बीवी, भाभी और उसकी नासमझ बहन-2

दोनों ही औरतें गहरे गोल गले के ब्लाउज पहनतीं जिनमे से उनकी चूचियाँ साफ-साफ दिखें, नाभि से नीचे साड़ी बांधती और दो अर्थी संवाद करती थीं, मुझे किसी न किसी बहाने से बुला भेजती।

एक दिन भाभी ने मुझे बुलाया और कहा- देवरजी, मेरा पेट दुःख रहा है, आप ज़रा मेरी नाप देख दो।

उस समय वह ब्रा और पेटीकोट में ही नीचे चटाई पर बैठी हुई थीं।

मैं वहाँ शरमा रहा था तो उन्होंने कहा- आप शरमाओ मत, मुझे बुरा नहीं लग रहा तो आप क्यों शरमा रहे हो? चलो, जल्दी से मेरी नाप देखो।

और मेरे हाथ को पकड़कर अपनी नाभि पर ले गई।

मेरे हाथ कांपने लगे तो उन्होंने मेरे हाथ से अपना पेट सहलाया और झट से अपनी चूची पर रख दिया और बोली- नाप तो यहाँ है।

मैं क्या करता, मैंने उनसे कहा- कोई देख लेगा, मरवाओगी क्या?

उन्होंने कहा- रामू दूकान गया है और रोशनी सो रही है दो घंटे में उठेगी। चल जल्दी से चोद दे।

अब मैं भी जोश में आ गया था तो उनकी चुन्चियों को रगड़ने और मसलने लगा।

वह सी… सी… करने लगीं।

मैंने उन्हें पूरी तरह से नंगा किया और अपने भी कपड़े उतारे और उनकी भोसड़ी को चाटने लग गया।

वह उह… आह्ह… की आवाज़ें करने लगीं।

थोड़ी देर बाद ही रोशनी भी वहाँ आ धमकी और उसने कहा- भाईसाब, यह आप क्या कर रहे हो? शर्म नहीं आती अमानत में खयानत करते। हम आप को ऐसा नहीं समझते थे।

मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम थी। मैंने हाथ जोड़े और कहा– भाभी, किसी से कहना नहीं।

इधर भाभी भी गिड-गिड़ाने का नाटक करने लगीं।

रोशनी ने कहा- मैं तो तब ही चुप रहूँगी, जब तुम मुझे भी चोदो।

मेरे पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं था।

मैंने हाँ कर दी।

अब वह भी कपड़े उतार कर आ गई।

अब मैं नीचे लेटा हुआ था और भाभी मेरे लंड पर बैठ गई, उसके बैठते ही मेरा लंड करीब दो इंच उनकी योनि में चला गया।

मैंने भी नीचे से धक्का लगाया तो आधे से ज्यादा लंड उनकी चूत में जा पहुँचा, दो तीन धक्को के बाद पूरा लंड वो अपनी चूत में घुसा चुकी थी।

रोशनी आकर मेरे मुँह पर बैठ गई और अपनी चूत चटवाने लगी, मैं नीचे से धक्के लगा लगाकर भाभी को चोद रहा था और रोशनी अपनी चूत घिस-घिस कर आनन्द ले रही थी।

कुछ धक्के और लगाने पर भाभी कूल्हे मटकाने लगीं।

इधर रोशनी सी… सी… कर के सीत्कारें मार रही थी।

अचानक गुड्डी वहां आ जाती है और कहती है- भैया, तुम सब ये क्या कर रहे हो? चूत फाड़ रहे हो? चूत फाड़कर भोसडी बनाओगे? मुझे भी अपनी चूत फड़वानी है।

भाभी कहती हैं- चल तू नंगी होकर आ और रोशनी की जीभ चूस।

अब गुड्डी भी नंगी होकर आ जाती है और रोशनी की जीभ चूसने लगती है।

मैं भाभी की चूत को जोर-जोर से चोदने लग जाता हूँ। भाभी झड़ने के करीब पहुँच जाती हैं और मुँह से आवाज़ कर करके मेरा जोश बढ़ाती हैं।

अब उसका पानी छुटने को होता है। वह आह… सी… सी… करती हुई जोर-जोर से उछलती हैं।

दो-चार धक्कों के बाद वो झड़ने लगती है। उसका पानी चू जाता है।

उसकी चूत रस से भर जाती है।

अब रोशनी भी उत्तेजना में आ जाती है और वह मेरे मुँह से उतर कर मेरे लंड पर बैठ जाती है।

उसके बैठते ही मैं जोर का धक्का उसकी पानी छोड़ती चूत पर दे मारता हूँ।

लंड गपाक से उसकी चूत में घुस जाता है। वह भी चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदती है।

मेरा लंड दोहरी गर्मी पाकर उबलने लगता है। हम दोनों के पसीने से शरीर लथपथ हो जाते हैं।

थोड़ी देर में रोशनी भी झड़ने के करीब पहुँच जाती है।

वह जोर-जोर से मेरे लंड पर हिलती है। मेरे धक्कों की स्पीड भी जोर पकड़ लेती है।

गुड्डी कहती है- मैं क्या करूँ, भाईसाब?

