गाँव की कुसुम और उसकी आपबीती-4

मैं कुछ न बोल पाई..

पर वो कुछ दिन हम दोनों की ज़िन्दगी के अनमोल दिन थे…
पिंकू को कुछ दिन की छुट्टी दे दी थी कि वो गांव हो आए।

मुकेश जी ने इन दिनों में सुबह शाम जब भी मौका मिला, मेरे साथ कई तरह से सम्बन्ध बनाये, कभी उल्टा कभी खड़ा करके तो कभी गोदी में तो कभी घोड़ी बना के हर तरह से शारीरिक सुख मुझे दिया।

मैं भी रोज़ उनकी बाँहों में अपना सब कुछ दे देती।
घर में घुसते ही मैं उनसे लिपट जाती, उनके लंड को दबा देती, उनके सारे वस्त्र उतार देती, उनका लंड मुह में लेती।

एक बार तो उनका रस मुँह में भी ले लिया पर मुझे अच्छा नहीं लगा।

जब वो मेरी चूत चाटते तो मैं पागलों की तरह अपनी गर्दन इधर उधर करती, चादर को कस के पकड़ लेती, उनके बाल नोच लेती।
फिर भी वो मेरी चूत को चाटते रहते!

कुल मिला कर मेरी चूत अब उनके लंड के बिना नहीं रह सकती थी।

अगर मुकेश जी तैयार होते तो मैं शादी भी कर लेती।

मुकेश जी में इस उम्र में भी वही जोश था जो आज मेरी उम्र के लोगों का होता है।

अगर इतनी साल बाद मैं देखूं तो सोचती हूँ कि हर लड़की को अपनी से दुगने उम्र के मर्द के साथ अपना पहला यौन सम्बन्ध बनाना चाहिए क्योंकि उसमें अनुभव होता है और स्टैमिना भी होता है..

लड़की के कौन सा अंग से कब और कैसे तड़पना है, उनको पता होता है।

इस बीच उनका बेटा राकेश किसी काम से भारत आया, वो 22 साल का बहुत हैंडसम लड़का था, बिल्कुल मुकेश जी के जैसा लम्बा, गोरा मस्सल वाला… गांव की भाषा में गबरू जवान!

पर शायद उसको देख कर मुकेश जी को अपनी भूल का अंदाज़ा हो गया कि मेरे साथ सम्बन्ध बना कर बहुत बड़ी गलती कर दी।
वो उम्र में बड़े थे और मुझे समझ सकते थे, उन्होंने भी अपनी गलती सुधारने पहल की।

पहली कि मेरे से दूरी बना कर मुझे मेरे गाँव वापस भेज दिया।
दूसरी… एक दिन वो और उनका बेटा मेरी नामौजूदगी में मेरे गाँव आये और मेरे पिता जी और मेरी माँ से काफी देर बात की।

रात जब मैं ऑफिस से घर आई तो माँ ने बताया कि मुकेश जी मेरा रिश्ता अपने बेटे के साथ करना चाह रहे हैं।

मैं तो सन्न रह गईं… बहुत गुस्सा आया पर मैंने माँ को कुछ नहीं बोला।

अगले दिन मैं उनसे मिली, तब उन्होंने मुझे बहुत समझाया और कहा कि आगे से वो मुझे उस नज़र से कभी नहीं देखेंगे…
वो अपनी उस भूल के कारण मेरा भविष्य सुधारना चाहते हैं।

मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करूँ पर मुकेश जी के बहुत समझाने और दुनिया के रीतिरिवाज़ समाज की बात समझने पर मैं मान गई।

करीब 6 महीने बाद राकेश की पढ़ाई के बाद उसकी वहीं जॉब लग गई…
और मेरी शादी उसकी साथ हो गई…
मैं अमेरिका आ गई..

मुकेश जी ने मेरे गांव के सारा कुछ बेच कर मेरे माता पिता को अपने साथ रख लिया।
वे तीनों भारत में खुश हैं और मैं अमेरिका में खुश हूँ।

आशीष ने मुझे खूब प्यार दिया और सेक्स मे भी भरपूर मज़ा दिया और अभी भी दे रहे हैं।

मुकेश जी ने शादी के बाद सच में मुझे एक पिता सा प्यार दिया, कभी भी मुझे वैसी नज़र से देखा और न कभी मुझे यह महसूस होने दिया कि शादी से पहले क्या हुआ था।

एक बात और… मेरे दिलो दिमाग में कभी उस तरह के विचार मुकेश जी के लिए नहीं आए जैसे बीते दिनों में आए थे।

आज मेरा अपना परिवार है, दो प्यारे प्यारे बच्चे हैं.. हम साल में एक बार वे सब भारत से आते हैं और छुट्टियों में हम सब भारत जाते हैं।
हम सब साथ में खूब एन्जॉय करते हैं।

पर कहीं न कहीं मेरे दिल में एक बोझ था जिसे मैंने राहुल जी के माध्यम से आप से शेयर कर लिया।
काफी सकून महसूस करती हूँ मैं आज!

अब आप सब बताओ कि मुकेश जी ने जो किया वो सही था या जो मैंने किया वो सही था, या सब कुछ गलत था?
क्या यह मुकेश जी ने अपने बेटे के साथ दगा नहीं किया?

मैं अपनी पहचान आप सब को नहीं बता सकती तो आप अपने विचार और राय, कमेंट्स के द्वारा या फिर राहुल जी के ईमेल पर भेज सकते है जो उनके द्वारा मुझे प्राप्त हो जाएंगे।

दोस्तो, यह थी कुसुम, अमेरिका से, की आप बीती!
आपको कैसी लगी मुझे बताना न भूलें, आपकी इमेल्स का इंतज़ार रहेगा।
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