मेरी चूत में गैर मर्द का पहला लंड

पति के अक्सर बाहर रहने के कारण मैं कभी-कभी कस्बे के सरकारी मकान में भी रुक जाती थी। भोपाल से आने-जाने के दौरान मेरी मुलाकात यहाँ एक स्कूल टीचर जिसका नाम माही था.. जो मेरी हमउम्र थी.. से हुई।
हम दोनों में काफ़ी गहरी दोस्ती हो चुकी थी।

एक बार उसे काम के सिलसिले में कस्बे ही रुकना पड़ा.. वो मेरे मकान में मेरे साथ ही ठहर गई। हम दोनों में बातचीत के दौरान उसने कहा- मोना इस मकान में तुम अकेली रुकती हो.. तो तुम्हारा दिल नहीं मचलता है?
मैंने कहा- क्या मतलब?

वो बोली- मेरा मतलब किसी मर्द को बुलाकर सेक्स करवाने की इच्छा नहीं होती।
मैंने कहा- तेरा दिमाग़ खराब है क्या?
उसने कहा- इसमें दिमाग़ खराब की क्या बात है.. ये जवान जिस्म मर्दों से चुदाई के लिए ही तो है।
मैंने कहा- यदि तू अकेली रहती तो क्या करती?
उसने कहा- सेक्स करवाने के लिए अकेले रहने की ज़रूरत नहीं.. वो तो मैं करवाते रहती हूँ।

उसकी बातें सुन कर मैं चौक गई.. मैंने पूछा- तुझे ये सब करते बुरा नहीं लगता?
वो बोली- अरे यार.. ये साली चूत बनी ही लण्ड के लिए है.. जब लण्ड का चस्का लगता है तो क्या अच्छा और क्या बुरा.. मेरी मान तो तू भी अलग-अलग मर्दों से चुदवा कर जवानी के मज़े लूट!

मैं हैरानी से और उत्सुकता से उसको सुन रही थी।
उसने कहा- मैं दो लड़कों का इंतज़ाम करती हूँ।
।मैंने मना किया तो वो बोली- प्लीज़ यार अब मत मना कर।

यह बोल उसने मोबाइल से बात की।
मुझे घबराता देख कर वो बोली- घबरा मत बहुत मज़ा आएगा।

दो घंटे बाद रात के करीब 12 बजे 2 लड़के आए, दोनों लगभग 27-28 साल के लग रहे थे.. दोनों 6 फिट लंबे और काफ़ी तगड़े थे।
माही ने दोनों से मेरा परिचय कराया।

एक बोला- क्या बात है माही, आज तो तुमने हमारी किस्मत खुलवा दी.. इतनी जबरदस्त माल होगी.. हमने सोचा भी नहीं था।
माही बोली- सिर्फ़ सोचना ही नहीं है, चोदना भी है।

एक लड़के ने माही को पीछे से अपनी बाँहों में जकड़ते हुए कहा- मेरी जान तुम जैसा कहोगी वैसा चोदेंगे।
उनकी बातें सुन कर तो मेरा दिल इतना ज़ोर से धड़क रहा था मानो फट ही जाएगा।

मेरी हालत देख माही ने कहा- घबरा मत.. यह सोच कि ये दोनों तेरे पति हैं.. तू बस नंगी हो जा.. बाकी काम ये दोनों कर देंगे।
मैंने कहा- मैं बाथरूम से आती हूँ।

दस मिनट बाद जब मैं बाहर आई तो देखा- तीनों नंगे मेरे बिस्तर पर चूमा-चाटी में भिड़े थे। दोनों लड़के मुझे देखकर मेरी ओर लपके.. दो गैर मर्दों को एक साथ नंगा मैं पहली बार देख रही थी, दोनों के लगभग 7 इंच लंबे और काफ़ी मोटे लण्ड लोहे के रॉड की तरह खड़े थे।

दोनों ने मुझे आगे-पीछे से अपनी बाँहों में भींच लिया और मेरी साड़ी उतारने लगे या कहूँ तो खींच कर फाड़ने लगे।
कुछ ही देर में दोनों ने मुझे पूरी नंगी कर उठाया और बिस्तर पर पटक दिया।
एक ने मेरी टाँगें फैलाईं और अपना मुँह मेरी चूत में चिपका दिया।

मैं तो जैसे अकड़ गई.. मैंने भी अपनी दोनों जाँघों से उसके सिर को ज़ोर से दबा लिया। एक लड़का मेरे निप्पल को अपने मुँह में भरकर किसी भूखे के समान चूसना चालू कर दिया।

करीब 10-15 मिनट की चुसाई-चटाई के बाद दोनों अलग हुए मेरी चूत तो अब चिपचिपाने लगी थी। इतने में एक लड़का मेरे ऊपर चढ़ा और अपना लण्ड मेरी चूत पर टिका कर ज़ोर का धक्का दिया।
मेरी तो चीख निकल गई.. उसका लण्ड एक ही बार में गप्प से पूरा मेरी चूत में घुस गया।

मैं और कुछ समझ पाती.. उसने मुझे अपनी बाँहों में ज़ोर से जकड़ा और ‘घचा-घच’ चोदने लगा।
मैं भी उसे कसमसाकर कर लिपट गई और नीचे से अपनी गांड उठा-उठा कर चुदवाने लगी।

मेरा सिंगल बिस्तर था.. हम चारों वासना में इतने अंधे हो चुके थे कि बेड पर गुत्थम-गुत्था होकर चुदाई में मस्त थे।
कमरे में हम सब की ‘उउउ.. आहह..’ और सिसकारियों के साथ ‘फ़च-फ़च’ की आवाज़ और बेड की चरचराहट गूँज रही थी।

हमारी चुदाई का ये खेल रात 12 बजे से सुबह के 6 बजे तक चला।

चुदाई में दोनों लड़कों ने बारी-बारी से कई पोज़ में जैसे लिटा कर.. खड़े-खड़े.. साइड से.. कुतिया की तरह और अपने ऊपर बिठा कर रगड़कर मेरी चुदाई की।
दोनों ने मुझे कितनी दफ़ा चोदा इसका भी मुझे होश नहीं था। मैं बहुत थक चुकी थी.. मेरा पूरा बदन मानो जैसे टूट रहा था.. लेकिन ये दर्द भी बहुत मीठा लग रहा था।

दोस्तो, इसके बाद मैं किससे और कैसे चुदी.. यह अगली कहानी में बताऊँगी। मेरा अनुभव कैसा लगा और चुदाई के नए तरीके आप लोगों के पास हों.. तो मुझे मेल करें।
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