भावना का यौन सफ़र-2

विशाल के माँ बाप का निधन हो गया था, शादी उसके मामा ने कराई।
भावना और विशाल मस्ती से रहते… अमेरीका वैसे भी एक खुली सभ्यता है, घर में कोई जगह नहीं होगी जहाँ दोनों ने सेक्स नहीं किया। यहाँ तक कि भावना शहजाद के लौड़े का साइज़ भी भूल गई।

विशाल का प्रोमोशन ऑडिट डिपार्टमेंट में हो गया और उसे महीने में 10-20 दिन बाहर रहना पड़ता था।

विशाल ने अपने छोटे भाई विनोद को भी न्यूयॉर्क बुला लिया। विनोद नागपुर में पढ़ाई करता था लेकिन पढ़ाई में कुछ खास नहीं था।

पहले कुछ दिन तो विनोद नौकरी की तलाश के बहाने घर से चला जाता और देर शाम तक ही लौटता।

फिर एक शाम वो हुआ जिसने भावना की ज़िन्दगी बदल दी।

विशाल से फ़ोन पर बात करते हुए अपनी चूत मसल रही थी और उंगली कर रही थी, उधर विशाल भी मुठ मार रहा था।
जब विशाल बाहर होता तो वो दोनों फ़ोन सेक्स ही करते।

अक्सर विशाल के झड़ जाने और फ़ोन रख देने के बाद भी भावना उंगली करती रहती और ज्यादातर नंगी ही सो जाती।

उस शाम भी ऐसा ही हुआ, विशाल के फ़ोन रखने के बाद भावना चूत में उंगली कर रही थी, तभी पास के कमरे से रोने की आवाज़ आ रही थी।
भावना ने नंगे बदन पर अपना गाउन बांधा और बाहर आई तो विनोद सिगरेट हाथ में पकड़े पलंग किनारे बैठा था।
विनोद सिर्फ जीन्स में कसरती बदन की नुमाइश करते हुए सिसक रहा था।
भावना ने उसके कंधे पर हाथ रखा।

विनोद भावना को देख ज़ोर से फफक पड़ा- वो मुझे छोड़ कर चली गई…

‘कोई बात नहीं!’ कहते हुए भावना ने अपने देवर का चेहरा अपने वक्ष में छिपा लिया।

‘मुझे पूरी बात बताओ?’ भावना विनोद के बालों और पीठ पर हाथ फिराते हुए पूछ बैठी।

विनोद के आँसू थम ही नहीं रहे थे, उसके निरंतर बहते अश्रुओं से भावना का गाऊन गीला हो गया और उसके मस्त मम्मे चिपक कर दिखने लगे।

भावना ने एक पैर उठा कर पलंग पर रख विनोद को ओर नज़दीक खींच लिया।

पैर उठाने से उसके मांसल जांघ के दर्शन होने लगे और गीली चूत के रस की महक ने विनोद की नासिकाओं में भर गई।

विनोद उस उत्तेजक महक से अंजान नहीं था।

कॉलेज में विनोद स्मिता का दीवाना था, इस बात से अनभिज्ञ कि स्मिता एक चुदासी लड़की थी जिसके लिए मर्द सिर्फ एक खेलने का लौड़ा था।
वो गर्ल्स हॉस्टल में अपनी रूममेट शबनम के साथ रहती थी। विनोद अपनी पॉकेट मनी से उसके लिए सिगरेट, शराब, परफ़्यूम, ड्रेस यहाँ तक कि पीरियड्स के समय सेनेटरी पैडस भी लाता।
फिर जान की परवाह किये बिना पाइप के सहारे स्मिता के रूम में देने भी जाता।
विनोद इतना पागल था स्मिता के लिए उसकी मांगें पूरी करने के लिए पार्ट टाइम जॉब भी करता।

स्मिता उससे अपने कपड़े धुलवाती, इतना ही नहीं, खुद की ब्रा पेंटी के साथ शबनम की ब्रा पेंटी भी धुलवाती।
बदले में विनोद को स्मिता और शबनम की चूत मिलती।
पहले, स्मिता उसे तभी बुलाती जब रूम में शबनम नहीं होती।

एक बार दारु, सिगरेट ले कर खिड़की के सहारे विनोद कमरे में दाखिल हुआ तो स्मिता बिस्तर पे चादर डाले लेती हुए नग्न मर्दों की तस्वीर वाली विदेशी मैगज़ीन पलट रही थी।

