मेरी और मेरी कामवाली की चुदास-4

उसने मेरे सामने ही उसको मेल किया.
‘मेरी चूत के बादशाह.. चूत की तुम्हारे लंड को सलाम. उधर तुम्हारा लंड खड़ा रोता है, इधर मेरी चूत गीली हो कर रोती है. हमें इस काम के लिए एक दूसरे से मिलने का टाइम नहीं मिल पाता. मैं तुमको एक रास्ता बताती हूँ. पूनम दीदी सुबह ऑफिस चली जाती हैं और मैं घर पर ही रहती हूँ. वो शाम तो 7 बजे से पहले कभी वापिस नहीं आती हैं. इसलिए तुम इस समय का इस्तेमाल करो, जिससे तुम्हारा लंड और मेरी चूत दोनों ही खुशियां मना सकें. मेल का जवाब जितनी जल्दी ही उतनी जल्दी देना.’

मेल को गए अभी 5 मिनट भी नहीं हुए थे कि उसका जवाब आ गया कि वाओ क्या बात बताई है.. मुझे मेरी खोपड़ी में यह बात पहले क्यों नहीं समझ में आई. तुम सही में मेरे लंड की मलिका हो. मैं कल ही दोपहर 12 बजे से लेकर 5 बजे तक अपने लंड को कहूँगा कि वो तुम्हारी चूत की सेवा में हाज़िर हो जाए. बाकी बातें मिल कर करेंगे.

जवाब पढ़ कर मैंने उससे कहा- तुम दोनों 1 बजे के आस पास पूरे नंगे होकर बेडरूम में होना और दरवाजा अन्दर से लॉक कर लेना. मैं आकर बाहर से अपने आप लॉक खोल कर सीडे बेडरूम में चली आऊंगी और दरवाजा इतने धीरे से खोलूँगी कि किसी को आवाज़ नहीं आएगी. तब मैं तुम्हें और दीपक तो डांटते हुए कहूँगी कि यह सब क्या है.. मेरे घर को रंडी खाना बनाया हुआ है. तुम पूरा नाटक करना कि दीदी माफ़ कर दो, बहुत बड़ी ग़लती हो गई है.. तुम बस बार बार यही बोलती रहना. आगे क्या करना है.. मैं उस समय के हिसाब से बोलूँगी मगर तुम चिंता ना करना.. तुम्हें कुछ नहीं होगा.

अगले दिन मैं ऑफिस से छुट्टी ले कर 1 बजे के आस पास घर वापिस आ गई. मैंने धीरे से दरवाजा खोला और ध्यान से सुना कि बेडरूम से पिंकी के चुदने की आवाजें आ रही थीं- आह.. मज़ा आ रहा है.. और ज़ोर से करो!
मैंने झट से दरवाजा खोल दिया. दीपक को नहीं पता लगा कि दरवाजा खुल गया है मगर पिंकी से देख लिया था.

वो बोली- धीरे करो यार.. अगर पूनम दीदी आ गईं तो क्या होगा?
दीपक पिंकी को चोदते हुए बोला- अगर उसने कुछ कहा.. तो उसको भी चोद दूँगा.
पिंकी फिर से बोली- छोड़ो मुझे.. दीदी आ गई हैं.
दीपक को यकीन नहीं था, इसलिए उसने बोला- पिंकी चुपचाप चुदवा.. मुझे पूनम की याद ना दिलाओ.. उसे देख कर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो जाता है. वो तो मस्त माल है.

मैंने उन दोनों की चुदाई करते हुए की दो तीन पिक्चर कैमरे में रिकॉर्ड कर लीं.

दीपक पिंकी को पेलते हुए कहे जा रहा था- मगर क्या करूँ.. वो नहीं मिली तो तेरी चूत ही सही.. मगर उसका नाम ले कर मुझे डरा मत.
पिंकी फिर से बोली- ज़रा पीछे मुड़ कर तो देखो.
दीपक ने जब मुड़ कर देखा तो उसके पसीने छूटने लगे.

