सोनी दीदी की कामाग्नि-1

मैंने मना किया पर वो नहीं माने और मुझे उनके साथ बैठना पड़ा. उन्होंने एक शराब की बोतल निकाली और हम पीने लगे. हम लगभग पूरी बोतल पी गए. जीजा जी को बहुत नशा हो गया था. हमने खाना खाया और अपने अपने कमरे में सोने चले गए.

अचानक रात में मुझे कुछ आवाज़ सुनाई दी.
मैं उठा और दीदी के कमरे की खिड़की से देखने लगा कि कुछ हुआ तो नहीं है.

तभी मैंने देखा कि जीजा जी ने दीदी की साड़ी को ऊपर उठाया और उसकी पेंटी को उसके बदन से अलग कर दिया और अपना लंड पेल दिया उसकी बुर में. जीजा जी का लंड बहुत छोटा था. दो मिनट बाद ही जीजा जी झड़ गए और वहीं नशे में सो गए.

दीदी की आँखों में आँसू थे, वो उठी और कमरे से बाथरूम जाने लगी कि अचानक उन्होंने मुझे देख लिया. मैं भी वहाँ से चला गया और रात भर उनकी बुर के बारे में सोचता रहा. उसकी चूत क्या मस्त थी! बिल्कुल गुलाबी! एक भी बाल नहीं था उसकी चूत पर! उसे सोचते सोचते ही मैं तो जैसे पागल हो गया. मैंने रात में मुठ मारी और सो गया.

सुबह जब उठा तो पता लगा कि जीजा जी दस दिनों के लिए पुणे गए हैं. मैं और दीदी एक दूसरे को देख रहे थे.

मुझे उसके पतली कमर के साथ डोलते हुए चूतड़ बहुत विचलित करते थे, मैं सोचता था कि उसे नंगी करने के बाद उसके गोरे गदराये चूतड़ कितने प्यारे लगेंगे.. उन्हें सहलाने में और दबाने में कितना मजा आएगा! और कमर से ऊपर नज़र जाते ही.. उफ़ उसकी भरी हुई छातियाँ.. उसके स्तन एकदम कसे हुए थे.. एक बच्चे की माँ लेकिन स्तन जैसे बीस साल की कुंवारी लड़की के.. 36 साइज़ होगा उनका.. दोनों उसके ब्लाऊज़ या कुरते के अन्दर एक दूसरे से चिपके हुए रहते थे.. जिसके कारण उसके बीच की घाटी बहुत ही उत्तेजक दिखाई देती थी. सब कुछ मिला कर मेरे जैसे कामी पुरूष के लिए वो एक विस्फोटक औरत थी…

अब मैंने उन्हें और उन्होंने मुझे अलग नजरों से देखना शुरू कर दिया था. शायद वह मेरी नजरों की भाषा समझ रही थी. हम दोनों एक दूसरे से खुल कर बातें करने लगे थे. जब भी मैं उसके उभरे संतरे जैसे चूचियों को देखता था तो मेरे मन में एक ही ख्याल आता था कि अभी जाकर उनका सारा रस निकालकर पी जाऊँ. सूट पहने हुए उसकी कमर एवं जांघों को देखकर मुंह में पानी आ जाता था.

एक रात मैं दीदी के कमरे में झांक रहा था तो जो देखा उससे मेरे रोंगटे खड़े हो गए! दीदी टीवी पर ब्लू फिल्म देख कर अपनी चूत को जोर जोर से अपने हाथों से रगड़़ रही थी! मेरा लण्ड एकदम से तन कर खड़ा हो गया, मुझसे रहा न गया और मैंने वहीं खड़े खड़े मुठ मार कर उसे शांत किया.

मैं समझ गया कि जीजा जी से दीदी की बुर शांत नहीं होती है, वो प्यासी है उसकी बुर में आग लगी है और मेरा काम बन सकता है.

एक दिन मैं सोने के लिये बेडरूम में आ गया तो देखा की दीदी अपनी गैलरी में खड़ी थी. मैंने सोचा कि मौका अच्छा है. फ़िर तुरन्त ही अपना पैन्ट उतार कर, वो मुझे देख सके, उस तरफ़ मुँह करके अपने लण्ड को तेल लगा-लगा कर मालिश करने लगा.

