पहली चुदाई में मेरी जानम की चूत सूज गई

इन दो दिनों में हम दोनों पास-पास ही लेटते थे तो वो भी रात भर मेरा हाथ पकड़े रहती थी। एक-दूसरे से छेड़छाड़ आम बात थी.. शायद उसे भी मैं अच्छा लगने लगा था।

फिर मैं अपने घर वापस आ गया।

यह बात 4 साल पुरानी है तब वो जवान हुई ही थी.. उसके पास फ़ोन भी नहीं था जिससे मैं उससे बात कर पाता।
दिन यूँ ही कटने लगे।

एक बार पूरे 4 साल बाद वो मेरे घर मुझसे मिलने के लिए आई। मेरी ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा। प्यार तो प्यार ही था.. फिर से जागने लगा, हम रात भर बातें किया करते थे।

प्यार का इजहार और इकरार

दो दिन बाद हिम्मत दिखाते हुए मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कमर से खींच कर अपने बेहद करीब कर लिया। इसी वक्त मैंने उसे प्रपोज कर दिया। उसने नज़रें झुका लीं.. मैं समझ गया रास्ता साफ़ है।

उसके हाथों से बढ़ते हुए कंधे तक हाथ फिराने लगा। उसकी उंगलियों को हल्के-हल्के चूमने लगा। उसके मखमली हाथों को चाटने लगा। फिर थोड़ी सी और हिम्मत करके उसे खुद पर खींच लिया।

दोस्तो.. मैं उस वक़्त लेटा था और वो बैठी थी। अचानक उसके चूचे मेरे सीने से टकराए.. तो मैंने उसके होंठों पर एक छोटा सा किस कर दिया।
वो मुझ से लिपट गई। वो एकदम अनछुई थी.. यह बात मैं जानता था।

मैंने उसकी मोटी गांड पर हाथ रख दिया, वो सिसकारी लेने लगी। जैसे ही मैंने उसके मम्मों पर मुँह रखा.. वो मुझे धक्का देकर दूसरे कमरे में चली गई।
उस वक़्त मैं बेकाबू हो रहा था, मैं भी उसके पीछे गया और उसके पीछे से गर्दन पर किस करने लगा।

वो मुझे धकेलती रही.. लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा, मैंने उसके कान, गाल हर जगह किस करना स्टार्ट कर दी।
वो अब साथ देने लगी।

मैंने उसे बिस्तर पर पटका और उस पर चढ़ गया, उसके रसीले होंठों को चूसने लगा।
उसने मुँह खोला और मैंने अपनी जुबान अन्दर घुसा दी, वो अनाड़ी थी.. समझ ही न सकी कि क्या करना है।
मैंने उसकी जुबान चूसनी शुरू की तो उसने भी वही किया।

फिर मैं धीरे से नीचे को खिसकने लगा, उसकी गर्दन पर मुँह से गर्म साँसें छोड़ने लगा, उसकी गर्दन पर होंठों से गीला करने लगा.. हल्के-हल्के दांतों से काटने लगा।
वो जोर-जोर से सिसकारी लेने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…

अब उसके कपड़ों की बारी थी.. उसकी कमीज़ और चूड़ीदार पजामी को उतार दिया, अब वो सिर्फ सफ़ेद ब्रा पेंटी में थी, वो इन दो छोटे छोटे ढक्कनों में मस्त लग रही थी।

मैंने उसे बैठाया और दोनों मम्मों के बीच में अपना मुँह रख कर जुबान से छेड़ने लगा। इसी के साथ हाथों से हुक खोल कर उसकी ब्रा निकाल दी।
अब वो ऊपर से एकदम नंगी थी।

मैंने उसे लिटा दिया और उसके मम्मों पर हाथ रख कर दबाने लगा, मैंने एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और हल्के से चूसने लगा, साथ ही उसके दूसरे चूचे को दबाता रहा, वो मादक सिसकारी लेती रही।

फिर मुझे शरारत सूझी, मैंने अब चूसने की जगह निप्पल को काटना शुरू कर दिया, वो पागल हुई जा रही थी। अब दूसरे चूचे के निप्पल को हाथ से दबाने की जगह चुटकी में ले कर मसलने लगा।

वो एकदम से चुदासी होकर बोली- समर, ये क्या कर रहे हो जान लोगे क्या?

