विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-5

दीपाली- ओह्ह.. सच दीदी.. मुझे कल पक्का दिखाना.. अभी तो बहुत वक्त हो गया.. मुझे घर भी जाना है वरना मम्मी गुस्सा हो जाएगी।

दीपाली ने अपने कपड़े पहने और वहाँ से निकल गई।

उसके जाने के बाद विकास कमरे में आया उसने उन दोनों की बातें सुन ली थीं।

विकास- अनु ये तुमने उसको क्या बोल दिया नकली लंड से उसको चोदोगी तो मेरा क्या होगा जान.. तुमने मुझे कच्ची कली को चोदने का सपना दिखाया.. अब नकली लौड़े की बात कर रही हो।

अनुजा- अरे मेरा राजा.. आप बहुत भोले हो अपने वो कहावत नहीं सुनी क्या.. हाथी के दाँत दिखाने के और होते हैं और खाने के और… बस कल देखना.. मैं कैसे नकली को असली बना देती हूँ.. अब आ जाओ देखो मैंने अब तक कपड़े भी नहीं पहने हैं.. आज तो आप बड़े जोश में हो.. जरा मेरी चूत को मज़ा दे दो।

विकास- अरे क्यों नहीं मेरी रानी.. चल बन जा घोड़ी.. आज तुझे लंबी सैर कराता हूँ।

अनुजा पैरों को मोड़ कर घोड़ी बन गई और विकास ने एक ही झटके में अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसा दिया।

अनुजा- आहह.. उई मज़ा आ गया राजा.. अब ज़ोर-ज़ोर से झटके मारो उफ्फ.. फाड़ दो चूत को.. अई आह्ह..

विकास के दिमाग़ में दीपाली घूम रही थी और उसी कारण वो दे दनादन अनुजा की चूत में लौड़ा घुसा रहा था।
अनुजा- आह्ह.. अई वाहह.. मेरे राजा आ..आज बड़ा मज़ा दे रहे हो.. अई लगता है दीपाली समझ कर तुम मुझे चोद रहे हो.. अई उई अब तो रोज उसका नंगा जिस्म तुमको दिखना पड़ेगा.. अई ताकि तुम रोज इसी तरह मेरी ठुकाई करो।

विकास- उहह उहह.. ले रानी उहह.. अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.. आज तुम बहुत चुदासी लग रही हो ओह्ह ओह्ह।

लगभग 30 मिनट तक ये चुदाई का खेल चलता रहा.. दोनों अब शान्त हो गए थे।

अनुजा- जानू मज़ा आ गया.. आज तो काफ़ी दिनों बाद ऐसी मस्त चुदाई की तुमने.. अच्छा अब सुनो… कल किसी भी हाल में एक नकली लंड ले आना.. उसका साइज़ तुम्हारे लवड़े के जैसा होना चाहिए।

विकास- ठीक है.. ले आऊँगा मगर तुम उसकी चूत की सील नकली लौड़े से तोड़ोगी.. तो मेरा क्या होगा यार.. ऐसी मस्त चूत का मुहूर्त मुझे करना है।

अनुजा- तुम ले आना बस.. मैंने कहा ना सब मुझ पर छोड़ दो.. कल देखना मैं क्या करती हूँ।

विकास ने अनुजा की बात मान ली और आगे कुछ नहीं बोला।
वो उठ कर बाथरूम में चला गया।

दोस्तो, अब यहाँ कुछ नहीं है.. चलो दीपाली के पास चलते हैं।

घर जाकर दीपाली ने अपनी मम्मी को बोल दिया कि टयूशन में वक्त लग गया और रात का खाना खाकर अपने कमरे में जाकर सो गई।

अगले दिन भी दीपाली जब स्कूल गई, तब गेट पर तीनों उसके आने का इन्तजार कर रहे थे, मगर आज दीपाली ने उनको नज़रअंदाज कर दिया और सीधी निकल गई।

दोस्तो. अब स्कूल के पूरे 8 घंटे की दास्तान सुनोगे क्या.. चलो सीधे मुद्दे पर आती हूँ।

शाम को दीपाली ने पीले रंग का टॉप और काला स्कर्ट पहना हुआ था।

जब वो अनुजा के घर की ओर जा रही थी.. तब रास्ते में एक कुत्ता एक कुतिया को चोद रहा था।

दीपाली ने जब उनको देखा उसे बड़ा मज़ा आया।

ये सब देख कर उसको कल वाला वीडियो याद आ गया और ना चाहते हुए भी उसका हाथचूत पर चला गया।

