अतिथि-2

कुछ देर बाद हमारे लंडों को रूसी गोरी लड़की के मुंह में पूरा अन्दर घुसने की इच्छा जोर पकड़ने लगी और हम बारी-बारी से अपने लंडों को उसके होठों के बीच घुसा कर बाहर निकालने लगे.
एक बार दीमा उसके सिर को पकड़ कर अपने लंड की ओर घुमाता और लंड को मुंह में घुसेड़ कर बाहर निकाल लेता तो मैं उसका सिर पकड़ कर अपनी ओर कर लेता और यही प्रक्रिया दोहराने लगा.
कुछ देर इसी प्रकार चोदने के पश्चात् हम दुबारा अपने दोनों लंड सेक्स की देवी के सबसे बड़े छेद में घुसेड़ देते और खूब घिच-पिच कर मुंह को इकट्ठा चोदने लगते. मेरे अपेक्षाकृत छोटे टोपे के मेरी पत्नि के मुंह में होने के कारण जब काफी प्रयास के बाद भी दीमा के लंड का मोटा टोपा अन्दर नहीं घुस पाया तो मैंने सज्जनता का परिचय देते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया.

लेकिन दीमा ने तुरंत अपने झटके मारते हुए अपने लंड को नताशा की धधकती हुई भट्टी समान मुंह में घुसेड़ दिया और दोनों हाथों से उसका सिर पकड़ कर अपने लंड को मुंह की पूरी लम्बाई में घुसेड़ते, और बाहर निकालते हुए चुदाई करने लगा.
यह देखकर मुझसे भी नहीं रहा गया और दीमा के लंड के बाहर निकलने की प्रतीक्षा कर मैंने भी उसी तरह मुंह-चुदाई प्रारंभ कर दी. जैसे ही मैंने लंड को एक सेकंड के लिए बाहर निकाला तो दीमा ने उसी प्रकार दांव लगाते हुए अपना मोटा लंड मेरी जीवनसंगिनी के मुंह में घुसेड़ दिया.

नताशा के मुंह से लार की लकीर बह चली थी और दीमा के लंड के बाहर निकलने के साथ-साथ उसी के संग बाहर तक खिंची चली गई. अब मेरी बारी थी और मैंने बिना देरी किए अपना हिलोर मारता हुआ लंड रूसी पत्नि के मुंह में घुसेड़ दिया, और उसका सिर पकड़ कर उसके दांतों के बीच से जीभ के ऊपर घस्से मारता हुआ मस्ती में चुदाई करने लगा.

मैं इस बार धीमे-धीमे धक्के मारता हुआ चोद रहा था जिससे दीमा को अपना लंड अन्दर घुसेड़ने का कोई मौका नहीं मिल पा रहा था. कोई और नजदीकी छेद ना मिल पाने के कारण दीमा ने अपने मोटे लंड को मेरी पत्नि के वक्ष और उसकी बाँह के बीच घुसेड़ कर अन्दर-बाहर करने लगा.

पतली, गोरी, सुन्दर बाजू के बीच रगड़ मारता दीमा का लंड किसी आततायी की तरह नताशा के गुलाबी ब्लाउज को उधेड़ने लगा, और फिर हम दोनों लड़कों ने अपने हाथों से उसे नताशा के शरीर से अलग कर दिया. इस प्रक्रिया से आए व्यवधान की वजह से अब हमारी पोजीशन बदल गई थी. दीमा के लंड ने ब्लोंड लड़की का मुंह वापस कब्ज़ा कर उसमे अपने मोटे लंड द्वारा उथल-पुथल करनी शुरू कर दी थी और मैं नताशा की दूसरी, बाईं बांह और वक्ष स्थल के बीच में लंड को घिसने लगा था.

कुछ देर इसी प्रकार खेलने के बाद हमने एक छोटा सा ब्रेक लेने का फैसला किया और आगे की स्ट्रेटेजी प्लान करने लगे.

