वो पल इस दुनिया के नहीं थे

कुछ महीने पहले नेहा और मैं घूमने गये हुए थे। बाज़ार में भीड़ होने के कारण मेरा हाथ एकदम से उसके स्तन पर लग गया, तो मैंने कहा- गलती से लग गया!
उसने कहा- कोई बात नहीं।

पर उसके स्तन इतने कोमल थे कि उस समय मेरा लंड खड़ा हो गया।
ऐसा कई बार हुआ।

एक बार मैं उसके घर गया उसे लेने तो वह तैयार हो रही थी तो मैंने उसकी ब्रा देखी। ऐसे कई बार मैंने उसकी ब्रा और कच्छी देखी। उन्हें देख कर तो बस मज़ा सा आ जाता था।

एक दिन मैं नेहा क घर पर था, बातों बातों में नेहा ने मुझसे कहा- आदित्य, तुम मेरा इतना ध्यान रखते हो, मेरी हर इच्छा और जरूरत पूरी करते हो। क्या तुम हमेशा ऐसे ही करोगे?
मैंने कहा- बिल्कुल, भला दोस्त होते किसलिए हैं।
तो वह बोली- अगर मैं कुछ कहूँगी तो तुम मेरे लिए करोगे?
मैंने कहा- हाँ बिल्कुल!

उसके बाद उसने जो कहा, वो सुन कर तो मैं हक्का बक्का रह गया।
नेहा बोली- मैंने कभी सेक्स नहीं किया है, और न ही कभी किस या कुछ और… पर मेरा बहुत मन है करने का!

मेरे मन में भूचाल सा आ गया।
एक तरफ मेरी सबसे अच्छी दोस्त और दूसरी तरफ एक लड़की के साथ सेक्स करने का मौका… पर मैंने अपने आप पर काबू करके उससे कहा- यह गलत है। मैं तुम्हारी यह बात नहीं मान सकता! हम दोस्त हैं, इससे हमारी दोस्ती खराब हो जाएगी।

नेहा ने कहा- मैंने कई बार तुम्हें मेरी छाती की तरफ देखते हुए देखा है और कई बार तुम मेरी ब्रा भी देख रहे होते हो!

यह सुन कर तो मेरे होश से ही उड़ गये, मैंने थोड़ा भोला बनते हुए कहा- अब कभी ऐसे दिख जाती है तो नज़र तो पड़ती ही है, मैंजान बूझ कर नहीं देखता।
तो वो बोली- अगर आज मैं तुम्हें सब कुछ अपने आप दिखा दूँ तो?

मुझे तो अपने कानों पर यकीन ही नहीं हुआ।
फिर नेहा बोली- तुम ऐसा न सोचो, हमारी दोस्ती वैसी ही रहेगी, फिर भला दोस्त ही तो दोस्त के काम आता है।

मैं बहुत परेशानी में पड़ गया। उसके काफी कहने के बाद मैं उसकी वो बात मान गया।

दोस्तो, वो रात मेरी ज़िन्दगी की सबसे मस्त रात थी।

हम बिस्तर पर बैठे और बैठते ही मेरे अन्दर मानो एक अलग सी ख़ुशी आ गई। मैंने सबसे पहले धीरे से उसकी टांगों पर हाथ फेरना शुरू किया, फिर धीरे धीरे उसके पेट पर फेरा, वो भी अपने हाथ मेरी छाती पर लगाने लग गई।

मैंने उससे कहा- मैंने भी आज तक किसी लड़की के साथ नहीं किया है और मुझे ख़ुशी है कि वो पहली लड़की तुम हो।
उसके बाद मैंने अपने होंठ उसके होंठों से लगा दिए।
एक बार के लिए तो मैं जन्नत में ही पहुँच गया।

तब मैंने उसके स्तन को दबाना शुरू किया तो उसकी ‘उह आह…’ की आवाज़ें निकल गई।
मैंने आज तक इतनी नर्म और कोमल चीज़ कभी नहीं छुई थी।

उसने भी मेरी जीन्स में हाथ डालकर मेरा लंड पकड कर हिलाना शुरू कर दिया।
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देखते ही देखते हमने एक दूसरे के कपड़े उतारे और बिस्तर पर लेट गये।
फिर मैंने उसकी चूत को पहली बार देखा, वह हल्के गुलाबी रंग की थी और एक भी बाल नहीं था उस पर!
मेरा लंड बिल्कुल सख्त हो गया।

काफी देर तक मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को सहलाया, उसके बाद मुझसे रुका नहीं गया और मैंने उसे लिटा कर उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी।
इससे तो वो काँप सी ही गई, उसे बहुत मज़ा आ रहा था।

इतने में नेहा ने कहा- अब बस और नहीं, अब अपना लंड डाल ही दो मेरी चूत में!
मैंने धीरे से अपना लंड उसकी चूत पर लगाया और धीरे धीरे अन्दर डालना चालू किया।

उसकी चूत गीली और गर्म थी। धीरे धीरे मैंने लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया, इससे उसे बहुत मज़ा आ रहा था।
हम दोनों तो जैसे सातवें आसमान पर थे।

मैंने उसे 3-4 तरह से चोदा, कभी वो ऊपर, कभी मैं ऊपर, खड़े होकर…
जब मुझे लगा कि मेरा छूटने वाला है तो मैंने नेहा से कहा- मेरा छूटने वाला है!
तो वो बोली- अपना लंड बाहर निकाल लेना! अन्दर मत छोड़ना।

जैस ही मेरा छूटने लगा, मैंने तुरंत अपना लंड बाहर निकल दिया और सारा पानी उसके पेट पर निकाल दिया।
एक मिनट के लिए तो मुझे न अपनी, न दुनिया की खबर रही।
दोस्तो, वो पल इस दुनिया के नहीं थे। ऐसे लगा कि मेरी ज़िन्दगी सफल हो गई।

थोड़ी देर बाद मैंने एक बार फिर उसे चोदा।
इस बार मुझसे पहले उसका छूटा।

फिर हमने एक बार और किस की और कपड़े पहन लिए।

नेहा ने मुझसे कहा- तुम जैसा दोस्त हर लड़की को मिले।
हम आज भी अच्छे दोस्त हैं और जब उसका या मेरा मन करता है तो हम सेक्स कर लेते हैं।

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