मैंने उससे कहा- ये सब क्या हो रहा है.. रंडी खाना बना रखा है.. और क्या कह रहे थे कि मैं मस्त माल हूँ. मेरे दिल में आपके लिए बहुत इज्जत थी और आप मुझे मस्त माल समझते रहे. मेरे घर को रंडीखाना बना दिया है. पता नहीं कब से यह चल रहा है. शर्म आती है मुझे तुम दोनों पर. जिस थाली में खाया उसी में छेद कर दिया. मैं आज ही भैया से कहती हूँ कि आपका साला यहाँ पर क्या क्या करता है और भाभी से भी कहती हूँ कि ज़रा आओ और देखो इसकी करतूत को. साथ में मैं तुम दोनों की एक अभी ली हुई पिक्चर भी भेज दूँगी.

अब तो दीपक की फट गई थी और मुझसे माफी माँगने की बारी आ गई थी. वो बोला- सॉरी मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गई.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.
मैंने कहा- मैं तो मस्त माल हूँ ना. तुम्हारे ख्याल से तुम्हारी बहन की ननद माल है, तो फिर तुम्हारी बहन हमारी क्या हुई.. ज़रा यह भी बता दो?
उसने कहा- मुझसे बड़ी गफ़लत हो गई है आपको आगे से कभी ऐसा मौका नहीं मिलेगा.

मैंने नरम होते हुए कहा- मगर आपने मुझे मस्त माल क्यों कहा.. यह तो बताओ.. अगर सच सच बताओगे तो मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी.
उसने कहा- जब मैं यहाँ आया था तो आप एक नाइटी में थीं और उसमें सब आपका सब कुछ दिख रहा था. उसी को याद करके मैंने आप को मस्त माल कह दिया, जिसके लिए मैं समझता हूँ कि मुझसे ग़लती हो गई है.
मैंने कहा- क्या तुमने मेरा सब कुछ देखा था?
वो बोला- आप सब समझती हैं.
मैंने कहा- नहीं.. मैं तुमसे सुनना चाहती हूँ.

वो बोला- फिर मुझे बहुत गंदे शब्द बोलने पड़ेंगे.
मैंने कहा- ठीक है बोलो.. मैं सुनूँगी.
उसने कहा कि आपके मम्मे और उन पर आपकी गुलाबी घुन्डियां और नीचे से पूरी साफ की हुई चूत.. मेरा सब देखा हुआ है.
मैं- ओह हो.. तो यह बात है. जनाब नज़र मुझ पर रखते हैं.. और चुदाई पिंकी की करते हैं. सुन लिया पिंकी.. अगर नहीं सुना तो बोलूं इसको कि दुबारा से बोले.

पिंकी ने कुछ नहीं कहा. अब तक दोनों सकते में थे. उन्हें अब होश आया कि दोनों ही पूरे नंगे हैं. वो जल्दी से अपने कपड़े पहनने लगे तो मैंने उनसे कपड़ों को छीन कर दूर फेंक दिया और बोली- अब क्या छुपा रहे.. मैंने तो सब कुछ देख लिया है और पिक्चर भी ले ली है.. ये देखो.
अब दीपक बहुत डर गया और बोला- लगता है आपने मुझे माफ़ नहीं किया.. आप बोलिए तो मैं आपके आगे अपनी नाक रगड़ देता हूँ मगर प्लीज़ यह पिक्चर डिलीट कर दो.
मैंने कहा- इतनी जल्दी क्या है.. इसे तो मैं अपनी मेल आइडी पर भी भेज चुकी हूँ ताकि अगर तू ज़बरदस्ती इसे डिलीट कर भी दे तो भी मेरे पास बनी रहे.

