मेरी जिन्दगी चुदाई-प्रेक्टिकल की लैब-2

पिछली कहानी में आपने पढ़ा था कि मुझे अपनी पड़ोस की एक आंटी चोदने के लिए मिल गई थी और वो मुझसे पट गई थी।

जब भी मेरा मन होता था और आंटी अकेली होती थी तो मैं उसको चोद कर अपनी चुदाई की भूख मिटा लेता था।

अब आगे..

मुझको धीरे-धीरे आंटी की बुर ढीली लगने लगी।
मैंने अपना दिमाग लगाया और एक बार चोदते समय उनसे कहा- आप अपना एक पैर बिस्तर पर रखिए.. और दूसरा पैर जमीन पर रखिए।

उन्होंने ऐसा ही किया।

इस आसन से उनकी बुर की फाँकें आपस में सट गईं और मैं पीछे से अपना लंड उनकी चुदी-चुदाई चूत में अन्दर डालने लगा।

इस तरह से आज मेरा लौड़ा पहले की अपेक्षा 50 प्रतिशत अधिक कसावट से अन्दर जा रहा था। आप भी इस आसन को आजमा कर देखिएगा।

मैंने आंटी से कहा- आज आपको झड़ते हुए देखना चाहता हूँ।

वो बोली- ठीक है।

मैं पहले झड़ गया।

उनको लिटा कर उनकी टाँगें फैला कर साये से बुर पर लगे वीर्य को साफ करके.. उनके चने जैसी संरचना वाले भगाकुंर को ऊँगली से छेड़ने लगा।
केवल दो मिनट बाद वो अपने टाँगों को सिकोड़ने लगीं।

मैं उनकी टाँगों को अपनी टाँगों के नीचे दबाकर भगाकुंर को तेजी से छेड़ने लगा.. थोड़ी देर बाद उनकी टाँगों में एक जोरदार कंपकपी होने लगी और उनकी बुर से पानी (रज) छलछला कर बाहर निकलने लगा।

उस दिन पहली बार मैंने औरत को झड़े हुए देखा था।

अब मैं किसी नई चूत के चक्कर में था। आंटी की चूत अब भोसड़ा बन चुकी थी।

एक दिन आंटी हाथ में सीडी लेकर आ रही थीं।
उस समय वीसीडी प्लेयर का चलन नया-नया शुरू हुआ था।

मैंने पूछा- कौन सी फिल्म है?

वो बोली- तुम्हारे लायक नहीं है।

उन्होंने सीडी को चोली के अन्दर डाल लिया। मैं उनके पीछे-पीछे उनके घर पर चला गया।

मैंने उनसे जिद की- बताओ न कौन सी फिल्म है?

उन्होंने बताया- ये एक ब्लू-फिल्म की सीडी है और इसको अपने गाँव की लड़की मंजू से लेकर आई हूँ।

मैं मंजू को जानता था.. मंजू की उम्र 19 वर्ष थी। वो आंटी के यहाँ आती रहती थी।

आंटी ने बताया- वो ब्लू-फिल्म की सीडी देखने के लिए उनके घर आती रहती है।

मैंने कहा- आंटी मंजू के साथ मेरा जुगाड़ करो न..

वो बोली- तुम नई बुर पाकर मेरी बुर चोदना छोड़ दोगे।

मैंने कहा- ऐसा संभव नहीं है.. चुदाई के लिए एकांत तो आपके कमरे में ही संभव है। ऐसे में मुझे आप दोनों को चोदना ही पड़ेगा।

वो बोली- ठीक है.. मंजू आधे घंटे बाद आने वाली है। तुम बिस्तर के नीचे छिप जाओ। जब मैं इशारा करूँ तो बाहर आ जाना।

मैंने वैसे ही किया। थोड़ी देर बाद मंजू आई। आंटी ने वीसीडी प्लेयर में सीडी लगाई.. उसमें चुदाई का खेल शुरू हो गया।

आंटी और मंजू ने एक-दूसरे के कपड़े उतार दिए। आंटी ने एक बेलन पहले ही तकिए के नीचे रखा हुआ था और वो बेलन के पतले हत्थे को मंजू की बुर में पेलने लगीं.. मंजू भी मजे लेने लगी।

मंजू सिसिया रही थी- अब इस निगोड़ी चूत की आग बेलन से नहीं बुझती!

