प्यार हो ही जाता है

मामा ने भी हाँ कर दी। उनके घर से मेरा कॉलेज मुश्किल से 5 किलोमीटर ही पड़ता था। मामा की दो बेटियाँ थी तन्नू और मन्नू। तन्नु अभी छोटी थी लेकिन मन्नू बड़ी हो चुकी थी और बारहवीं के इम्तिहान दे चुकी थी। उसका बदन किसी भी बॉलीवुड की हिरोइन से कम नहीं था, देखने में जितनी खूबसूरत थी उतनी ही दिल की भी अच्छी। मैंने उसे कभी बुरी नजर से नहीं देखा था।

लेकिन एक दिन जब मैं पढ़ रहा था तब वो अपने किसी दोस्त से बात कर रही थी फ़ोन पर जो मैंने सुन लिया। वो अपने बॉयफ्रेंड से बात कर रही थी।

मेरे से रहा नहीं गया और मैंने पूछ लिया कि क्या बात है।

वो थोड़ा झिझकी लेकिन फिर बाद में मुझे सब बता दिया कि वो अपनी बुआ के लड़के को चाहती है लेकिन वो सूरत रहता है इसलिए मिल नहीं पाती।

मैंने उससे हंसी में ही कहा कि वो अपने दिल की कोई भी बात मुझसे कह सकती है।

वो मुस्कुराई और चली गई।

ऐसे ही समय कटता गया और मैं परीक्षा देकर दिल्ली चला आया।

एक दिन यूँ ही मैंने उसे कॉल किया और हालचाल पूछा तो उसने बताया कि बस लाइफ अकेले ही कट रही है।
मैंने मजाक मजाक में ही उसे प्रपोज़ कर दिया कि अगर वो चाहे तो मैं उसका बॉयफ्रेंड बनने के लिए तैयार हूँ।
वो बोली- देखते हैं।

लेकिन शायद वो बात उसके दिल को छू चुकी थी। उन्ही दिनों अचानक ही मेरा उसके घर जाने के प्रोग्राम बना और मैं उसके घर पहुँचा। उसके यहाँ चार कमरे हैं, एक रसोई है और एक लम्बी सी गैलरी। मैंने उससे फ़ोन पर पहले ही बात कर ली थी कि हम लोग अकेले में मिलेंगे। उसके घर में सिर्फ मम्मी पापा और बहन थे। पापा रोज ड्यूटी चले जाते थे और देर रात तक आते थे। जब हमने देखा घर में सभी लोग व्यस्त है तो वो मुझे छत पर ले गई और छत के दरवाजे की कुण्डी बंद कर दी।

मैंने उसे पहली बार गले लगाया और ‘आई लव यू’ कहा।

उसने भी ‘आई लव यू कहा’ और मुझे गाल पर चूम लिया। फिर मैं अपना काम करके वापस दिल्ली आ गया।
धीरे धीरे हम फ़ोन पर इतनी बाते करने लगे कि सारी हदें पर कर दी और अब चुदाई की प्लानिंग भी होने लगी।

बस इंतजार था कि कब ऐसा मौका मिले और हम दोनों एक दूसरे में समां जाये।

करीब दो साल बाद एक ऐसा ही मौका हाथ आया। मन्नू ने मुझे बताया कि दो हफ्ते बाद उसके किसी रिश्तेदार की शादी है तो पापा मम्मी और बहन तीनों लोग जायेंगे, बस वो रहेगी अकेले घर में।

चूंकि मैं दिल्ली में रहता था इसलिए मुझे दो हफ्ते की जरूरत थी ताकि मैं अपना टिकट करवा सकूँ। योजना के मुताबिक मैंने अपने घर में बहाना बनाया और उसके यहाँ जाना का कार्यक्रम तय कर लिया। मैं उसके घर ठीक उसी दिन पहुँचा जिस दिन उन सब लोगों को शादी में जाना था।

मन्नू को भी जाना था लेकिन प्लान के मुताबिक वो बहाना करके नहीं जाएगी। मेरे जाने से सभी लोग खुश थे तो सभी ने जिद कि की आप भी चलो शादी में लेकिन मैंने ट्रेन की यात्रा में थक जाने का बहाना किया और कहा- आप लोग हो आइये।