वो बोला- आपके घर पर इतने दिन रहा हूँ क्या आपने यही मुझे समझ पाया है. मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूँ.
मैंने कहा- हां तभी तो मस्त माल हूँ मैं.. आपकी नज़रों में.. वाह इसी को इज्जत कहते हो.. तो मैं बाज आई ऐसी इज्जत से.
वो अब हथियार डालते हुए बोला- जो दंड देना है.. मुझको दे लो.. मगर इसमें पिंकी का कोई कसूर नहीं है. मैं आपके हर एक दंड को स्वीकार करूँगा.
मैंने कहा- ठीक है फिर तुम दोनों एक बार मेरे सामने फिर से चुदाई करो.
दीपक बोला- यह कैसा मज़ाक है?
मैंने कहा- मज़ाक नहीं.. यह दंड है. मैं तुम्हारे सामने तुम्हारी पिक्चर डिलीट कर देती हूँ और मैंने कोई मेल भी कहीं पर नहीं की.

मेरी बात सुन कर दोनों नॉर्मल हो गए और अगले कुछ पलों में दीपक का लंड फिर से पिंकी की चूत को सलामी मारने लग गया. मेरे सामने दोनों ने मिल कर ज़ोरदार चुदाई की.

मैंने दीपक से कहा- तुम्हारा मस्त माल भी इस लंड को टेस्ट करना चाहता है. मगर शर्त यह होगी कि तुम मुझे चोदने से पहले प्रॉमिस करो कि तुम मेरी भाभी के भाई हो और मुझे मेरी भाभी की भाभी बनाओगे.
उसकी समझ में नहीं आया कि मैंने उससे क्या कहा है.

जब उसकी समझ में आया तो बोला- ठीक है मगर मैं जब तक अपनी बहन को इसके लिए राज़ी ना कर लूँ.. मैं आपके साथ कुछ नहीं कर सकता. मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से मेरी बहन की शादीशुदा जिंदगी में कोई तूफान आए. मैं उससे पूछे बिना कुछ नहीं कह सकता.
मैंने कहा- मंजूर है.. आज आपने जो कहा है, उससे मेरे दिल में आपकी बहुत इज्जत बढ़ गई है. अब मैं आपसे तभी बात करूँगी जब मुझे मेरे भाई और भाभी से उनकी रज़ामंदी मिलेगी. हां मगर मैं तुम दोनों के रास्ते में रोड़ा भी नहीं बनूंगी. तुम जो चाहो करो क्योंकि अभी तुम पर मेरा कोई अधिकार नहीं है.

यह कह कर मैं वहाँ से वापिस ऑफिस चली आई. अब मुझे लगता था कि पिंकी और दीपक की चुदाई चलती रहती होगी. मगर मुझे पिंकी अब ज़्यादा चिंता थी कि कहीं वो किसी मुसीबत में ना फँस जाए.
रात को मैंने उससे पूछा कि तुम लोग जब चुदाई करते हो तो कोई सावधानी बरतते हो?
उसने कहा- दीदी कई बार नहीं बरती थी.

मैंने कहा- सुनो पिंकी कभी भी किसी लंड पर विश्वास ना करना.. वो चाहे 101 कसमें भी क्यों न खाए. उसका लंड चूत में लेने से पहले उस पर रबर चढ़वा लेना और साथ में खुद भी बचाव के लिए गोली खा लेना. कहीं रबर अन्दर जा कर फट ना जाए. कई बार यह फट भी जाता है और माँ बनने का पूरा डर बना रहता है.
उसने कहा- आगे से पूरा ख्याल रखूँगी दीदी. मगर अब दीपक मुझसे नहीं मिलता है.

मैं चुप रही तो उसने फिर कहा- दीदी, दीपक भी अब नहीं आता. उस दिन के बाद एक बार आया था और बिना चुदाई किए ही चला गया था और जाते वक्त बोला था कि पिंकी तुम किसी अच्छे लड़के से शादी कर लो, मैं तुम्हारे साथ पूरी जिंदगी नहीं रह सकता. अच्छा होगा कि तुम मेरे साथ चुदाई की बिताई हुई घड़ियां एक हसीन सपना समझ कर भूल जाओ. वैसे तुम्हारी दीदी बहुत समझदार है, उससे सलाह मशवरा करके ही कोई कदम उठाना.. मैं तुम्हारी दीदी की नज़रों में बहुत गिर चुका हूँ.. अब और नहीं गिरना चाहता.

