भाई बहन की चुदाई के सफर की शुरुआत-14

फिर हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और नीचे की तरफ चल दिए। हम दोनों नीचे पहुंचे और वापिस टेबल पर आ कर बैठ गए और भीड़ का हिस्सा बन गए। किसी को भी मालूम भी नहीं चला कि हम दोनों कहाँ थे और हमने क्या किया।

मुझे पाठकों के काफी मेल मिल रहे हैं औऱ सभी ने कहानी की तारीफ की है आप सभी पाठकों का दिल से धन्यवाद।

टेबल पर मैंने देखा कि दो लड़कियां बैठी है एक ही उम्र की… वो शायद जुड़वाँ बहनें थी क्योंकि उनका चेहरा काफी हद तक एक दूसरे से मिलता था।
ऋतु ने उनसे बात करनी शुरू की।

ऋतु- हाय… मेरा नाम ऋतु है… और ये है मेरा भाई रोहण!
उनमें से एक लड़की बोली- हाय ऋतु… मेरा नाम मोनी है और ये मेरी जुड़वाँ बहन सोनी।

वो दोनों बातें कर रहे थे और मैं अपनी आँखों से उन्हें चोदने में…दोनों ने जींस और टी शर्ट पहन रखी थी, दोनों काफी गोरी चिट्टी थीं। एक समान मोटी मोटी छातियाँ, पतली कमर, फैले हुए कूल्हे और स्किन टाइट जींस से उभरती उनकी मोटी-२ टांगें।
वो देखने से किसी बड़े घर की लग रही थी।

सोनी जो चुपचाप बैठी हुई थी… मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा दी। मैंने भी उसे स्माइल पास की। फिर हमने काफी देर तक एक दूसरे से बात की। उन्होंने बताया कि वो भी पहली बार यहाँ आई हैं और उनके पापा काफी बड़े बिज़नेसमैन हैं।

उनका रूम सामने ही था, मैंने कुछ सोच कर उनसे कहा- चलो, हमें भी अपना रूम दिखाओ!
और हम उनके साथ चल पड़े।
अन्दर जाकर देखा तो वो बिल्कुल हमारे जैसा रूम ही था। मैंने शीशे के पास जाकर देखा और उसे थोडा हिलाया… दूसरी तरफ का नजारा मेरे सामने था। मैं समझ गया कि यहाँ हर रूम ऐसे ही बना हुआ है जिस में शीशा हटाने से दूसरे रूम में देख सकते हैं।

हम ने थोड़ी देर बातें करी और वापिस लौट आये। मेरे दिमाग में अलग अलग तरह के विचार आ रहे थे। शाम को हम सभी बच्चों के लिए रंगारंग कार्यक्रम था। हम सब वहां जा कर बैठ गए।

थोड़ी देर में ही मैंने पेशाब का बहाना बनाया और वहां से बाहर आ गया और पास के ही एक रूम में जहाँ से रोशनी आ रही थी… चुपके से घुस गया। ड्राइंग रूम में कोई नहीं था। एक बेडरूम में से रोशनी आ रही थी, मैं उसके साथ वाले रूम में घुस गया, वहां भी कोई नहीं था।
मैंने जल्दी से दीवार पर लगे शीशे को हटाया और दूसरी तरफ देखा। मेरा अंदाजा सही था… वहां भी ओर्गी चल रही थी… दो औरतें और दो मर्द एक ही पलंग पर चुदाई समारोह चला रहे थे।

दोनों औरतें काफी मोटी और भरी छाती वाली थी। एक की गांड तो इतनी बड़ी थी कि मैं भी हैरान रह गया। वो एक आदमी का लंड चूस रही थी और दूसरी उसकी चूत चाट रही थी और उसकी गांड दूसरा आदमी मार रहा था।
पूरे कमरे में सिसकारियां गूंज रही थी।