जैसे ही उसने मुझे नंगा देखा, तुरन्त अपने कमरे में भाग गई. दोस्तो, मेरा लण्ड अगर किसी भी औरत या लड़की ने देखा तो चखने का मन बन ही जाता है. फ़िर मैंने खिड़की के काँच से देखा तो पता चला कि वो दरवाजे के पास कुर्सी डाल कर चुपके से मेरे कमरे में झांक रही थी.

मैंने सोचा कि मेरा काम हो गया. अब दीदी की आँखों में मुझे वासना नज़र आने लगी थी, बस मैं मौके के इंतज़ार में था. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं.

एक दिन वो मेरे पास आई और उसने कहा- मेरे कंप्यूटर में कुछ खराबी आ गई है और मैंने एक जरूरी इमेल करनी है. क्या मैं तेरा लैपटॉप प्रयोग कर सकती हूँ?

मैंने कहा- हाँ हाँ! क्यों नहीं!
मैंने कहा- दीदी, आप बैठिये, मैं लैपटॉप देता हूँ!

मैंने ऐसे ही लैपटॉप पकड़ा दिया. जैसे ही उन्होंने लैपटॉप देखा तो दीदी का चेहरा लाल हो गया, उसने झिझकते हुए कहा- भैया, तुम ही वेब साईट खोल कर दे दो.

मैंने लैपटॉप लिया तो देखा कि नंगी वेब साइट्स खुली हुई थी, मैं घबरा गया और बोला- सॉरी, यह लीजिये! अब सब ठीक है!
दीदी बोली- शादी नहीं हुई है तो खूब ऐश हो रही है?
मैंने कहा- मन तो बहुत करता है मगर कुछ भी नहीं कर पाता, सिर्फ इन्टरनेट का ही सहारा है!
उसने कहा- क्या तुम मुझे इन वेब साइट्स के लिंक लिख कर दे सकते हैं?

मैं हैरान रह गया! मैंने कहा- क्या दीदी?
वो बोली- हाँ! वो असल में तुम्हारे जीजा जी को दिखानी हैं, शायद ये देख कर वो थोड़ा रोमांटिक हो जायें!
मैंने पूछा- क्यों? क्या वो अभी रोमांटिक नहीं है?

तो दीदी बोली- रोमांटिक का र भी नहीं आता उनको! रात को आते हैं, शराब पीते हैं और मेरे हाथों में अपने छोटे से लंड को देकर कहते हैं- हिला दो! मैं उसे झरवा देती हूँ और फिर वो सो जाते है. मेरे अरमान और बदन की गर्मी वहीं की वहीं रह जाती है. मैंने कई बार कोशिश की, मगर वो समझते ही नहीं! कहते है कि बहुत थक गया हूँ.

शादी से लेकर आज तक बस बहुत कम ही हमने सेक्स किया है जिसमें वो पूरा अन्दर तक भी नहीं जाता.

वो बोली- अंकित, ये मेरी बहुत व्यक्तिगत बातें हैं, किसी को नहीं बताना! मैं तुम्हे ये सब बता रही हूँ कि तुमने रात सब कुछ देख लिया था.

मैंने घबरा कर कहा- आप चिंता मत करो!
मैं समझ गया था कि लोहा गर्म है, हथौड़ा मारने की देर है.
फिर वो बोली- मेरा काम हो गया है, मैं चलती हूँ अपने रूम में सोने को. तुम भी सो जाओ.
पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने कहा- बस एक चीज दिखानी है आपको!
और कह के अपनी जींस नीचे कर दी, मेरा नौ इंच का लंड खड़ा हुआ फुफकार रहा था. वो पलटी और उसकी आँखें फटी की फटी रह गई, पसीना उसके गाल से बहने लगा और चेहरा लाल हो गया. वो मेरे पास आई, मेरी आँखों में गुस्से से देखा और मुझे जोरदार थप्पड़ मार दिया.

मैं बहुत घबरा गया, शायद मैंने उसकी बातों से गलत समझ लिया था कि वो मेरे साथ अपनी प्यास बुझा लेगी. मुझे लगा कि अब मेरी बदनामी कर देगी ये!

कहानी जारी रहेगी.
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