पूनम की बुर का भोसड़ा

पूनम में कोई गुण न था.. पर एक चीज थी जो उसे सारी लड़कियों से श्रेष्ठ बनाती थी।

जहाँ पूनम के मोहल्ले की सारी लड़कियाँ शादी से पहले ही लण्ड खा चुकी थीं और अपनी बुर का भोसड़ा पहले ही बनवा चुकी थी, वहीं पूनम अभी कुंवारी थी।

जहाँ बाकी लड़कियाँ बड़ी बेबाक थीं और लड़कों से बेधड़क बात करती थीं।

वहीं पूनम बड़ी शर्मीली थी और अगर कोई लड़का उससे बात करना चाहता.. तो उसका दिल धड़कने लगता था।

इसका नतीजा निकला कि पूनम 26 साल की हो गई थी और आज तक उसने कोई लौड़ा नहीं खाया था, उसकी बुर का भोसड़ा नहीं बना था।

वहीं मोहल्ले की मिथलेश, सीमा, ज्वाला और जुगल अपने-अपने यारों का लौड़ा पहले ही खा चुकी थीं।

खैर.. जो हुआ सो हुआ.. 26 नवम्बर को पूनम की शादी समर से हो गई।

समर ने अभी तक 4 लौंडियाँ ही चोदी थी। वो किराने की बड़ी दुकान चलाता था।

पहले दिन कमरे में पूनम आई, तो उसका भी मन था कोई उसे चोदे।

समर ने उसके कपड़े उतारे तो देखा फुद्दी कुँवारी थी।
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समर की खुशी का कोई ठिकाना ना था।

पूनम ने अपनी झांटें भी नहीं बनाई थीं, बड़ी और काली-काली झांटें थीं।

‘पूनम जा झांट तो बना ले.. तब प्रोगाम शुरू करूँ..’ समर बोला।
‘नहीं… मुझे शर्म आती है..’
‘लगता है.. मुझे ही झांटें भी बनानी पड़ेगीं…’ समर खुद से बोला और अपनी दाड़ी बनाने का डिब्बा ले आया।

उसने चूत के आगे के कुछ बाल तितली के रूप में छोड़ दिए और पूनम की डिजायनदार झांटें बना दीं।

पूनम की चूत मोरनी के पंख जैसी थी। छोटी सी.. चिकनी, खूबसूरत, कसी और अनचुदी।

समर को दो साल से कोई बुर चोदने को नहीं मिली थी।

उसने जिन लड़कियों को पटाया था.. उन सबकी शादी हो गई थी।

और वो बस बिना देर किए सुहागरात मनाना चाहता था।

किसी भूखे शेर की तरह वो पूनम की बुर पर टूट पड़ा और उसे चाटने लगा।

बुर का दाना उसने बड़ी अच्छी तरह से चूसा।

पूनम गर्म हो गई और उसने अपनी दोनों टाँगें पूरी फैला दीं।

समर ने चूत में ऊँगली की.. तो पूनम के होश उड़ गए और वो चुदास से भर कर समर के सिर में अपनी ऊँगलियाँ फिराने लगी।

समर को और जोश चढ़ गया।

बीच-बीच में समर पूनम की छोटी-छोटी चूचियों को भी चूस लेता.. तो जोश बढ़ कर दुगना हो जाता।

समर ने बुर को ध्यान से देखा और उसे एक बार और चाटा।

‘पूनी.. यकीन नहीं होता कि एक छोटी सी बुर फाड़कर पूरा बच्चा निकल आता है।’

‘क्या मेरे बच्चे भी यहीं से.. छोटी सी बुर फाड़कर होंगे??’

‘हाँ..’ उसने पूनम से कहा।

समर को टोपा तो पहले से ही खुला था।

उसने पूनम की दोनों टाँगों को कन्धों की ओर मोड़ दिया और चूत में लौड़ा रखा।

एक धक्के में ही लौड़ा पूनम की चूत की सील तोड़ते हुए अन्दर चला गया।

चूत से गाढ़े खून की एक धार पूनम की जाँघों से बह निकली.. उसे बहुत दर्द हुआ।

अब समर अपनी पत्नी को हचक कर चोदने लगा और मन ही मन कहने लगा, ‘पूनी.. तू इतनी सुन्दर तो नहीं.. पर कुँवारी चूत देकर आज तूने मुझे जीत लिया।’

