फिर एक दिन उसने मुझे प्रपोज़ कर दिया और मैंने भी ‘हाँ’ कर दी, हम दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे।
एक दिन मैं उसे हॉस्टल में छोड़ने जा रहा था तो उसने कहा- मैं आज तुम्हारे साथ रूकना चाहती हूँ। तो मैंने भी ‘न’ नहीं कहा और हमने पास वाले लॉज में एक कमरा बुक करवा लिया।
कमरे में जाते ही मैंने उसे पहले बाहों में लिया.. फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, उसे चुम्बन किया.. पर उसे चुम्बन भी नहीं करना आता था।
क्या बताऊँ यारो.. मेरी लाईफ की पहली लिप किस.. उफ़ मजा ही कुछ औऱ था।
पहले तो वो कुछ समझ नहीं पाई.. पर धीरे-धीरे वो मेरा साथ दे रही थी।
हम दोनों को पहली बार इस तरह एक अकेले कमरे में रहना मिल रहा था.. तो हम दोनों से कन्ट्रोल नहीं हो रहा था। फिर हम दोनों इस तरह काफी देर तक रहे।
अचानक मैंने उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए.. उसने कुछ नहीं कहा.. वो बस मेरा साथ दे रही थी। उसके मम्मे बड़े-बड़े थे.. बहुत मज़ा आ रहा था, वो भी पूरा मजा ले रही थी।
फिर ऐसे मजे के चलते.. मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया.. वो एकदम पीछे हाथ गई।
मैंने कहा- क्या हुआ?
वो बोली- यह सही नहीं है।
मैंने कहा- कोई जबरदस्ती नहीं करूँगा.. अगर तुम नहीं करना चाहती.. तो मत करो.. पर एक बात याद रखना.. कभी ऐसा मौका नहीं मिलेगा।
वो चुप हो गई और अभी सोच ही रही थी कि मैंने एकदम से पास जाकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. उसने कुछ न कहा और मेरा साथ देने लगी।
फिर उसने कहा- मैं तेरा लंड देखना चाहती हूँ।
मैंने कहा- जानेमन सब तुम्हारा ही है।
फिर उसने मेरी पैंट खोल दी औऱ मेरे लंड को देखने लगी। लण्ड बड़ा होकर 6 इंच का हो गया था औऱ शायद इसी पल का इंतजार कर रहा था।
मैंने उससे कहा- इसे मुँह में लेकर देखो।
पहले तो उसने मना किया.. पर फिर मेरे बार-बार कहने पर वो मान गई। उसने मुँह में लिया.. और वो पल.. आह्ह.. जो मजा मुझे आ रहा था.. वो शब्दों में नहीं कहा जा सकता है।
फिर मैंने उसे अपनी गोद में उठाया औऱ बिस्तर पर ले गया।
पहले तो मैंने उसकी शर्ट और ब्रा उतार दी.. उसके बड़े-बड़े मम्मे आजाद हो गए। मैंने उन्हें करीब 10 मिनट तक पागलों की तरह चूसता रहा.. बड़ा मजा आ रहा था। वो भी मेरे बालों को कस कर पकड़ कर मुझे कह रही थी- औऱ जोर से..
पर मेरे से अब रहा नहीं जा रहा था, मैंने उसकी पैंटी उतार दी।
मैं पहली बार किसी लड़की को ऐसे देख रहा था, मैंने उसकी चूत को देखा.. बिल्कुल साफ़ थी।
मैंने उसे हाथ से छू कर देखा, मैंने जैसे ही उसे हाथ लगाया वो एकदम सिकुड़ कर मेरे सीने से लग गई।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब तो कन्ट्रोल से बाहर था, मैंने धीरे से अपना लंड उसकी चूत पर रखा और हल्का सा ही अन्दर गया होगा.. उसकी चीख निकल गई। मैं वहीं पर ही रुक गया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए औऱ उसे किस करने लगा।
दो मिनट तक ऐसे ही रहा.. फिर जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ.. तो मैंने धीरे से एक औऱ झटका मार दिया और इस बार तो वो हिलने के काबिल भी न रही।
पर मैंने इस बार परवाह न करते हुए तीसरे झटके में पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया। उसे इतना दर्द हो रहा था कि उसके मुँह से चीख भी नहीं निकल पा रही थी।
फिर थोड़ी देर के बाद उसका दर्द कम हुआ.. तो मैंने हल्के-हल्के झटके से शुरुआत की.. फिर तो धकापेल 15 मिनट तक चोदता रहा। उसने भी पूरा साथ दिया और 15 मिनट के बाद हम एक साथ ही झड़ गए।
उस रात हमने चार बार सेक्स किया और अगली सुबह जब पलंग की चादर देखी.. तो उस पर खून के निशान थे। हमने चादर धोई और हल्की सी सुखाकर बिछा दी.. औऱ मैं फिर उसे हॉस्टल छोड़कर घर आ गया।
उसके दो महीने बाद उसकी शादी हो गई.. पर वो दिन न वो भुला पाई और न ही मेरी सेक्स की प्यास को वो खत्म कर पाई और वही कालेज वाली सेक्स की प्यास अभी तक मुझ में धधक रही है। सो देखते हैं कि कब कोई इस लंड की प्यास बुझाती है.. अगर किसी में होगी तो मुझे जरूर मिलेगी।
मुझे ईमेल करें..
[email protected]