पहली बार चाची के साथ

खैर किशोर-वय तो ऐसे ही बीते जा रही थी, तभी मेरी ज़िंदगी में एक कमाल की घटना घटी। मैं आपसे वही घटना शेयर करना चाहता हूँ। मेरे पिताजी के एक छोटे भाई हैं जो उस वक्त दादा-दादी के साथ एक ‘चाल’ में रहते थे।

चाचा ने दो शादियाँ की थीं। पहली वाली चाची मेरी चचेरी बहन को जन्म दे कर गुजर गई थीं। उसके कुछ साल बाद दादा ने उनके गाँव से दूसरी शादी करवा दी।

दूसरी वाली चाची, चाचा से 10-12 साल छोटी हैं यानी मुझसे 10 साल बड़ी थीं। उनका रंग बहुत गोरा और बदन गदराया हुआ नॉर्थ-इंडियन औरतों की तरह था। दो बच्चे हो गये थे इसीलिए शरीर थोड़ा मोटा हो गया था, पर लगती वो कमाल थीं।

जिस वक़्त की मैं बात कर रहा हूँ तब तक चाचा और चाची के दो लड़के हो चुके थे। अब तक के कुछ सालों में मैंने कभी चाची की तरफ ग़लत नज़र से नहीं देखा था। दरअसल करीब दो साल पहले जब चाची को दूसरा लड़का हुआ, तब उन्होंने बच्चेदानी का ऑपरेशन भी करवा लिया था।

मुझे याद है मैं दादी के साथ उनको देखने अस्पताल गया था। तब ग़लती से खड़े होते हुए उनका पेटीकोट नीचे सरक गया और मुझे उनको चूत दिखाई दी थी। सच बताऊँ तो बहुत घटिया लगी थी ऑपरेशन के बाद। हालाँकि इस घटना को किसी ने भी ज़्यादा तवज्जो नहीं दी और साल बीत गये।

मैंने अभी जवान होना शुरू ही किया था, फिर भी चाची मुझसे काफ़ी हँसी-मज़ाक करती थीं। ज़ुबानी छेड़खानी कभी-कभी हाथों तक पहुँच जातीं। खैर… मैं इन सब बातों पर कोई ख़ास ध्यान नहीं देता था।

एक दिन दोपहर में मैं भी चाची के कमरे में सो रहा था और चाची साथ लेटी थीं। हम बातें कर रहे थे और वो मेरा सर सहला रही थीं। उनसे बातें करते-करते मैंने उनकी तरफ करवट ली और मेरा हाथ उनके कंधे पर लग गया। उन्होंने कुछ नहीं कहा।

फिर मज़ाक करते-करते मैंने अपना सर उनकी गोद में रख दिया। वे बैठ गईं, उन्होंने भी खुश हो कर मेरा सर अपनी गोद में ले लिया और मेरा सर सहलाने लगीं।

यह पहली बार था कि कोई औरत मुझे ऐसे कर रही थी। आप समझ सकते हैं कि मेरे मन पर क्या गुजर रही होगी। खैर मैंने ख्याली पुलाव बनाना शुरू कर दिए कि चाची को कैसे चोदा जाए। मैंने अंजाने में ही अपना हाथ उनके मम्मों पर लगा दिया। वो फिर भी कुछ नहीं बोली। इसके बाद मेरी हिम्मत खुल गई।

मैंने बोला- आप भी लेट जाओ और मैं आपके पेट पर सर रख कर सो जाऊँगा।

वो इस पर भी मान गईं और ज़मीन पर लेट गईं। मैंने भी अपना सर उनके पेट पर रख दिया और धीरे-धीरे सरकने लगा। अब तक मुझे लग रहा था कि मैं अकेला मज़े ले रहा हूँ, पर जब चाची ने मेरे इतना करने पर भी कुछ नहीं कहा तो मैं सोचने लगा कि शायद चाची भी चुदासी हैं।

मैंने बात करने के बहाने अपना सर उनको मम्मों पर रख दिया।
अरे क्या जन्नत महसूस हुई थी!!
मैं आपको बता नहीं सकता। उनके बड़े-बड़े मम्मे इतने सॉफ्ट लग रहे थे जैसे मलाई के ढेर लगे हों।

चाची को हंसता हुआ देख मुझे बहुत खुशी हुई। मेरा तो लंड महाराज खुशी के मारे पैन्ट फाड़ने को तैयार हो गया।

