कुंवारी मारवाड़ी भाभी की वासना -3

मेरा मुँह पूरा भर गया.. और वो ज़ोर से चिल्लाई- आह.. प्रणय.. मेरा हो गया.. आआअहह.. बस अब मत चाट..
यह कहते हुए वो मुझे दूर धकेलने लगी।
उसकी चूत चाटते हुए मेरा लंड फिर से फनफना गया था.. मैंने उसकी चूत से निकलने वाले पूरे जूस को चाट लिया।

ऐसा करते हुए मैं उसकी चूत के दाने को भी जीभ से सहला रहा था.. जिससे वो फिर गरम हो गई।
वो कहने लगी- अब मत तड़पा.. मैं बहुत तरसी हूँ.. मेरी जवानी को अपना ले.. अब ये अन्दर डाल कर.. फाड़ दे मेरी चूत को..
मैं जरा सा उठा तो उसने मादकता से कहा- तू तो एकदम एक्सपर्ट है..
उसे मेरा चूत चाटने का तरीका बहुत पसंद आया।

अब मैं नीचे की तरफ गया और उसकी चिकनी मोटी जाँघों को चूमने और चाटने लगा, मैं दोनों तरफ चाट रहा था। मैं उसे आज जी भर के चोदने के मूड में था। मैंने उसे पेट के बल औंधा लिटा दिया। फिर उसके चूतड़ों और पीठ को भी जीभ से खूब चाटा।

उसका पिछवाड़ा और भी सेक्सी था, उभरे हुए गोरे मस्त चूतड़ और उसकी घाटी.. चिकनी गोरी पीठ.. उसकी पीठ चूमते हुए मैं सामने हाथ ला कर उसकी चूची और निप्पल मसल रहा था.. उसके चूतड़ों को चाटने और दबाने में बहुत मज़ा आ रहा था।
मैंने हल्के से काट लिया.. तो वो चिल्ला उठी- आआआहह.. नहीं.. लगती है ना..

मैं उसके चूतड़ों को ज़ोर-ज़ोर से दबाए जा रहा था, मेरी जीभ उसके दोनों चूतड़ों के बीच की घाटी में सैर कर रही थी।
चूतड़ इतने नरम और मुलायम थे कि उन्हें दबाने में अलग ही मज़ा आ रहा था।
उसकी गांड का छेद भी गुलाबी था.. उस सुराख में मैंने जीभ की नोक घुमाई.. तो वो सिहर उठी.. उसका यूँ मचलना बहुत ही मजेदार लगा था।

फिर मैंने पीछे से उसकी फूली हुई चूत को सहलाया और एक उंगली अन्दर डालने की कोशिश की.. चूत तो गीली थी लेकिन बहुत टाइट थी।
मेरी उंगली के अन्दर जाते ही वो थोड़ा चिल्लाई- आअहह.. धीरे.. दर्द होता है..
मैंने कहा- यह तो उंगली है.. और तुम मेरा 3 इंच मोटा और 7.5 इंच लंबा लंड लेने के लिए तड़प रही हो..
उसने कहा- मुझे नहीं मालूम.. मेरी चूत में बस आग लगी है.. अन्दर चीटियाँ रेंग रही हैं।

मैंने उसे चूमा.. मैं समझ गया कि लोहा गरम हो गया है.. अब कील ठोक देने का वक्त है, मैंने उसे अब सीधा लिटाया और पेट और नाभि को जीभ से चाटा और गीला कर दिया।
मैंने फिर चूत पर मुँह लगाया.. अब मेरी जीभ चूत के अन्दर फिर से खेल रही थी।
उसकी चूत एकदम फूलने लगी.. वो भी अपनी कमर उछाल रही थी।
मैं अभी उसे और तड़पाना चाहता था।

मैंने चूत को देखा नहीं और जीभ से उसके पैरों से लेकर जाँघों के जोड़ तक उसे पूरा गीला कर दिया।
इस बार मैं चूत में नहीं.. उसके चारों तरफ जीभ और हाथ से सहला रहा था।
मैंने देखा बिस्तर की चादर उसकी गाण्ड के नीचे पूरी गीली हो रही थी।

अब वो पूरी गरम हो गई थी.. अपने पैर रगड़ रही थी- हायइई.. अब सहन नहीं हो रहा..
उसने हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को हाथ में ले लिया। लौड़ा भी फिर से पूरे जोश में आ चुका था.. इस बार वो और भी मोटा लग रहा था।

उसने उठ कर मेरे लंड को चुम्बन किया थोड़ा चाटा.. फिर उसने कहा- सच में प्रणय.. उस दिन मैंने बाथरूम में जब तुम्हारा ये प्यारा लंड देखा था.. तभी सोच लिया था कि मेरी कुँवारी चूत की सील इसी लंड से टूटेगी। उस दिन के बाद से सिर्फ़ इसी लंड को सपने में देखती हूँ और अपनी चूत का पानी निकाल देती हूँ।

मैंने कहा- तो फिर आज इसे अपनी चूत में डलवा ही लो..