दीपाली भूल गई कि वो बीच सड़क पर खड़ी कुत्ते की चुदाई देख रही है और अपनी चूत को मसल रही है।

तभी वहाँ से एक 60 साल का बूढ़ा गुजरा, उसने सब देखा और दीपाली के पास आ गया।

बूढ़ा- बेटी इस तरह रास्ते में खड़ी होकर ये हरकत ठीक नहीं.. अगर इतनी ही खुजली हो रही है तो चलो मेरे साथ घर पर.. कुछ मलहम लगा दूँगा।

उसकी बात सुनकर दीपाली को अहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी ग़लती कर दी।

वो बिना कुछ बोले वहाँ से भाग खड़ी हुई और सीधी अनुजा के घर जाकर ही रुकी।

अनुजा- अरे क्या हुआ..? ऐसे भागते हुए क्यों आई हो.. इतना हाफ़ रही हो.. यहाँ बैठो मैं पानी लेकर आती हूँ।

दीपाली वहीं बैठ गई.. अनुजा ने उसे पानी पिलाया और उससे भागने का कारण दोबारा पूछा।

तब दीपाली ने उसको सारी बात बताई।

अनुजा- हा हा हा हा तू भी ना कुत्ते की चुदाई में ये भी भूल गई कि कहाँ खड़ी है और तेरी चूत में खुजली होने लगी.. हा हा हा हा और वो बूढ़ा क्या बोला.. मलहम लगा देगा.. अगर तू उसके साथ चली जाती ना.. तो आज बूढ़े के मज़े हो जाते हा हा हा हा।

दीपाली- दीदी आप भी ना.. कुछ भी बोलती रहती हो.. पता नहीं मुझे क्या हो गया था। अच्छा ये सब जाने दो.. आप आज मुझे वो नकली लंड दिखाने वाली थीं ना.. कहाँ है वो?

अनुजा- अरे वाह.. बेबी लंड देखने के लिए बड़ी उतावली हो रही है.. चल कमरे में… मैंने वहीं रखा है।

दोनों कमरे में चली जाती हैं।

दीपाली बिस्तर पर बैठ जाती है और अनुजा अलमारी से लौड़ा निकाल लेती है.. जो दिखने में एकदम असली जैसा दिख रहा था।

लौड़े के साथ दो गोलियाँ भी थीं।

दीपाली तो बस उसको देखती ही रह गई।

अनुजा- क्यों बेबी कैसा लगा..? है ना.. एकदम तगड़ा लौड़ा।

दीपाली- हाँ दीदी.. ये तो वो फिल्म जैसा एकदम असली लगता है.. ज़रा मुझे दिखाओ मैं इसे हाथ से छूकर देखना चाहती हूँ।

अनुजा- अरे इतनी भी क्या जल्दी है.. ऐसे थोड़े तुझे हाथ में दूँगी.. आज तो खेल खेलूँगी तेरे साथ..

ये देख शहद की बोतल.. इसमें से शहद निकाल कर इस लौड़े पे लगाऊँगी.. उसके बाद तू इसको चूसना.. तब असली जैसी बात लगेगी.. समझी मेरी जान…

दीपाली- ओके दीदी.. बड़ा मज़ा आएगा आज तो…

अनुजा ने बगल में रखी दो काली पट्टी उठाईं और दीपाली को दिखाते हुए बोली।

अनुजा- मज़ा ऐसे नहीं आएगा.. ये देखो आज ‘ब्लाइंड-सेक्स’ करेंगे।

एक पट्टी तेरी आँखों पर और दूसरी हाथ पर बांधूंगी उसके बाद असली मज़ा आएगा।
दीपाली- ये पट्टी से क्या मज़ा आएगा दीदी.. नहीं ऐसे ही करेंगे ना।

अनुजा- नहीं मैंने कहा ना.. तुम पहली बार लौड़ा चूसने जा रही हो.. अगर आँखें खुली रहेगीं तो ये नकली लौड़ा तुझे दिखेगा और तेरे अन्दर लौड़े वाली मस्ती नहीं आएगी। मगर आँखें बन्द रहेगीं.. तब तू ये सोचना कि तू असली लौड़ा चूस रही है। तब मज़ा दुगुना हो जाएगा और ये देख इस लौड़े के साथ ये बेल्ट भी है.. मैं इसे अपनी कमर पर बाँध लूँगी। इससे मैं आदमी बन जाऊँगी और मेरी चूत की जगह ये लौड़ा आ जाएगा.. क्यों अब बोल क्या बोलती है।