खैर दोपहर का वक़्त था और चाचा कभी भी आ सकते थे इसीलिए मैंने अपने आप पर काबू किया। फिर मुझे यह भी तो देखना था कि चाची किस हद तक मुझे चान्स लेने देंगी। उस दिन तो मैंने सिर्फ़ अपने सर से उनके मम्मों को दबा कर ही खुश रहना सही समझा।

उस दिन के बाद मुझे इसकी आदत लग गई। जब भी मौका मिलता मैं किसी ना किसी बहाने से चाची के बदन को छू लेता। वो भी ज़्यादा ऐतराज नहीं करती थीं।

एक दिन दोपहर के वक़्त मैंने उसके गालों पर चूम लिया, तो वो गुस्सा हो गईं और बोलीं- हमारा रिश्ता माँ-बेटे के बराबर है और यह सब करना ठीक नहीं है।

मैं अन्दर से तो डर गया लेकिन मैंने सोचा कि इतने दिनों से यह मुझे इतना सब करने दे रही है तो यह ज़्यादा कुछ नहीं बोलेगी, थोड़ा प्रेशर करके देखा जाए, यह सोच कर मैंने पीछे हटने की बात छोड़ दी।

और उसको बोला- इतना सब तो किया चाची ! अब क्यूँ मना कर रही हो।

मुझे साफ़ नज़र आ रहा था कि वो भी चाहती है कि मैं आगे बढ़ूँ। मैंने मौका सही समझा और उसके होंठों पर एक चुम्मा रख दिया।

पहली बार मैं एक मैच्योर औरत को चूम रहा था। उसने पहले तो अपने होंठ बंद रखे और मुझे ही उसके होंठों को चूमने दिया। उसके बाद मैंने अपने हाथ उसके मम्मों पर रख दिए और उनको दबा दिया। कसम से कह रहा हूँ कि मेरी तब तक की ज़िंदगी का वो सबसे हसीन लम्हा था।

मैं अपने आप पर और भी खुश था कि बात यहाँ तक पहुँच गई है। उस दिन के बाद धीरे-धीरे हम दोनों और भी ज़्यादा बोल्ड होते गए। मैंने चाची के स्तनों को रोज़ दबाना शुरू कर दिया। अब वो भी मुझे बड़े जोश के साथ चूमने लगी थी। मेरे लंड महाशय भी उम्मीद कर रहे थे कब उनका कुंवारापन जाए।

इसी तरह कुछ और दिन भी बीत गये। मुझे डर लगने लगा कि चाची को चोदने से पहले ही छुट्टियों खत्म ना हो जाएँ। खैर तक़दीर ने साथ दिया। चाचा मिल में काम करते थे और उनकी नाइट-पाली आ गई।

मैं वैसे भी अंदर के कमरे में सोता था। चाचा और मेरी खटिया साथ लगी रहती और हम दोनों रोज़ टीवी देखते हुए सो जाते थे। चाची बाहर वाले रूम में दोनों बच्चो के साथ सोती थीं।

अब आज से मैं अकेला सोने वाला था अंदर के कमरे में। मैं सारा दिन रात के आने का इंतज़ार करता रहा। रात को सब खाना खा कर करीब दस बजे सोने के लिए चले गए। मैं अंदर के कमरे में टीवी देख रहा था और चाची बाहर बच्चों को सुला रही थीं।

करीब साढ़े ग्यारह बजे मुझे लगा कि सब सो गए हैं। तब मैं चुपके से उठ कर चाची के पास गया और उनको हिलाया। चाची भी शायद मेरी राह देख कर जाग रही थीं।

उसने आँखें खोलीं तब मैंने इशारा किया कि अंदर आ जाओ। उसने झूठ-मूठ का बहाना बनाया कि बच्चे हैं यहाँ।

पर मैंने कहा- बच्चे सो रहे हैं और उसका हाथ पकड़ कर हल्के से खींचा।

वो तुरंत उठी, पर्दे वग़ैरह चैक किए और अंदर मेरे कमरे में आ गई। हमने कमरे का दरवाजा आधा बंद किया ताकि अगर बच्चे जाग जाएँ तो पता चले। फिर हम दोनों खटिया पर बैठ गए। मैंने तुरंत ही उसको चूमना शुरू कर दिया और उसने भी मेरा साथ दिया।

