कुंवारी सपना का चुदाई का सपना -2

अब आगे..

जैसे ही सपना की चीख निकली.. वैसे ही भाभी ने सपना की एक चूची चूसनी शुरू कर दी और दूसरी चूची को हाथ से मसलना शुरू कर दिया.. जिससे सपना को कुछ राहत मिली।

तभी मैंने अपना लंड बाहर निकाले बिना पूरा खींचकर पूरी ताक़त के साथ दुबारा पेल दिया.. लेकिन इस बार मैंने सपना के होठों को अपने होठों में दबा लिया था जिससे सपना की चीख नहीं निकली लेकिन वो मछली की तरह तड़प रही थी।
मैंने उसकी तड़पन पर कोई ध्यान नहीं दिया और मैं सपना को लगातार पेलता रहा।

भाभी सपना की चूची चूस कर सपना को मज़ा दे रही थीं और मेरा लंड सपना की चूत का भुर्ता बना रहा था। मेरा लंड सपना की चूत में करीब 7 इंच तक घुस चुका था।

एक बार फिर से मैंने बिना बाहर निकाले पूरा खींचकर तीसरा जोरदार पूरी ताक़त के साथ धक्का लगा दिया.. जिससे मेरा पूरा लण्ड सपना की चूत में जड़ तक घुस गया। इधर भाभी के द्वारा लगातार सपना की चूची बारी-बारी से चूसने की वजह से सपना को मजा आने लगा और वो कमर उचकाकर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगी।

वो मजे से बड़बड़ाने लगी- विशु मेरी चूत का भोसड़ा बना दो.. जोर-जोर से चोदो विशु.. और जोर से..
सपना के कहने से मुझे जोश आ गया और मैं सपना की चूत में अपने लंड को स्पीड के साथ पेलने लगा।
मैं काफ़ी देर तक अलग-अलग आसनों में सपना को चोदता रहा.. जिससे सपना चुदाई के दौरान 3 बार झड़ भी गई। कुछ देर और धक्के मारने के बाद जब मैंने सपना से कहा- मैं अब झड़ने वाला हूँ।

तो सपना ने कहा- विशु मेरी चूत में ही झड़ जाओ.. अभी कोई खतरा नहीं है।
थोड़ी देर मैंने स्पीड से धक्के और मारे फिर मैं सपना की चूत में ही झड़ गया।
मेरे झड़ने के साथ-साथ सपना भी चौथी बार झड़ गई और मैं थककर सपना के ऊपर ही गिर गया और करीब 5 से 7 मिनट तक सपना को चूमता रहा।

सपना भी मुझसे चिपककर चूमती रही, उसके चेहरे पर संतुष्टि की मुस्कान थी।
फिर हम तीनों ने साथ-साथ दूध के साथ फल खाए.. जिससे मेरे शरीर में भाभी को चोदने की ताक़त आ जाए।

करीब 25 मिनट बाद भाभी ने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया.. जिससे मेरे लंड में तनाव आने लगा।

फिर मैंने भाभी के मुँह से अपना लंड निकाला और मैं भाभी को चूमना शुरू कर दिया। भाभी की नई-नई शादी होने के कारण उनकी चूत ढंग से खुली नहीं थी। आखिर उनकी उम्र ही क्या थी.. सिर्फ 20 साल।

जैसे ही मैंने भाभी को कान के पीछे चूमा.. तो वो मुझसे एकदम चिपक गईं.. फिर मैं उनकी गर्दन, चूची, पेट की टुंडी में जीभ डालकर चाटने लगा.. तो भाभी सिसकारने लगीं।
फिर मैं थोड़ी देर बाद भाभी की चूत चूसने लगा, जैसे ही मैंने भाभी की चूत पर अपनी जीभ लगाई तो भाभी ऐसे उछलीं जैसे 1000 बोल्ट का करंट लगा हो।

उसके बाद मैंने भाभी की चूत को 15 मिनट तक चाटा और मैंने भाभी की चूत में दो उंगली डालकर चूत का बोर भी चैक किया कि उनकी चूत मेरा लंड झेल पाएगी या नहीं।

