चाट रही थी.. तो कभी उसे सूँघ रही थी।

अचानक उसने मेरे गीले लंड को फिर से मुँह में लपक लिया। मैं तो ढेर हो कर बिस्तर पर पड़ा था।

यह मेरी जिन्दगी का पहला डिस्चार्ज था.. जब मैंने किसी के साथ सेक्स करते हुए अनुभूत किया हो।

बाप रे.. सेक्स में कितना आनन्द होता है। यह माया ने मुझे एहसास कराया। मेरी तो आंखें बन्द थीं.. पर वो मुझे कहाँ छोड़ने वाली थी।

आगे की कहानी बहुत ही जोरदार और दिल और अच्छे-अच्छों के लंड और चूत को दहलाने देने वाली है और जल्द आ रही है। मुझे आप सभी के ईमेल की प्रतीक्षा रहेगी।

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यह सेक्स स्टोरी जारी रहेगी।