तीन चूतों से खाट कबड्डी

मैंने फोन उठाया तो स्नेहा की बुआ की लड़की परी बोल रही थी। मैं परी से मिल चुका था, वो बहुत ही सेक्सी किस्म की बिंदास लड़की थी।

उसने मुझसे कहा- क्या यार आकाश… रोज स्नेहा को ही चोदोगे या हमारा भी कभी नंबर आएगा?

इतना सुनते ही मेरा लण्ड तनतना गया।

मैंने कहा- जब कहो जानेमन.. तब चोद दूँ..!

वो बोली- तो आ जाओ आज.. हो जाए.. ‘खाट-कबड्डी’..!

मैंने ‘हाँ’ बोल कर फोन काट दिया।

मैंने सोचा कि साली मजाक कर रही होगी।

जब मैं स्नेहा के घर पहुँचा, तो रोज की तरह पहले फोन किया, उसने खिड़की खोली।

चूँकि सर्दी का महीना था, इसलिए सब जल्दी ही सो गए थे।

मैं जल्दी से अन्दर चला गया।

अन्दर परी और प्रतीक्षा (परी की बहन) अन्दर लेटकर ब्लू-फिल्म देख रही थी और अपनी चूत सहला रही थी। मुझे देखते ही वे मुस्कुराने लगीं।
मैंने प्रतीक्षा से मुखातिब हुआ- अरे तुम भी आई हुई हो..!
तो वो हँसने लगी।

तभी परी बोली- तुम्हें हमारी चूत फाड़ने के बाद ही यहाँ से जाने का मौका मिलेगा।

परी एक नंबर की रंडी थी.. लेकिन है बहुत सेक्सी… उसका नाम लेकर न जाने कितने लौंडे मुठ मारते होंगे..!

मैं बोला- तो ठीक है, एक साथ चुदोगी या एक एक करके..!

परी और स्नेहा तो अपनी टॉप उतारने लगीं, लेकिन प्रतीक्षा शरमा रही थी, शायद ये उसकी पहली चुदाई थी।

यह सोचकर कर मैं और खुश हो गया फिर मैं सीधे प्रतीक्षा के पास गया।

स्नेहा और परी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं और मुझसे चिपक कर चूमा-चाटी करने लगीं और मेरे कपड़े खींचने लगीं।

वैसे भी ब्लू-फिल्म देखकर उनकी भी चूत गीली हो गई थीं।

मैं प्रतीक्षा के पास पहुँच कर उसके पतले रस भरे होंठों को अपने होंठों से चूमने लगा और एक-एक करके उसके कपड़े उतारने लगा।

दो मिनट में उसको पूरा नंगा कर दिया और बेड के सिरहाने बैठा कर उसके दोनों टाँगें खोल कर उसकी चूत से अपने होंठों को लगा दिया।
उसकी कुंआरी बुर का नमकीन स्वाद और हल्की खुशबू मुझे मदहोश करने लगी।

स्नेहा और परी भी अब सारे कपड़े उतार कर चूत को रगड़ने लगी थीं। किसी की चूत पर एक भी झांट के बाल नहीं थे। तीनों ने ही बाल साफ किए हुए थे।

मुझे बुर चूसते देख कर वे दोनों भी प्रतीक्षा के अगल-बगल बुर चटवाने बैठ गईं। मैं बारी-बारी से तीनों ही की चूत चाटने लगा, उनकी सिसकारियाँ निकल रही थीं और वो एक-दूसरे की चूत सहला रही थीं।

अब मुझसे रहा न गया, मैंने भी अपनी जीप खोलकर अपना 8 इन्च लम्बा लण्ड निकाल कर परी के मुँह में पेल दिया और मुँह में चोदते हुए अपने कपड़े उतारने लगा।

वो ‘सुडुप-सुडुप’ करके मेरा लण्ड अपने मुँह में ले रही थी।

उसके बाद प्रतीक्षा की बारी आई वो मेरे सुपाड़े को मुँह में लेकर जीभ से चाटने लगी। इससे मुझे बहुत मजा आ रहा था।

अब स्नेहा की बारी थी, उसके मुँह में देते हुए मैंने परी के बाल पकड़े और एक तरफ स्नेहा के और दोनों के होंठों को लण्ड के दोनों तरफ लगा कर प्रतीक्षा के मुँह को सामने की तरफ रखकर पेलने लगा, जिससे लण्ड का सुपारा सीधे प्रतीक्षा के मुँह में जा रहा था।

पूरे कमरे में सिर्फ “आह.. उह.. फच्च.. खच्च” की आवाजें ही आ रही थीं.. मस्ती के मारे मैं प्रतीक्षा के मुँह में ही झड़ गया।

उसने मेरा वीर्य तुरन्त ही मेरे लण्ड पर थूक दिया, इससे मेरा लण्ड दम चिपचिपा हो गया। मैंने बिस्तर पर लेट कर परी को इशारा किया।