यह कहते हुए मैंने उसके पैरों को फैलाया और लंड को उसकी चूत के ऊपर रगड़ा ताकि उसकी चूत के रस से मेरे लंड का सुपारा चिकना हो जाए।

फिर मैंने एक बार उसे लम्बा चुम्बन किया और लंड को चूत के लाल छेद पर रख दिया। मैंने उसकी आँखों में आँखें डाल कर लौड़े को पुश किया.. उसकी चूत का मुँह बहुत छोटा था और मेरा सुपारा बहुत मोटा.. वो फिसल गया।

मैं उठा और मैंने पास रखे तेल के डिब्बे से बहुत सारा तेल मेरे लंड पर लगाया और उसकी चूत के छेद में भी तेल डाला।
अबकी बार मैंने उसके पैरों को और चौड़ा किया और लंड को छेद पर रख कर थोड़ी ताक़त से धकेला.. लंड का सुपारा अन्दर घुस गया।

वो चिल्लाई- मर गई आह.. हाईईईई.. ऊओह.. निकालो.. इतना मोटा नहीं जाएगा.. मुझे नहीं चुदना..
मैं कुछ पल रुका रहा वो सिसक रही थी।
मैंने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा- निकाल लूँ?
वो मेरी तरफ देखने लगी.. उसकी आँखों में आँसू थे.. एक 28 साल की औरत और एक 19 साल का लड़का.. लंड तो लोहे की रॉड हो गया था।

मैंने उसे चुम्बन किया.. तब वो बोली- मैं कितना भी चिल्लाऊँ.. तुम आज मेरी चूत फाड़ दो..
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे ताकि वो ज़ोर से चिल्ला ना सके।
मैं समझ गया था कि वो सच में कुँवारी ही है।

अब मैंने अपनी कमर को सख़्त किया और लंड को ताक़त के साथ अन्दर धकेला.. लंड दो इंच घुसा.. वो दर्द से बिलबिला उठी.. तड़पने लगी।
मैंने उसका मुँह नहीं छोड़ा.. लेकिन मैंने महसूस किया कि उसकी चूत के अन्दर कुछ मेरे लंड को अन्दर जाने से रोक रहा है.. शायद इतनी बड़ी उमर होने के कारण चूत का परदा मोटा हो गया था।

मैंने लंड को थोड़ा बाहर खींचा.. और पूरी ताक़त से झटका मारा.. चूत के पर्दे को ककड़ी की तरफ फाड़ कर मेरा लंड 5 इंच अन्दर हो गया.. और उसकी चूत ने खून की उल्टी कर दी।
वो तड़फी और फिर बेहोश जैसी हो गई.. मैं डर गया.. मैं उसे चूमने लगा.. करीब 5 मिनट तक मुझे रुकना पड़ा।
ऐसे ही रहने के बाद फिर वो होश में आई.. उसकी आँखों में पानी और चेहरे पर दर्द था।
थोड़ी देर में जब उसका दर्द कुछ कम हुआ.. तो मैंने हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू किए।

अब उसे दर्द मिश्रित मज़ा आने लगा.. मैंने पूछा- अब दर्द कम हुआ?
उसने कहा- हाँ..
अब मैंने लंड को पूरा बाहर खींचा और करारा झटका देते हुए पूरे लंड को जड़ तक उसकी चूत मे पेल दिया।
वो फिर चिल्लाई- ऊओ.. माँ.. मर गई आह..

लेकिन अबकी से मेरे धक्के चालू थे और फिर 4-5 मिनट में उसने भी चूतड़ उछालते हुए नीचे से धक्के देना शुरू किए।
अब उसकी चूत से पानी निकलने लगा था और लंड को भी अन्दर-बाहर होने मे सहूलियत हो रही थी।
मैं उसे अब ज़ोर से चोदने लगा.. वो भी कह रही थी- और ज़ोर से.. फाड़ दो.. मुझे माँ बना दो..
मैंने चोदते हुए उससे पूछा- अगर तुम कुँवारी थीं.. तो फिर वो लड़का किसका है.. जिसे तुमने हॉस्टल में रखा है..