इन सभी कामों में मुझे करीब आधा घंटे का समय लग गया।
उसके बाद जब भाभी ने मुझसे कहा- विशु अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. मेरी चूत में अपना लंड घुसेड़ दो।

मैंने भी देर न करते हुए एक कंडोम निकाला.. तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- विशु आज मुझे बिना कंडोम के चोदो।
तो मैंने कहा- यदि कुछ हो गया तो?
इस पर उन्होंने कहा- मैं शादीशुदा हूँ और एमसी से कल ही बन्द हुई हूँ। अब तो मैं भी यह चाहती हूँ कि मेरी कोख में तुम्हारा ही बच्चा पले.. इसलिए विशु तुम यह टेंशन मत लो और बेफिकर होकर जी भर के मेरी चुदाई करो। मुझे भी सपना की तरह खुश कर दो और मेरी कोख में अपना बच्चा डाल दो।
मैंने कहा- ठीक है..

मैं अपने लंड को भाभी की चूत के छेद पर लगाकर रगड़ने लगा और मैंने सपना से कहा- तुम भाभी की चूची चूसो.. और एक हाथ से सहला-सहला कर दबाओ।
इधर मैं भाभी की चूत के छेद पर अपने लंड का मशरूम के जैसा फूला हुआ सुपाड़ा घिस रहा था.. तो भाभी सिसकारियाँ भर रही थीं।

कुछ देर बाद मैंने भाभी की चूत के छेद पर अपना लंड लगाकर पूरी ताक़त के साथ एक जोर का धक्का लगा दिया। लेकिन भाभी के होंठ सपना के होंठ में फँसे होने के कारण वो चीख नहीं पाईं। लेकिन उनके चेहरे के भाव बता रहे थे कि उनकी चूत मेरे लंड को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी.. मतलब उन्हें बहुत दर्द हो रहा था।

मैंने उनके दर्द पर कोई ध्यान न देकर मैंने एक और जोरदार धक्का लगा दिया.. जिससे दर्द के कारण उनकी आँखें बाहर को आ गईं।
मैंने भाभी पर कोई रहम न करते हुए एक और जोरदार धक्का लगा दिया जिससे मेरा लंड भाभी की चूत में करीब 5 इंच तक घुस गया था।

भाभी मेरे लंड के प्रहारों से नीचे पड़ी हुई असहनीय पीड़ा बर्दाश्त कर रही थीं। एक तरफ तो मुझसे उनका दर्द देखा नहीं जा रहा था.. लेकिन मैं उन्हें बीच मझधार में छोड़ना नहीं चाहता था इसलिए मैंने उनके दर्द की ओर ध्यान नहीं दिया। फिर से अपना लंड उनकी चूत से बाहर किए बिना पूरा खींच कर फिर एक जोरदार धक्का लगा दिया.. जिससे मेरा लंड भाभी की चूत में करीब 7 इंच तक घुस गया।

उसके बाद अब तक मैंने जितनी ताक़त लगाई थी.. इस बार मैंने दोगुनी ताक़त के साथ धक्का दिया.. जिससे मेरा लंड भाभी की चूत में जड़ तक घुस गया, उसके बाद मैंने धक्के लगाना बंद कर दिए।

इधर सपना भाभी की चूची चूस रही थी और दूसरे हाथ से सहला-सहला कर दबा रही थी.. जिससे भाभी को दर्द में बहुत आराम मिल रहा था।
फिर अचानक भाभी ने मुझसे कहा- विशु चोदो मुझे..

इस बात का मुझे बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि भाभी की चूत इतनी टाइट होगी। मुझे भाभी ने बताया- मेरा पति नपुंसक है.. उस मादरचोद का लंड खड़ा ही नहीं होता है.. इसलिए मैं आज तक कुँवारी थी और मेरी चूत की सील आज तुम्हारे मजबूत और बड़े लंड ने तोड़ी है.. इसका मुझे बिल्कुल भी पछतावा नहीं है। अब तुम मेरी जोर-जोर से चुदाई करो और मेरी चूत का भुर्ता बना दो। कम ऑन विशु.. जल्दी से मेरी चुदाई करो.. कम ऑन विशु.. फक मी फ़ास्ट..

