बीमारी ने दिलायी प्यासी भाभी की चूत-6

पहले पैग के खत्म होने तक तो हम आराम से बैठे थे. जब दूसरा पैग शुरू हुआ, तो थोड़ा सुरूर भी होने लगा. मैंने अपना पैर सीधा करके उसकी साड़ी में डाल दिया और पैर के अंगूठे से उसकी चुत को छेड़ने लगा. वाणी भी मस्ती में आने लगी और अपना पैर सीधा करके मेरे लंड पर रख दिया और मेरे लंड को छेड़ने लगी.

एक बात है कि जितना मज़ा पूरे कपड़ों के साथ आता है, उतना मज़ा नंगे हो कर नहीं आता है.

मैंने दूसरे पैर से उसके चुचे दबाने शुरू कर दिये. चुचे से खेलते ही वो एकदम से गरम हो गयी और अपने हाथ से मेरे पैर को पकड़ कर अपने चुचे पर दबाने लगी. मैंने मौके की नज़ाकत को समझते हुए उसे अपनी ओर खींच कर अपनी टांगों के बीच में बैठा लिया. अब उसकी पीठ मेरे सीने से लगी थी और मैं दोनों हाथों से उसके चुचे दबाने लगा.
वाणी सिसकारते हुए कहने लगी- आह … और ज़ोर से दबाओ … आज इनको उखाड़ ही दो.

मैंने अपना एक हाथ उसके ब्लाउज़ में डाला और दूसरा साड़ी के अन्दर डाला और एक साथ चुचे की घुंडी और चुत का दाना मसल दिया. वाणी ज़ोर से ‘आह्हहह..’ करते हुए अपने हाथ पीछे करके मुझे अपनी ओर खींचने लगी. मैंने अपना मुँह नीचे किया और उसके होंठों से लगा दिया.

कुछ देर ऐसे ही मस्ती करने के बाद हम दोनों बहुत गर्म हो गए थे, तो मैंने उसे घुमाया और अपने से चिपका लिया.

मैंने इलास्टिक वाला निक्कर पहना था, वाणी ने निक्कर को पकड़ कर खींच कर उतार दिया. मैंने उसकी साड़ी ऊपर को खिसका दी और वाणी ने और आगे खिसक कर लंड को अपनी चुत में घुसा लिया. मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और बिना ब्लाउज़ उतारे उसकी ब्रा निकाल दी.

सच बताऊं दोस्तो … मुझे ऐसे कपड़े पहने हुए और ब्लाउज़ में बिना ब्रा की चुचियों से खेलते हुए सेक्स करने में बहुत मज़ा आता है. मैंने वाणी को थोड़ा पीछे झुकाते हुए एक हाथ उसकी पीठ के पीछे रख दिया, फिर दूसरे हाथ से ब्लाउज़ के ऊपर से ही उसकी चुची को दबाते हुए उसके एक निप्पल को चूसना शुरू कर दिया. मेरे ऐसा करते ही वाणी खुद नीचे से अपनी कमर उठाते हुए लंड पर धक्के मारने लगी और मैं उसकी चुची को चूसता रहा.

वानी अपनी गांड को लंड पर दबाते हुए बोली- आह.. हां ऐसे ही चूसो, खा जाओ.
मैं- हां मेरी जान, आज तो मैं तुम्हारे इन संतरों को खाकर ही दम लूँगा.
वाणी- ज़ोर से चूसो, काटो मेरे निप्पल को.

मैंने जोर से चुची दबाई और निप्पल को और खड़ा करके उसे दांतों से खींचने लगा.
वाणी- आह्हअहह … ऊऊउफ़्फ़ यार … बहुत मज़ा आ रहा है, दूसरी चुची को भी चूसो न.. दबाओ.. आह.. काटो.

मैंने दूसरी चुची को चूसना चालू किया और पहली को दबाता रहा और उसके कड़क हो चुके निप्पल को मसलता भी रहा.
वाणी- आह्ह.. आहहह्ह हाय.. कितना मजा आ रहा हाउ..
वो मस्त होती जा रही थी. लेकिन हम दोनों इस पोजीशन में ज्यादा देर तक चुदाई नहीं कर सकते थे, तो मैंने वाणी को ऊपर खींचा और अपनी गोद में बैठा लिया.

अब इस पोजीशन में वो मेरी गर्दन से लिपट गयी और धक्के मारने लगी. मैंने पीछे रखे सोफ़े का सहारा ले कर अपनी पीठ सोफे पर टिका दी. इस बार मेरे दोनों हाथ खाली थे. मैंने वाणी की दोनों चुचियां पकड़ीं और जोर से दबाने लगा. वाणी और जोर से मेरे लंड पर कूदने लगी.

मैंने उसके ब्लाउज़ के ऊपर के तीन हुक खोले और दोनों चुचियां ऊपर से बाहर निकाल लीं. अब उसके दोनों निप्पल एकदम पास पास थे. मैंने दोनों निप्पलों को एक साथ मुँह में ले लिया और चूसने लगा और काटने लगा.
मेरे इस हमले से वाणी ने जवाब दे दिया और वो मेरे मुँह को कस कर अपनी चुचियों पर दबाते हुए पूरी तेज़ी के साथ धक्के मारने लगी और जल्द ही झड़ गयी.