वो लोग बोले- नहीं, मन्नू यहीं रह जायगी और आपका ख्याल रखेगी।
मेरे दिल की तो जैसे मुराद पूरी हो गई।
बस अब इंतजार था कि वो लोग कब निकल कर चले जायें।

करीब 7 बजे वो लोग शादी के लिए रवाना हो गए और मुझसे कह कर गए कि हम लोग रात को करीब दो बजे तक लौटेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।

उनके जाते ही मन्नू मेरे सीने से चिपक गई क्योंकि पूरे दो साल के बाद यह मौका मिला था। हम शायद इसके लिए तरस भी रहे थे। उसने मेरे लिए खाना बनाया और एक दूसरे ने बड़े प्यार से एक दूसरे को खिलाया।

रात के करीब नौ बजे उसने मेरा बिस्तर मेरे लिए छत पर लगा दिया और खुद अपने कमरे का बिस्तर लगाने लगी।लेकिन मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मैंने उसे उसके कमरे में घुसकर पीछे से पकड़ लिया।

वो बोली- क्या कर रहे हो जान?
मैंने कहा- अपनी जान को सीने से लगा रहा हूँ।
वो बोली- तुम्हारी जान तुम्हारी सीने में ही बसी है फिर इतने बेताब क्यों हो?
मैंने कहा- क्योंकि आज जान को इतने करीब से देखने का मौका मिला है।
बोली- तो क्या करोगे आज?
मैंने कहा- अगर तुम साथ दो तो आज वो सब कुछ करूँगा जो हमें कर लेना चाहिए!
वो बोली- अगर कभी तुमने मुझे धोखा दे दिया तो?
मैंने कहा- दो साल का प्यार सिर्फ जिस्म के लिए होता तो अब तक ख़त्म हो गया होता!

उसे मेरी बातों में साफ सच्चाई नजर आ रही थी और यही बात करते करते मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए और एक दूसरे को किस करने लगे।

वो बहुत ही सेक्सी थी।

करीब तीन मिनट के बाद बोली- जान, मेरी चूचियाँ अपने मुँह में लो! बहुत बेचैनी हो रही है।

और अपना कमीज ऊपर उठा दिया। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और उसकी चूचियों को ब्रा की गिरफ्त से आजाद किया।

उसने तुरंत मेरे मुँह में अपनी चूचियाँ डाल दी। मैं चूसने लगा। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी- अह! ऊह! उफ! उफ्फ! आह ऊओह! ह्म्म ऊऊह!

उसने अपनी दोनों मम्मे मेरे मुँह में डाल कर चुसवाए। मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था। करीब 15 मिनट के बाद अब वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी। मैं अब समझ गया था कि अब वो पूरे शवाब पर है, मैंने उसके मम्मे मसले और उसके पेट और पीठ भी अपने हाथ से सहलाने लगा। वो तो मानो मेरे हाथो का स्पर्श पाते ही सिहर जाती और मुँह से ऊह अचानक निकाल देती।

मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी सलवार और कमीज दोनों निकाल दिए। उसने अपने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया, बोली- मुझे शर्म आ रही है।

वो पहली बार किसी के सामने इस तरह नग्न अवस्था में थी। मैंने बड़े प्यार से उसके चेहरे से उसके हाथों को हटाया और उसे चूमने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी। शायद हम दोनों के अंदर डर भी था और एक अजीब से बेचैनी भी कि कब कर डालें सब कुछ!

लेकिन मैंने जोश में होश नहीं खोया और अपनी जान के हर अंग का मजा लेने के लिए उसे ऊपर से नीचे तक चूमने लगा। माथे से लेकर गालों से होते हुए होंठों को छूते हुए गर्दन के किनारे से उसके वक्ष के गलियारों से गुजरते हुए कमर की सीमाओं को लांघते हुए जैसे ही मैंने उसकी चूत पर किस किया वो तो पूरी कांपने लगी और अपनी दोनों टांगों को पूरा फैला दिया।

शायद वो चाहती थी कि मैं उसकी चूत का रस चखूँ लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। उसने भी जोर नहीं दिया।
मैं उसकी जांघों को जितना सहलाता, वो अपनी चूत हल्के से ऊपर की तरफ धकेल देती, मानो कह रही हो- सिर्फ छुओ मत, अब कर डालो मुझे शांत और मेरी जवानी को अपने मर्दानगी से नहा लेने दो।

शायद पहले चुदाई और प्यार का नशा बहुत निडर होता है। हम दोनों इस कदर खो गये कि मम्मी पापा की शिक्षायें भी भूल गये।

खैर मैंने अपनी सिर्फ पैंट उतारी थी और अण्डरवीयर में था। जब मैं उसके ऊपर लेटा तो मानो बिजली सी गिर गई, वो एकदम से मुझे चूमने लगी और मैं उसे।

कमरे में सिर्फ सिसकारियों की हल्की आहट थी और ‘आई लव यू’ के स्वर!