उसने कहा- वो मेरी बड़ी बहन का लड़का है.. जिसकी एक एक्सिडेंट में मौत हो गई.. और उसके पति ने दूसरी शादी कर ली.. इसलिए एक साल के बच्चे को हमने गोद ले लिया था। अब मैं अपने बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ.. प्रणय.. मेरे पेट में बच्चा दे दो.. आहह.. क्या मस्त मज़बूत लंड है।

फिर वो मुझसे चिपकने लगी- आआहह.. मेरा निकलने वाला है..
उसने मुझे कस कर जकड़ लिया और वो झड़ गई।
मुझे मेरे कंधे पर से कुछ गरम बहता हुआ महसूस हुआ.. मैंने हाथ से देखा वो खून था.. दरअसल जब उसकी सील टूटी तब उसने नाख़ून से मेरे पीठ पर घाव बना दिया था.. और वहीं से खून निकल रहा था।

यह देख कर मुझे और जोश आ गया.. मैंने मेरे धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी.. उसकी चूत को इस तरह की चुदाई उम्मीद नहीं थी और उसकी चूत एकदम लाल हो गई।
मैंने उसकी कमर और चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ा और चूत मे लंड डाले हुए ही मैंने सीधा लेट गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया..।
अब मैंने उससे कहा- अपनी गांड ऊपर-नीचे करो।

वो मेरे लौड़े पर कूदने लगी। उसके इस तरह उछलने से उसकी मस्त चूचियाँ मेरे मुँह के सामने उछल-उछल रही थीं।
मैंने दोनों हाथों से चूचियाँ पकड़ीं.. मसलीं और निप्पल को मुँह मे लेकर चूसने लगा।
वो लगातार झड़ रही थी.. मेरी गोटियाँ भी उसके चूत के पानी से गीली हो गई थी।

थोड़ी देर में वो थक कर मेरे सीने पर लेट गई.. मैंने बिना चूत से लंड निकाले फिर उसे नीचे लिया और खींचते हुए बिस्तर के किनारे लाया..। वहाँ उसकी चूत के नीचे तकिया लगाया और मैं खुद नीचे खड़ा हो गया।
उसके पैर अपने कंधे पर रखे और इस बार मेरे धक्के बहुत ही तूफ़ानी थे।

वो चिल्ला रही थी- आह.. हाय.. क्या मस्त लंड है.. मेरी चूत की किस्मत खुल गई.. मारो.. और ज़ोर से.. ऊह.. आह.. मैं गई।
वो फिर झड़ गई..
अब मेरा भी झड़ने का टाइम हो गया था.. मैंने कहा- ले.. मैं भी झड़ने वाला हूँ.. कहाँ निकालूँ..
उसने कहा- मेरी चूत में भर दो.. मुझे माँ बना दो प्रणय.. तुम्हारे मज़बूत लंड से मुझे बच्चा पैदा कर दो..

मैंने 5-6 जबरदस्त धक्के मारे और लंड को उसके बच्चेदानी के मुँह पर रख कर लंड से फव्वारा चला दिया।
हाय.. क्या जबरदस्त पिचकारी थी.. उसने अपने पैर मेरे कमर पर जकड़ लिए और मुझसे चिपक गई।
मेरे लंड की गरम पिचकारी से वो भी झड़ गई थी.. हम कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे।

फिर मैं उठा और अपने लंड को बाहर खींचा.. वो खून और दोनों के रस से लथपथ हो रहा था.. और उसकी चूत.. वो तो मुँह खोले सब माल बाहर निकाल रही थी। उसका शेप “O” जैसा हो गया था।

मैंने कहा- बाथरूम में चलते हैं..
उसने उठने की कोशिश की फिर ‘आअहह.. उउईई..’ करते हुए लेट गई.. उसके पैर कांप रहे थे। मैंने सहारा देकर उसे उठाया.. तब तक शाम के 5.30 हो गए थे.. हम बाथरूम में जाकर फ्रेश हुए।

उसकी नंगी जवानी को देख कर मेरा लंड फिर तैयार होने लगा।
उसने साबुन से मेरे लंड को साफ किया.. उसका हाथ लगते ही वो फिर गुर्राने लगा.. हम बाथरूम से लौटे और नंगे ही बिस्तर पर लेट गए।
मैंने उसे रात के 9 बजे तक और 2 बार अलग-अलग पोज़ में चोदा।
एक बार तो उसे उसके रसोई की पट्टी पर बैठा कर मेरे लंड पर झूला झुलाया।

उसके बाद से मैं रोज उसे चोदने के लिए ठीक 4.30 पर उसके घर जाता था और मैंने उसे दो बार प्रेग्नेंट भी किया.. लेकिन उसे पति के डर से गर्भपात करवाना पड़ा। तीसरी बार उसने किसी तरह अपने पति से चुदवाया.. और मेरे बच्चे को जन्म दिया.. जो कि आज 5 साल का है।
उसने मुझसे कहा था- यह तुम्हारी गुरू दक्षिणा है… अपने चुदाई के गुरू के लिए।
तीन साल बाद उसके पति का ट्रान्स्फर हो गया.. मुझे उसकी बहुत याद आती है।

यह थी मेरी मारवाड़ी लुगाई की चुदाई की कहानी.. आप लोग लिखिए कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे बताइएगा जरूर।
[email protected]