वो मेरे लण्ड पर बैठ गई और हाथ पकड़कर मेरे लण्ड को चूत में घुसेड़ कर ऊपर-नीचे करने लगी और स्नेहा मेरे मुँह पर चूत रखकर बैठ गई।
मैं उसकी चूत चाटने लगा।

एक हाथ से मैं प्रतीक्षा की चूत में अँगुली करने लगा, वो टांग फैला कर बैठ गई थी।

परी के मुँह से सिर्फ सिसकारियाँ निकल रही थीं।

मैं स्नेहा की चूत चाटने में मस्त था फिर फिर स्नेहा बुर मरवाने लण्ड पर बैठ गई और परी मेरे मुँह पर बैठ गई।

मैं प्रतीक्षा के चूत में अँगुली करता रहा। अब प्रतीक्षा की बारी थी। लेकिन उसका कौमार्य अभी तक सुरक्षित था अतः मैंने आसन बदला। अब प्रतीक्षा का कौमार्य भँग करने के लिए उसे फिर से गर्म करना जरूरी था।

मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया, परी और स्नेहा उसके आजू-बाजू होकर उसकी चूचियाँ सहलाने लगीं। मैं उसके ऊपर लेट कर अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी, वो मेरी जीभ को बेतहाशा चूसने लगी।

फिर मैं उसकी चूचियों को मुँह में लेकर उसको और गर्म करने लगा। उसके नरम गुलाबी चूचक चूसने में मजा आ रहा था।
उसके स्तन फिर कड़क हो गए थे।

मैं उसकी नाभि को चूमता हुआ उसकी चूत पर आ गया और चूत के मटर जैसे दाने को चाटने लगा। उसके मुँह से सिसकारियाँ और तेज हो गईं। उसकी चूत से पानी निकल रहा था।

स्नेहा और परी उसके होंठों तथा शरीर को चूमने-चाटने में लगी थीं, गरम लोहे पर हथौड़ा मारने का यही सही मौका था।

मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत से रगड़ा, तो वो तड़प उठी। अब मैंने हल्का सा दबाव डाला तो वह चिल्ला उठी।

अब उसके एक हाथ को स्नेहा ने और एक हाथ को परी ने पकड़ा। मैं उसके ऊपर आकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, ताकि कोई आवाज ना निकल सके।

फिर मैंने एक हाथ से लण्ड पकड़ कर उसकी चूत पर रगड़ते हुए एक जोरदार ठाप लगाई। मेरा सुपारा एक झटके में अन्दर चला गया, उसने चीखने की कोशिश की, पर होंठ दबे होने के कारण आवाज न निकल सकी।

तभी मैंने एक धक्का और दिया तो पूरा लण्ड उसके कौमार्य को चीरता हुआ पूरा अन्दर समा गया।

इस बार प्रतीक्षा की आँखों में आँसू आ गए, चूत से खून निकलने लगा।

मैं दर्द को सहने के लिए कुछ समय वैसे ही रुका रहा, फिर धीरे धक्के लगाने शुरू किए।

10-15 धक्कों के बाद मैं रुक गया और स्नेहा को गीला कपड़ा लाने को बोला।

फिर अपने लण्ड पर लगे खून को अच्छी तरह साफ करके मैंने प्रतीक्षा की चूत भी पोंछ दी। अब मैं परी से अपना लण्ड चुसवाने लगा और स्नेहा प्रतीक्षा की चूत चाटने लगी।

एक बार फिर प्रतीक्षा गरम हो गई। अब मैंने लण्ड एक बार फिर उसकी चूत में डाल दी। इस बार वो गाँड उचका कर मेरा साथ देने लगी।

लगभग 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद उसका बदन अकड़ने लगा, मैं समझ गया वो झड़ने वाली है और वो कुछ ही पलों में झड़ गई।

कुछ देर बाद मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया।

एकदम मस्त चुदाई के बाद हम वैसे ही शिथिल पड़े रहे।

फिर हमें नींद आने लगी, पर नींद कहाँ से आती, दो-दो चुदक्कड़ लौंडियाँ स्नेहा और परी ने मिलकर मेरी गांड का पसीना निकाल दिया। छिनालों ने मेरा यौन शोषण करने के लिए रम की बोतल निकाली और मुझे नीट दारु पिलाई और खुद भी डकार गईं।

दारु पीने के बाद परी ने मुझे एक सिगरेट जला कर दी और खुद भी एक सिगरेट पीने लगी और मुझसे बोली- लगा ले सुट्टा और मेरी चूत पर चढ़ जा हरामी..!
मैंने भी मदहोशी के आलम में उन दोनों मस्त चूतों को खूब चोदा और झड़ कर वहीं निढाल होकर गिर गया। कब सो गया मुझे मालूम ही नहीं चला।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।