एक कप चाय के बदले

यह मेरी पहली कहानी है, बात कुछ महीने पहले की है।

मैं एक बहुउद्देशीय कम्पनी में काम करने लगा।

एक दिन मैं ऑफ़िस से निकल ही रहा था तभी पीछे से आवाज़ आई- मधुर… मधुर रूको ! मैं भी आपके साथ निकलती हूँ, क्यूंकि देर बहुत हो गई है।

वह मेरे ही ऑफ़िस में काम करने वाली लड़की अंजलि थी, उसका कद 5’3″ था।

मैं उससे अपनी तरफ से प्यार करता था। करीब तीन महीने हो चले थे क्यूंकि उसने भी कंपनी को कुछ दिन पहले ही ज्वाइन किया था।

मैंने उससे पूछा- कहाँ रहती हो?

तो उसने कहा- जहाँ आप रहते हो, उससे अगले स्टॉप के पास रहती हूँ।

बाहर आकर मैंने एक शेयर ऑटो लिया और निकल गए।

रास्ते में उसने मेरे से बहुत सारे प्रश्न किए और मैंने भी सारे जवाब दिए।
फिर मैंने भी उससे कई प्रश्न किए उसके बारे में जिससे मुझे पता चला की वह यहाँ पर अपनी एक सहेली के साथ रहती है।

उसने मुझसे कहा- आपका घर आने वाला है।
मैंने उससे पूछा- आपको कैसे पता?
तो उसने बताया- कभी कभी मैंने आपको यहाँ देखा है।

मेरा रूम आ चुका था, मैं वहाँ पर उतरा और मैंने उसे कहा- आज यहीं चाय पीकर चली जाना।
उसने कहा- फिर कभी। यह चाय आप पर उधार रही। आज तो मेरी सहेली मेरा इंतजार कर रही होगी।
‘ठीक है तो फिर कभी सही…’

मैंने अपना पर्स निकाला और ऑटो वाले को पैसे देने लगा, उसने ऑटो वाले से मना कर दिया और कहा- आप चलो, पैसे मैं दे दूँगी।
मेरी काफ़ी कोशिश के बाद वह नहीं मानी और चली गई।

इस तरह मेरी पहली मुलाकात रही।

अब हम अच्छे दोस्त बन चुके थे, रोजाना ऑफ़िस से आना और जाना चलता रहा।

एक दिन उसने मुझसे कहा- आपने मुझे चाय नहीं पिलाई अभी तक?
मैंने कहा- रोजाना तो पीती ही हो मेरे साथ।
तो उसने कहा- यहाँ तो पीती ही हूँ पर घर पर तो नहीं।

मुझे पहली मुलाकात का ध्यान आ गया, मैंने कहा- चलो आज शाम को मेरे घर पर चाय पीकर जाना।

तो उसने कहा- आज नहीं, कल शाम को चाय पीते हुई ही जाऊँगी आपके घर से।
मैंने कहा- ओके, कल का वादा रहा, कल तो चाय पीकर ही जाना होगा।

अगले दिन वह एकदम परी की तरह लग रही थी क्यूंकि वह मेरा पसंदीदा हल्के गुलाबी रंग का सूट पहन कर आई थी।
वो मुझसे मिली और बहुत खुश थी।

ऑफ़िस का कम ख़त्म कर मैं और वो साथ साथ घर के लिये निकले क्यूंकि आज उसे आज मेरे रूम पर चाय पीने आना था।

मैंने अपने मकान मलिक को एक दिन पहले ही बता दिया था क़ि मेरी एक चचेरी बहन कल मेरे रूम पर आएगी क्यूंकि वो आजकल दिल्ली में ही है, दिल्ली घूमना चाहती है।

मकान मलिक ने मुझे कहा- कोई बात नहीं।

इस तरह से उसे रूम पर लाने में मुझे कोई परेशानी नहीं हुई।

मेरा रूम दूसरी मंजिल पर था। मकान मलिक ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे। मैं अकेला ही दूसरी मंजिल पर रहता था और इस तरह वो मेरे साथ मेरे रूम पर आ गई।

रूम पर आने के बाद मैंने उसे बैड पर बैठने को कहा, वो बैठ गई, मैंने उससे पूछा- पहले ठंडा या गर्म?