“डार्लिंग, तुम्हें घुड़सवारी पसंद है ना! चलो, आज नए घोड़े के ऊपर बैठ कर मजे लो, और मैं पीछे खड़ा होकर तुम्हारी प्यारी सी गांड को ठोकूंगा!” मैंने नताशा के मूड के अनुसार एक शानदार ऑफर पेश किया.
मेरी पत्नि सहमति में सिर हिलाते हुए बेड पर लेट चुके दीमा के पेट के ऊपर पैर फैला कर घुटने अगल-बगल में टिकाए हुए बैठ गई. दीमा ने अपने मूसल लंड से मेरी पतिव्रता पत्नी की चूत को टहोकना शुरू कर दिया. उसने अपने मोटे टोपे को अन्दर घुसेड़ कर अभी दो-चार धक्के ही मारे थे कि मेरी बीवी ने अपने दाहिने हाथ से उसके लंड की गति को ब्रेक लगाया और फिर अपनी रसीली, गुलाबी चूत से बाहर निकाल कर अपनी गांड के छेद से सटा दिया! इसके उपरांत उसने अपनी गांड को पीछे की ओर चला कर दीमा के मोटे-गोरे लंड को अपने छोटे छेद में घुसवा लिया!

इसके बाद वो अपनी बोझिल आँखों से मेरी तरफ देखती हुई कहने लगी- आओ प्रिय.. तुम भी अपना शौक पूरा कर लो!
मैं फटी-फटी आँखों से अपनी पत्नि के दीमा के भयंकर लंड द्वारा ठसाठस भरी गांड को देखता रह गया जब मेरी प्यारी, गुड़िया जैसी नाजुक पत्नी ने अपनी गांड चलाना शुरू कर दीमा के लंड को अन्दर लेना भी शुरू कर दिया था.
इतनी बेबाक पत्नी को देखकर मैं अवाक् रह गया था लेकिन फिर मैंने स्थिति की नाजुकता को समझते हुए दीमा के लंड के ऊपर से अपनी भार्या के छोटे से छेद को कुरेदना शुरू कर दिया. थोड़े से प्रयास के बाद मैंने भी अपना लंड दीमा के लंड के सामानांतर नाता की गांड में घुसेड़ दिया. मेरी सफ़ेद रूसी गुड़िया ने अपना मुंह खोल कर हल्की-हल्की कराह भरते हुए अपने सीधे हाथ से नितम्ब को भरसक चीरने की चेष्ठा के साथ अपने बचपन के दोस्त और अपने पति के लंडों को अपनी गांड में घुसवाना प्रारंभ कर दिया.

उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि उसे बहुत मजा नहीं आ रहा था, लेकिन वो आने वाले समय में बहुत मजा पाने वाली थी!
“आह.. आह.. आह.. अपने लंड को थोड़ा सा सीधा करके अन्दर घुसेड़ो प्रियतम!” धीमे स्वर में हुंकारते हुए पत्नी ने मुझसे विनती की और मैंने थोड़ा नीचे को झुकते हुए अपनी स्थिति को सुधार लिया.
अब दीमा संग हमारे लंड और सरलता से रूसी सुन्दरी की गांड में अन्दर-बाहर होने लगे. मैंने अपना सीधा हाथ अपनी जीवनसंगिनी की कमर के ऊपर रख दिया और लंड को और अधिक बाहर निकाल कर गांड के अन्दर घुसेड़ने लगा.

समय के साथ अब नताशा के चेहरे की मुस्कान लौटने लगी थी और वो अपने चूतड़ों को और तेजी के साथ आगे-पीछे करते हुए दोनों लंडों को अपनी गांड में सैर करवा रही थी.
“आआआह.. ओ माय गॉड! क्लास…” मैंने नाता की पीठ पर अपने हाथ का दबाव डालते हुए लंड को तेज रफ़्तार से ठसाठस भरी गांड में चला दिया, तो नताशा अपनी आँखें फैला कर हुंकार भर उठी.
और फिर मुस्कुरा कर मेरी तरफ देख कर बोली- बहुत मजा आ रहा है… आज तो तुम कतई जवान हो उठे हो और किसी कसाई की तरह मेरी गांड में चाकू चला रहे हो!
मैंने उसे आंख मारते हुए सांत्वना दी और लंड की गति को कम कर दिया.

