चाची की सफाचट चूत लण्ड की प्यासी

यह कहानी मेरी और मेरी सेक्सी चाची शोभा (बदला हुआ नाम) के बारे में है।

बात उस वक्त की है.. जब मैं किशोरवय का था। मेरे सबसे बड़े चाचा मुम्बई में एक दुकान चलाते थे और मेरे छोटे चाचा भी उनके काम में मदद करते थे।

लेकिन मेरी छोटी चाची गाँव में दादी के साथ रहती थीं। मेरी चाची की उम्र करीब 25 साल की होगी। देखने में वो बस ठीक-ठाक ही थीं।

चाचा साल में 3-4 बार ही गाँव आते थे तो चाची से ज़्यादा मिल नहीं पाते थे। उनकी शादी हुए 9 साल हो गए थे लेकिन उनको कोई संतान नहीं थी।

मेरा परिवार पूना में रहता था। मैं अपने माँ-बाप का एकलौता लड़का था। मैं हर साल गर्मी की छुट्टी में गाँव आता था।

चाची मुझे अपने बच्चे की तरह मानती थीं और मेरा बहुत ख़याल रखती थीं। रात में हम सब लोग एक साथ ही सोते थे। नीचे ज़मीन पर मैं चाची, दादी मेरे सबसे छोटी चाची, उनकी लड़की, मेरे सबसे छोटे चाचा सोते थे।

ऊपर खाट पर मेरे दादाजी अकेले सोते थे।

एक दिन मैं चाची से सट कर सोया था। जब मेरी रात को आँख खुली तो मैंने देखा कि मेरा एक हाथ उनकी चूचियों के ऊपर था।
चाची गहरी नीद में थीं.. तो उनको मालूम नहीं था कि मेरा हाथ कहाँ है।

मैंने धीरे-धीरे उनके चूचे को सहलाना चालू किया। थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि वो नींद से जाग गई हैं.. सो मैंने मेरा हाथ हटा लिया।
लेकिन चाची ने मेरा हाथ पकड़ कर वापिस अपने चूचे पर रख दिया।

यह देख कर मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
अब मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए और अगले ही पल मैं उनके चूचे मुँह में लेकर चूस रहा था।

मैंने बहुत देर तक उनके दोनों चूचे चूसे। चूचे चुसवाते समय वो मेरे सिर को पकड़ कर अपनी छाती पर दबा रही थीं और मुझे बांहों में जकड़ रही थीं।
थोड़ी देर बाद मैं उनसे अलग हो गया और सो गया।

अब यह हमारा हर रोज का खेल हो गया था।

कुछ दिनों में मेरी छुट्टी खत्म होने वाली थी.. तो पिताजी मुझे लेने गाँव आ गए और मैं उनके साथ पुणे चला गया।

कुछ महीनों बाद चाचा गाँव आ गए और दादी से बात करके चाची को अपने साथ मुंबई ले गए।

चाचा ने अपनी नई दुकान चालू की थी और एक मकान भी खरीद लिया था। अब चाचा और चाची मुंबई में रहने लगे।

कुछ सालों बाद चाची ने एक लड़की को जनमा.. समय बीतता गया.. इस दौरान मेरी और चाची एक या दो बार मुलाकात हुई थी।

अब मैं भी अच्छे नंबरों से पास हो गया और मैंने पुणे के एक अच्छे कॉलेज में बी.टेक. के लिए दाखिला ले लिया था।

जब मैं बी.टेक. के दूसरे साल में था तो मैंने एक कम्पटीशन में हिस्सा लिया और हमारा ग्रुप अगले राउंड के लिए सिलेक्ट हो गया।

बाद में हमारे कॉलेज के प्रोफेसर ने हम लोगों को बताया कि हम सब लोगों को दो दिन के लिए मुंबई के IIT कॉलेज में जाना है।

मेरा दिल में बहुत खुशी हुई.. क्योंकि मैं बहुत सालों बाद मुंबई जाने वाला था और चाची से मिलने का मौका भी मिला था।

अगले हफ्ते हम लोग मुंबई के लिए रवाना हो गए। मैंने अपने सर से बात कर ली थी कि मैं अपने चाचा के घर रहूँगा क्योंकि उनका घर कॉलेज के पास ही था।

मैंने चाचा को फोन करके बता दिया था कि मैं मुंबई आ रहा हूँ.. तो वे भी बहुत खुश हुए।