मैंने जींस से अपना लंड बाहर निकाला और मुठ मारना शुरू कर दिया। जो औरत लंड चूस रही थी.. वो उठी और मेरी तरफ अपनी मोटी सी गांड करके कुतिया वाले आसन में बैठ गयी। एक आदमी पीछे से आया और अपना थूक से भीगा हुआ लंड उसकी चूत में डाल दिया।
दूसरी औरत भी उठी और उसके साथ ही उसी आसन मैं बैठ गयी और दूसरे आदमी ने अपना मोटा काला लंड उसकी गांड में पेल दिया। दोनों ने एक दूसरे को देखा और ऊपर हाथ करके हाई फाइव किया और एक आदमी दूसरे से बोला- यार, तू सही कह रहा था.. तेरी बीवी मंजू की गांड काफी कसी है.. हा हा!
दूसरे ने जवाब दिया- और तेरी बीवी की चूत भी कम नहीं है। शशि भाभी की मोटी गांड को मारने के बाद इनकी चूत में भी काफी मजा आ रहा है.
और दोनों हंसने लगे।

मैंने गौर किया कि उनकी बीवियाँ… मंजू और शशि भी उनकी बातें सुनकर मुस्कुरा रही है.
मैंने ये सोचकर कि वो दोनों कितने मजे से एक दूसरे की बीवियों की गांड और चूत मार रहे हैं, अपने हाथ की स्पीड बढ़ा दी। वहां चर्म-स्तर पर पहुँच कर मंजू और शशि की चीख निकली और यहाँ मेरे लंड से गाढ़ा गाढ़ा वीर्य उस दीवार पर जा गिरा।

मैंने अपना लंड अन्दर डाला और बाहर निकल गया। मैंने वापिस पहुँच कर ऋतु को इशारे से बाहर बुलाया। उसे भी प्रोग्राम में मजा नहीं आ रहा था, बाहर आकर मैंने ऋतु को सारी बात बताई। वो मेरी बात सुन कर हैरान हो गयी, उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैं ऐसे किसी और रूम में घुस गया पर जब चुदाई की बात सुनी तो वो भी काफी उत्तेजित हो गयी।

मैंने उसे अपना प्लान बताया। मैंने कहा- यहाँ कुछ ही लोग अपने बच्चे साथ लाये है। बाकी फॅमिली अकेली हैं और रोज शाम को प्रोग्राम के बहाने से बच्चों को बाहर निकाल कर वो अपने रूम में ओर्गी कर सकते हैं।

मैंने ऋतु से कहा- हम रोज किसी भी रूम में घुसकर देखेंगे कि वहां क्या हो रहा है. और अगर इस खेल को और भी मजेदार बनाना है तो कुछ और बच्चों को भी इसमें शामिल कर लेते हैं।

ये सब तय करने के बाद हम दोनों वापिस अपने रूम की तरफ आ गए। नेहा वहीं प्रोग्राम में बैठी थी। अन्दर आकर हमने नोट किया कि अजय चाचू के रूम की लाइट जल रही है। मेरे चेहरे पर मुस्कान दौड़ गयी और हम चुपके से अपने रूम में घुस गए।

शीशा हटा कर देखा तो अंदर वासना का वो ही नंगा नाच चल रहा था। आरती चाची और मेरी माँ पूर्णिमा नंगी लेटी हुई एक दूसरे को फ्रेंच किस कर रही थी। मेरी माँ की गांड हवा में थी जबकि चाची पीठ के बल लेटी हुई अपनी टाँगें ऊपर किये हुए मेरे पापा का मूसल अपनी चूत में पिलवा रही थी।

मैंने ऋतु के कान में कहा- देखो तो साली आरती चाची कैसे चुदक्कड़ औरत की तरह अपनी चूत मरवा रही है… कमीनी कहीं की… कैसे हमारे बाप का लंड अपनी चूत में ले कर हमारी माँ के होंठ चूस रही है कुतिया…
ऋतु भी हमारी चाची की कामुकता और अन्दर का नजारा देखकर गर्म हो चुकी थी, मेरी गन्दी भाषा सुन कर वो भी उत्तेजित होते हुए बोली- हाँ भाई देखो तो जरा, हमारी कुतिया माँ को, कैसे अजय चाचू के घोड़े जैसे काले लंड को अपनी गांड में ले कर चीख रही है मजे से… मम्मी के चुचे कैसे झूल रहे हैं और आरती चाची कितने मजे से उन्हें दबा रही है और पापा का लंड तो देखो कितना शानदार और ताकतवर है, कैसे चाची की चूत में डुबकियां लगा रहा है… काश मैं होती चाची की जगह!