तो उसने बड़ी आसानी से कहा- इतनी जल्दी भी क्या है?
मैंने कहा- ठीक है, जैसी आपकी मर्ज़ी!

फिर उसने पूछा- बाथरूम कहाँ है?
मैंने उसे बताया और वो बाथरूम चली गई इतने में मैंने अपना ड्रेस चेंज कर लिया|

मैंने चाय बनने के लिए गैस पर रख दी और बैठ गया।

वो बाथरूम से निकल कर बाहर आई।

वो क्या लग रही थी मैं उसे देखते ही रह गया।

फिर उसने मुझसे तौलिया माँगा, मैंने तौलिया दिया और बैठ गया।

मैंने वक़्त को देखते हुए कहा- आज तो आप किसी मिस वर्ल्ड से कम नहीं लग रही हो।
उसने थॅंक्स कहा और बोली- आप भी तो किसी हीरो से कम नहीं लग रहे हो।
फिर मैंने अपना फेब.. शब्द ‘वो तो मैं हूँ ही’ कहा।

तब तक चाय बन चुकी थी। चाय बनने के बाद उसने कहा- आप बैठो, मैं चाय लाती हूँ।

वो दो कप चाय लेकर आई।
तब तक मैं नमकीन बिस्कट आदि निकाल लिया और हम लोग चाय पीने लगे, बातें करने लगे।

उसकी बातों में आज कुछ अलग ही अंदाज लग रहा था, मैंने उससे पूछा- आज आप बहुत खुश नज़र आ रही हो… क्या बात है?

तो उसने बताया- आज मैं अकेली हूँ। मेरी सहेली रूम पर नहीं है, वो एक सप्ताह के लिए घर गई हुई है इसीलिए मैं आज आपके साथ आ सकी।
‘बहुत अच्छा है, आज आप यहीं पर रुक जाइएगा।’

वो चुप हो गई।

चाय पीते हुए हम अपने अपने स्टूडेंट लाइफ की बातें करने लगे।

बातों बातों में उसने मुझसे पूछा- आपकी कोई गर्ल फ्रेंड है?
मैंने हंस कर कहा- नहीं, शायद मेरी शक्ल अच्छी नहीं है इसलिए आज तक मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं हुई।
वो बोली- ऐसा नहीं हो सकता, आपकी ज़रूर गर्लफ्रेंड होगी।
मैंने कहा- यार, आज तक तो मेरी जिंदगी में कोई लड़की नहीं आई, आगे का तो पता नहीं।

फिर मैंने बात को काटते हुए उससे पूछा- आपका तो बॉय फ्रेंड ज़रूर होगा?
वो बोली- हाँ है, पर मुझे पता नहीं वो मुझसे प्यार करता है या नहीं।
मैंने पूछा- उसने कभी नहीं बताया?
वो बोली- नहीं।

मैंने मज़ाक में उससे कहा- ठीक हुआ नहीं बताया। चलो अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड बन जाओ। मेरा भी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है और आपका भी कोई बॉय फ्रेंड नहीं है।

वो चुप हो गई।

मैं बोला- चिंता मत करो, मैं मज़ाक कर रहा था। और बताओ… कुछ नया टॉपिक शुरू करते हैं।
वो बोली- मधुर रियली मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
मैं चौंक गया, क्यूंकि मैं भी उससे प्यार करने लगा था।
और वो मेरे तरफ देखने लगी।

मैंने उससे कहा- वास्तविकता में मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ पर कहने से डरता था कहीं तुम मुझको ग़लत ना समझो।
और मैंने उसके हाथ पर हाथ रख कर उसे उसी वक़्त ‘आई लव यू’ बोल दिया।
उसका जवाब उसने मुझसे लिपट कर दिया और बोली- आई लव यू, आई लव यू, आई लव यू…