हम लोग सुबह 9 बजे कॉलेज पहुँच गए।

शाम को 5 बजे हमारा कम्पटीशन खत्म हो गया। रिज़ल्ट अगले दिन शाम को 4 बजे आना था.. तो मैंने सर से बात की और मैं चाचा के घर निकल गया।

मैं पहले दुकान पर गया.. चाचा से मिला वो मुझे देख कर बहुत खुश हो गए।
उनसे बात करने के बाद घर आ गया।
जैसे ही चाची ने मुझे देखा तो फट से गले लगा लिया, मैंने भी उन्हें अपनी बांहों में भर लिया।

उनकी चूचियां मेरे सीने से रगड़ रही थीं.. इसके कारण मेरा लंड खड़ा हो गया।

चाची ने मेरा लंड महसूस किया तो वो मेरे से अलग हो गईं.. लेकिन मेरा दिल उनको छोड़ने को मान नहीं रहा था।

उनका घर ज़्यादा बड़ा नहीं था.. दो कमरों का था। उसमें से भी मेरे चाचा ने एक कमरा किराए पर दे दिया था।

चाची ने मेरे लिए चाय बनाई.. फिर इधर-उधर की बातें की। मेरे पूछने पर पता चला कि चाचा रात को एक बजे घर आते हैं।

उनकी बेटी अभी ढाई साल की थी। मैंने सोच लिया था कि आज मौका हाथ से जाने दिया तो पता नहीं बाद में मिले या ना मिले।

मैं कुछ देर बाद घूमने के लिए बाहर गया। आते समय मेडिकल से दो वियाग्रा ले लीं। करीब रात के 9 बजे मैं घर आया तो देखा कि चाची अपनी लड़की को सुला रही थीं।

उसके बाद हम दोनों ने खाना खाया। चाची ने सब काम खत्म किया और सोने की तैयारी की।
उन्होंने बच्ची को ऊपर बिस्तर पर सुला दिया था।

मैंने वियाग्रा खा ली।

अब हम दोनों नीचे ज़मीन पर सो रहे थे और बातें कर रहे थे.. लेकिन मेरे दिल में बस उनकी चुदाई का ख्याल था। करीब आधे घंटे बाद चाची सो गईं।

मैं थोड़ी हिम्मत करके उनके नज़दीक गया और एक चूची पर हाथ रख दिया थोड़ी देर बाद देखा कि उनकी तरफ से कोई हरकत नहीं हो रही है.. तो मैं और ज़ोर से सहलाने लगा।

थोड़ी देर बाद चाची की मुँह से आवाज़ आने लगी.. तो मैं समझ गया कि वो सोने का नाटक कर रही हैं।

मेरी हिम्मत और बढ़ गई तो मैंने उनके कान में बोल दिया- अगर असली मज़ा चाहती हो तो खुलकर साथ दो।
चाची- मेरे राजा आज मेरी प्यास बुझा दे.. बहुत दिनों की प्यासी हूँ।

मैंने पूछा तो पता चला कि बेटी होने के बाद चाचा उनको ज़्यादा चोदते नहीं हैं।

मैंने उन्हें कस कर पकड़ लिया और उनके होंठों को चूमने लगा.. चूसने लगा।
मुझे लगा कि मैं जन्नत में पहुँच गया हूँ।

मैंने अपना एक हाथ उनकी चूची पर रख दिया और धीरे-धीरे सहलाने लगा।
वो गर्म होने लगीं..

फिर मैंने उनकी साड़ी उतार दी, अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में थीं।

उन्होंने एक हाथ मेरे पैन्ट में डाल दिया और मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगीं।
अब मैंने उनका ब्लाउज खोल दिया।

उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी तो मैं एक चूची मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरा हाथ उनकी साड़ी के अन्दर डाल दिया।

उनकी चूत को हाथ लगाया तो पता चला कि उस पर एक भी बाल नहीं है। मैं उनकी चिकनी चूत में उंगली कर रहा था और चूची चूस रहा था।

मैंने अपनी उंगली उनकी चूत के अन्दर घुसाई तो उनकी मादकता से लबरेज सिसकारी निकलने लगी ‘आई ईईइ.. ईईऽऽ ओऽऽ..’
वो मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगीं और मैं मस्ती में ‘आआहह.. ईईउउउ..’ करने लगा।

