जब पहली बार गांड मारी चिकने लौंडे की

मैं 2004 में दिल्ली में था, एक रिश्तेदार के घर पर करीब एक साल के लिए मुझे दिल्ली में रहना था। मार्च का महीना था.. समय बिताने के लिए मेरे पास कोई काम नहीं था, तो मैंने समय बिताने का एक तरीका निकाला।

मैंने पास वाले नेटकैफ़े वाले भैया से दोस्ती कर ली.. जिससे मुझे डिस्काउंट भी मिलता और पीछे वाला मुख्य कंप्यूटर भी मिल जाता।
मुझे काम तो कोई होता नहीं था, मैं बस यह देखता रहता कि और सभी लोग कौन सी साईटें देखते हैं।

एक दिन मुझे एक ‘गे’ साईट मिली। जवान नंगे जिस्म देखने का नया-नया शौक हुआ था.. तो मेरा दिमाग घूम गया।
उस साईट से एक ‘गे’ मूवी का लिंक मिला तो वो भी देखी।

अब तो लंड पूरे जोर पर था, लंड की गर्मी शांत करने के लिए एक लौंडा चाहिए था जो मेरे लंड को चूस दे और गांड भी मरवा ले।

दो घंटे मेहनत करने के बाद शाम 4 बजे एक 24 साल का लड़का मिला। हम दोनों शाहदरा मेट्रो स्टेशन पर मिले थे, दोनों ही नए थे.. उसे टोप चाहिए था.. और मुझे उसकी गांड मारने से मतलब था।

उसने बताया- आज मेरे घर पर कोई नहीं है.. सभी शादी में गए हैं और 5 दिन बाद लौटेंगे।
हम दोनों ने चुदाई का प्लान बना लिया, दोनों उसके घर पहुंच गए।

पहले से ही उसने एक वेब साईट से ‘गे’ मूवी सेव कर रखी थी।

उसने मुझे बिस्तर पर बैठने का इशारा किया और कोल्ड ड्रिंक लेने चला गया। मैं उसके पीछे उससे पूछने गया कि शौचालय कहाँ है?

मैंने देखा वो टॉयलेट में ही था और मूत रहा था। मेरी तरफ उसकी गांड थी.. जो उसने पूरी नंगी की हुई थी। उसका पजामा घुटनों पर था।

मैं अन्दर घुसा और उसके चूतड़ों को हल्के से सहला दिया, वो मचल गया।
अब क्या था.. मेरे लंड ने बवाल मचा दिया, मेरा लंड बड़े दिनों का भूखा जो था।

हम दोनों बिस्तर के पास आ गए, उसने मेरा लंड निकाला और मसलने लगा, मैंने उसका सर अपने लंड पर दबाया और सुपारा उसके मुँह में घुसेड़ दिया।

वो पहले भी किसी का चूस चुका था इसलिए उसको लंड चूसना बहुत अच्छे से आता था। क्या जम कर चूसा साले ने.. मैं तो सातवें आसमान पर उड़ने लगा था।

तभी एकदम से मेरा गर्म-गर्म वीर्य छूटने लगा। मैंने मुश्किल से लंड उसके मुँह से निकाल ही पाया था कि पिचकारी बड़े जोर से निकल गई। उसके मुँह.. छाती और सब अंगों पर मेरी जवानी की रबड़ी फ़ैल गई।

हम एक साथ नहाए और नंगे ही बिस्तर पर बैठ गए।

उसने बातें करनी शुरू की और मजाक-मजाक में वो मेरे लंड को भी छू रहा था। बीस मिनट में मेरा शेर फिर शिकार को तैयार था।
अब बारी थी उसकी गांड के उद्घाटन की, मैंने अब तक कभी किसी की गांड नहीं मारी थी। इसलिए मुझे थोड़ा डर लग रहा था।

उसने तेल लिया और थोड़ा सा अपने छेद पर लगा लिया, मैंने अपना सख्त लंड उसके छेद पर रख कर दबाया.. तो वो दर्द से कराह कर बोला- उम्म्ह… अहह… हय… याह… यार दर्द हो रहा है.. पर धीरे-धीरे डालते रहना।

मैंने धीरे-धीरे लंड अन्दर डाल दिया। दो-तीन मिनट हम वैसे ही रुक गए।
अब वो थोड़ा संभला और बोला- यार धक्के दो न.. मजा लेने दो।
मैंने धक्के शुरू कर दिए।

थोड़ी देर में मैंने उसकी गांड से लंड निकाला और उसे घोड़ी बनने को कहा। फिर उसकी गांड में लंड पेल दिया। दस मिनट ऐसे ही चोदने के बाद भी जब मैं नहीं झड़ा। तब मैंने उसकी गांड में से लंड निकाला, कंडोम उतारा और उसे चूसने को कहा।

वो इतना मस्त चूसता था कि कुछ ही मिनट में ही मेरे लंड का रस उसके जवान जिस्म पर गिर गया था।
हम उठे.. मैंने उसकी मुठ मार कर उसके लंड से भी वीर्य निकाला और फिर हम एक साथ नहा लिए।

दो घंटे हम नंगे ही एक-दूसरे से कसके लिपटे हुए सो गए। जब नींद खुली तो आठ बज चुके थे। हम दोनों ने कपड़े पहने और अगले दिन मिलने का समय फिक्स कर लिया।
इसके बाद फिर से एक-दूसरे के होंठ चूमे और अलग हो गए।

वो मुझे वापिस मेट्रो स्टेशन छोड़ आया।

इस प्रकार हमने कई साल ये गांड चुदाई का खेल खेला।
फिर मैं दिल्ली में ही सैटिल हो गया।

यह गांडु सेक्स कहानी कैसी लगी.. जरूर बताइएगा।
यदि आपका रिस्पोंस मिला तो मैं अपनी और कहानियां आपको इस ही तरह भेजता रहूँगा।
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