माया की चूत ने लगाया चोदने का चस्का-7

फिर वो माया का मुरझाया चेहरा देख शांत हो कर बोली- यार मैं तेरे दिल का हाल जानती हूँ और मुझे यह भी पता है कि तुझे छोटे मर्द पसंद हैं।

वो ‘फु.. फु..’ करती हुई हँस पड़ी- सॉरी मेरी जान.. मैं तेरी फिरकी ले रही थी.. पर क्या तीर मारा है। मस्त चिकन अकेले ही खा रही हो और हमें दावत भी नहीं.. साली चुदक्कड़.. मैं तो तुम दोनों से मजाक कर रही थी। सालों तुम्हारे सहमे हुए चेहरे तो देखो.. सालों तुम दोनों की कैसी फट रही है। प्यार भी डर कर करते हो.. मेरे छोटे से जीजू..!

मेरी जान में जान आई, माया ने कस के उसके बाल खींचे और दबी आवाज में कहा- साली हरामखोर.. तूने हमको डरा ही दिया?
माया ने उसे खींच कर बिस्तर पर धक्का दे दिया और उस पर चढ़ गई, अब माया उसके गालों को नोंचने लगी, वो चिल्लाई- सरोज की बच्ची.. आज तू गई!
सरोज- आहह्ह्ह माया.. दु:खता है। छोड़ मुझे.. साली तुझे कुछ करना भी नहीं आता। अच्छा है मुझे सुनाई दिया, वरना आज तो तू किसी के हाथ पकड़ी जाती। साली चुड़ैल.. मैं तुझे बचाने आई और तू मुझे ही मारती है? रुक मैं अभी चिल्लाती हूँ।

माया ने उसके मुँह हाथ रख कर उसके गालों को चूमते हुए कहा- सरोज मेरा प्यार.. मेरी यार मेरी अच्छी दोस्त है न। अपना मुँह मेरे लिए बन्द नहीं रखेगी मेरी रानी..!
सरोज- एक शर्त पर मैं चुप रहूँगी। यार बहुत दिनों से मेरी चूत में भी बड़ी खुजली हो रही है। यार जब से डाइवोर्स हुआ है, कोई लंड चोदने को नहीं मिल रहा और मेरी भी तेरे जैसी हालत है। तेरे माल में से थोड़ा मक्खन मुझे भी खिला दे यार.. दोनों मिल-बांट कर मक्खन खाएंगे।
उसने मेरे सहमे हुए चेहरे की तरफ देखते हुए मुझे आंख मारी।

‘क्यों जीजू दो खाओगे? या एक से ही पेट भर गया?’
माया- नहीं सरोज.. ये अभी छोटा है यार.. इससे कुछ नहीं पाता। मैं उससे प्यार करती हूँ, प्लीज यार.. हमें आज की रात कुछ लम्हे साथ बिताने दे मेरी माँ.. देख मेरी शादी 6 महीने में एक बूढ़े से हो जाएगी। ये जब से आया है तब से नाम बताए बिना मैंने तुझसे कहा था न.. कि शायद मुझे मेरा प्यार मिल गया है। ये वो ही विकी है.. जो छत वाले कमरे में रहता है। ये पढ़ता है और अभी 19 साल का ही है। वो इतना ज्यादा सेक्स नहीं कर सकता.. उससे कुछ नहीं आता। प्लीज मेरी माँ.. अब तू जा। आज बड़ी मुश्किल से मौका मिला है, हमें प्यार करने दे.. मेरी माँ जा। वो दो के साथ सेक्स कैसे करेगा.. उसे कुछ हो जाएगा.. हमें बख्श दे मेरी माँ..!

मेरा हाथ पकड़ अपनी ओर खींच कर मुझे अपनी बांहों में भींचकर सरोज बोल उठी- ना.. मेरे प्यारे चिकने जीजू पर मेरा भी आधा हक़ बनता है मेरी जान, इसे तो मैं भी आधा खाऊँगी। क्यों लिटिल जीजू..?? मैं तेरी साली हूँ, मेरे छोटे जीजू..
वो मुझे चूमने लगी।

मुझे तो समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, पकड़ा जो गया था।

तभी माया अचानक मुझे उससे छुड़ाते हुए उस पर झपट पड़ी- सरू, अब तो हद कर रही हो यार.. मजाक छोड़ और जा!
सरोज- न न.. मेरी जान मैं एकदम सीरियस हूँ। आज तो तेरा माल आधा में भी खाऊँगी, वर्ना तू भी भूखी रहेगी। बोल मेरी जान क्या करना है? क्यों लल्ला क्या ख्याल है..? वर्ना यह साली महंगी पड़ेगी मेरे प्यारे लिटिल जीजू!

