एक कुंवारे लड़के के साथ-3

मैं अपनी पीठ के बल अपनी टाँगें खोल कर लेट गई- मेरी चूत चाटो, मनीष ! मैंने उसको जोर देते हुए कहा और उसके सिर को अपनी चूत की ओर दबाने लगी।
मनीष ने अपनी जीभ मेरी टांगों के ऊपर फेरनी शुरू कर दी और मैं सिहर उठी।

तुम ठीक तो हो ना शालिनी? मनीष ने मेरी सिहरन को समझते हुए पूछा।
ओह हहह मनीष, बहुत अच्छा लग रहा है, रुकना नहीं ! बस ऐसे ही चाटते रहो ! मैंने कहा।

वह मेरी चूत के आसपास चाटता रहा और बीच बीच में मेरी जांघें भी चाट लेता था। धीरे धीरे उसकी जीभ मेरी चूत के होठों पर पहुँच गई।
और जैसे ही उसने मेरी चूत को चाटना शुरू किया मैं अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई, जोर से उसका सिर अपनी जांघों के बीच में दबा लिया और जैसे ज्वालामुखी फटता है वैसे ही अपना पानी छोड़ने लगी।

थोड़ी देर के बाद जब मेरी साँसें सामान्य हो गई तो मैंने उसको अपनी तरफ खींचते हुए कहा- तू बहुत ही बढ़िया चूत चाटता है ! और अब कोई लड़की चूत चुसवाने से खुश ना हो तो इसमें उस लड़की का ही कसूर होगा !
वह सिर्फ मेरी ओर देख कर मुस्कुराया और मेरे होठों को चूसने लगा।

मैंने देखा कि उसका लण्ड एक बार फिर खड़ा हो चुका था। उसका लण्ड मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं उसको अपनी गीली चूत में लेने के लिए बेताब थी।
‘चलो चुदाई करते हैं !’ मैंने कहा।

मनीष को शायद मौखिक सेक्स का मज़ा आया हो परंतु व्यावहारिक सेक्स के बारे में वह कुछ घबराया हुआ सा लग रहा था।
मैंने उसको चूमते हुए कहा- घबराओ नहीं ! सब बहुत ही मज़ेदार होगा।

मैं एकदम गर्म थी और जोर जोर से चुदना चाहती थी। एक बार तो मुझे लगा कि शायद मुझे इस लड़के का चोदन ही करना पड़ेगा। जबकि उसका खड़ा हुआ लण्ड मुझे कुछ और ही कहानी बता रहा था। उसके चेहरे को देखकर मैं समझ गई कि यह बिल्कुल ही अनाड़ी है और मैंने उसी समय सोच लिया कि मैं ही उसके ऊपर चढ़ कर उसको चोद दूँगी।

‘अब तुम्हें बहुत ही मज़ा आएगा, मनीष !’ मैंने उसे मुस्कुराते हुए कहा।

और फिर उसको नीचे लिटा कर मैं उसके लण्ड पर सवार हो गई, अपनी दोनों टांगें उसके दोनों ओर करके बिना उसके चेहरे से अपनी नज़र हटाये हुए मैंने उसके बहुत ही कड़क लण्ड को अपनी चूत के मुंह पर रखा और धीरे धीरे उस पर बैठ गई।

जब उसका लण्ड पूरी तरह से मेरी चूत में घुस गया तो मैंने धीरे धीरे ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया और फिर अपने उछलने की गति बढ़ाने लगी। मैं उसके होंठों को चूमने के लिए उसके ऊपर अधलेटी हो गई और मनीष ने मेरी कमर पर अपनी बाहें लपटे दीं ताकि हम एक दूसरे के होठों को चूसते रहें।

‘ओह !!! शालू, तुम बहुत ही सेक्सी हो ! इतना अच्छा लग रहा है कि मैं बयान ही नहीं कर सकता !’ मनीष ने कहा।

मुझे नहीं मालूम कि कभी मनीष ने मुझे चोदने का सपना देखा हो ! या ना देखा हो ! परंतु मैंने हमेशा से उससे चुदने का सपना देखा था। और आज उस उन्नीस साल के लड़के का कुँवारा लण्ड मेरी सताईस साल की अनुभवी चूत के अंदर था।

और अब जब उसका लण्ड मेरी चूत में था तो लग रहा था कि वह हर एक पल का मज़ा ले रहा था।
जहाँ तक मेरी बात है, मैं तो उसके लण्ड का मज़ा ले ही रही थी।

‘ओह !!! शालू…! मनीष की कराह निकली।
जब मैंने अपनी प्यासी चूत के अंदर उसके लण्ड पर जोर जोर से धक्के देना शुरू कर दिया तो ‘और जोर से चोदो !’ उसके मुंह से निकला।

‘तुम्हें अच्छा लगा, मनीष?’ मैंने और जोर से उसके लण्ड की सवारी करते हुए कहा।

‘तुम्हें इस तरह तुम्हारे लण्ड का चुदना अच्छा लगा? ओह!!! मनीष ! मुझे भी एक जोरदार चुदाई की बहुत ही ज्यादा जरूरत थी। तुम्हारा लण्ड से मेरी चूत में बहुत ही मज़ा आ रहा है। बस ऐसे ही अपना लण्ड मेरी चूत में हमेशा डाले रहो!’ मैं कराह कर कह रही थी।
मैं अपने पूरे जोर से उसके लण्ड की सवारी कर रही थी और एक बार फिर मुझे अपने चरम सीमा पर पहुँचने का अंदाजा हो गया था।
‘ओह मनीष, मैं झड़ने वाली हूँ !’ मैं जोर से चिल्लाई और अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई।

उस समय मेरे जोर जोर से उछलने से एक बार तो ऐसा लग रहा था कि बेड ही टूट कर गिर जायेगा। मैं देख रही थी कि मनीष भी मेरे झड़ने का मज़ा ले रहा है। अब वह एक लड़की को चुदाई के दौरान झड़ने का अनुभव ले रहा था। अब यह तो वही जानता था कि उसको सबसे ज्यादा मज़ा कब आया जब मैंने उसका लण्ड चूसा या जब उससे अपनी चूत चुसवाई या जब मैं उसको चोदते हुए झड़ी, तब।

अब जब मनीष चुद चुका था मैं उसको आदमी मानने लगी।
पढ़ते रहिए ! कहानी जारी रहेगी !

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कहानी का चौथा भाग : एक कुंवारे लड़के के साथ-4