तभी आंटी ने पूछा- तुम किसी लड़के से चुदाई क्यों नहीं करवाती।

मंजू बोली- कोई लड़का सैट ही नहीं है.. और चुदवाऊँ भी तो कहाँ?

आंटी बेलन चूत में पेलते हुए बोली- तुम बोलो तो अभी चुदाई करवा दूँ।

वो बोली- ठीक है.. करवा दो..

आंटी ने मुझे आवाज दी.. मैं झट से लंड हिलाता हुआ बाहर आ गया।

मुझे देख कर मंजू घबरा गई.. क्योंकि मेरी और मंजू की माँ अच्छी सहेली थीं।

मैंने कहा- डरो मत.. मुझे बुर चाहिए और तुम्हें लंड.. मैं पागल नहीं हूँ जो तुम्हारी मम्मी को ये सब बताऊंगा।

फिर आंटी ने उसको लिटाकर उसकी बुर में तेल लगाकर मालिश करने लगी.. थोड़ी देर बाद उस पर मादकता पूरी तरहा छा गई।

आंटी ने उसकी पैंटी उसके मुँह में डाल दिया.. बोली- पहली बार है.. दर्द बर्दाश्त नहीं होगा.. पैंटी मुँह में रहेगी तो आवाज बाहर नहीं निकलेगी।

आंटी ने उसकी बुर के छेद को फैलाया और मुझसे बोली- एक बार में जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा गहराई तक पेल देना।

मैंने बुर की फाँकों के बीच में लंड सैट करके जोर से पेला।

लंड का सुपाड़ा अन्दर झिल्ली में फंस गया मैंने और जोर लगाया तो ‘चरर्’ से करते हुए लंड मंजू की चूत में आधा घुस गया..

वो दर्द से दोहरी हो गई।

मैंने चार-पाँच ठापों में पूरा लंड बुर में ठूंस दिया।
मंजू की आंखों में आंसू छलक आए थे।
मैंने आंसू पौंछे और धीरे-धीरे चोदने लगा।

मुझे आंटी ने मंजू के चीकू चूसने को कहा.. मैं अपने एक हाथ से मंजू के दूध सहलाने लगा और दूसरे हाथ से पलंग पर टिका कर चूत में ठापें लगाता रहा।
मेरा मुँह मंजू के मम्मे की नोकें चूस रहा था।
इस सबसे मंजू को राहत मिली और हमारी चुदाई ने गति पकड़ ली।

उसकी बुर बहुत कसी हुई थी.. मैं पाँच मिनट में ही झड़ गया।

मैंने झड़ने के बाद लंड बाहर निकाला.. उसमें मेरा वीर्य और मंजू का खून लगा था। मेरा लंड छिल गया था।

चुदाई के बाद हम तीनों कुछ देर बैठे बातें करते रहे।

मैंने मंजू के चीकू खूब सहलाए।
फिर चुदाई की सभा विसर्जित हो गई।

फिर मंजू भी एक हफ्ते तक चुदाई नहीं करा सकी।

आंटी के कमरे में चोदने का कार्यक्रम लगभग 4 साल तक चला।
मैं आंटी और मंजू की चुदाई करता रहा।
अब मंजू की शादी हो गई और वो अपने पति तथा दो बच्चों के साथ खुश है।

मैंने अपने जीवन में घटित सभी घटनाओं को कहानियों के रूप में लिख कर आपके सामने प्रस्तुत किया है।
आपको मेरी कहानियाँ आनंदित करती होंगी, ऐसा मेरा विश्वास है।
पाठक अपने विचार कहानी के अंत में ही लिख दें मैं पढ़ लूँगा।