कोटा कोचिंग की लड़की का बुर चोदन-2

हम दोनों ने एक दूसरे को छोड़ा और मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया. नुपूर को कस कर गले लगा लिया. उसके नर्म नर्म चुचे मेरे सीने पर दब गए. मैं दोनों हाथों से उसकी कमर और गांड को सहला रहा था. फिर मैंने उसके लोवर के अन्दर हाथ डाल कर उसकी गांड को दबाना चालू कर दिया, क्या मस्त मखमली गांड थी. मैं तो उसके चूतड़ों की नर्मी के स्पर्श से ही बहुत मस्त हो गया था. मैं उसकी गांड के छेद को सहलाने लगा और धीरे धीरे उसकी चुत पर भी उंगली फिराने लगा. उसकी चूत रोने लगी थी. मतलब नुपूर भी गर्म हो गई थी. उसकी चूत से हल्का सा पानी बहने लगा था.

अब मैंने नुपूर को उठाया और उसकी टी-शर्ट को उतार दिया. उसकी गोरी चुचियों पर काले रंग की मनोहारी ब्रा को भी उतार दिया. फिर उसके एक चुचे को दबाने लगा. मैंने उसको अपनी गोद में बिठा लिया, जिससे उसकी गांड मेरे लंड पर आ गई. उसके चुचे मेरे दोनों हाथ में मानो दो गेंदें हों, इस प्रकार समा गई थीं. मैंने फिर से नुपूर को उसकी गर्दन पर अपने होंठों से चूमना शुरू कर दिया और उसकी दोनों मौसम्मियों को कस कर दबाने लगा. मैं जमकर दूध दबाते हुए उसके रसीले बोबों की मसाज करने लगा.
नुपूर भी इन सबका आनन्द ले रही थी. दो मिनट में ही उसके निप्पल एकदम कड़क हो गए और वो मेरी तरफ को घूमी तो मैं उसके एक चुचे को मुँह में भर कर चूसने लगा और एक हाथ से दूसरा चूचा दबाने लगा.
इसी के साथ मैंने धीरे से एक हाथ को नुपूर की लोवर में डाल कर उसकी चुत को सहलाना शुरू कर दिया. इधर मैं उसके निप्पल पर काटने लगा ओर नीचे उंगली उसकी चुत में डालने लगा.

मैंने नुपूर के चूचे को पूरा मुँह में भर लिया और चूसने लगा. साथ ही नीचे अपनी उंगली को चुत के अन्दर करने लगा. उसको अपनी गीली चूत में मेरी उंगली का स्पर्श अच्छा लग रहा था. मैंने अचानक से नुपूर के बोबे पर काट लिया और ठीक उसी वक्त नीचे उसकी चूत में एकदम से अपनी पूरी उंगली डाल दी. नुपूर इस दोहरे हमले से चिल्लाने लगी. उसे दर्द चूची काटने का हो रहा था, जबकि उसकी चूत ने मेरी उंगली को पूरा लील लिया था.

वो बोली- आराम से चूसो ना … काटो मत यार … मुझे दर्द होता है.
इस खेल की मजेदार बात यह थी कि उसकी अनचुदी टाईट चूत, जो मेरी उंगली को भी घुसने की जगह नहीं दे रही थी. इस चूची काटने के दर्द के दौरान उसे यह नहीं पता चला कि उसकी चुत में मैंने पूरी उंगली डाल दी.
फिर मैं उसे किस करने लगा और चुत में उंगली आगे पीछे करने लगा. फिर मैंने दो उंगली से चूत को रगड़ना शुरू कर दिया. इस बार मैंने उसके होंठों को मुँह में दबा दिया और एक हाथ से बोबे दबाने लग गया. साथ ही मैंने नीचे चुत में दो उंगली डालने की कोशिश की, लेकिन कसावट के कारण नहीं गईं.

मैं उसके होंठों पर काटने लगा और एक बोबे को जोर से दबाया. उसी समय नीचे जोर लगा कर दो उंगलियों को उसकी चुत में पेल दिया. नुपूर अचानक से उछल गयी लेकिन मैंने उसको छोड़ा नहीं और चुत में जोर जोर से दोनों उंगलियों को अन्दर बाहर करने लगा. दो मिनट में ही नुपूर का पानी निकल गया.
मैंने नुपूर को बेड पर लिटा दिया और उसकी चुत पर मुँह लगा कर उसका रस पीने लगा. उसकी चूत का रस मस्त नमकीन स्वाद वाला था.

मैं कुछ देर तक उसकी चुत पर अपनी जीभ से सहलाता रहा. वो फिर से गरमा गई. मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया, फिर दोनों पैरों के बीच में आ गया. पैरों को कंधों पर रख कर लंड पर अच्छे से थूक लगा लिया. मैं लंड को नुपूर की चुत पर रगड़ने लगा और धीरे धीरे से सुपारा उसकी चुत के अन्दर डालने लगा.

जैसे ही चुत के अन्दर मेरे लंड का टोपा गया कि नुपूर चिल्लाने लगी- प्लीज राज … मुझे दर्द हो रहा है.