करीब 5 मिनट तक मेरे गले से लगी रही। मैंने भी उसका जवाब उसका साथ देकर दिया।

जब वो मेरे से अलग होने लगी तब मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और वो फिर मेरे ऊपर आ गिरी।

अब मैंने अपने होंठ उसके होठों से लगा दिए थे और एक दूसरे को किस करने लगे।

हमने करीब दस मिनट तक लिप किस किया, बहुत मज़ा आ रहा था, इसके बाद एक दूसरे के मुख में जीभ डालकर चूसते रहे।

अब वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थी, मैं उसे गोद में उठा कर बैड पर ले गया।

क्या फ़िगर था उसका 34-26-36। लड़कियाँ तो मुझे वैसे भी बहुत पसंद हैं। मैं तो बस पागल सा हो गया था।

उसने कहा- मधुर, आज मेरे सारे अरमान पूरे कर दो।

मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था, मैंने जल्दी से उसकी कुरती उतारी फ़िर सलवार। वो नीचे काली ब्रा-पैन्टी पहने हुई थी।

मैंने धीरे धीरे करके ये भी उतार दिया। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी और मैं भी बिल्कुल नंगा हो गया था।

अब मैंने उसे लिटा दिया, मैं उसकी छोटी झांटों वाली चूत चाटने लगा, फिर उसकी संगमरमरी चूत को उंगली से चोदने लगा। उसकी चूत एकदम कसी थी, अनचुदी कली थी।

वह सिसकारियाँ भर रही थी और इतने में ही अंजलि झड़ चुकी थी। मैंने उसके रस को अपनी जीभ से साफ़ कर दिया।

उसके बाद मैंने अपना लंड चूसने को कहा थोड़ा मना करने के बाद मान गई और बड़े आराम से चूसने लगी क्या मज़ा आ रहा था।
जन्नत से कम नहीं लग रहा था।

लंड चूसने के बाद वो अपनी टाँगे फैला कर लेट गई।

अब मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत की छेद से सटाया और सांस रोक कर जोर लगाने लगा पर उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी तो मैंने थोड़ा जोर से धक्का लगाया तो उसकी चीख निकल गई।
लौड़े का सुपारा उसकी चूत में घुस चुका था, उसकी सील टूट गई और खून निकलने लगा।

अब मैंने लण्ड को थोड़ा सा पीछे करके एक और जरा सा धक्का दिया, लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया।

अब वह दर्द के मारे अपने सर को इधर-उधर मार रही थी।

मैंने अपनी साँस रोकी और लण्ड को थोड़ा पीछे करके एक और धक्का दिया तो मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया।

थोड़ी देर रुक कर मैं धीरे-धीरे लण्ड आगे-पीछे करने लगा। अंजलि का दर्द अब कम हो रहा था और उसे भी अब मजा आ रहा था।

तो मैंने अपनी रफ्तार थोड़ी तेज कर दी, अंजलि अब कमर उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी, उसे बहुत मजा आ रहा था।

वो अब ‘कम ऑन- फक मी हार्ड’ कहकर मेरा साथ दे रही थी।

हम दोनों की साँसें तेज हो गई थी, अंजली अ..आ… उ.. ऊ.. आ की आवाज करके मजा ले रही थी।

दस मिनट की चुदाई के बाद अंजलि आऽऽ ओऽऽ उऽऽउ उफ करते हुए झड़ गई।

अब मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी।

करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और उसके ऊपर ही निढाल होकर गिर गया।

थोड़ी देर बाद हमने दोबारा सेक्स किया।
उसके चेहरे पर आनन्द और संतुष्टि साफ दिखाई दे रही थी।

अगले दिन सनडे था, हम दोनों कुतुबमीनार और लालकिला देखने गये।

इस तरह वो मेरे साथ एक करीब 5 दिन तक रही, हम दोनों ने खूब मज़े लिए।

मुझे आपके बेशकीमती मेल का इंतजार रहेगा, प्लीज़ मेल करके ज़रूर बताएँ कि मेरी कहानी कैसी लगी।