मैं समझ गया कि अगर ऋतु को मौका मिला तो वो अपने बाप का लंड भी डकार जायेगी।

पापा ने अपनी स्पीड तेज कर दी, आरती चाची की आवाजें तेज हो गयी, वो लोग समझ रहे थे कि घर में वो अकेले हैं, बच्चे तो बाहर गए हैं इसलिए वो तेज चीखें भी मार रहे थे और तरह तरह की आवाजें भी निकाल रहे थे।

तभी चाची चिल्लाई- आआह्ह… माआआह… जेठ जी… चोदो मुझे… और जौरर सेईईई… आआहहह… फाड़ डालो मेरी चूत… बड़ा अच्छा लगता है आपका लंड मुझे… चोदो… आआअह्ह…
चाची ने एक हाथ से मेरी माँ के चुचे बुरी तरह नोच डाले।
मेरी माँ तड़प उठी और जोर से चिल्लायी- आआआ आआअह्ह कुतियाआअ… छोड़ मेरी छाती… साली हरामजादी… मेरे पति का लंड तुझे पसंद आ रहा है… हांन्न… और तेरा ये घोड़े जैसा पति जो मेरी गांड मार रहा है उसका क्या… बोल कमीनी… उसका लंड नहीं लेती क्या घर में… मेरा बस चले तो मैं अपने प्यारे देवर का लंड ही लूं…
मेरी माँ चिल्लाये जा रही थी और अपनी मोटी गांड हिलाए जा रही थी।

अजय चाचू ने अपनी स्पीड बढ़ाई और मेरी माँ के कूल्हे पकड़ कर जोर से झटके देते हुए बोले- भाभी… ले अपने प्यारे देवर का लण्ड अपनी गांड में… सच में भाभी आपकी गांड मार कर वो मजा आता है कि क्या बोलूं… आआआह्ह्ह… तेरे जैसी हरामजादी भाभी की गांड किस्मत वालों को ही मिलती है… चल मेरी कुतिया… ले ले मेरा लंड अपनी गांड के अन्दर तक्क्क…
और चाचू ने अपना लावा मेरी माँ की गांड में उड़ेलना शुरू कर दिया।

मेरी माँ के मुंह से अजीब तरह की चीख निकली- आय्यय्य्य्यी… आआआह..
और उन्होंने आधे खड़े होकर अपनी गर्दन पीछे करी और अजय चाचू के होंठ चूसने लगी। चाचू का हाथ माँ की चूत में गया और माँ वहीं झड़ गयी- आआआह्ह… म्मम्मम…

वहां मेरे पापा भी कहाँ पीछे रहने वाले थे- ले आरती… मेरी जान… मेरी कुतिया… अपने आशिक जेठ का लंड अपनी चूत में ले… तेरी चूत में अभी भी वो ही कशिश है जो सालों पहले थी… और तेरे ये मोटे मोटे चुचे… इन पर तो मैं फ़िदा हूँ…
यह कह कर पापा ने झुक कर आरती चाची के दायें चुचे को मुंह में भर लिया और जोर से काट खाया।

चाची चीखी- आआअह कुत्त्त्ते… छोड़ मुझे… आह्ह्ह्ह… म्म्म्म म्म्म्मम्म
और मेरे पापा का मुंह ऊपर कर के उनके होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए और चूसने लगी किसी पागल बिल्ली की तरह।
पापा से सहन नहीं हुआ और अपना रस उन्होंने चाची के अन्दर छोड़ दिया। चाची भी झड़ने लगी और अपनी टाँगें पापा के चारों तरफ लपेट ली।
सभी हाँफते हुए वहीँ पलंग पर गिर गए।

