मेरी सेक्सी चाची जी की चूत-1

उस दिन के बाद से मैं चाची के बारे में सोचने का नजरिया ही बदल गया। मैं उनसे कुछ ज्यादा ही चिपकने लगा, उनके शरीर के अंगों को छूने लगा। वो मुझे बच्चा समझ कर कुछ नहीं कहती थी। मुझे अपनी चाची का बदन छूने में बहुत मजा आने लगा, जब भी मुझे कोई अवसर मिलता, मैं अपनी चाची के शरीर को स्पर्श करने लगता और आनन्द उठाता.

एक दिन दोपहर में मेरी चाची अपने कमरे में अपने दोनों बच्चों के साथ सो रही थी, लगभग दोपहर के 2:30 बजे होंगे, मैं स्कूल से घर आ गया था, फ्रेश होकर खाना वाना खाकर सोने जा रहा था। तभी मम्मी ने कहा- रवि बेटा… ज़रा ऊपर से सूखे कपड़े तो उतार कर ले आ।
मैं ऊपर गया, मैंने ऊपर से सारे सूखे कपड़े उतार कर सीढ़ियों के पास रख दिये और सोचा कि चाची को देख लूं कि क्या कर रही हैं।

जैसे ही मैं चाची को आवाज़ लगाकर अंदर गया तो मैंने देखा कि सभी सो रहे थे। चाची उल्टा होकर पेट के बल सो रही थी और चाची की साड़ी उनकी जांघ तक उठी हुई थी, उनकी चिकनी जांघें देख कर मेरे तो होश ही उड़ गये थे… इतने गोरे पैर।

फिर मैंने चाची को आवाज लगाई लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, मेरे होश तो उनकी गोरी गोरी टांगें देख कर ही उड़ गए थे। थोड़ी देर ऐसे ही देखने के बाद मेरा मन उन्हें छूने का किया. मैंने पहले तो उनको हल्के हल्के टच किया, फिर कोई हरकत नहीं होने के कारण मैंने अपने हाथ उनकी जांघों पर रख दिये, मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था। मैं धीरे धीरे उनके पैर को सहलाये जा रहा था। ऐसा करने में मुझे बहुत मजा आ रहा था।

थोड़ी देर ऐसे ही सहलाने के बाद मेरा मन उनकी चूत को देखने का किया। मैंने पहले कई बार उनके गुप्त अंगों को साड़ी के ऊपर से टच कर रखा था तो मन उनको देखने का कर रहा था।
मैं धीरे धीरे उनकी साड़ी ऊपर करने लगा. जैसे ही मैंने साड़ी ऊपर करनी चालू की, तभी नीचे से मम्मी ने मुझे आवाज लगाई और मैं सब कुछ छोड़ छाड़ कर वहाँ से भाग गया.

मैंने नीचे जा कर मम्मी को कपड़े दे दिए और थोड़ी देर बाद फिर ऊपर जा के देखा तो सब वैसे ही सो रहे थे। मेरा मन तो काफी कर रहा था कि जाकर चाची के बदन साथ फिर से खेलूं पर मैं डर भी रहा था कि कोई आ न जाये या कि कहीं चाची जग न जाये.

मैं सोच ही रहा था कि तभी नेहा (चाची की बड़ी बेटी) जाग गई और मैं वहाँ से भाग निकला।

कुछ दिनों के बाद चाची अपने कमरे की सफाई कर रही थी, मैं भी ऐसे ही ऊपर चला गया, चाची को काम करता देख कर मैंने पूछा- मैं आपकी मदद करूँ?
तो उन्होंने मुझसे बॉक्स मंगवाए और कहा कि साइड में रखी किताबें उन बॉक्स में रख कर पैक कर दो।
मैंने बुक्स को बॉक्स में रख कर पैक कर दिया।

कमरे में सामान इधर उधर फैला होने के कारण ज्यादा स्पेस नहीं था। तो काम करने के बहाने मैं चाची की गांड और कमर को टच करता तो कभी सामान इधर उधर करने के बहाने उनकी गांड की दरार में अपना लंड लगा देता था। मुझे उनसे चिपकने में बहुत मजा आता था, वो मुझे बच्चा समझ कर कुछ नहीं बोल रही थी।