दस मिनट के बाद अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उससे एक बार पूछा- क्या हम कर सकते हैं?
वो शरमाई और बोली- सब आपका है, जो चाहो वो कर सकते हो।

फिर मैंने उसके योनिछिद्र पर अपने लंड को रखा और घुसाने का प्रयास किया परन्तु असफल रहा।
यह उसकी और मेरी दोनों ही की पहली चुदाई थी। मैंने बहुत प्रयास किया मगर नहीं गया।

फिर मैंने उससे तेल माँगा और वो लेकर आई। उसने तेल मेरे लंड पर लगाया और अपनी चूत में! फिर मैंने कोशिश की, लंड थोड़ा अंदर गया लेकिन पूरा नहीं।

मैंने फिर जोर का झटका दिया और शायद लंड आधे से ज्यादा अंदर चला गया। उसने मुझे जोर से दबोच लिया लेकिन चिल्लाई नहीं क्योंकि दोनों नहीं चाहते थे कि किसी को पता चले।

उसने मेरा लंड बाहर निकलने की कोशिश की मगर मैंने उसे शांत करा दिया। फिर मैंने उसके कान के नीचे चूमना शुरु किया और वो फिर से एक बार मुझे पूरा साथ देने लगी।

अब वो शायद सब भूल कर चुदाई के नशे में खोने लगी।
अब मैंने लंड धीरे-धीरे अंदर बाहर करना आरम्भ किया।
जीवन की वो अनुभूति आज भी नहीं भूला हूँ मैं।

उसे भी मजा आने लगा और वो अपनी चूत हवा में ऊपर धकेलती और मैं नीचे। चुदाई इस तरह हो रही थी जैसे वो मुझे पूरा का पूरा निगल लेना चाहती हो। वो मुझे बेतहाशा चूमे जा रही थी और अपनी चूत को ऊपर धकेल रही थी, मैं भी पूरे जोश के साथ ऊपर से नीचे पेल रहा था।

उसने मेरे छोटे से मम्मे को दबा कर इशारा किया कि मैं उसके मम्मों को फिर से अपने मुँह में ले लूँ।
मैंने वैसे ही किया और उसकी चूचियो को फिर से चूसने लगा। वो मेरे सर को सहलाने लगी और आहें भरने लगी। मैं जब उसके मम्मे चूसता तो पेलना भूल जाता और वो भी बस अपनी चूचियों को ही चुसवाने में ज्यादा मजा ले रही थी।

फिर उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी चूचियों पर रखा और कहा- दबाओ जान!

मैंने दबाना शुरु किया और साथ में मैं उसे फ्रेंचकिस करने लगा, वो और मदहोश हो गई। वो मेरे कानों में बोलने लगी- जान चोदो न और जोर से।

मैंने स्पीड बढ़ाई वो मस्त हुए जा रही थी। मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और पेलने लगा।

वो आह उह करने के साथ साथ बेतहाशा अपनी चूत हवा में फेंकने लगी ताकि मेरा लंड उसकी चूत की गहराइयों में इतना समा जाये कि वो आज वो जन्नत देख ले।

चूत और लंड की इस जंग में इससे पहले कि हम दोनों हार जाते, मैंने साइड चेंज करने को कहा। वो पीठ मेरी तरफ करके लेट गई, मैंने उसकी दोनों चूचियाँ अपने हाथों में पकड़ी और उसके ऊपर लेट गया और पीछे से लंड उसकी चूत में डाल दिया।

वो सातवें आसमान पर थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने चुदाई जारी रखी और शायद यह आसन भी कुछ कम मजेदार नहीं था। उसकी चूत के नीचे मैंने तकिया लगा दिया था ताकि अंदर बहार आराम से कर सकूँ। उसने दोनों टाँगें फैला कर मेरा पूरा साथ दिया। मेरा लंड जब भी अंदर जाता वो उसे गन्ने समझ कर चूसने वाले अंदाज में अपनी चूत के दोनों फांकों के बीच दबा लेती और जब कुछ सुकून मिलता फिर बाहर आने देती।