मैं कुछ नहीं बोला.. और दूसरे चूचे की बारी थी। उस पर भी मैंने यही किया। फिर मैं उसके शरीर पर किस करते हुए नीचे उतरा और उसके पेट तक जा पहुँचा। उसकी नाभि में उंगली घुसा दी.. कमर पर दांत से काटने लगा।

वो उछली जा रही थी।
मैंने उसकी चिकनी टाँगों पर किस किया.. तो वो बोलने लगी- सिर्फ चाटने में महारत हासिल है.. या कुछ और भी आता है।
मुझे जोश आ गया.. मैंने बोला- तुम देखती जाओ।

अनछुई चूत में उंगली

मैंने उसकी पेंटी को मुँह से खींच कर निकाल दिया। उसकी कुंवारी चूत में गुलाबीपन उफ़्फ़.. कातिलाना छेद.. अब उंगली डाल कर उसकी गुलाबी चूत को खोलने लगा.. वो सिहर गई।

मैंने उंगली निकाल ली और चूत को हाथ से पकड़ कर हिलाने लगा, वो पानी छोड़ने लगी और जैनब मुझसे चिपक गई।

उसके चूचे मेरे सीने से दबे हुए थे.. उसकी रानें मेरी रानों से दबी हुई थीं। वो मुझे कस कर चिपकाए हुई थी। इस अहसास से मेरा लंड बहुत तन गया था।

अब मैं भी तैयार था और वो भी।

मैं उसे और सताना चाहता था.. आखिर 4 साल का इंतज़ार जो था। मैंने उसकी चूत पर लंड रगड़ना शुरू कर दिया और एकदम पोजीशन सैट करके मैं लंड को लव होल पर रखता और हटा लेता।

उससे यह बर्दाश्त नहीं हुआ.. तो उसने झपट कर लंड पकड़ा और सीधे चूत के मुँह पर रख कर मुझे अपनी तरफ खींचने लगी।
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और वो चुद गई

मैंने हल्का सा धक्का मारा तो लंड चूत के अन्दर की तरफ जाने लगा और थोड़ी कोशिश के बाद टोपा अन्दर चल गया।
वो छटपटाने लगी.. लेकिन अब मैं मूड में था तो उसे कस कर पकड़ लिया, उसके होंठों पर होंठ रख दिए और धक्का मारने लगा।

मेरा लंड उसकी चूत में अन्दर जाने लगा, उसकी सील टूट रही थी.. वो दर्द से काँप रही थी।
उसकी छटपटाहट के चलते.. मैं उसके तराशे हुए जिस्म पर अपनी उंगलियां चलाने लगा था। मेरे हल्के से प्रयास से ही लंड अन्दर जाने लगा था। वो अधमरी सी हो गई थी।

तभी मैंने एक और धक्का मार के पूरा लंड घुसेड़ दिया, उसकी आँखों से आंसू बहने लगे।
मैं वाइल्ड सेक्स चाहता था, मैंने उसकी चूचियां मसलनी शुरू कर दीं और झटके से लंड खींच कर निकाल लिया।
वो चीखने लगी.. मैंने उसी तेज़ी से अन्दर भी पेल दिया।

उसकी चूत कुंवारी थी.. वो बिलबिलाने लगी.. मुझे नोंचने लगी। मैंने हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू किए और उसे किस करता रहा। कुछ ही पलों में एक बार फिर से लंड खींच कर अन्दर डाल दिया और हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए।

अब उसका दर्द कम हुआ और वो भी मज़े लेने लगी, धकापेल चुदाई होने लगी, वो ‘आह्ह्ह.. आआह्ह्ह..’ की आवाज़ निकलने लगी।

मैं अब पोजीशन बदलना चाहता था, मैंने लंड निकाल लिया और मैं नीचे लेट गया, उसे लंड पर बैठाने लगा, धीरे-धीरे पूरा लंड उसकी चूत में समा गया और वो लंड पर उछलने लगी।