यह सुन कर मुझे दिल में बहुत खुशी हुई कि दीपक सच में मुझे चाहता है. फिर मैंने उसे समझाया कि तुम जब किसी से चुदने का विचार बनाओ तो उसे पहले इस नज़र से देखना कि क्या वो तुम्हारा साथ उस वक्त देगा, जब कभी तुम पर कोई मुसीबत आए या भाग जाएगा. मेरे से पूछो तो तुम अपने लिए कोई ऐसे लंड तलाशो, जो तुम्हारे साथ शादी करके हमेशा के लिए तुम्हें अपनी चूत बना कर रखे.. ना कि तुम्हें बाज़ारू चूत समझे, जिसे रंडी भी कहा जाता है.

ये कहने के साथ ही मैंने ये समझ लिया कि मेरी बात दीपक को दिल पर लग गई है. मुझे नहीं पता था कि उसने अपनी बहन से बात की या नहीं की, मगर कुछ दिनों बाद मुझे मेरे भाई का फोन आया. उन्होंने कहा- मैं एक मेल भेज रहा हूँ उसका जवाब सोच समझ कर देना. जल्दबाज़ी में कोई फैसला ना लेना.

मैंने मेल बॉक्स खोल कर देखा तो उसमें भाई ने मुझसे पूछा था कि तुम्हारी भाभी तुम्हें अपनी भाभी बनाना चाहती है. दीपक को तो तुम जानती हो ना.. पसंद न हो तो साफ़ साफ़ कह देना अगर पसंद हो तो बहुत सोच समझ कर जवाब देना.
मैंने जवाब दिया कि भैया वो बहुत अच्छा लड़का है, मगर मैं नहीं जानती कि वो मुझे पसंद करता हैं या नहीं. मगर एक बात बताती हूँ कि अगर आप कोई लड़का मेरे लिए देखोगे तो भी उस जैसे नहीं मिल पाएगा. अगर आप लोगों को वो पसंद है, तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं.

दो तीन दिनों बाद मुझे मेरी भाभी का फोन आया और उन्होंने पूछा- क्या मैं तुम्हें अपनी भाभी अब बोल सकती हूँ?
मैंने कहा- मैं क्या कह सकती हूँ. आप जो चाहे मुझको बोल सकती हैं, मैं आप से छोटी हूँ और आपका हुक्म मानना ही पड़ेगा.
तब भाभी बोली- ओ मेरी प्यारी भाभी.. तुम नहीं जानती कि तुमने अपनी भाभी के दिल से कितना बड़ा बोझ उतार दिया है. मेरा भाई तो शादी के लिए तैयार ही नहीं होता था. मगर पता नहीं जब से उसने तुम्हें देखा है, उसका पूरा ही मन बदल गया है. मैं तो डर रही थी कि कहीं तुम इन्कार ना कर दो. अबसे तुम मेरी भाभी हुईं.. मगर मैं तुमसे बड़ी हूँ इसलिए भाभी जी नहीं कहूँगी.. सिर्फ भाभी ही कहूँगी.

मैंने कहा- मैं आपके लिए वही पूनम हूँ और वही पूनम रहूँगी भाभीजी.
“ठीक है पूनम भाभी.. मेरी प्यारी भाभी!”

अगले दिन दीपक का फोन आया और बोला- मुझे आपसे सुनना है, जो मुझे मेरी बहन ने बताया है.
मैंने कहा- फोन पर ही सुनोगे या मिल कर पूछना चाहोगे?
उसने कहा- जैसा आपको अच्छा लगे. मगर मैं आपके घर पर नहीं आ पाऊंगा क्योंकि मैं अब पिंकी से नज़रें नहीं मिला सकता. आप कल शाम को मुझे डॉमिनो पिज़्ज़ा हट पर मिलो, तो मैं अपने को खुशकिस्मत मानूँगा.
मैंने कहा- ठीक है.

अब मुझे एक काम करना था, वो था पिंकी को पूरी तरह से किसी के साथ सेटल करवाना.

वासना और प्यार से परिपूर्ण यह हिंदी सेक्स कहानी आपको कैसी लग रही है, प्लीज़ मुझे मेल करें.
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कहानी जारी है.