आज पहली बार हमें पूरा एकांत मिला था, बिना किसी समय की पाबंदी के। अब तक तो हम कुछ पल के लिए एक-दूसरे के साथ खेल कर अलग हो जाते थे। आज तो सारी रात हमारी थी। मैंने ब्लाउज के ऊपर से ही उसके मम्मों को सहलाना शुरू कर दिया।

फिर मेरा हाथ उसके ब्लाउज अंदर टटोलने लगा। उसने खुद ही ब्लाउज के बटन खोल दिए। मैंने पहली बार ज़िंदगी में किसी औरत की ब्रा को खोला। दोनों स्तन गोरे-गोरे खरगोशों की तरह लग रहे थे। मैं तो उन पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा। वो भी खुश होने लगी।

अब हम दोनों खटिया पर लेट गए। वो नीचे और मैं ऊपर। उसके दोनों मम्मे मैं ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था और उनको चूस भी रहा था। चाची भी गर्म हो गई और उसने मेरे बालों में उंगली फेरना शुरू कर दिया। मैं कभी उसके मम्मों को काटता तो कभी दबाता रहा।

अचानक ही चाची ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया। मेरा लंड पूरे जोश में था। चाची ने मेरा बरमूडा हटा दिया और इनर भी हटा दिया। फनफनाता हुआ मेरा 7 इंच का लंड बाहर आ गया। आज तक इस लंड ने किसी चूत को नहीं चखा था और आज वो पूरी तरह से तैयार था।

चाची ने अपनी साड़ी और पेटीकोट ऊपर कर दिए, उसने पैन्टी नहीं पहनी थी। मैंने उसकी चूत को छुआ तो जैसे बाढ़ आई हुई थी। उसकी चूत से रस नदी के बहाव की तरह बह रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना2 डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मैंने उसको बोला- मैंने आज तक कभी नहीं चोदा।
चाची बोली- आज तू चोदेगा बेटा।

उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और बोली- वाह राजा, क्या मस्त कड़क लंड है तेरा !
चाची ने मेरे लंड को अपने चूत के ऊपर रखा। मैंने तुरंत ही एक धक्के में पूरा का पूरा पेल दिया।

वो तकरीबन चीख पड़ी, बोली- धीरे से डाल नालायक !
मैंने कहा- सॉरी, अब आराम से करूँगा।

मेरा लंड तो पहली बार चूत में जाकर पागल हो गया था। मैंने ज़ोर-ज़ोर से अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
चाची बोली- आराम से कर ना !

पर मैं कहाँ रुकने वाला था। ज़िंदगी में पहली बार एक चूत मिली थी। मेरे लंड बाबू ने पूरा दम लगा दिया और ज़ोर-ज़ोर से चाची की चुदाई शुरू कर दी। चाची ने भी अपने चूतड़ उछाल कर मेरा साथ देना शुरू कर दिया। मेरा लंड हर झटने में खुशी की ऐंठन ले रहा था।

चाची ने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया और अपना मुँह खोल कर मुझे फ्रेंच किस करने लगी। मुझे बड़ा आनन्द आया कि मैं चाची को इतनी खुशी दे पा रहा था। मैंने और जोश लगा कर चुदाई शुरू कर दी। चाची ऐंठने लगी उसने अपने ही बाजू पर काट लिया ताकि चिल्ला ना दे।

करीब 5 मिनट बाद चाची झड़ गई, पर मेरा तो अभी तक खड़ा था, मैं चोदता रहा। पूरे 15 मिनट बाद मैं भी क्लाइमैक्स तक पहुँच गया। मैंने चाची के अन्दर ही अपना सारा माल उड़ेल दिया। चाची ने ऑपरेशन करवा रखा था इसीलिए गर्भ ठहरने का कोई डर नहीं था।

इतनी देर में चाची तीन बार झड़ चुकी थीं, वो बहुत ही खुश थीं, मुझे बोली- आई लव यू।
मैंने भी कह दिया- आई लव यू टू।

हमने सारी रात चुदाई की।

इसके बाद तो पूरे 20 दिन तक मैं रोज़ चाची को चोदता रहा। मेरी ज़िंदगी का नया पहलू शुरू हो चुका था और इसके बाद मैंने कई सारी लड़कियों को चोदा है। लेकिन आज भी मैं जब भी मौका मिलता है अपनी चाची को ज़रूर चोदता हूँ।

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