मैं उसकी बड़ी सी गांड को पकड़ कर उसे नीचे से सहारा दे रहा था। वो मस्त होकर मेरे लंड की सवारी कर रही थी। मैंने उसे अब अपने ऊपर लिटा लिया और कुछ इस तरह से लिटाया कि मेरा मुँह उसके मम्मों पर था। मैं उसके मम्मों को चूसते हुए जोर से चोदने लगा।

मेरा माल निकलने वाला था, मैंने स्पीड बढ़ा दी और चोदने लगा, वो भी जोर से चीखने लगी।
कुछ ही पलों में हम दोनों साथ में झड़ गए।

हम दोनों थक चुके थे। उसने मुझे किस किया और हम यूँ ही पड़े रहे। कुछ देर बाद मैंने अपने पैर के अंगूठे से उसके पैरों को रगड़ना शुरू किया.. उसके पैरों को सहलाने लगा।
वो गर्म होने लगी.. मैं भी गर्म होने लगा।

मैं चुपचाप लेट गया, अब बारी उसकी थी.. वो मेरे ऊपर सवार हो गई मदमस्त आँखों से मुझे देखने लगी। मेरे गालों को काटने लगी.. होंठों को काटने लगी.. उसकी शरारतें मुझसे भी बढ़ कर थी.. उसने मेरी जुबान काट ली थी, वो मेरी छाती को सहलाने लगी।

मैंने उसके मखमली हाथों में लंड पकड़ा दिया और हिलाने लगा। वो लंड को जोर-जोर से हिलाने लगी और मेरा लंड खड़ा होने लगा।
मैं तो खुद को रोक ही नहीं पाया, उसको बिस्तर पर चित कर दिया और लंड पेल दिया, उसकी चूत अभी भी कसी थी, मैं जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। उसने पैरों को मेरी कमर में जकड़ दिए और मैं उसे चोदने लगा।

कुछ देर बाद मैंने उसे खड़ा किया और लंड पीछे से पेल दिया। पहले हल्के-हल्के से 2-4 धक्के दिए। फिर उसे गोद में उठा लिया और उचका-उचका कर चोदने लगा। फिर उसे बिस्तर के किनारे से लगा दिया और कुतिया बना कर उसकी चूत में लंड डाल कर पेलने लगा। उसकी कमर से पकड़ कर उसे हचक कर चोदने लगा।

वो चिल्ला रही थी- अह्ह्ह्ह.. समर.. अब बस करो.. प्लीज मुझे छोड़ दो।
मैं उसके बालों को पकड़ कर जोर से धक्का दिए जा रहा था। उसकी चूत सूज गई थी और वो भी तो मेरी जान थी.. ज्यादा तकलीफ कैसे दे देता।

मेरा पानी निकलने वाला था, मैंने स्पीड बढ़ा दी वो हिचकोले खाने लगी, सारा पानी उसकी चूत में निकाल दिया।
हम दोनों पसीने-पसीने हो गए थे, एक-दूसरे की बांहों में सो गए।

कुछ देर बाद आँख खुली तो देखा चादर पर उसके और मेरे प्यार की निशानी उसकी चूत का खून लगा था।

मैंने उसे कपड़े पहनने में मदद की और एक ज़ोरदार चुम्बन किया, मैं उसके मम्मों पर होंठ से रगड़ने लगा।
वो बोली- समर अब मैं नहीं कर पाऊँगी।

मैं अब भी उसके तराशे जिस्म पर अपनी उंगलियां चला रहा था।
मैंने से अभी कपड़े पहनाये ही थे कि मन नहीं माना तो तुरंत चूड़ीदार और पेंटी हटा कर फिर से उसकी चूत के दाने पर मुँह लगा दिया और जुबान से ही दाने को छेड़ने लगा।

उसकी सूजी हुई चूत बहुत ही प्यारी थी, मेरा पप्पू भी खड़ा हो गया था, अब मेरा पापी पप्पू दर्द कर रहा था लेकिन उसकी मदमस्त जवानी मेरा क़त्ल कर रही थी।
मेरा पप्पू मान ही नहीं रहा था.. फूल को छोड़ना ही नहीं चाहता था।

उम्मीद है कि आपको मेरी सेक्स कहानी अच्छी लगी होगी। अपने विचार अवश्य लिखिए।
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