अब उन्होंने मेरी चड्डी निकाल दी और लंड चूसने लगीं। मैं पहली बार लंड चुसवा रहा था।
मैं सातवें आसमान पर था। फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में कुछ देर तक मज़ा लेते रहे।

मेरा फर्स्ट-टाइम था, जब मैं किसी के साथ ये सब कर रहा था। मुझे लगा कहीं मैं कुछ करने से पहले ही न झड़ जाऊँ।

मैंने उनके मुँह से लंड बाहर निकाला और चाची के ऊपर छा गया।
चाची- अब चोद भी दो मेरे राजा..
मैं- जरा रुक जा मेरी रानी.. थोड़ा मज़ा तो लेने दे।
वो बोलीं- अब और बर्दाश्त नहीं होता मेरे राजा.. मेरी बुर में अपने यह लंड डाल कर जल्दी से चोद दे।

फिर मैं खड़ा हो गया और उनको पेट के बल पर लेटा दिया, उनके चूतड़ों के नीचे एक तकिया रख दिया और लंड को सैट करके उनकी बुर में डालने लगा।

मैंने एक ज़ोर का झटका मारा तो मेरा पूरा लंड उनकी चूत में चला गया।
वो चिल्लाने लगीं- आह आआअ ईई मार डाल्ला.. बसऽऽऽ बसऽऽऽ धीरे करो प्लीज।

मैंने धक्के लगाना जारी रखा.. वो भी अपनी कमर को तेजी से झटके देने लगीं।
चाची- आआह.. एयेए उअयू.. ईस्स.. मार.. डाला.. चोदो और ज़ोर से.. आह्ह.. और ज़ोर से..

मेरे ऊपर वियाग्रा का पूरा असर हो चुका था.. मैं अपनी स्पीड और तेज कर रहा था।
चाची अपने नाख़ून मेरी पीठ पर चुभो रही थीं।
हम दोनों एक-दूसरे के अन्दर समा जाना चाहते थे।

दोनों ही चुदाई का भरपूर मजा ले रहे थे। मैंने महसूस किया कि चाची शायद चरम को पाने वाली हैं।
तभी चाची ने मुझे कस लिया और तेजी से झटके मारने लगीं।
मैं उनको उस पोजीशन में धकापेल चोद रहा था।

लम्बी चुदाई के बाद मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है।
वो बोलीं- अन्दर ही छोड़ दो.. प्लीज राजा.. तेजी से करो.. और जोर से.. मेरा भी दूसरी बार होने वाला है.. तेज और तेज.. हम्म्म्म..

वे ऐसा कहते-कहते अकड़ गईं और झड़ गईं।

मैं भी उनके साथ ही झड़ गया.. हम दोनों पसीने लथपथ थे। चाची के चेहरे पर ख़ुशी के भाव थे मानो उनकी प्यास कुछ शांत हो गई।

मैंने घड़ी में टाइम देखा तो अभी ग्यारह बज के तीस मिनट हुए थे।

मैं थोड़ी देर उनके ऊपर पड़ा रहा। मेरा लंड अब सिकुड़ने लगा था और उनकी चूत से बाहर आ गया।
चूत से मेरा और उनका पानी निकलने लगा।

मैं उनके बाजू में लेट गया और चूची सहलाने लगा।
चाची मुझे बोलीं- अभी भी तेरा दिल नहीं भरा क्या?
मैं- एक बार और हो जाए तो मज़ा आ जाएगा।
चाची- नहीं.. टाइम तो देख तेरे चाचा आते ही होंगे।

तो मैं बोला- चाचा को आने में अभी बहुत टाइम है.. प्लीज़ एक बार और करते हैं ना।
चाची- तू नहीं मानने वाला.. चल कर ले.. तुझे जो करना है।

उसके बाद मैंने उनको मेरे ऊपर खींच लिया और किस करने लगा।
थोड़ी देर बाद वो फिर से गर्म हो गईं। उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और उस पर अपनी चूत फंसा कर चढ़ गईं.. और मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगीं।

करीब कुछ देर बाद वो अकड़ने लगीं और झड़ गईं.. लेकिन मेरा हुआ नहीं था तो मैंने उनको नीचे किया। अब मैं ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था।
दस मिनट बाद मैं भी हाँफते हुए छूट गया।

उसके बाद मैं और चाची अपने कपड़े ठीक करके सो गए।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी? मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा।
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