ऋतु ने घूम कर मुझे देखा, उसकी आँखें लाल हो चुकी थी, उसने अपने गीले होंठ मुझ से चिपका दिए और मेरे हाथ पकड़ कर अपने सीने पर रख दिए। मैंने उन्हें दबाया तो उसके मुंह से आह निकल गयी।
मैंने उसे उठा कर पलंग पर लिटाया और उसके कपड़े उतार दिए। ऋतु की चूत रिस रही थी अपने रस से… मैंने अपना मुंह लगा दिया उसकी रस टपकाती चूत पर और पीने लगा.

वो मचल रही थी बेड पर नंगी पड़ी हुई, उसने मेरे बाल पकड़ कर मुझे ऊपर खींचा और अपनी चूत में भीगे मेरे होंठ चाटने लगी और अपना एक हाथ नीचे ले जा कर मेरे लंड को अपनी चूत पर टिकाया और “सुर्रर” करके मेरे मोटे लण्ड को निगल गयी।

ऋतु ने किस तोड़ी और धीरे से चिल्लाई- आआआहहह…
आज वो काफी गीली थी। मैंने अपना मुंह उसके एक निप्पल पर रख दिया… वो सिहर उठी और प्यार से मेरी तरफ देखकर बोली- मेरा बच्चा…
ये सुनकर मैंने और तेजी से उसका “दूध” पीना शुरू कर दिया।

ऋतु ने मुझे नीचे किया और मेरे ऊपर आ गयी.. बिना अपनी चूत से मेरा लंड निकाले और अपने बाल बांध कर तेजी से मेरे ऊपर उछलने लगी। मैंने हाथ ऊपर करे और उसके चुचे दबाते हुए अपनी आँखें बंद कर ली।
जल्दी ही वो झड़ने लगी और उसकी स्पीड धीरे होती चली गयी और अंत में आकर उसने एक जोर से झटका दिया और हुंकार भरी और मेरे सीने पर गिर गयी।

अब मैंने उसे धीरे से नीचे लिटाया, वो अपने चार पायों पर कुतिया की तरह बैठ गयी और अपनी गांड हवा में उठा ली। मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला और झटके देने लगा। मेरी एक उंगली उसकी गांड में थी।

मैंने किसी कसाई की तरह उसे दबोचा और अपना घोड़ा दौड़ा दिया। वो मेरे नीचे मचल रही थी। मैंने हाथ आगे करे और उसके झूलते हुए सेब पर टिका दिए। मेरा लंड इस तरह काफी अन्दर तक घुस गया।
मेरे सामने आज शाम की घटना और दूसरे रूम में हुई शानदार चुदाई की तसवीरें घूम रही थी। ये सोचते सोचते जल्दी ही मेरे लंड ने जवाब दे दिया और मैंने भी अपने लंड का ताजा पानी अपनी बहन के गर्भ में छोड़ दिया।

बुरी तरह से चुदने के बाद ऋतु उठी और बाथरूम में चली गयी।
मुझे भी बड़ी जोर से सुसु आया था, मैंने सिर्फ अपनी चड्डी पहनी और दरवाजा खोल कर बाहर बने कॉमन बाथरूम में चला गया। मैंने अपना लंड निकाला और मूत की धार मारनी शुरू कर दी।

मैंने मूतना बंद ही किया था कि बाथरूम का दरवाजा खुला और आरती चाची नंगी अन्दर आई और जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया, पर जैसे ही मुझे देखा तो वहीं दरवाजे पर ठिठक कर खड़ी हो गयी। मेरे हाथ में मेरा मोटा लंड था।

आगे की चुदाई कहानी पन्द्रहवें भाग में। आप अपने विचार मुझे मेल कर सकते हैं, साथ ही इंस्टाग्राम पर भी जोड़ सकते हैं।
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