लेकिन रेस लगाते हुए क्या कोई धीमी रफ़्तार से भाग कर जीतने की सोच सकता है! कुछ धक्के लगाने के बाद मेरे लंड ने स्वतः रफ़्तार पकड़ ली और मैं दुबारा हुचक-हुचक कर चुदाई करने लगा. अब तक नताशा की गांड काफी अभ्यस्त हो चुकी थी और वो बिना परेशानी दोनों लंडों को अपने गांड छिद्र में जगह दे रही थी. अपने चौपायों पर लेटी हुई शानदार ब्लोंड लड़की का दैदीप्तिमान चेहरा हमारी आँखों को चौंधिया दिए जा रहा था, उसके शरीर से निकलता तेज कमरे के वातावरण को उसी के रंग में रंगे जा रहा था.

‘उह.. उह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उह.. आआआआह..’ मैंने लंड की रफ़्तार बढ़ाते हुए चार-छह करारे धक्के नताशा की गांड में दिए तो उसने अपना मुंह खोल दिया, और फिर लोमड़ी की तरह कुटिल मुस्कान के साथ मुस्कुराने लगी.
नीचे लेटे दीमा ने लड़की के दोनों कलाइयों को आपस में जोड़ते हुए उसकी पीठ के पीछे ले जाकर रख दिया और अपने सीधे हाथ से जकड़ कर बाएँ हाथ से उसके चूतड़ों को फैलाते हुए नीचे से धक्के लगाना जारी रखा. मेरा भी दायाँ हाथ पत्नि की गांड को फ़ैलाने में मदद कर ही रहा था.

इस शानदार चुदाई के चलते इतना मजा आने लगा था कि मन कर रहा था कि यह गांड चुदाई कभी भी ख़त्म ना हो…

लेकिन तभी नताशा के बोझ से दबे दीमा ने मेरी पत्नी के कूल्हे पकड़ कर उसे ऊपर की ओर उभारते हुए अपने लंड को बाहर कर लिया. मेरी आँखों के ठीक सामने मौजूद भक्काड़ा छेद के अन्दर उथल-पुथल मची हुई थी.. छोटे-छोटे टिश्यू फ़ैल और सिकुड़ रहे थे और खुद मेरी विश्वासपात्र पत्नि की गांड सांप के बिल की तरह से खुली हुई थी!

थोड़ा सा आराम देने के पश्चात् दीमा ने दुबारा अपना लंड अन्दर घुसेड़ दिया और उसका अनुसरण करते हुए मेरा लंड भी उसके लंड से गले मिलता हुआ कॉमन छेद की चुदाई में लग गया. कुछ देर और इसी पोज़ में चुदाई चलती रही.

पर अब हम तीनों ही बोर होने लगे थे… तो हमें जल्दी ही पोज़ बदलने की जरूरत महसूस हुई तो मैंने नताशा को दीमा के लंड के ऊपर बिना उसके लंड को बाहर निकाले, 180 अंश पर घुमा दिया. अब नताशा का चेहरा मेरे सामने था, और दीमा के चेहरे के सामने उसकी कमर. दीमा का लंड पहले की भांति ही मेरी धर्मपत्नि की गांड में अन्दर-बाहर हो रहा था.
आँखों के सामने नताशा की खुली चूत पाकर एक बार तो मेरा मन हुआ कि मैं छेद बदल दूँ, लेकिन तभी नताशा कराहते हुए कहने लगी- ओओओ कम ऑन.. फ़क माय एस डार्लिंग हस्बैंड!

क्रमशः
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कहानी का अगला भाग: अतिथि-3