शादी में बनी रण्डी

मेरे घर में सब एकदम गोरे हैं मेरा फिगर 36-32-36 है।

अब मैं अपनी सच्ची घटना पर आती हूँ।

दो दिनों बाद चच्चा के बेटे की शादी थी.. जी हाँ.. वही चच्चा, जिसने मेरी अस्मत पहली बार ली थी और उनके उसी लड़के की शादी थी जिसने मुझे चोद-चोद कर मेरी चूत सुजा दी थी और जिसने मेरी बुर में चुदाई करते समय पाइप भी डाला था।

उसके बाद भी उसने मुझे कई बार चोदा, लेकिन उससे ज्यादा तो उसका कमीना बाप आकर मेरी गांड सुजाता था।

क्योंकि उसके बेटे ने एक कोई रण्डी पाल रखी थी जो कई सालों से उसकी गर्ल-फ्रेंड थी और अब वो उसी से शादी कर रहा है।

शादी की वजह से अब्बू ने मुझसे कह रखा था कि मैं पूरा दिन वहीं पर रहूँ और काम में मदद करवाऊँ.. क्योंकि अब्बू और भाई दुकान की वजह से वक्त नहीं दे पा रहे थे।

तो मैं हर रोज नाश्ता बनाकर चच्चा के यहाँ ही चली जाती थी और उनके हरामी लड़कों की नजरों की हवस का शिकार बनती थी।

मुझे लगता था कि अभी मुझे यही पर नंगा करके.. सब मुझे चोदने लगेंगे।

मुझे कहीं भी अकेला पाकर आ जाते और मेरे मम्मे दबाने लगते और मेरी चूत और गांड में ऊँगली करने लगते और मेरी पैंटी में हाथ डालकर मुझे गरम करने लगते।

लेकिन शादी का घर था तो कोई ना कोई आ ही जाता और मुझे उन हवस के भूखे कुत्तों से बचा ही लेता।

हल्दी के दिन चच्चा के लड़कों और दोस्तों ने मुझे पकड़ ही लिया और सबने अपनी पैंट उतार कर अपने लौड़ों पर हल्दी लगवाई और फिर मेरे मुँह में हल्दी डालकर अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया और कहने लगे- अब अच्छे से हल्दी मल..

उन सबने शराब पी हुई थी क्योंकि वो जब मुझे चुम्बन कर रहे थे तो शराब की बहुत तेज गंध आ रही थी।

फिर उन्होंने मेरे कपड़े फाड़ दिए और मेरी चूत में हल्दी डालकर ऊँगली करने लगे।

उस वक्त करीब 6 या 7 ऊँगलियां एक साथ मेरी चूत और गांड में अन्दर-बाहर हो रही थीं और मैं मदहोश होती जा रही थी।

मेरी चूत का बहाव लगातार तेज होता जा रहा था।

फिर वो एक-एक करके मेरी चूत में अपना मुँह लगाने लगे।

‘उउहह आहह.. प्लीज फक मी.. प्लीज फक मी.. मुझे चोदो प्लीज… अब सहा नहीं जाता.. अपने लंडों से मेरी चूत को फाड़ दो.. प्लीज फाड़ कर रख दो इसे आज..’

मेरे मुँह से ऐसे शब्द निकलने लगे और मैं पूरी तरह से गरम हो गई कि इतने में किसी ने आकर बताया कि मेरे अब्बू और भाई आ गए हैं तो वो सब मुझे चुदाई की आग में तड़पता छोड़ कर भाग गए और मैं ऐसे ही नंगी बिस्तर पर पड़ी रही।

मेरा शरीर अकड़ चुका था.. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैं अपनी ऊँगली को ही अपनी चूत में हिलाने लगी और अपनी आग को बुझाने लगी।

मेरी आँखें लाल होती जा रही थीं और शरीर अकड़ता जा रहा था।

तभी मैं उठ कर बैठी और पलंग के हत्थे को अपनी चूत में डालकर ऊपर-नीचे करने लगी और करीब 3 मिनट बाद पेशाब के साथ मैं झड़ गई तब मुझे कुछ शांति मिली।

फिर उसके बाद मैं अब्बू के साथ घर चली गई।

घर जाकर मेरे भाईजान ने मुझसे पूछा- तुमको क्या हुआ है.. क्या किसी ने कुछ किया है?
मैंने उनसे लिपट कर कहा- किसी ने कुछ किया ही तो नहीं.. साले सब तड़फता छोड़ गए।
‘क्यों..?’
‘भाईजान, अब्बू आ गए थे न..’

तो भाईजान ने मुझे एक जोर का चुम्मा लिया और मेरा एक मम्मा मसक दिया।

मैं समझ गई कि भाईजान का लौड़ा आज मेरी चूत में फिट होने वाला है।

मैंने भाईजान के लौड़े को पकड़ लिया।

भाईजान ने मुझे अपनी गोद में उठाया और मुझे बिस्तर पर ले गए।

मैंने भी चुदने की जल्दी में जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार फेंके।

मेरे जिस्म पर सिर्फ एक तिकोने वाली थोंग जैसी चड्डी रह गई जो कि अब्बू के एक इशारे पर डोरी की गाँठ खोलने से चूत को उनके लौड़े के लिए खोलने को काफी थी।

भाईजान ने भी अपने कपड़े उतार फेंके और अपना लौड़ा हिलाते हुए मेरे करीब आ गए।

मैंने उनकी आँहों में झांकते हुए ‘गप’ से उनका लौड़ा अपने मुँह में भर लिया और मस्ती से चचोरने लगी।

भाईजान ने भी ज्यादा देर नहीं लगाई.. मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर चित्त लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गए।

उन्होंने अपना मुस्टंडा लवड़ा मेरी चूत के मुहाने पर रखा और एक ही झटके में अन्दर ठेल दिया।
‘उई..आह्ह…’

मेरी चूत ने उनका लौड़ा निगल लिया था। मस्ती में मेरी आँखें बन्द हो गईं।

भाईजान ने मुझे हचक कर चोदा और उस रात मेरी पूरी आग भाईजान ने बुझाई और मुझे पूरी तरह से शांत किया।

आगे की घटना में मैं आपको बताऊँगी कि कैसे चच्चा के लड़के यानी दूल्हे ने शादी के दिन मुझे चोदा और फिर उसके सालों ने मेरे साथ रंगरेलियां मनाईं।

आप सभी उत्तेजक विचारों के लिए मुझे इंतजार रहेगा।