कुछ देर बाद मेरी चूत का दर्द मज़े में बदल गया। अब मेरी चूत में वही खुजली फिर से होने लगी थी, ऐसा लग रहा था पापा का लौड़ा आगे तक क्यों नहीं जा रहा। रानी- आहह.. हह उईईई उफफफ्फ़.. पापा आहह अब दर्द कम है.. आहह घुसा दो.. आह फाड़ दो.. मेरी चूत को […]
Category: रिश्तों में चुदाई
इंडियन इन्सेस्ट स्टोरी, चाचा-भतीजी, चाची-भतीजा, मौसी, बुआ सास, ससुर जैसे रिश्तों में, परिवार में, रिश्तेदारी में चुदाई की कहानियाँ जिसे वर्जित माना जाता है.
Indian Incest Sex Stories in Hindi of Bhai-Bahan, Rishton mein chudai, Jija Sali and Devar-Bhabhi
लड़कपन की यादें-4
गतांक से आगे… उसने ऊपर आकर मुझे पूछा- यह क्या है? मुझसे जवाब देते भी नहीं बन रहा था फिर भी स्थिति को सम्भालते हुए मैंने उससे वो बुक्स छीनने की नाकाम कोशिश की और उसे डांटते हुए कहा- ये बुक्स तुम्हें कहाँ से मिली… ये तुम्हारे काम की नहीं… और ये मेरी भी नहीं… […]
लड़कपन की यादें-3
कुल मिला कर हम हर गर्मी की छुट्टियों में बहुत ज्यादा मजे करते थे पर इस बार जब वो लोग आये तब एक बार तो मुझे अच्छा नहीं लगा क्योंकि वो उसी गेस्ट रूम में रुके थे जिसकी खिड़की से मैं अपने मम्मी-डैडी को सैक्स करते देखा करता था। गतांक से आगे… हालांकि कुछ दिन […]
लड़कपन की यादें-2
बैडरूम में छोटा लैम्प जल रहा था, हल्का प्रकाश फैला था, जिससे सब कुछ साफ-साफ दिख रहा था। डैडी बैड पर सिल्क की लुंगी और बनियान में थे और मम्मी बाथरूम में नहाने लेने या शायद कपड़े बदलने गई थी। कुछ ही देर में मम्मी गुलाबी रंग की स्लीवलैस नाईटी पहन कर निकली और बैड […]
लड़कपन की यादें-6
अब वो केवल ब्रा और पैंटी में ही थी और आज कल जितना शरमा भी नहीं रही थी। मैं भी अपनी ट्रैक-पैंट, टी-शर्ट और बनियान खोल कर तुरंत बैड पर चढ़ गया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके कसे हुए उरोजों को दबाने लगा। थोड़ी देर दबाने के बाद मैंने धीरे से पीछे हाथ […]
लड़कपन की यादें-5
मैंने भी उठ कर दोनों बुक्स को अलमारी में रखा और अपना बिस्तर ठीक कर के लेट गया पर काफी देर तक सोनी का ही ख्याल दिल में चलता रहा। मेरे लिंग पर उसके हाथों के स्पर्श की गुदगुदी अब भी मुझे महसूस हो रही थी। ये सब सोचते हुए मुझे कब नींद आ गई […]
बहकते ज़ज्बात दहकता जिस्म-1
मेरे पति संतोष कुमार एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब करते हैं दस बजे से सात बजे तक ! इसलिए घर पर बोर होने से अच्छा मैंने कोई नौकरी कर लेना उचित समझा और पास में ही रोनी सलूजा सर के ऑफिस में काम मिल गया। यहाँ मेरे को दो साल हो गए, जब मैंने नौकरी […]
लड़कपन की यादें-8
अनन्या की योनि अब मेरी तरफ थी इसलिए मैंने अपनी दायें हाथ की उंगली उसकी योनि में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा। अब सोनी के साथ अनन्या की मादक सिसकारियाँ रूम में गूंजने लगीं थी। मैंने सोनी की योनि में अपने प्रहार तेज कर दिए थे। कुछ ही मिनटों के बाद सोनी तेज उत्तेजक […]
लड़कपन की यादें-7
अगले दिन सुबह मैं नित्यकर्म से निवृत हो कर नीचे पहुँचा, तब तक सब आ चुके थे। मैंने अनन्या को इशारे में दर्द के बारे में पूछा पर उसने थोड़ा जोर से जवाब दिया- ठीक है अब… मैंने मम्मा को सब सच-सच बता दिया! यह सुन कर मेरी तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई कि अनन्या […]
मेरे चचाजान ने जबरन सेक्स किया
मेरी अम्मी कुछ नहीं समझ पाती थीं। वे मेरे चचा को सुनाते हुए कहती थीं कि भतीजी को प्यार नहीं करेंगे तो डरेगी ही। नफ़ीसा क्यों आपकी गोद में जाएगी? उस वक्त मैं कुछ सोच नहीं पाती थी कि अपनी अम्मी से क्या बताऊँ? मैं तो बस सहमी हुई चुप ही रह जाती थी। मैं […]