स्नेहल के कुंवारे बदन की सैर -1

मैंने क्लास की लड़कियों से उसके बारे में पूछा तो किसी को भी उसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।
मैं उससे बात करने का मौका तलाशता रहता था लेकिन किस्मत साथ नहीं दे रही थी।
ऐसे ही दिन बीत रहे थे और मेरे मन में उसके प्रति जो लगाव था वो भी बढ़ रहा था।

कहते हैं ना, भगवान के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं… हुआ यूँ कि क्लास खत्म होने के बाद हमेशा की तरह हम सभी क्लास से बाहर निकल रहे थे कि तभी मुझे किसी ने पीछे से आवाज दी, मैंने मुड़ कर देखा तो वो स्नेहल थी।

मैंने मन में कहा ‘क्या किस्मत पलटी है’ कल तक मैं उससे बात करने के मौके तलाशता था और आज मौका खुद चलकर मेरे पास आया है।
कहते हैं ना ऊपर वाला जब भी देता है छप्पर फाड़ के देता है।
आवाज सुनकर मैं रुक गया तो उसने मुझसे कहा- अब परीक्षा नजदीक आ रही है और मुझे अकाउंट के कुछ सवाल समझ में नहीं आ रहे हैं, और परीक्षा का टाइम टेबल भी किसी को पता नहीं है, क्या तुम सर से पूछकर मुझे बता दोगे?

इस बात को सुनते ही मैंने झट से उसे टाइम टेबल नोट करा दिया और सवालों के जवाब कल सुबह अपनी क्लास शुरू होने के पहले दे दूंगा, कहकर उसे सुबह जल्दी बुला लिया और उसने भी सहमति दे दी।

मैं चाहता था कि रात में वो मेरे बारे में सोचे इसलिए मैंने उसे सुबह बुलाया था।
खैर वो एक रात मुझे एक साल की तरह लगने लगी थी और मैं उसके बारे में सोचते हुए सो गया।
सुबह जल्द ही सब कुछ निपटाकर उसके बारे में सोचते हुए मैं कॉलेज के लिए निकल पड़ा।

जैसे ही कॉलेज के गेट के अन्दर गया मेरे पीछे से मुझे आवाज आई- राज…!!
मैंने मुड़कर देखा तो देखता ही रह गया।
आवाज स्नेहल की थी… क्या कमाल की दिख रही थी वो…
उसने सफेद टॉप और नीले रंग की जींस पहन रखी थी।

उसे देखकर मैं तो अपने होश ही खो बैठा था, उसने जब पास आकर ‘गुड मोर्निंग’ कहा तब मैंने खुद को सम्भाला और हम अपनी क्लास की तरफ चल दिए।
चलते चलते मैंने उसे कहा- आज से पहले तुम्हें कभी इस अंदाज में नहीं देखा।
वो थोड़ी सहम सी गई।
फिर मैंने कहा- मेरा मतलब था कि क्लास में इतनी शांत रहने वाली लड़की यहाँ मुझे इतनी जोर से आवाज दे रही है।
इस पर हम दोनों ही हँस दिए।

क्लास शुरू होने में अभी डेढ़ घंटा बाकी था तो वहाँ सिर्फ़ हम दोनों ही थे।
क्लास में जाते ही मैंने सबसे पहले उसे सारे सवाल ठीक तरीके से समझा दिए, उसने मुझे थैंक्स कहकर दोस्ती करने को कहा तो मैंने भी हाँ कहकर उसे एक कप कॉफ़ी के लिए इनवाइट किया।
अभी क्लास शुरू होने में बहुत टाइम बाकी था तो वो मना नहीं कर पाई और हम कैन्टीन की तरफ चल दिए।
वहाँ मैंने बातों बातों में उसका मोबाइल नम्बर ले लिया और अपना भी उसे दे दिया।

अब तो वो क्लास में भी मेरे साथ ही बैठने लगी और धीरे धीरे हमारी दोस्ती बढ़ती चली गई हालाँकि तब तक मेरे मन में कोई भी गलत ख्याल नहीं आया था।

उसके जन्मदिन पर मैंने अपने कुछ दोस्तों को लेकर उसके लिए एक सरप्राइज पार्टी अरेंज की। उसके जन्मदिन का पूरा दिन मैंने उसे अपने साथ रखने का प्लान बनाया था और वह कामयाब भी रहा।
रात में बारह बजे उसे कॉल करके ‘हैप्पी बर्थ डे’ विश किया और उसे उसके बेड के नीचे देखने के लिए बोलकर मैंने फोन काट दिया।
वहाँ पर मैंने उसकी रूममेट की मदद से एक टेडी पैक करके गिफ्ट के तौर पर रखा था। मुझे पता था कि वो गिफ्ट देखने के बाद मुझे कॉल जरूर करेगी और मैं उसके कॉल का इंतजार करने लगा।

लगभग 25 मिनट बाद उसका कॉल आया, मैंने कॉल रिसीव किया लेकिन उस साइड से कोई आवाज ही नहीं आ रही थी, मैं बार बार ‘स्नेहल बोलो.. बोलो स्नेहल…’ कह रहा था।
फिर थोड़ी देर बाद उसने बोला- ख़ुशी की वजह से ‘क्या बोलूँ…’ यह समझ में नहीं आ रहा मुझे!और वह गिफ्ट देखकर स्नेहल बहुत ही खुश थी, उसने कहा- मुझे आज तक ऐसा क्यूट गिफ्ट वो भी इस तरह से किसी ने नहीं दिया।

फिर थोड़ी देर बातें करने के बाद गुड नाईट विश करके उसे अभी जल्दी सोने और सुबह जल्दी तैयार होने के लिए कहा।
मैं अगले दिन के ख्वाब सजाते सजाते सो गया।

अगले दिन मैं अपने एक दोस्त की कार लेकर सुबह से उसके रूम के सामने उसका इन्तजार करने लगा।
कहानी जारी रहेगी।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताइयेगा, आप अपनी प्रतिक्रिया मुझे यहाँ भेज सकते हैं…
[email protected]