दीपाली- हाँ दीदी.. आपने सही कहा.. इस तरह ज़्यादा मज़ा आएगा मगर ये हाथ तो खुले रहने दो ना।

अनुजा- नहीं मेरी जान हाथ बाँधने जरूरी हैं वरना तुझे ऐसा लगेगा कि लौड़े को हाथ से पकडूँ और जैसे ही तू लौड़ा पकड़ेगी असली वाली बात ख़तम हो जाएगी।

दीपाली- ओके दीदी.. जैसा आपको ठीक लगे.. चलो पट्टी मेरी आँखों पर बाँध दो।

अनुजा- अरे मेरी जान पहले ये कपड़े तो निकाल.. उसके बाद ये पट्टी बाँधूंगी।

अनुजा खुद भी नंगी हो गई और दीपाली को भी नंगा कर दिया। उसके बाद उसके दोनों हाथ पीछे करके पट्टी से बाँध दिए उसकी आँखों पर भी अच्छे से पट्टी बाँध दी।

दोस्तो, ये अनुजा का प्लान था ताकि विकास अन्दर आ जाए और दीपाली उसको देख ना सके।

दीपाली बिस्तर पर घुटनों के बल बैठ गई अनुजा ने विकास को इशारा कर दिया वो अन्दर आ गया।

वो एकदम नंगा था उसने पहले ही दूसरे कमरे में कपड़े निकाल दिए थे। उसका लौड़ा भी एकदम तना हुआ था।

दीपाली- दीदी अब तो लौड़ा मेरे मुँह में दे दो.. बड़ा मान कर रहा है चूसने का।

अनुजा- हाँ यार देती हूँ.. पहले कमर पर बाँध तो लूँ.. उसके बाद शहद डाल कर तेरे मुँह में दूँगी।

अनुजा ने विकास के लौड़े पर अच्छे से शहद लगा दिया और विकास बिस्तर पर चढ़ गया। लौड़े की टोपी को दीपाली के खुले मुँह में हल्के से फँसा दिया।

दीपाली तो इसी इंतजार में थी, वो झट से अपनी जीभ से टोपी को चाटने लगी।

आनन्द के मारे विकास की आँखें बन्द हो गईं.. अनुजा वहीं पास में बैठी अपनी चूत सहला रही थी।

दीपाली लौड़े को जीभ से चाट रही थी और टोपी को अपने होंठों में दबा कर चूस रही थी। उसको बहुत मज़ा आ रहा था।

अनुजा- अरे मेरी जान पूरा मुँह में ले.. तब असली मज़ा आएगा.. इतने से क्या होगा?

दीपाली ने अनुजा की बात सुनकर पूरा लौड़ा में भर लिया और चूसने लगी।

विकास को भी काफ़ी मज़ा आ रहा था और आएगा क्यों नहीं एक कमसिन कली जिसके पतले होंठों में उसका लौड़ा फँसा हुआ था।

अब विकास लौड़े को आगे-पीछे करने लगा।

एक वक्त तो लौड़ा पूरा दीपाली के गले तक पहुँच गया और उसी वक़्त दीपाली ने झट से मुँह हटा लिया और विकास ने जैसे ही लौड़ा
आगे किया उसकी गोटियाँ दीपाली के मुँह के पास आ गईं.. दीपाली को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।

वो गोटियों को चूसने लगी.. तब उसको थोड़ा अजीब सा लगा और उसने मुँह हटा लिया।

अनुजा- अरे क्या हुआ रानी चूस ना।

दीपाली- दीदी मुझे ये लौड़ा एकदम असली जैसा लग रहा है और शहद के साथ-साथ कुछ नमकीन सा और भी पानी मेरे मुँह में आ रहा है इसकी गोटियों की चमड़ी भी बिल्कुल असली लग रही है।

अनुजा- अरे पगली ये सब आँख बन्द होने का कमाल है.. असली लवड़ा कहाँ से आएगा? तू चूसती रह.. इसके बाद देख.. आज मैं तेरे निप्पल और चूत को नए अंदाज से चुसूंगी।

बेचारी भोली-भाली दीपाली अनुजा की बातों में आ गई और दोबारा से लौड़ा चूसने लगी।

करीब 5 मिनट बाद विकास ने इशारे से अनुजा को कहा- अब इसको लेटा दो.. मैं इसके चूचों को मसलना और चूसना चाहता हूँ।

इसके आगे क्या हुआ जानने के लिए पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..
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