वो अपने आपको छुड़ाने में लग गई लेकिन मैंने अपनी पकड़ मजबूत रखी. मैं नुपूर को सहलाने लगा, उसके बोबे को दबाकर मसलने लगा और होंठों को चूमने लगा. फिर मैंने ऐसे ही उसके होंठों को चूमना चालू रखा और बोबे को दबाते हुए धीरे धीरे कमर को हिलाने में लग गया. नूपुर कुछ मस्त सी हुई कि अचानक से मैंने जोर का धक्का लगा दिया. इस बार मेरा मोटा लंड नुपूर की चुत में काफी अन्दर तक घुस गया. उसकी छटपटाहट एकदम से उस तरह की हो गयी थी, जैसे मछली को पानी से बाहर निकाल लिया हो. उसकी एक पल के लिए तो आवाज ही बंद हो गई और आंखों की पुतलियां फ़ैल गईं. अगले ही झटके में मेरा 6 इंच का मोटा लंड उसकी चूत में पूरा अन्दर चला गया था.

वो कसमसा रही थी लेकिन मैंने नुपूर को ढीला नहीं छोड़ा, उसके होंठों को बोबे को दबाता रहा और लंड को चूत में ठोके हुए पड़ा रहा. दो पल बाद उसको कुछ सांस सी आई और वो मुझे लंड बाहर निकालने को कहने लगी. मैंने लंड बाहर निकाल लिया, तो देखा उस पर खून लगा हुआ था और नुपूर की चुत से भी खून बाहर निकल रहा था.

मैंने उसकी पैंटी से चूत के खून को पौंछ दिया तथा अपने लंड को भी साफ किया.

फिर मैंने नुपूर को वापस चोदना शुरू किया. इस बार मैंने जोश में आकर जोर से धक्का लगा दिया, तो नुपूर को दर्द होने लगा. लेकिन मैं और जोर जोर से नुपूर को चोदने लगा. कुछ ही देर बाद दर्द उम्म्ह… अहह… हय… याह… मजे में तब्दील हो गया. अब नुपूर भी अपनी कमर उठा कर मेरा साथ दे रही थी और मैं भी उसकी टांगें उठा कर उसे जोर से चोद रहा था.

इतनी देर में नुपूर दो बार पानी छोड़ चुकी थी, लेकिन मेरा पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था. मैंने नुपूर को घोड़ी स्टाइल में किया और उसके पीछे से लंड लगा कर उसे चोदने लगा. मैं उस पर एकदम से सवार हो गया और उसकी चूचियों को मसलते हुए जोर शोर से चोदने लगा.

नुपूर मजे में बोल रही थी- आह … राज और जोर से … आह … और जोर से.

मैं भी दम लगाकर चोदने लगा और 5 मिनट बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए. मैंने अपने लंड का सारा पानी उसकी प्यारी सी चुत में छोड़ दिया और उसके ऊपर ही सो गया. हम दोनों को कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला.

सुबह हो गई तो नुपूर मुझसे पहले उठकर फ्रेश हो गई और फिर उसने मुझे उठाया. वो मेरे सर पर हाथ फेरते हुए मुझे उठा रही थी, तो मैंने उसको अपने ऊपर खींच लिया.
वो बोली- बाबू, रात भर में मन नहीं भरा क्या?
मैंने कहा- अभी तो नहीं भरा.

मैंने उसको एक किस कर दिया, फिर मैं भी फ्रेश होकर मुँह धोकर आ गया. हम दोनों ने चाय पी, नाश्ता किया.

कुछ देर बाद नुपूर नहाने जा रही थी, तो मैंने बोला- दोनों साथ में नहाएंगे.
नुपूर ने कहा- ठीक है.

मैं नंगा हो गया, नुपूर मेरे लंड को देख रही थी.
“इतना बड़ा है तुम्हारा?”

वो लंड सहलाने लगी, तो मैंने उसकी इच्छा को समझ लिया और उसको वही नीचे बिठा कर लंड उसके मुँह में भर दिया और वो भी मजे से लंड चूसने लगी. उसने दस मिनट तक मेरा लंड चूसा और मेरा पानी पी गई.

हम दोनों बाथरूम में गए और मैंने नुपूर को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया. मैं उसके होंठों को चूमने लगा, एक बोबे को दबाने लगा और नीचे चुत में जैसे ही लंड डाला कि नुपूर दर्द से कराहने लगी.
मैंने ध्यान नहीं दिया और जोर जोर से उसे चोदने लगा और उसी की चुत में झड़ गया.

चुदाई के बाद हम दोनों ने रगड़ कर एक दूसरे को नहलाया और बाहर आकर कपड़े पहन लिए. इसके बाद हम दोनों ने साथ में ही खाना बनाया और साथ में खाया.

एक घंटे बाद मैं नुपूर को एक बार और चोदा. फिर रात की ट्रेन से सुबह घर आ गया.

दोस्तो, यह थी मेरी एक सच्ची चुदाई की कहानी. आपको कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताना.
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धन्यवाद.