लौंडिया हँसी और फंसी

कुछ ही समय में वो भी मेरे में इंटरेस्ट रखने लगी। हमारे इम्तिहान खत्म हुए और शीतकालीन छुट्टियों के बाद जब फिर से क्लास शुरू हुई.. तो मेरी सुनीता के साथ अच्छी पटने लगी, अब वह मेरी कॉपी वगैरह भी ले लेती थी।

एक दिन क्लास की छुट्टी के बाद मैंने स्कूल से बाहर रास्ते में कोशिश करके उसे अपने दिल का हाल बताया और कहा कि मैं तुझे लाइक करता हूँ और मैंने उसे ‘आई लव यू’ I Love You कहा।
वह कुछ नहीं बोली और घर चली गई।
उसके इस बर्ताव से मैं काफी डर गया था.. क्योंकि मेरे ऐसे बोलने से उसका चेहरा उतर सा गया था।

अगले दिन मैं काफी डरा हुआ सा स्कूल गया। मैं सोच रहा था अगर उसने अपने घर बोल दिया तो हेडमास्टर को शिकायत हो जाएगी और मेरी स्कूल में पिटाई होगी.. जिससे मेरी काफी बदनामी होगी और इस बात का अगर मेरे घर पर पता चला तो मेरी खैर नहीं होगी।

वो भी स्कूल आई.. क्लास लगी.. लेकिन उसने मेरी तरफ बिल्कुल देखा नहीं.. मेरी भी काफी फट रही थी, मैं डर रहा था कि आज मेरी शिकायत हो गई।
दिन बीत गया.. स्कूल से छुट्टी हो गई और मैं अपने घर आ गया.. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.. मुझे लगा उसने घर नहीं बोला होगा।

इसी तरह 2-3 दिन बीत गए.. ना उसने मेरी तरफ देखा.. ना मैंने उसे बुलाने की कोशिश की।
फिर मैंने एक दिन उसे एक लैटर लिखा उसमें शायरी भी लिखी और रास्ते में उसे बुलाया और दे दिया..

पहले तो उसने मना किया उसने मुझे स्कूल में शिकायत कर देने की धमकी देते हुए कहा- देख मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ.. मैं हेडमास्टर को शिकायत कर दूँगी।
मैंने उससे कहा- तुम एक बार इसे पढ़ो.. और मुझे ‘हाँ’ या ‘ना’ में जबाब दो।
इस तरह उसने वो लैटर ले लिया।

एक-दो दिन बाद उससे मैंने पूछा तो वो हँस पड़ी.. बस हँसी तो फंसी.. फिर मेरा काम बनने लगा.. लेकिन अब भी उसकी तरफ से कोई उत्तर नहीं आया था।
पर अब मेरा डर निकल गया था.. क्योंकि वह भी मुझे लाइक करने लगी थी.. ऐसा मुझे लगा।

फिर उसने 1-2 दिन में स्कूल के बाद ‘हाँ’ कहा और मुझे भी एक लैटर दिया। लैटर में उसने मुझे अपने दिल का हाल बताया था कि वह भी मुझे पसंद करती है.. लेकिन ये सब पहली बार हो रहा है.. इस कारण मैं डरती हूँ।

अब हम दोनों की अच्छी पटने लगी थी। उस वक्त मेरे पास मोबाइल नहीं था ना ही उसके पास था.. उसने मुझे अपने घर का नंबर दिया और मैंने भी एक एसटीडी पीसीओ का नंबर दिया.. जो मेरे दोस्त का था।

हम दोनों में अब काफी बातें होने लगीं.. मैं भी उसे चोदने की सोचता था और उसकी याद में मुठ भी मारता था। मैं सोचता था कि काश कोई मौका मिल जाए।

इस तरह हमारी मुहब्बत की चर्चा क्लास में भी होने लगी.. और धीरे-धीरे सबको पता चल गया कि सुनीता की राजदीप से सैटिंग है।
हम दोनों काफी घुलमिल गए थे। मैं भी मौके की तलाश में रहता था। कई बार मैंने उसे क्लास में या एकांत में उसे पकड़ लेता और उसे किस कर देता।
क्लास के दूसरे छात्रों ने मुझे ऐसा करते देख लिया था.. पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था।
अब मैं उसे चोदना चाहता था और मौके की तलाश में था।

