मैं भी अपने कमरे में वापस आया तो फरहान सो चुका था.. मुझे आपी पर बहुत गुस्सा आ रहा था और मैं उसी गुस्से और बेबसी की ही हालत में लेटा और फिर पता नहीं कब मुझे भी नींद ने अपने आगोश में ले लिया। सुबह फरहान ने उठाया तो कॉलेज जाने का दिल नहीं […]
Category: भाई बहन
सगे भाई बहन, चचेरे, ममेरे, फुफेरे भाई बहन के बीच चुदाई खेल की कहानियाँ
Bhai bahan sex, bahan ki chut chudai ki kahaniyan
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जिस्मानी रिश्तों की चाह-49
मैं बिस्तर पर लेटा और तय किया कि सुबह सबसे पहला काम यही करना है कि जा कर लाइसेन्स बनवाना है। इसी ऑफ मूड के साथ ही नींद ने हमला करके मेरे शरीर को सुला दिया। मैं सुबह उठा तो मेरे जेहन में अब्बू की डांट ताज़ा हो गई, मैं जल्दी-जल्दी तैयार हुआ और नाश्ता […]
जिस्मानी रिश्तों की चाह -55
वहाँ ही हमने रहीम अंकल से बात-चीत की और सारे मामलात तय करके रहीम अंकल ने वर्कर्स को भी यह बात साफ़ कर दी कि अब शॉप के नये मालिक हम लोग होंगे.. जिसको उन वर्कर्स ने भी बहुत खुशदिली से क़बूल किया। अगले 3 दिन तक हम पेपर वर्क और दूसरे तमाम मामलात में […]
जिस्मानी रिश्तों की चाह-54
मैंने अभी पहली सीढ़ी पर क़दम रखा ही था कि मुझे ऊपर वाली सीढ़ियों पर एक साया सा नज़र आया और महसूस हुआ कि जैसे ऊपर कोई है। मैं चंद सेकेंड रुका और फिर नीचे जाने के बजाए आहिस्ता-आहिस्ता दबे क़दमों से ऊपर जाने वाली सीढ़ियों पर चढ़ने लगा। जब मैं सीढ़ियों के दरमियानी प्लेटफॉर्म.. […]
जिस्मानी रिश्तों की चाह-53
मैं पहले तो यह ख्याल रख कर उंगलियाँ चलाता रहा था कि एक इंच से ज्यादा अन्दर ना जाने पाए.. लेकिन अब तेजी-तेजी से अन्दर बाहर करने की वजह से मैं अपने हाथ को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था और हर 3-4 झटकों के बाद एक बार उंगलियाँ थोड़ी ज्यादा गहराई में उतर जाती […]
मेरा गुप्त जीवन- 183
शोर सुन कर कम्मो दौड़ती हुई आई हमारे कमरे में और आते ही कमरे का दरवाज़ा बन्द कर लिया और किरण को खींचती हुई मौसी से अलग किया और फिर उसको कम्मो ने अपनी मज़बूत बाहों की गिरफ़्त में ले लिया। लेकिन किरण अभी भी वही गालियाँ बके जा रही थी और कम्मो से छुटने […]
जिस्मानी रिश्तों की चाह-56
आपी ने इस वक़्त सफ़ेद चिकन की फ्रॉक और सफ़ेद रेशमी चूड़ीदार पजामा पहना हुआ था.. जो पैरों से ऊपर बहुत सी चुन्नटें लिए सिमटा हुआ था, सर पर अपने मख़सूस अंदाज़ में ब्लॅक स्कार्फ बाँधा हुआ था.. सीने पे बड़ा सा दुपट्टा फैला कर डाला हुआ था। मैंने आपी को हँसते हुए देखा तो […]
जिस्मानी रिश्तों की चाह-57
मैंने आपी का चेहरा पकड़ कर उनके होंठ चूमे और कहा- जी नहीं.. रात की रात में देखेंगे.. लेकिन मेरी अभी की बारी दो.. ‘अच्छा ना.. बोलो क्या करना है?’ ये कह कर आपी ने अपने एक हाथ से दुपट्टा अपने सीने से हटाया और दूसरे हाथ से सीने के एक उभार को अपनी क़मीज़ […]
जिस्मानी रिश्तों की चाह-59
मैंने अपने लण्ड को हाथ में लिया और आपी की चूत के दोनों लबों के दरमियान रख कर लबों को खोला और चूत के अंदरूनी नरम हिस्से पर लण्ड को ऊपर से नीचे रगड़ने लगा। मेरे इस तरह रगड़ने से मेरे लण्ड की नोक आपी की चूत के अंदरूनी हिस्से को रगड़ दे रही थी […]
जिस्मानी रिश्तों की चाह -58
मैं अपने इन्हीं अहसासात के साथ आपी की चूत को चाट और चूस रहा था कि एक आवाज़ बॉम्ब की तरह मेरी शामत से टकराई- रूहीयययययई… अम्मी की आवाज़ सुनते ही मैं तड़फ कर पीछे हटा और अभी उठने भी नहीं पाया था कि किचन के दरवाज़े पर अम्मी खड़ी नज़र आईं। उन्होंने मुझे ज़मीन […]