मेरी जान अंकिता की बुर

वह गोरी सी.. भरे हुए गाल वाली.. लगभग गेंद के आकार के चूचों वाली बहुत ही सुन्दर लड़की थी।
उसे कोई एक नजर भर देख ले.. तो मेरा दावा है उसकी पैन्ट वीर्य से भीग जाएगी।

हम दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।
उसका नाम अंकिता है।

हम दोनों ने सोचा था कि हम शादी से पहले कभी चुदाई नहीं करेंगे.. पर मुझे हमेशा उसकी बुर को चोदने का इंतजार था।

एक दिन हम दोनों पार्क घूमने गए थे जहाँ कई लोग आपस में किसिंग कर रहे थे।
हम दोनों भी गर्म हो रहे थे।

मैंने उसको अपनी ओर खींच लिया पर वह खुद को मुझसे छुड़ाने लगी।
लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा।
धीरे-धीरे वह भी मेरा साथ देने लगी।

फिर मैंने बोला- चलो किसी होटल में चलते हैं।
उसने मूक सहमति दे दी।

हम दोनों ने अपने-अपने घर फोन करके बता दिया कि हम दोस्त के घर जा रहे हैं।
होटल में पहुँचकर हमने एक रूम लिया कमरे में जाते ही मैंने उसे बिस्तर पर पटक दिया और उसको चूमने लगा।

पता नहीं हम दोनों कब नंगे हो गए।
मैं उसके जिस्म की खूबसूरती को निहार रहा था।

आह्हहहह.. क्या एकदम गोल गोरे चूचे उन्नत अवस्था में तने खड़े हुए थे।

उन पर भूरे निप्पल.. उह्हह.. एकदम मस्त.. उसकी गुलाबी बुर.. आह्ह.. उसको देखते ही मैं तो पागल ही हो गया। उसकी गुलाबी चूत

जो पूरी गीली थी.. उस पर एक भी झांट का बाल नहीं था।

मैंने उसकी चूचियों को चूस कर लाल कर दिया।
वो ‘अह्ह.. उम्म्हह..’ कर रही थी।

इसके बाद मैं उसकी बुर की तऱफ बढ़ा और उसे चूसने लगा।
वह गर्म होकर सीत्कार रही थी।
वह बोली- आहहह.. जानू.. अब डाल भी दो.. मत तड़पाओ।

मैंने भी उसकी बुर पर लन्ड रखा और पेल दिया।
वह कराहने लगी.. तो मैं रुक गया।
उसकी बुर से खून निकल रहा था।

कुछ देर बाद जब मैंने धक्के मारे तो उसके कुछ ही बाद वो भी अपनी कमर उचकाने लगी। मैं भी ‘हच्च.. घच्च..’ करते हुए उसे चोदने

लगा।
‘आहहहह.. ऊहह्महह..’ से कमरा गूँज उठा।

घनघोर चुदाई चल रही थी।
वह झड़ चुकी थी, अब मेरा भी निकलने वाला था।
मैंने अपना लन्ड बुर से निकाल कर उसके मुँह में दे दिया और हिलाने लगा।

कुछ ही पलों में मेरा कामरस छूट गया जिसे वह पूरा निगल गई।
मैंने उसे उस दिन चार बार चोदा और उसकी गान्ड भी मारी।

यह मेरी पहली कहानी थी। आपको कैसी लगी.. जरूर बताइएगा।
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