‘हाय स्मिता…’ विनोद ने दाखिल होते ही हांफते हुए कहा।

स्मिता ने चादर हटाई और नंगी ही दौड़ के विनोद के गले लग गई।

नंगा जवान जिस्म किसी मर्यादा में नहीं बांधा जा सकता।
विनोद को लगता था कि स्मिता प्यार के खातिर उसे पूर्ण समर्पित हो गई।
चूमते हुए स्मिता ने मतलब की बात की- बोतल लाया है? यार, गला सूख रहा है।

‘हाँ, जानू…’

‘ठीक है, तू कपड़े निकाल… तब तक मैं पेग बनाती हूँ।’

विनोद लघु शंका निवारण हेतु बाथरूम गया तो कमोड में वीर्य से भरा कंडोम तैर रहा था।

प्यार का अँधा विनोद यह सोच कर कि शबनम की चुदाई के बाद उसका आशिक फेंक गया होगा मूत कर फ्लश करके आ गया।

बाहर स्मिता दीवार के सहारे पैर चौड़े करके बैठी सुट्टा मार रही थी पास ही दारु की गिलास पड़ी थी।

वासना से वशीभूत विनोद सीधे आमंत्रण देती चूत को सहलाने लगा।

‘यार, तेरी फ़ुद्दी इतनी गीली कैसे है?’

‘जान तेरी याद में मैं मसल रही थी… साली तेरे लंड की प्यासी है।’ कहते हुए विनोद का सर अपनी जांघों के बीच दबा दिया।

चूत रस की महक में विनोद बहक गया और जुबान निकाल के चाटने लगा।

विनोद चूमने को ऊपर उठा तो स्मिता ने मुँह का धुँआ उसे पिला दिया।

स्मिता ने उसके खड़े लंड को पकड़ा और चूत से छूआ दिया।
विनोद चोदने लगा उसे…

चुदाई के बाद स्मिता ने सारा माल मुँह में ले लिया और एक बड़ा सा नीट पेग लगाया और गटक लिया।

विनोद को वो रात अच्छे से याद थी जब स्मिता ने पहली बार सम्भोग क्रीड़ा में शबनम को भी शामिल किया।

तय समय पर विनोद रूम पे चढ़ा तो स्मिता की जगह शबनम को पाया।

शबनम लूज़ टॉप और माइक्रो मिनी पहने क़यामत लग रही थी, लेकिन विनोद की आँखों पे स्मिता का चश्मा लगा था।
विनोद बिना हाई हेलो किये ही सकपका कर लौटने को हुआ कि बाथरूम से स्मिता निकल आई।

तन पे हल्की हल्की बूंदों में छोटे से तौलिये में आधे ढके चूचों और गोरी नंगी जांघों में स्मिता बहुत सेक्सी लग रही थी।

‘जानू, कहाँ जा रहा है?’ कहते हुए गले लग गई।

‘पर वो शबनम है यहाँ पर…’ विनोद कान में फुसफुसाया।

‘ओ वो…’ कहते हुए उसने शबनम को इशारे से बुला पास लिया- इसका बॉयफ्रेंड उसको छोड़ कर चला गया, यह भी प्यासी है। हमारे साथ वो भी तृप्त हो जाएगी तो तुझे कोई तकलीफ़ है?’ पूछते हुए स्मिता ने अपने होंठ विनोद के होठों पे रख दिए।

शबनम ने एक हाथ विनोद के कंधे पे रखा एक स्मिता के।
चुम्बन तोड़ते हुए स्मिता ने उसे शबनम के सुपुर्द किया।
शबनम ने भी विनोद का लंबा चुम्बन लिया, साथ ही विनोद की पैंट के ऊपर रगड़ कर लंड को जागृत करने लगी।

स्मिता ने तन्द्रा तोड़ी- मैं इसके कपड़े निकालती हूँ, विनोद तुम अपने निकालो।

स्मिता, शबनम विनोद की तरफ देख कर एक दूसरे को चूमने लगी और मम्मे मसलने लगी।
तीन जवां जिस्म अपनी पूरी नग्न सुंदरता के साथ एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे।
कभी शबनम और विनोद, स्मिता की चूत पे जिबान से कबड्डी खेलते, तो कभी शबनम और स्मिता लौड़े को चूसने की होड़ करती। विनोद ने दोनों को चोदा।

जब स्मिता का मन विनोद से भर गया तो उसका मिज़ाज बदला गया था।
स्मिता ने मुँह पे उसको कह दिया कि उसे कोई प्यार नहीं है और वो उससे दोबारा ना मिले।

अमेरीका आने के चंद दिन तो विनोद ने खुद को सँभालने की कोशिश की, सिगरेट पीता लेकिन आज शाम संभाल नहीं सका।

भावना ने कैसे अपने देवर को संभाला और उस रात कैसे ज़िन्दगी बदली… आगे के अंक में!
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भावना का यौन सफ़र-1