वाणी- उफ़ यार … आज तो मज़ा आ गया. ये तरीका तो मस्त है. अगर कोई आ जाए, तो बस खड़े हो जाओ और पल्ला ऊपर कर लो, किसी को पता ही नहीं चलेगा और चुदने के मज़ा भी ज्यादा आ जाएगा.
मैं- तुम्हें तो मज़ा आ गया, लेकिन मैं तो अभी बाकी हूँ.
वाणी- तो रोका किसने है, शुरू हो जाओ. ये वाणी की चुत है, कभी थकती नहीं है.
मैंने उससे कहा- चलो और मज़े करते हैं.

उसे उठा कर मैं खिड़की के पास ले गया. खिड़की खोल कर उसे उस पर झुका दिया और पीछे से उसकी साड़ी उठा कर अपना लंड उसकी चुत में घुसा दिया. खिड़की के बाहर लोग आ जा रहे थे, लेकिन हमारी पोजीशन ऐसी थी कि उन्हें केवल वाणी दिख रही थी और फिलहाल उसने अपना पल्ला भी सही कर लिया था.

इस वक्त मैं आराम से उसकी चुत चोद रहा था और वो बाहर का मज़ा ले रही थी. इतने में उसने मुझे पीछे हाथ करके रुकने के लिए बोला, मुझे समझ नहीं आया, पर मैं रुक गया. तभी किसी के बात करने की आवाज़ आने लगी, जिसने मुझे और गर्म कर दिया. मैंने धीरे से हाथ नीचे ले जा कर उसके ब्लाउज़ के सारे हुक खोल दिये और उसकी चुचियो को मसलते हुए उसके निप्पलों को खींचने लगा.

वाणी की आवाज़ लड़खड़ाने लगी, सामने वाले के पूछने पर वो बोली- बस आज थोड़ी तबियत ठीक नहीं है.

मैंने अब अपना लंड उसकी चुत में से निकाला और उसकी गांड में डाल दिया. वाणी एक बार को थोड़ी ऊंची हुई, लेकिन उसे जल्द अन्दाज़ा हो गया कि अगर और ऊंची हुई, तो उसकी चुची के दर्शन सामने वाले को हो जाएंगे. इसलिए वो वापस से झुक गयी.

अब मैंने उसकी दोनों चुचियां पकड़ीं और धक्के मारने लगा. मैं महसूस कर रहा था कि उसे बहुत मज़ा आ रहा है, क्योंकि वो मुझे रोकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी. मैंने महसूस किया कि ऐसे डर के साथ चुदाई करने में जल्द पानी नहीं निकलता.

कुछ 5 मिनट के बाद वो मेहमान जो खिड़की पर आया था, चला गया. उसके जाते ही वाणी की वाणी मचलने लगी- भैनचोद … इतना गरम कर दिया है कि अब रहा ही नहीं जा रहा है.
बस उसने मुझे वहीं नीचे लिटा दिया और चुदासी सी मेरे ऊपर चढ़ गयी. अब वो तूफ़ानी रफ़्तार से धक्के लगाने लगी.
वाणी- चूस भोसड़ी के चूस.. मेरी चुची, दबा इन्हें … काट मादरचोद … नहीं तो मैं तुझे कच्चा खा जाउंगी.

मैंने भी उसके कहे अनुसार उसकी चुचियों का हलवा बनाना शुरू कर दिया और फ़िर से दोनों निप्पल एक साथ मुँह में ले कर जोर से चूसने लगा.
वाणी- चूस इनको काट ले जोर से आह्हहहह्ह..

वो कुछ देर में ही फ़िर से चरम पर पहुंचने वाली थी, लेकिन इस बार उसने चुत टाइट करके ऐसे धक्के मारे कि मैं भी उसके साथ ही पानी छोड़ने पर मज़बूर हो गया. जब हम दोनों एक साथ झड़े तो बहुत अच्छा लगा और वो वहीं मेरे ऊपर ही ढेर हो गयी.

सांसें थमने के बाद हम दोनों उठे और नहा कर आ गए. नहाने के दौरान भी वहां हमारी चुम्मा चाटी चली, एक दूसरे के अंगों को मसलने का कार्यक्रम चला. फ़िर बाहर आ कर हमने फ़िर थोड़ा खाना खाया और बिस्तर पर लेट कर पैग लगाने लगे.

एक पैग लगाने के बाद मियां बीबी की तरह व़ाला, एक बार फ़िर से सेक्स किया और सो गए.

इस शहर में मेरा काम खत्म हो चुका था तो अगले दिन सुबह मैंने वाणी को बोला कि आज मैं वापस जा रहा हूँ.
यह सुनकर वो बहुत उदास हो गयी.
लेकिन यही जिन्दगी है.

फ़िर हम भरे मन से एक दूसरे से गले मिले और दुबारा मिलने का वायदा करके मैं वापस अपने घर के लिए निकल पड़ा.

उम्मीद है कि आपको मेरी सेक्स कहानी पसन्द आयी होगी. इसके अलावा भी कुछ किस्से हैं, जिन्हें मैं समय मिलने पर आप सब से शेयर करूँगा.
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