इस पर भाभी उसका मुँह मेरे लंड पर लगा देती हैं और उससे मेरा लंड रोशनी की चूत से निकालकर चुसवाती हैं और फिर से रोशनी की चूत में घुसवा देती हैं।

गुड्डी के भी बोबे काफी फूल गए थे वे काफी मोटे हो गए थे।

सांसो की गति के साथ वह भी काफी उत्तेजना में आ गई थी उसकी चूत से भी एक धार सी बह रही थी।

उसकी चूत से बहते पानी को भाभी चाट रही थीं।

रोशनी ने आसन बदल कर चुदवाना शुरू कर दिया था। अब वह नीचे लेट कर चुदवा रही थी।

मैंने दस पांच धक्को के बाद एक जबरदस्त धक्का रोशनी की चूत में लगाया तो वह चिहुंक उठी।

अब उसकी भी चूत पानी छोड़ने लगी।

भाभी ने कहा- देवर जी, आज तो मेरी बहन को भी लंड का स्वाद चखा ही दो।

मैंने कहा- अभी तो यह छोटी है।

भाभी ने कहा- कुछ छोटी नहीं है, आराम से पूरा लंड निगलेगी। इसकी भी फुद्दी शांत हो जाएगी। बेचारी काफी दिनों से तड़फ रही है लंड खाने को। तुम जैसा आदमी तो घर का बन्दा है आराम से चोदेगा, निहाल हो जाएगी।

मैंने कहा- भाभी पहले इसकी चूत को चाट-चाट कर चिकनी कर दो जिससे आराम-आराम से लंड इसकी चूत में चला जायेगा और इसको दर्द भी कम होगा।

इस पर भाभी गुड्डी की चूत चाटने लगीं, कुछ ही देर में वह गांड उछालने लगी।

मैंने कहा- अब यह लंड खाने को तैयार है और अपना लंड उसकी कोरी चूत पर रख कर हल्का सा धक्का दिया।

लंड सरकता हुआ उसकी योनि के मुहाने पर अटक गया।

गुड्डी मारे दर्द के चीख पड़ी- जीजी, मर गई, दर्द हो रहा है। मुझे नहीं फड़वानी अपनी चूत, नहीं बनवानी भोसड़ी। इस लंड को बाहर निकालो।

उसकी जीजी ने उसके बालो में हाथ फेरा और उसके बोबे सहलाये, तब उसे थोड़ा आराम मिला।

अब मैंने साँस रोक कर एक भरपूर झटका उसकी चूत पर मारा तो आधे से भी ज्यादा लंड उसकी चूत में समा गया।

उसकी घुटी-घुटी सी चीख फिर निकल गई।

उसकी गर्दन इधर-उधर पड़ने लगी, उसे बहुत तेज दर्द हो रहा था।

उसकी चूत की झिल्ली फट गई थी।

चूत से खून छुट गया था।

वह लंड को बाहर निकलने का प्रयास करने लगी। लेकिन मेरी पकड़ उसकी कमर पर बहुत मजबूत थी।

वह हिल भी नहीं सकी थी।

रोशनी उसके स्तन सहलाने लगी और भाभी उसके बालो में हाथ फिर रही थीं। थोड़ी देर में उसे आराम मिला तो मैंने बाकी बचा लंड भी योनि में उतार दिया।

वह लगभग बेहोश ही हो गई थी, उसने सुधबुध खो दी थी।

थोड़े इन्तजार के बाद उसके ऊपर पानी के छींटे मारे तो वह होश में आई।

भाभी ने उसके बोबे सहलाये और रोशनी ने उसके सर में हाथ फेरा और शरीर पर जगह-जगह चूमा तो वह सामान्य हुई तो मैंने भी अपने धक्के तेज किये।

अब उसकी भी कमर चलने लगी थी, उसे भी मजा आने लगा था।

कुछ देर में वह चरम पर पहुँचने लगी, वह अपुष्ट शब्दों में बद्बदाने लगी थी आह… जीजी… ये क्या हो रहा है… मेरे अन्दर से कुछ निकल रहा है… अह… आह।

और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी।

मेरा भी लंड पिचकारी छोड़ने लगता है, जिसे भाभी और रोशनी पी जाती हैं। कुछ बूँदें गुड्डी को भी वे चटा देती हैं।

इतने मैं रामू आ गया- अच्छा, तो तुम दोनों और ये गुड्डी मेरे पीछे से ये गुल खिलाती हो, अब इसी से चुदाना।

वह बाहर से बनावटी गुस्सा दिखाकर कहता है, और घर के अन्दर घुस जाता है।

और इस तरह मैं अपने दोस्त रामू की मौजूदगी में ही तीनों को बजाने लगा।

मेरी यह कहानी कैसे लगी, ई मेल करियेगा।