रूममेट का लुल्ला

खैर उसके जाने के बाद मैंने कंपनी के गार्ड को रख लिया था, उसको भी मैंने अपने ढंग से खुद पटा लिया था, वो बेचारा भी अपने शहर से दूर था, मेरे साथ रहने से उसका किराया बँट गया था, मेरा कमरा भी बड़ा था। एक दिन मैं जल्दी उठकर नहाया और पैन कैमरा गुप्त जगह रख दिया। बस उसके जाने के बाद मैंने लैपटॉप से जोड़ देखा, क्या लंड था, नौ इंच होगा, सांवले रंग का लंड देख मेरे मुँह से लार टपकने लगी, उसके लंड को देख मुझे पहले वाले के लंड की याद भूल गई, उस रात में खुद दारु लेकर आया, खाना भी मस्त वाला पैक करवाया था।

रात को एक एक पैग लगाया, फ़िर मैंने कहा- थोड़ा फ्रेश होकर बैठते हैं !

अपनी अलमारी खुली छोड़ कर मैं नहाने घुस गया, तौलिया खुद नहीं लेकर गया था।

नहाने के बाद उसको कहा- अलमारी से तौलिया निकाल कर पकड़ाना जरा !

सामने मैंने ब्रा-पैंटी आदि लड़की वाला सामान रख रखा था।

तौलिया पकड़ते समय उसको मैंने अपने लड़की जैसे मम्मे दिखा दिए, मुड़ते मुड़ते गांड भी दिखा दी। मैंने लाल रंग की बेहद सेक्सी पैंटी बरमूडा के नीचे पहन ली।

अब जब उसके पास बैठा तो उसकी आँखों में चमक थी, अजीब सी मुस्कान थी।

दो दो पैग खींचने के बाद वो बोला- आज बहुत गर्मी है !

उसने अपना अंडरवियर बनियान छोड़ सारे कपड़े उतार दिए, बार बार मेरी नजर उसके लंड वाली जगह जाने लगी।

दोनों ने देखते देखते बोतल चढ़ा डाली। वो कपड़े पहन कर ठेके से अद्धा और लेने गया। उसके पीछे से मैंने खुद को ऊपर से नंगा किया।

अब जब आमने सामने बैठे, वो बार बार मेरे चूचे देख रहा था।

बहुत गर्मी कहते हुए मैंने बरमूडा उतार दिया। लड़की वाली पैंटी में देख उसके रहते होश उड़ने लगे।

“खाना खाएँ?” मैं बोला।

“हाँ, चलो रसोई में से लेकर आते हैं !”

“आप बैठो सरताज, मैं हूँ ना !”

मैं खाना लगा कर लाया, नशे में धुत दोनों ने खाया और मैं सिंक पर खड़ा अपने बर्तन साफ़ करने लगा। वो भी अपने बर्तन लाया, पीछे से बर्तन रखने लगा तो उसका लंड मेरी गांड से घिस गया।

मैं दीवानी होने लगी, मैंने गांड पीछे धकेली- लाओ, मैं धो देता हूँ।

बोला- नहीं नहीं !

दोनों चुप थे पर हमारे जिस्म मिल रहे थे। रसोई संभाल दोनों बिस्तर पर लेट गए। कुछ देर टी.वी देखा। स्ट्रीट लाइट की रोशनी काफी कमरे में आती है, मैं धीरे धीरे पीछे सरकती गई, मैंने पैंटी भी उतार दी नशे में !

दोनों को नींद नहीं आ रही थी, कुछ मैं सरकती, कुछ वो सरका, मेरी गांड उसके लंड के बेहद करीब थी। मैं पूरी नंगी थी, मैंने अब गांड को पूरा उसके लंड से लगाया, उसने भी हिम्मत करके मेरी गांड पर हाथ फेरा। मेरी नंगी गांड देख वो मस्त हो गया था।

मैंने चुप्पी तोड़ते हुए कहा- क्या बात है सरताज ! बाँहों में लो न मुझे !

वो बोला- तुम बहुत कमसिन हो, गोरी हो, तेरे चुचे लड़की जैसे हैं।

मैं हूँ ही लड़की ! मेरे राजा !”

मुझे अपनी बाँहों में भरते हुए उसने मेरे होंठ में होंठ डाल दिए, मेरे चुचे दबाते दबाते मेरे होंठ चूसता गया और नीचे से जिस्म से जिस्म रगड़ते गए।

मैंने उसका अंडरवियर उतार फेंका और उसके लंड को दबोच लिया- कितना बड़ा लंड है आपका !

“पसंद आया मेरी जान?”

“एक बात कहूँ, मैंने आपका लंड देखा है, नहाते की विडियो से, तभी तो मैंने दूरियां मिटाने के लिए शराब का सहारा लिया है।”नीचे सरक उसकी जांघें फैला बीच में लेट गई, उनके लंड को चाटने लगी।

“हाय मेरी जान, ऐसा आज तक नहीं किसी ने किया !”

मैंने पूरा लंड मुँह में ले लिया, लेकिन जल्दी वो तन गया, तब मुँह में डालना मुश्किल था।

“आज से आप मेरे सरताज हो, मैं आपकी दासी, आपकी बीवी !”

“उफ़ मेरी जान !”

वो लंड हिलाने लगा। कई दिन से उसने किसी को ठोका नहीं था, ऊपर से पहली बार मुंह में दिया था, उसका झड़ने लगा, थोडा रस मुँह में गया, मैंने जल्दी से निकाल अपने चूचों पर माल गिरवा लिया।उठकर बाथरूम गए, एक साथ नहाते नहाते मैंने उसको दुबारा तैयार कर लिया, वापस बिस्तर में आकर लंड चूसने लगा।

वो मेरी गांड का छेद चाटने लगा, कुछ देर स्वाद लेकर उसने मेरी टांगें फैलवा ली, बीच में बैठ गांड के नीचे गद्दी लगा कर उसने लण्ड गीला करके मेरी गांड में डाल दिया।

“औ अह ! सरताज, धीरे धीरे करो !”

“हट साली !”

कहकर उसने पूरा लुल्ला पेल दिया। पूरा आधा घंटा उसने अपने घंटे से मेरी गांड को कई तरीकों से बजाया और आखिर में अपने गर्म रस से मेरी गांड की खुजली, गांड की प्यास, मेरे तन की आग को ठंडी किया।

हम नंगे सो गए। सुबह मेरी आंख तब खुली जब वो मेरे होंठों पर लंड रखे हुए घिस रहा था।

मैंने भी मुँह खोल दिया। मुझे सुबह सुबह बहुत सेक्स चढ़ता है। दस मिनट उसने मुझसे लंड चुसवाया और फिर बीस मिनट मुझे चोदा। मुझे बहुत मजा आया !

फिर हर रात मेरी लैला चुदने लगी, वो दारु पीकर आता और मुझे देर रात तक मसलता, सुबह उसकी आंख नहीं खुलती थी।

वो ड्यूटी से लापरवाह हो गया, उसको निकाल दिया और कुछ दिन मेरे साथ और रुकने के बाद वो अपने शहर लौट गया।

जल्दी लिखूंगा कि उसके जाने के बाद कौन मेरा सरताज बना।