यह कहकर वे मुझे उकसाने लगीं। मेरे लंड ने भी शताब्दी एक्सप्रेस की तरह स्पीड पकड़ ली। भाभी को चोदते हुए अभी 10 मिनट ही हुए होंगे कि भाभी झड़ गईं लेकिन मैं फिर भी उन्हें लगातार चोदता रहा।
भाभी की चीखें बढ़ती गईं.. जिससे मेरे जोश के कारण मेरी स्पीड और तेज हो गई।

भाभी फिर से दुबारा झड़ गईं। मुझे भाभी को चोदते हुए काफ़ी समय हो चुका था.. जिस दौरान भाभी दो बार झड़ चुकी थीं.. लेकिन मैं फिर भी ताबड़तोड़ धक्के मार रहा था।

करीब आधा घंटा बाद भाभी दो बार और झड़ चुकी थीं.. लेकिन मेरा बीज नहीं निकल रहा था।
फिर मैंने भाभी से पूछा- भाभी मैं कहाँ निकलूँ?
तो भाभी ने कहा- मेरी चूत में ही झड़ना क्योंकि मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ।

उसके बाद मैंने करीब 10 मिनट धक्के और मारे होंगे कि मेरे लंड ने भाभी की चूत में पिचकारी छोड़ दी और मेरे साथ भाभी भी झड़ गईं।
फिर मैं थककर भाभी के ऊपर ही गिर पड़ा और हम दोनों ही एक-दूसरे को बहुत देर तक चूमते रहे।

फिर अचानक ही भाभी ने मुझसे कहा- विशु सही मायने में तो मैं आज औरत बनी हूँ और तुमने मुझे बहुत खुश किया है। तुम आज के बाद मुझसे जितने पैसे माँगोगे.. मैं तुम्हें उतने पैसे दूँगी.. लेकिन तुम्हें मुझसे एक वादा करना पड़ेगा कि मैं तुम्हें जब भी बुलाऊँ.. तुम मुझे चोदने के लिए आओगे.. आओगे ना?
मैंने कहा- जी भाभी जी.. जरूर आऊँगा.. आप जब भी बुलाओगी.. मैं आपको चोदने ज़रूर आऊँगा ओके..
उसके बाद उन्होंने ये भी कहा- मैं तुमसे अपनी सहेलियों को भी चुदवाऊँगी।

उसके बाद मैंने उनकी चूत से अपना लंड निकाला.. जो मेरे बीज के साथ-साथ भाभी के चूत से निकले खून और रज से भीगा हुआ था।
भाभी हैरानी से कभी मेरे लंड को देखतीं.. तो कभी अपनी चूत को.. और कभी उस चादर को.. जिस पर खून का बड़ा सा एक गोल घेरा बन चुका था।

थोड़ी देर बाद भाभी को पेशाब लगी.. तो वो उठ कर जाने लगीं.. तो उनसे दर्द के कारण चला नहीं जा रहा था। मैं उन्हें गोद में उठाकर टॉयलेट तक ले गया और उन्हें टॉयलेट करवा कर ले आया।

उसके बाद मैं अपने घर चलने के लिए हुआ.. तो भाभी ने मुझे रोका और मुझे अपने पर्स से 2100/- निकाल कर दिए।

मैंने कहा- भाभीजी मैं अपनी फीस ले चुका हूँ।
तो उन्होंने कहा- यह फीस नहीं.. तुम्हारा इनाम है.. जो मैं तुम्हें अपनी ख़ुशी से दे रही हूँ.. प्लीज मना मत करना विशु.. रख लो.. क्योंकि तुम्हारे लंड में बहुत दम है।

मैंने वो पैसे लिए और अपने घर चला आया।
आज उनकी गोद में मेरा बेटा है और उनके पति का एक कार एक्सीडेंट में देहांत हो चुका है।

तो बताइए दोस्तो.. आपको मेरी ये सच्ची कहानी कैसी लगी?
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