पूमन ने ज्यादा विरोध भी नहीं किया और दर्द को सह कर अच्छे से लौड़ा खाया अपनी बुर का भोसड़ा बनवा लिया।

आखिर 26 साल बाद उसे चुदाई नसीब हुई थी.. इसलिए वो भी मन ही मन खुश हुई थी।

समर का लौड़ा किसी खूँटे की तरह पूनम की मशीन में फँस गया था और उसे बिना रूके चोदते ही जा रहा था।

बीच में पूनम को दर्द हुआ तो उसने जरा रूकने को कहा।

समर रूक गया।

पूनम ने सांस ली और थोड़ा आराम किया।

जब इशारा हुआ तो फिर समर ने चुदाई शुरू की।

दो साल तक समर के लौड़े में जंग लग गई थी।

आज पूनम की चूत चोदने से जब वो झड़ने को हुआ तो उसके माल की बाढ़ सी आ गई।

उसके रस की फुहार ‘फच्च.. फच्च’ करती हुई पूनम की बुर में छूट गई।

समर का लौड़ा जब ढीला पड़ गया.. तो उसने बुर से निकाल लिया और किसी कुत्ते की तरह फिर बुर को चाटने लगा।

पूनम तो पागल हो रही थी और अपने सिर व हाथ-पैर पटक रही थी।

‘समर.. अब कुछ समय के लिए रूको..’

समर रसोई में गया और चाय बना लाया।

दोनों ने कुछ देर टीवी देखा और बातें की।

दो बजे फिर चुदाई का काम शुरू हुआ।

इस बार पूनम ने समर को लौड़ा पिया, फिर गोलियाँ भी चाटी।

पूनम और समर दोनों ने जमकर चुदाई का सुख लिया और पहली रात 3 बार चुदाई का सुख लिया।

शादी के एक महाने तक 3-3 बार चुदाई चलती थी।

दोपहर में दुकान होने के कारण समर कभी नहीं चोद पाता था.. पर रात में तो चुदाई होना तय रहता था।

दो साल बाद पूनम की बुर फाड़ कर एक लड़का पैदा हुआ जो बिल्कुल पूनम की शक्ल पर गया था।

अब समर को यकीन हो गया था कि एक छोटी सी चूत क्या-क्या कर सकती है।

लड़के का नाम किशोर रखा गया।

बाद में पूनम समर से खुल कर बात करने लगी था तब उसने समर को बताया था कि उसके मोहल्ले में मिथलेश नाम की लड़की थी, जो सबसे खूबसूरत थी।

उसकी आँखें कॅटीली थीं और कमर पतली थी। मगर वो लड़की जितनी खूबसूरत थी उतना ज्यादा ही लण्ड खाये बैठे थी।

मिथलेश के दस यार थे और मोहल्ले का हर जवान लड़का उसे चोद चुका था।

इसके बाद दीप्ति थी जो अपने मकान-मालिक के लड़के से चुदती थी।

सुलेखा की चूची और पुष्ट थी और उसके जीजा ने ही उसकी सील तोड़ी थी।

मीना अपने चाचा के लड़के का लण्ड खा चुकी थी।

कुछ कालेज में फंसी थीं वे सब भी चुदक्कड़ हो बुर का भोसड़ा करवा चुकी थीं।

इस प्रकार उसके साथ की लड़कियों की चुदाई हो चुकी थी।

पूनम से इसे नाम दिया था- किस्मत का खेल और ग्रहों की ताकत।

पूनम ने समर को बताया था कि लड़कों को एक नीति अपनानी चाहिए।

‘खाओ.. खुजाओ.. बत्ती बुझाओ और फिर सो जाओ।’

पूनम ने समर को बताया था कि लड़कों को समय रहते लड़कियों को कस कर चोद लेना चाहिए।

क्योंकि अगर लड़की की शादी हो गई तो सब किए-कराये पर पानी फिर जाएगा।

आखिर समेासा खाने के लिए होता है और जवान चूत लौड़ा खाने के लिए ही होती है।

समर पूनम की बात से सहमत था।

आज पूनम की चूत 3 साल की चुदाई के बाद ढीली हो गई है, पर समर आज भी उसे उसी प्रेम से चोदता है।

इस प्रकार पूनम की सुहागरात पूरी हुई।

आपको यह कहानी कैसे लगी.. जरूर बताइएगा।