आखिर वो दिन आ गया। एक दिन उसने बताया कि उसके घरवाले कहीं बाहर जा रहे हैं और शाम को ही वापस आयेंगे। मैंने मौके का फायदा उठाया.. उस दिन मैं स्कूल नहीं गया और उसे भी बोला कि वह भी ना जाये।
इस तरह मौका देखकर मैं उसके घर चला गया। उसने दरवाजा खोला और मैं अन्दर आ गया।

वो पहले से ही तैयार थी.. क्या गजब माल लग रही थी.. उसने गुलाबी पंजाबी सूट पहन रखा था।
मैंने उसे बाँहों में भर लिया और कमरे में ले गया। मेरा लंड जो 6″ इंच का मोटा था.. एकदम फनफना उठा।

मैं उसे किस पर किस कर रहा था.. वो भी साथ दे रही थी। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और मैं लगातार उसके निम्बू जैसे दूधों को ऊपर से दबा रहा था।

फिर मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए और ब्रा भी उतार दी। अब मैं उसके छोटे-छोटे मम्मों को आम की तरह चूस रहा था। सुनीता भी मज़े ले रही थी।
मैंने 15-20 मिनट तक ऐसा किया। अब वो भी जोश में आ चुकी थी.. वो मेरे शरीर को खरोंच रही थी। हम दोनों का ही यह पहला मौका था..

मैंने उसकी सलवार के अन्दर हाथ डाला तो उसने चड्डी पहन रखी थी.. जो चूत के पानी से गीली हुई पड़ी थी। मैंने उसकी सलवार खोल दी और चड्डी भी उतार दी। उसकी गाण्ड एकदम गोल और चिकनी थी… मैंने उसे भी खूब सहलाया।
उसकी चूत को देखकर तो मैं पागल सा हो गया, उसकी चूत एकदम छोटी सी थी.. उस पर छोटे-छोटे रेशमी से बाल थे.. एकदम गोरी चूत चुदास के पानी से चमक रही थी। ऐसा नजारा मैंने पहली बार देखा था मैं बेहद खुश था।

फिर मैंने उसकी चूत पर चूमा किए और मैं उसके दाने को सहलाने लगा। सुनीता के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं.. वो एक बार झड़ चुकी थी।

मेरा भी बुरा हाल था.. मैं अब उसे चोदने को व्याकुल था, मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और लंड को चूत पर रगड़ा.. और एक धक्का दे दिया.. मेरा लंड फिसल गया.. उसकी चूत कसी हुई थी।

मैंने कोशिश जारी और फिर छेद पर लंड रखा और धक्का मार दिया.. अबकी बार थोड़ा सा घुस गया.. और सुनीता दर्द से तड़फने लगी थी।
तभी एक और झटके से रास्ता साफ हो गया था और लंड अन्दर तक घुसता चला गया।
उसकी आँखों से दर्द दिख रहा था.. और मुँह से चीख निकल रही थी।

फिर 5 मिनट तक मैं सुनीता को किस करता रहा.. फिर उसका दर्द कुछ कम हुआ और मैंने झटके मारने शुरू कर दिए।
उसकी चूत की सील टूटते ही खून आ गया.. मैं थोडा सा डर गया था क्योंकि हमारा फर्स्ट टाइम था।

कुछ ही पलों की मशक्कत के बाद उसे भी मज़ा आने लगा था और वो भी मेरा साथ दे रही थी। उसके मुँह से ‘आअउ.. आअय..’ की आवाजें आ रही थीं।
लगभग 20-25 की चुदाई के बाद अब चरम सीमा आ गई थी.. हम दोनों साथ में ही झड़ गए और 15-20 मिनट ऐसे बिस्तर पर एक-दूसरे की बाँहों में पड़े रहे और एक दूसरे को किस करते रहे।

उसके बाद मेरा मन उसे फिर से चोदने को हुआ और अलग तरीके से उसे उस दिन मैंने दोबारा चोदा।
इस चुदाई के बाद मेरा लौड़ा चोदू किस्म का हो गया था.. मैंने कई लड़कियों को और चोदा और चुदाई के खूब मज़े लिए।

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