माया- सरू, तुझसे मैं हाथ जोड़ती हूँ.. तू इधर से जा मेरी माँ, उस बेचारे को क्यों परेशान करती है? आज जा.. तू कल से जो तू कहेगी वही होगा और अब खिड़की से कोई आवाज़ नहीं आएगी।
सरोज- यार.. कुछ करने नहीं देती तो न सही.. पर देखने तो दे.. मैं अपने नाईट ड्रेस पहन अभी आई। तेरी कसम किसी को नहीं कहूँगी। मुझे तेरे कमरे सोने दे, मैं तुम दोनों के केवल देखूंगी बस.. और अगर रात के वक्त कोई आ भी जाएगा। अगर मैं तेरे साथ होऊँगी तो कोई शक भी नहीं करेगा, इसे आहिस्ता से सीढ़ियाँ चढ़ा देंगे।

अब माया सोचने लगी और धीरे से बड़बड़ाई- साली चुदक्कड़.. मुझे एक रात भी अकेले अपने प्यार के साथ सोने नहीं देगी.. पूरी मादरचोद है साली!
यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

माया ने प्रश्नसूचक निगाहों से मेरी तरफ देखा।
मैं- यार, कोई मुझसे भी तो पूछो? मैं कोई बाँट कर खाने वाली चीज़ हूँ, जो आपस में मेरा बंटवारा कर रही हो?
‘हम्म..’

मैंने माया को चुपके से आंख मारी- माया, यह यहाँ तेरे साथ सोती है.. तो सोने दे ना। अच्छा है किसी को हम पर शक नहीं होगा।
माया बोल उठी- ठीक है तू जल्दी कपड़े बदल कर आ जा। देर न करना मुझे दरवाजा बन्द करना है।
सरोज- यार बीस मिनट तो लगेंगे.. मुझे नहाना भी है। तुम लोग तब तक खाना खा लो.. और नहा भी लो, अच्छा रहेगा।
उसने माया को आंख मारी।

फिर सरोज मेरी तरफ देख कर बोली- क्यों ठीक होगा न जानू?
हम सभी सहमत हुए और वो दौड़ती हुई गई और माया ने फिर से दरवाजा बन्द कर दिया।

माया चैन की साँस लेते हुए- साली बहुत ही बड़ी चुदक्कड़ है विकी.. तुझे पता नहीं है। एक बार रात को मैं उसके साथ सोई थी। साली ने मुझे काट-काट कर सुजा दिया था। उसे मर्द न मिले तो वो लड़कियों से भी काम चला लेती है। साली ने अपने भतीजे, देवर, बहनोई और सीमा को भी नहीं छोड़ा, उसने सीमा को लेस्बियन बना दिया है।
‘सीमा को भी?’
माया- एक आईडिया है, यह तुझे सीमा तक आसानी से पहुँचा देगी। यार तू इससे दोस्ती कर ले.. पर मुझे चिंता है वो आज रात तेरी हालत ख़राब कर देगी। वो कुतिया की तरह काट खाती है। जा तू पहले नहा ले.. फिर हम खाना खाते हैं। मैंने तेरे लिए अंडे की अच्छी अच्छी चीजें बनाई हैं।

मैं ऊपर नहाने चला गया, कुछ मिनट में मैं नहा कर नीचे आ गया, हम दोनों ने मजे से खाना खाया और दूध पिया।
माया- आई लव यू विकी.. मैं जिंदगी भर तेरा एहसान नहीं भूलूंगी, मैं तेरी दासी बनकर रहूँगी मेरे राजा!