उस दिन भी ऐसे ही मजे करते हुए सारा काम ख़त्म हो गया और फिर चाची नहाने चली गई और मैं बाहर अपने दोस्तों के खेलने चला गया।

वक्त बीतता गया, मैं डिप्लोमा के फर्स्ट इयर में था तो पढ़ाई करने के लिए मैं काफी देर तक जगा रहता था. ऐसे ही एक दिन मैं रात को पढ़ाई कर रहा था, तभी चाचा जी रात के एक बजे किसी काम से बाहर जा रहे थे, चाचा जी को दरवाजे तक चाची जी भी नीचे आई थी.
मेरे पूछने पर चाचा जी ने कहा- ऑफिस में कुछ जरुरी काम है.
और इतना कह कर चले गये।

काफी रात होने के कारण नीचे सिर्फ मैं ही जगा हुआ था। चाची जी ने चाचा जी के जाने के बाद गेट बंद किया और फिर मेरे कमरे में आकर मेरे पास ही बैठ गई, फिर पूछा- रवि तुम कब तक पढ़ोगे?
“पता नहीं चाची!” मैंने उतर दिया।
उन्हें नीन्द आ रही थी पर चाची जी नहीं थे तो ऊपर अपने कमरे में अकेले सोने में भी डर रही थी।

फिर चाची जी ने मुझसे कहा- तुम मेरे कमरे में क्यों नहीं पढ़ाई कर लेते?
चाची जी के एसा कहते ही मैं मान गया और हम दोनों चाची के कमरे में आ गये।

फिर चाची जी ने लाइट जलाई और कहा- तुम्हें जितनी देर तक पढ़ना है, पढ़ लो, मुझे बहुत नींद आ रही है।
ऐसा कह कर चाची जी साइड में ही सो गई।

चाची ने सोते वक्त नाइटी पहनती हुई थी। रात के करीब 2 बज रहे होंगे और मेरा ध्यान अब कहाँ पढ़ाई में लगने वाला था। चाची जी को देख कर ऐसा लगा कि वो गहरी नींद में सो रही हों पर जैसे ही मैं उन्हें हाथ लगाया, उन्होंने करवट ली और अपने पेट के बल हो कर सो गई।
करवट बदलने के कारण उनकी नाइटी उनकी जांघों तक आ गई थी।

चाची जी की इस हरकत से मैं डर गया और फिर अपनी पढ़ाई में ध्यान देने का नाटक करने लगा। मैं चाची को बड़े ध्यान से देखे जा रहा था। उनकी उठी हुई गांड, गोरी गोरी जांघ… मुझसे रहा नहीं जा रहा था।

करीब आधे घंटे तक चाची जी ने कोई हरकत नहीं की तो मैंने अपना हाथ उनकी उठी हुई गांड पर रख दिया, मेरे हाथ बहुत काम्प रहे थे, मुझे मजा भी आ रहा था, थोड़ी देर हाथ वहीं रखे रहा.
जब कोई हरकत नहीं की चाची जी ने… तब मैं अपने हाथ से उनकी गांड पर सहलाने लगा. ऐसा करने में मुझे बहुत मजा आ रहा था पर मैं डर भी रहा था कि कहीं चाची जी जाग न जाये.

चाची जी की तरफ से कोई हरकत ना होने को वजह से मेरी हिम्मत बढ़ने लगी और फिर मैं उनकी कमर को तो कभी उनके कंधों को सहलाता, फिर भी चाची जी का कोई रियेक्शन नहीं आने की वजह से मैंने उनके गाल पर चुम्मी ले ली।

पहली बार मैंने चाची जी को किस किया था, उसके बाद मैं उनकी जांघ सहलाने लगा और फिर दोनों जांघों का चुम्बन करने लगा। चुम्बन करते समय चाची की जांघों के बीच से गर्म हवा मनमोहक सुगंध के साथ निकल रही थी।

मैंने उनकी नाइटी को और ऊपर कर दिया और उनके पैरों को हल्का और खोल दिया। अब चाची जी की नंगी चूत मेरे सामने थी, मैं देर न करते हुए अपनी एक उंगली से खेलने लगा।

कुछ देर ऐसे ही खेलने के बाद मैंने जैसे ही एक उंगली उनकी चूत में डाली, मुझे ऐसा लगा कि उनकी चूत ने मेरी उंगली को दबा दिया. पर मुझे मजा भी आ रहा था और फिर मैं अपनी उंगली को उनकी चूत में ही घुमाने लगा और फिर अन्दर बाहर करने लगा.