यह होने में सायद कुछ सेकंड्स का वक्त लगता मगर वो सुकून और अनुभूति कुछ अलग ही होती।

फिर मैंने उसे पलंग के किनारे पर इस तरह लिटाया कि उसकी कमर का थोड़ा सा हिस्सा पलंग से बाहर आता। मैं खड़ा हो गया और अपना लंड उसकी चूत में डाल कर फिर से शुरु हो गया।

कुछ देर बाद वो कहने लगी- जान, अब मैं गिरने वाली हूँ।

मैंने उसे कस कर पकड़ा और अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल कर पेल दिया। वो गिर गई।

मैंने उसको फिर अपनी तरफ किया और ऊपर से चूमने लगा वो फिर से तैयार हो गई। मैंने फिर से पेलना शुरु किया और एक बार फिर दोनों बस उफ़ आह ओह हम्म की आवाज करते हुए चुदाई की सारी सीमाओं को लांघने लगे और करीब 4-5 मिनट बाद दोनों एक साथ वीर्य छोड़ कर लस्त हो गए और बस एक आत्मग्लानि की भावना के साथ एक दूसरे को देखते रहे।

लेकिन कुछ देर बाद वो उठी मेरे माथे पर चूमते हुए बोली- जान, आज जो कुछ हुआ, वो मेरा एक सपना था कि इस जन्म में सबसे पहले आपसे यह मजा लूँ, उसके बाद ही मेरे शरीर को कोई छुए।

हम उस वक्त बिना कुछ और किये एक दूसरे को बाहों में लिए लेट गये। हमने बहुत सी बातें की और आंख कब लगी पता ही नहीं चला।

रात को अचानक घंटी बजी तब उसने मुझे जगाया और बोली- अब आप ऊपर जाकर सो जाओ वरना सबको शक हो जायेगा।

मैं भी जाकर ऊपर सो गया। लेकिन नींद रात को खुली थी और हम दोनों ने एक नींद मार ली थी। इसलिए एक बार और सम्भोग की इच्छा जोर मारने लगी।

जब घर में सभी लोग सो गये तो वो भी ऊपर आ गई अपनी मम्मी से बोल कर कि नीचे बहुत गर्मी है। उसकी मम्मी ने बोला कि दरवाजा बंद कर लेना क्योंकि कोई बिल्ली नीचे न आ जाये।

उसने ऐसा ही किया, ऊपर आकर दरवाजा लगा दिया और जल्दी से आकर मेरे साथ चादर में लेट गई। वासना का एक दौर और चला लेकिन यह दौर बहुत ही डर के साथ था इसलिए चुदाई मुश्किल से 5 मिनट में ही हो गई लेकिन हम दोनों इससे संतुष्ट थे।

करीब दो घंटे बाद वो सुबह बहुत जल्दी जगी, मुझे चूमा और ‘I LOVE U’ कह कर नीचे चली गई।

उसके बाद हमने एक दो बार और चुदाई की जिसके लिए मैंने और उसने बहुत ही सोची समझी योजनाएँ बनाई।

मैं आज भी दिल्ली में मैंनेजर की कुर्सी पर हूँ लेकिन इस सत्यता से नहीं मुकर सकता कि वो मेरे रिश्ते में थी और मेरे उसके साथ सम्बन्ध थे।

दोस्तो, मैं उससे प्यार भी करता हूँ इसलिए वो बदनाम न हो इसलिए जगह और नाम परिवर्तित हैं।

कई लोगों को शायद यह लगे कि यह रिश्तों का अनादर है लेकिन आज यही हमारे जीवन कि सबसे बड़ी सच्चाई है। हम प्यार उन्हीं से करने लगते है जो हमारे बीच होते हैं, जो हमें हंसाते भी हैं और रुलाते भी हैं। शायद हम पाश्चात्य संस्कृति की तरफ बहुत तेज़ी से आगे जा रहे है और इसमें कुछ बुरा भी नहीं है। बुरा वो है जो मजे लेकर उसे बदनाम करे या ब्लैकमेल करे।
अपने विचार मुझे प्रेषित करें!
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