उसने मुझे अपनी बांहों में लेकर अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दिए और चूसने लगी, अब तो मुझे भी लिप किस करना आ गया था, मैंने भी अपने जुबान उसके मुँह में घुसेड़ दी, उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैं उसकी जुबान से अपनी जुबान टकराने लगा।

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई.. माया नाराज हो उठी- आ गई साली चुदक्कड़.. रंडी..
उसने भुनभुनाते हुए गेट खोला और सरोज अन्दर आ गई।

सरोज ने ब्लैक गाउन पहना था, सरोज भी मस्त माल लग रही थी।
अब मैं आपको सरोज के बारे में बता दूँ।

सरोज एक मुक्त ख्याल वाली मनचली चंचल लड़की है। उसने अपनी किशोरावस्था में ही पहला सेक्स अपने से 8 साल बड़े एक लड़के से किया था। उसके अलावा उसने अपने पड़ोस की किसी कुंवारी लड़की, शादी-शुदा भाभी, आंटी या सहेली तक को भी नहीं छोड़ा था।

आज वो 31 साल की सेक्सी साढ़े पांच फुट कद की मस्त माल थी। उसके लम्बे घने बाल थे और 36-26-38 का कामुक और मस्त फिगर था। गहरी झील से नशीली आंखें, मस्त गुलाबी गाल.. लाल चटख होंठ थे। वो भी क़यामत से कम नहीं थी।

उसके ऐसे चाल-चलन से उसका पति नाराज था.. और इसी वजह से उसका तलाक हो गया था। वो माया को पाने की कब से फिराक में थी। एक रात उसने माया को अपने घर बुलाकर बहुत समझाया.. पर वो उसके साथ प्यार से नहीं मानी।

उस रात उसने माया पर पूरी रात जबरदस्ती की, उससे नोंचा, काटा पर माया नहीं मानी। क्योंकि माया की पसंद अपने से छोटे मर्द थे.. जो मैं उसे मिल चुका था। मैं उसके लिए एक बहुत सेफ सैटिंग था क्योंकि मैं उसके घर के अन्दर ही था।

जब सरोज ने माया नहीं मानी.. तो सीमा को फंसाकर उसे लेस्बियन बना कर रख दिया। आखिर लंड के अभाव में माया भी सरोज के साथ पट गई। अब सरोज सीमा को रात-रात भर चोदती है, सीमा और उसकी बहुत पटने लगी है। उन दोनों में इतना अधिक बनने लगी है कि आज उनका ये रूप देख कर मेरी समझ में सब कुछ आ गया था।

जब मैं वहाँ नहीं रहता था तो सीमा वहीं माया के कमरे में सोती थी और सरोज अपनी छत से वहाँ आ जाती थी। फिर रात-रात भर दोनों एक दूसरी की चूत को चाट चाट कर अपनी वासना पूर्ति करती थीं।

सरोज ने आते ही मुझे कस के अपनी बांहों में जकड़ लिया और मुझे चूमा ‘हाई जीजू..’
उसने मेरे लोअर में हाथ डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया- वाव.. क्या मस्त मूसल है। माया की चूत को इतना ठोक कि साली लाइन पर आ जाए.. वैसे वो मेरा माल है जीजू। आज हरामजादी की चूत को इतना चोदो.. कि उसकी चूत का भोसड़ा बन जाए और वो एक नंबर की चुदक्कड़ बन जाए। उसे इतना चीर दे कि साली दूसरी बार लंड लेना भूल जाए।

सरोज अभी मेरे लंड को मुठियाने लगी ही थी कि माया ने आकर कहा- तूने सिर्फ देखने का वादा किया था। इसे छोड़ साली छिनाल।
सरोज- आधी उसकी हूँ पर तेरी तो पूरी हूँ। चूत चाटने का काम आए तो मुझे दे देना और साथ ही अन्दर की थोड़ी खुजली मिटा लूँ तो भी चलेगा.. क्यों जानू..?

हम सब जोर से हंस पड़े और मेन गेट पर ताला लगा के हम माया के कमरे में आ गए।

अब अगले भाग में इन दोनों के बीच में मेरी क्या गति होने वाली है.. आप अंदाज लगा सकते हैं, मैं पूरे वाकिये को विस्तार से लिखूँगा, आप मुझे अपने विचार जरूर भेजिए।
[email protected]
दो चूत एक लंड की कहानी जारी है।