उसके बाद मैंने चाची जी की पूरी बॉडी पर किस किया। वो अभी भी सो रही थी, अब मैं उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखने ही वाला था कि मैंने अचानक बाहर से आवाज सुनी। मैं डर कर साइड हो गया और बाहर जा कर देख तो वहाँ बिल्ली के दो छोटे बच्चे खेल रहे थे.
मैं वापस रूम में आ गया और देखा कि चाची जी ने फिर करवट बदल ली थी अब वो मेरी ओर पीठ कर के सो रही थी.

मैंने घड़ी की ओर देखा तो उस समय 3:50 हो रहे थे और मुझे सुबह कॉलेज भी जाना था तो मैं वहीं चाची जी के साथ ही सो गया।

सुबह जागा तो देखा तो मैं बिस्तर पर अकेला था और सब सामान्य लग रहा था।
मैं उठा और नीचे आकर तैयार हो कर कॉलेज चला गया।

कुछ महीने एसे ही बीत गए। दिसम्बर का महीना था और मेरे गांव में मेरे दादा जी की तबीयत ख़राब थी तो पापा जी ने कहा- सब लोग गांव चलते हैं.
उस समय मेरे भाई बहनों की स्कूल की छुट्टियाँ थी तो सबने हामी भर दी पर मैंने मना कर दिया क्योंकि उस समय मेरे क्लब के ट्रायल होने थे तो मैंने मना कर दिया।

तभी मेरी चचेरी बहन नेहा ने भी जाने से मना कर दिया क्योंकि उसे अपने मेडिकल एग्जाम की तैयारी करनी थी. इस तरह हम दोनों ने जाने से मना कर दिया तो फिर मेरी मम्मी ने कहा- तुम्हारी देखभाल के लिए मैं रुक जाती हूँ।

यही फैसला फ़ाइनल हो गया और सब अपने काम में लग गये।

कुछ देर बाद चाचा जी ने भी जाने से मना कर दिया, पूछने पर कहा कि कंपनी से छुट्टी नहीं मिल रही।
तो बस क्या था, चाचा जी, चाची जी नेहा और मैं यहीं रह गए और परिवार के बाक़ी सब लोग गांव चले गये।

अब घर पर हम चार लोग ही थे पर दोपहर में घर पर सिर्फ मैं और चाची जी ही रहते थे.
सुबह 6 बजे फुटबॉल प्रैक्टिस के लिए चला जाता था, 9 बजे तक चाचा जी भी चले जाते थे और नेहा की अल्टरनेट दिन पर क्लास थी तो वो एक दिन घर पर रहती तो अगले दिन इंस्टिट्यूट जाती।

आखिर उस दिन मेरी किस्मत खुल गई उस दिन नेहा के इंस्टिट्यूट की छुट्टी थी तो वो अपनी सहेलियों के साथ घूमने निकल गई थी, रात को 8 बजे उसका कॉल आया कि वो आज रात को अपनी सहेलियों के साथ उनके घर पर ही रुकेगी।

चाचा जी भी आ चुके थे, चाचा चाची जी दोनों ऊपर के कमरे में थे, करीब रात के 9:30 बजे हम लोगों ने डिनर किया.
तभी चाचा जी ने कहा- मुझे अभी जाना होगा, उनके कंपनी का क्न्साइनमेंट आने वाला है.

करीब 10 बजे रहे होंगे, चाचा जी चले गए, अब घर पर मैं और चाची जी ही थे। चाची जी को बाहर छोड़ने के बाद मेरे कमरे में आई, मैं सोने ही जा रहा था कि चाची जी ने कहा- रवि, आज तुम मेरे कमरे में मेरे साथ सो जाओ।
पहले तो मैंने थोड़े नखरे किये पर मैं मान गया।

चाची जी की यह बात सुन कर मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे।

कहानी जारी रहेगी.
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